Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

केजरीवाल : डी डी सी ए बहाना है, असली मकसद राजेन्द्र कुमार बचाना हे।

$
0
0



-------


आआपा का झूठ तार-तार
तारीख: 21 Dec 2015
- प्रतिनिधि


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के कार्यालय पर सीबीआई की छापेमारी के बाद इसे बदले की राजनीति बताते हुए हाय तौबा कर राजनैतिक मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे केजरीवाल ने अपने 49 दिनों के कार्यकाल में भी उन्हें प्रधान सचिव बनाया था। वह केजरीवाल के कितने करीब हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जाना चाहिए। राजेंद्र कुमार दिल्ली सरकार में परिवहन और माध्यमिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों में काम कर चुके हैं। वह दिल्ली सरकार में ऊर्जा सचिव भी रहे हैं।
करीबी ने किया कबाड़ा
जानकारी के अनुसार कभी अरविंद केजरीवाल के करीबी और पसंदीदा अधिकारियों में रहे दिल्ली संवाद आयोग के पूर्व सचिव आशीष जोशी की शिकायत पर ही राजेंद्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इस मामले की शुरुआत तब से हुई जब जोशी को केंद्र सरकार से प्रतिनियुक्ति द्वारा ‘दिल्ली अरबन शेल्टर इंपू्रवमेंट बोर्ड’ के वित्त विभाग में बतौर सदस्य नियुक्त किया गया था। फरवरी में जब केजरीवाल दोबारा सत्ता में आए तो जोशी को केजरीवाल की टीम में बुद्धिजीवी के तौर पर उनका सबसे करीब माना जाने लगा था। दिल्ली संवाद आयोग की नौ सदस्यों की कमेटी में अरविंद केजरीवाल अध्यक्ष और आशीष खेतान उपाध्यक्ष बने।
इसके बाद आशीष खेतान और जोशी के बीच विवाद होने पर जोशी ने अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि आआपा के कार्यकर्ता और उच्च पदों पर बैठे हुए कई नेता उन्हें परेशान कर रहे हैं। अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करने की आदत के चलते आआपा ने जोशी के इस दावे को एक सिरे से खारिज कर दिया। इस वर्ष जून में जोशी ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राजेंद्र कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से शिकायत की थी। आशीष जोशी ने राजेंद्र कुमार पर शिक्षा और आईटी विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान बेनामी कंपनियां बनाकर वित्तीय धांधली किए जाने का आरोप लगाया था। गत 16 नवंबर को राजेंद्र कुमार पर सीबीआई की छापेमारी को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता की लेकिन जब मीडिया ने उनसे पूछा कि राजेंद्र कुमार को लेकर ‘ट्रांसपरेसी इंटरनेशनल’ने गत मई में मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखा था तो आपने इसकी जांच क्यों नहीं कराई थी? इस पर वे प्रेसवार्ता बीच में छोड़कर चले गए।वहीं सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय की फाइलें जब्त करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस मामले में सीबीआई प्रवक्ता देवप्रीत सिंह ने कहा है कि ऐसी एक भी फाइल जब्त नहीं की गई है, जो मामले से संबंधित नहीं हैं। छापे के दौरान स्वतंत्र गवाह मौके पर मौजूद थे और उनके सामने ही सभी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। छापे में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। जब्त सभी दस्तावेजों की सूची जल्द ही न्यायालय को सौंप दी जाएगी। उन्होंने सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय और आसपास के कमरों में न जाने देने के आरोपों को भी खारिज किया है। जांच एजेंसी ने स्पष्ट कहा है कि छापा केवल मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार और उनके निजी सहयोगी के कमरे तक सीमित था और केवल उन्हीं दो कमरों में लोगों के आने-जाने पर रोक थी। मुख्यमंत्री के कार्यालय समेत सभी जगहों पर आने-जाने की पूरी आजादी थी।
------------------

CBI ने प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार से 5 ऑडियो क्लिप बरामद किए 

Last Update: 24 Dec 2015
http://www.ibc24.in/Story.aspx?vid=6590
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार पर सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. उनके व्यक्तिगत ईमेल आईडी से पांच ऑडियो क्लिप बरामद हुई है. इसमें कथित सौदों को लेकर बातचीत होने का शक है. सीबीआई इस ऑडियो क्लिप की जांच करा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, बरामद की गई ऑडियो क्लिप 2012 से 2013 के बीच की हैं. इसमें वह अपने सहयोगियों को एक निजी कंपनी एंडेवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में हेरफेर करने के बारे में कथित निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने अपने अधिकतर निर्देश ऑडियो क्लिप के जरिए ही भेजा था.
सीबीआई ईमेल आईडी से बरामद ऑडियो क्लिप से राजेंद्र कुमार की आवाज की जांच करा रही है. इसमें अभी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो आवाज पूरी तरह राजेंद्र कुमार की आवाज से मैच कर रही है, जो कि उनके लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है.

