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मुद्दा इन्टर स्टेट प्रोटोकाल का है - अरविन्द सिसौदियाThe issue is of inter state protocol - Arvind Sisodia

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मुद्दा इन्टर स्टेट प्रोटोकाल का है - अरविन्द सिसौदिया


मुद्दा इन्टर स्टेट प्रोटोकाल का है - अरविन्द सिसौदिया

एक प्रदेश दूसरे प्रदेश का अपमान नहीं करे यह भावना संवैधानिक है और कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने इसी भावना का कत्ल मात्र वोट बैंक की सन्तुष्टि के लिये किया है । जो कि घोर असंवैधानिक है । प्रतिदिन हिन्दुओं पर गैर हिन्दू अनचाही और मनचाही टिप्पणियां कर रहे है । उनके विरूद्ध आपराधिक खामोशी और एक हिन्दू को अपनी अभिव्यक्ति पर अमानवीय तरीके से अपमानित किया जा रहा है । यह तो एक संवैधानिक विश्लेशण है ही । मध्यप्रदेश से छतीसगढ़ पुलिस कोई भी गिरफतारी उसकी बिना अनुमति के कैसे कर सकती है और इस तरह की अवैध गिरफतारी को कोई भी न्यायालय स्विकार कैसे कर सकता है। विचार करने वाले न्यायालय का कर्त्तव्य बनता है कि वह पुलिस से गिरफतारी के तरीके की भी जानकारी ले। गलती हुई है तो उन्हे भी दण्डित करे ।

मेरा स्पष्ट मानना है कि जहां किसी व्यक्ति को गिरफतार किया जाये उसे उस जिले के जिला सेशन न्यायाधीश की परमीशन के किसी अन्य जिले में या प्रांत में ले जानें की अनुमति होनी चाहिये। गिफ्तार व्यक्ति को पहले स्थानीय जिले की जिला सेशन न्यायालय में पेश करें और फिर उनके निर्देश पर अगली कार्यवाही करें। स्थानीय न्यायालय भी व्यक्ति की समुचित सुरक्षा सुनिश्चित करे। राज्य व्यवस्था का और राज्य की न्याय व्यवस्था का सम्मान होना ही चाहिये। स्वामी कालीचरण जी कोई आतंकवादी थोडे ही थे उन्होने मात्र अपनी अभिव्यक्ति ही तो दी थी। फिर मध्यप्रदेश का अपमान छतीसगढ़ क्यों करे। सर्वोच्च न्यायालय को स्व विवेक से संज्ञान लेना चाहिये । कांग्रेस की कपट नीति के लिये न्याय एवं संविधान की बली नहीं दी जा सकती ।


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भारत में कोरियन तानाशाही का शासन नहीं है किन्तु कांग्रेस ने कोरियन तानाशाही का परिचय दिया है। भारत का संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। इसी कारण तो भारत तेरे टुकेडे होंगे इंशा अल्ला के नारे लगते हैं और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त करते है। हर घर से अफजल निकलेगा की बात होती है। स्वयं महात्मा गांधी ने कांग्रेस के मंच से स्वामी श्रृद्धानन्द जी के हत्यारे की प्रशंसा भी तो की थी। उसे अपना भाई बताया था। महात्मा गांधी भी स्वयं की आलोचना को बुरा नहीं मानते थे। फिर उनके नाम को भुनाने वाले कांग्रेसी यह सब कैसे कर सकते है।

सवाल महात्मा गांधी जी का कहां है सवाल है वोट बैंक पोलटिक्स की और लगता है कि कांग्रेस स्वयं बेनकाव हो गई है।


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महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी किए जाने के आरोप में महाराज कालीचरण की गिरफ्तारी पर अब सियासी बवाल शुरू हो गया है। बीजेपी के कुछ नेता इस गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को हिंदू संत को अपना समर्थन देने के लिए भारतीय जनता पार्टी आगे आई है।

मीडिया से बात करते हुए बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल ने गिरफ्तारी को “ असंवैधानिकष् करार दिया और कहा कि ष्किसी भी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। “ उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि “गांधी के नाम पर ये गिरफ्तारी की जाती है, लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो हर दिन भगवान राम के खिलाफ बोलते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती? “

कालीचरण महाराज को पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था, जिसके चार दिन पहले उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) और 294 के तहत महात्मा गांधी के बारे में कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी के मामले प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान और सबूतों के आधार पर धारा 153 । (1) , 153 ठ (1) (ं), 295 ।, 505 (1) (ठ) को भी शामिल किया गया है।


कालीचरण के समर्थन में हिंदू महासभा भी सामने आई है। ग्वालियर और इंदौर में हिंदू महासभा इकाई के सदस्य सड़कों पर उतर आए हैं। रिपब्लिक द्वारा एक्सेस किए गए फुटेज में उन्हें महात्मा नाथूराम गोडसे के नारे लगाते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुलिस के पुतले को जलाते हुए देखा जा सकता है।


इस बीच, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों के बीच बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि कालीचरण की गिरफ्तारी में छत्तीसगढ़ सरकार ने अंतरराज्यीय प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। जवाबी कार्रवाई में छत्तीसगढ़ सरकार ने पूछा है कि  “राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ बोलने वाले की पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी से मध्य प्रदेश के नेता नाखुश क्यों हैं।“

कालीचरण महाराज के विवादित बयान
पिछले हफ्ते रायपुर में आयोजित एक धर्म संसद कार्यक्रम में भाषण देने के लिए आमंत्रित, कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के बारे कथित तौर पर अमर्यादित टिप्पणी की थी और उनकी हत्या करने के लिए नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की। उन्होंने दावा किया कि यह गांधी थे जिन्होंने राजनीति के माध्यम से मुसलमानों को पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों पर कब्जा करने में सहायता की थी।

उन्होंने आगे कहा, “इस्लाम ने राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा कर लिया। उन्होंने हमारी आंखों के सामने पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा कर लिया। मोहनदास करमचंद गांधी ने सब कुछ नष्ट कर दिया। नाथूराम गोडसे जी को मारने के लिए मेरा नमस्कार। इन लोगों (मुसलमानों) को नियंत्रित करने के लिए दमन जरूरी है, नहीं तो ये कैंसर बन जाते हैं।“



 


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