Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2982

भगत के वश में हैं भगवान bagat ke vsh men haen bhgvan

$
0
0


     *भक्ति की सरलता*

          एक साधु थे उनका न कोई आश्रम न धर्मशाला न कोई ठिकाना जहाँ रात होती वही ठहर जाते और भिक्षा से जो मिलता भगवान का भोग लगाते।
          वृन्दावन की दो गोपियाँ जिन्होंने कभी भगवान के दर्शन नही किये न कभी मन्दिर गयी। प्रातः दधि मक्खन गागर में भरकर ले जाती बेचती और अपनी गृहस्थी में मगन रहती।
          दोनो गोपियों ने यह सुन रखा था कि साधु सन्तों के पास झोली में भगवान रहते है। एक दिन दोनों अपना दधि बेचकर यमुना के निकट आयी। वहाँ देखा कि एक साधु अपनी झोली रखकर संध्या वन्दन हेतु स्नान करने गये है  झोली एक वृक्ष के नीचे रखी है। कौतूहल वश झोली में भगवान हैं, भगवान कैसे हैं ? इस दृष्टि से दोनों ने चुपके से झोली उठाई और सारा सामान विखेर दिया, पर भगवान नही मिले। तभी उनकी नजर एक डिब्बे पर पडी। डिब्बा खोला तो देखा कि लड्डू गोपाल डिब्बे मे बन्द हैं।
          एक सखी बोलो–यही भगवान हैं। 
          दूसरी बोली–कितने निर्दयी हैं ये सन्यासी भगवान को बन्द करके रखा है।
          पहली सखी–देखो बेचारे भगवान के हाथ पैर सब टेढे हो गये हैं।
          दूसरी–बेचारे बन्द जो रहते है। हाथ पैर हिलाने की जगह भी नही है।  
          अब दोनों ने लड्डू गोपाल को उठाया बोली भगवान जी अब परेशान न हो अपने हाथ पैर सीधे कर लो और हम दही खिलाते है खा लो भूखे भी होंगे। दोनों ने भगवान की मूर्ति को सीधा करना शुरू किया। भगवन को भी उनकी सरलता पर आनन्द आ रहा था वह भी मुसुकरा रहे थे। जब वे थक गयी लेकिन हारी नही तो भगवान को हारना पडा। लड्डू गोपाल की मूर्ति सीधी हो गई। भगवान सीधे खडे गये।
          दोनों ने भगवान को नहलाया और दही खिलाया  फिर बोली–'अब लेटो आराम करो।' वह सीधी मूर्ति डिब्बे में नही जा रही थी।
          तब तक वह महात्मा जी आ गये दोनों डरकर भागी। महात्मा जी ने सोचा कि कुछ लेकर भागी हैं वह उनके पीछे दौडे लेकिन उन तक पहुँच नही पाये। लौटकर झोली देखी तो हतप्रभ रह गये। भगवान लड्डू गोपाल खडे हंस रहे थे। महात्मा सारी बात समझ गये। वह भगवान के चरणों मे गिर कर रोने लगे।
          वह खोजते हुए उन गोपियों के घर गये उनके भी चरण पकडकर रोने लगे। धन्य हो तुम दोनों आज तुम्हारे कारण भगवान के दर्शन हो गये।जीवन भर संग लिऐ घूमता रहा पर सरल नही बन पाया।
कथा भाव–नवधा भक्ति मे सरल भक्ति महत्वपूर्ण है। भगवान भाव और सरलता पर रीझते हैं। हम जीवन मे सरलता नही ला पाते यही हमारी बिडंबना है..!!

      *🙏शुभ रात्रि🙏*

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2982

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>