---------------------

केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के 

खिलाफ जांच का दायरा बढ़ा सकती है सीबीआई

Reported by Bhasha , Last Updated: गुरुवार दिसम्बर 24, 2015
http://khabar.ndtv.com/news

नई दिल्‍ली: सीबीआई ने ऐसे दस्तावेज मिलने का गुरुवार को दावा किया जो आईसीएसआईएल के जरिए दिल्ली सरकार में की गयी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की ओर संकेत करते हैं। इसके साथ ही एजेंसी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाने पर वह विचार कर रही है।

एजेंसी सूत्रों ने कहा कि उन्हें दिल्ली सरकार में भर्ती के संबंध में चार फाइलें मिली हैं। एक फाइल डाटा एंट्री ऑपरेटरों की भर्ती से संबंधित है और इसमें कई पन्ने गायब मिले हैं। इस वजह ने एजेंसी को भर्ती प्रक्रिया में गहन जांच के लिए प्रेरित किया।

कुमार के खिलाफ सीबीआई अभी पांच मामलों में जांच कर रही है। ये मामले 2009 से 2014 के बीच के हैं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार में विभिन्न पदों पर काम किया।

सूत्रों ने कहा कि जांच का विस्तार किया जा सकता है और इसमें और अधिकारियों और भर्ती प्रक्रियाओं को शामिल किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि किसी भी बात को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और आगे की कोई भी कार्रवाई कुमार से आगे पूछताछ के दौरान सामने आने वाले ब्यौरे पर निर्भर करेगी।

उन्होंने कहा कि कुमार को एक बार फिर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा क्योंकि एजेंसी को पांच ऑडियो क्लि‍पिंग मिले हैं, जिनमें वह कथित तौर पर संबंधित अधिकारियों को ठेके के करारों में कथित रूप से गड़बडी के लिए मौखिक निर्देश दे रहे हैं। सूत्रों ने दावा किया कि कथित क्लि‍पिंग कुमार के ईमेल एकाउंट से मिले हैं और ये उन अधिकारियों पर उनके प्रभाव का संकेत देते हैं जिनके नाम प्राथमिकी में दर्ज नहीं किए गए हैं तथा उन्हें आरोपपत्र में शामिल किया जा सकता है।

सीबीआई ने कहा कि उसने कुमार तथा अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। अधिकारी के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने ‘पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली सरकार के विभागों से ठेके दिलाने में एक खास कंपनी को लाभ पहुंचाया।’ एक निजी कंपिनी को 2007 से 2009 के दौरान पांच ठेकों में कथित तौर पर 9.5 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने के आरोप में कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

सीबीआई ने मामला दर्ज करने के बाद अपने बयान में कहा था कि आरोपी ने आईसीएसआईएल (इंटेलिजेंट कम्यूनिकेशन सिस्टम्स इंडिया लि.) के जरिए कंपनी को कथित तौर पर करीब 9.50 करोड़ रुपये के ठेके दिलाने में मदद की।
------------------

कौन हैं राजेन्द्र कुमार? क्या-क्या हैं भ्रष्टाचार के आरोप?

By: मनोज मलयानिल, वरिष्ठ पत्रकार | 
Last Updated: Tuesday, 15 December 2015 
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. केजरीवाल ने राजेन्द्र कुमार को अपने 49 दिन के पहले कार्यकाल के दौरान भी प्रधान सचिव बनाया था. राजेंद्र कुमार अरविंद केजरीवाल के कितने करीब हैं इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसी साल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मुख्य सचिव अनिंदो मजुमदार के ऑफिस में ताला डालकर उसे सील कर दिया था और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर की अनदेखी करते हुए राजेन्द्र कुमार को अपना प्रधान सचिव बनाया था.
राजेन्द्र कुमार दिल्ली सरकार में परिवहन और माध्यमिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रह चुके हैं. दिल्ली में ऊर्जा सचिव रहते हुए उन्होंने बिजली कंपनियों की मनमानी रोकने को लेकर कई कदम उठाया था. सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री एक्सलेंसी अवार्ड भी मिल चुका है.

एक तरफ राजेन्द्र कुमार की ईमानदार अधिकारियों के रूप में गिनती होती है वहीं दूसरी तरफ राजेन्द्र कुमार भ्रष्टाचार के कई आरोपों से भी घिरे हैं.

इसी साल 15 जून का मामला है. राजेन्द्र कुमार के खिलाफ दिल्ली डायलॉग के पूर्व सचिव आशीष जोशी ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनकी शिकायत एंट्री करप्शन ब्रांच से की थी. आशीष जोशी ने एसीबी को पत्र लिखकर राजेन्दर कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसमें राजेन्द्र पर शिक्षा और आईटी विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान बेनामी कंपनियां बनाकर वित्तीय धांधली किये जाने की बात कही गई थी.
जोशी ने शिकायत में लिखा है कि ‘मेरे डीयूएसआईबी का चीफ डिजिटाइलेशन ऑफिसर रहने के दौरान मुझे आईटी विभाग से जुड़े राजेन्द्र कुमार की भ्रष्ट गतिविधियों का पता चला. मुझे दिल्ली सरकार द्वार डीओपीटी के साल 2010 के आदेशों का उल्लंघन करते हुए एकाएक अपने पद से हटा दिया गया. बाद में मैंने राजेन्द्र कुमार और दूसरे लोगों के खिलाफ संसद मार्ग और आईपी एस्टेट पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी’.

आशीष जोशी ने अपने पत्र में लिखा है कि राजेन्द्र कुमार 10 मई 2002 से लेकर 10 फरवरी 2005 तक निदेशक (शिक्षा) रहे. इस दौरान उन्होंने तिमारपुर में कंप्यूटर लैब बनाते हुए अशोक कुमार नाम के शख्स को इसका इंचार्ज नियुक्त किया. बाद में राजेन्द्र कुमार ने दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार के साथ मिलकर एंडीवर्स सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई. गुप्ता शिक्षा विभाग को स्टेशनरी के सामान की सप्लाई करते थे. संपीप कुमार, अशोक कुमार से जुड़े हुए हैं. खास बात ये है कि अशोक कुमार ने 2009 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. अशोक कुमार डीएएसएस कैडर से हैं और उन्होंने राजेन्द्र कुमार के साथ लंबे समय तक काम किया है.
आशीष जोशी के पत्र के मुताबिक साल 2007 में राजेन्द्र कुमार दिल्ली सरकार के आईटी सेक्रेटरी बने और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एंडीवर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ कंपनी को एक पीएसयू यानी सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम के साथ इंपैनल करा लिया जिससे कि उनकी कंपनी बिना किसी टेंडर के ही सरकारी विभागों के साथ डील कर सके. आरोप है कि बिना टेंडर काम आवंटित किये जान से दिल्ली सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ. जोशी ने मामले में राजेन्द्र कुमार और बाकी लोगों और इसमें शामिल कंपनियों के गठजोड़ की जांच करने की मांग की थी.

राजेंद्र कुमार के खिलाफ दूसरा मामला सीएनजी फिटनेस घोटाले का है. दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट के दौरान कथित अनियमितता के मामले में आईएएस राजेंद्र कुमार से पहले ही पूछताछ कर चुकी है. दिलचस्प है कि जिस अधिकारी एमके मीणा को निगरानी विभाग का प्रमुख बनने से केजरीवाल ने रोकने की भरपूर कोशिश की थी, उसी अधिकारी ने राजेंद्र कुमार से पूछताछ की थी. बताया जा रहा है कि उनसे इस बारे में पूछताछ हुई है कि उन्होंने सीएनजी फिटनेस घोटाला मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की थी. कहा जा रहा है कि परिवहन सचिव रहते राजेंद्र कुमार ने कार्रवाई नहीं की थी.

क्या है सीएनजी फिटनेस घोटाला ? 
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में सीएनजी किट लगाने के लिए दो कंपनियों को ठेका दिया गया था. आरोप है कि इसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था. 

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय सीएनजी किट लगाने ठेका एक कंपनी को दिया गया था. इसमें कई खामियां मिलीं थी. बिना टेंडर का ठेका दिया गया था. इसमें खर्च सरकार कर रही थी और आमदनी कंपनी ले रही थी. फर्जी फिटनेस टेस्ट करके पैसा लिया जा रहा था. जांच में पाया गया कि 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था .

अरविंद के केजरीवाल के सबसे प्रिय नौकरशाह कहे जाने वाले राजेन्द्र कुमार मूलत: बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले हैं. 48 साल के राजेन्द्र कुमार दिल्ली आईआईटी से बीटेक हैं. राजेन्द्र कुमार झारखंड के नेतरहाट विद्यालय में वर्ष 1979 से लेकर 1984 तक पढ़ाई की है.

      

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>