कश्मीर को इस्लामिक हिंसा और इस्लाम परस्त दलों ने हमेशा ही दुःख दिये
हिंदूकुश पर्वत से लेकर हिंद महासागर तक इस विशाल भूभाग में जिस मानव सभ्यता ने जन्म लिया, पुष्पित पल्लवित हुई और जिसने संपूर्ण विश्व को दिशा दी , उसका नाम हिंदू सभ्यता है ।
समय-समय पर अनेकों अलंकरण इस सभ्यता को मिलते रहे और इसी तरह के सर्वश्रेष्ठ अलंकरण शब्द " सनातन " मिला । सनातन सभ्यता का मतलब कि जो सदैव है, निरंतर है, जिसमें निरंतर नूतनता है। जो निरंतर नए नए आविष्कारों के द्वारा , अनुसंधानओं के द्वारा, अपने को अग्रणी और उत्तम बनाए हुए है । यही है सनातन सँस्कृति ।
हिंदुकुश पर्वत से लेकर के संपूर्ण हिमालय के दोनों तरफ, हिन्दू सभ्यता है। अखिल विश्व की इस प्रथम सभ्यता के क्षेत्र में स्थित विशाल झील को जलमुक्त कर कश्यप ऋषि द्वारा वहां मानव सभ्यता विकसित की गई, उसी का नाम कश्मीर है।
कश्मीर जन्म से ही वैदिक हिंदू शासकों द्वारा लगातार शासित किया जाता रहा है , मार्गदर्शक किया जाता रहा है और यह प्रदेश हिंदूओं का प्रदेश हमेशा ही रहा है ।
जैसा कि इस्लाम के जन्म से ही होता आ रहा है कि विश्वासघात करो, कब्जा करो, पास बैठकर धोका करो ।यही सब कुछ कश्मीर में भी हुआ ।
एक मौका आता है जब कश्मीर की महारानी जिन्हें कोटा रानी कहते थे । उन्होंने अपने एक अफगान मुस्लिम सिपाही पर विश्वास किया, उसे सेनापति बना दिया और उसका परिणाम यह निकला कि कश्मीर के हिंदुओं को इस्लाम में जबरिया कन्वर्ट कर दिया गया ।
सही मायने में चाहे कश्मीर हो, चाहे अफगानिस्तान हो, चाहे भारत का अन्य कोई प्रांत क्षेत्र हो, जो भी हिंदू हैं उन्हीं को इस्लाम में कन्वर्ट किया गया है । मूल इस्लाम के रूप में आए हुए लोगों की संख्या 1% भी नहीं है, इनका डीएनए , इनकी जीवन पद्धति सब कुछ वही है जो हिंदू की है । बस यह दुर्भाग्य है कि यह जबरिया हिंसा के द्वारा मुसलमान बनाए गए हैं और अब यह खुद अपनों पर ही वही हिंसा दोहरा रहे हैं।
यदि हम स्वतंत्रता के समय देखें तो कश्मीर एक हिंदू महाराजा हरि सिंह की रियासत थी , यहां भी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने धोखा किया, विश्वासघात किया , हिंदुओं के साथ नाइंसाफी की और शेख अब्दुल्ला को कश्मीर सौंप दिया । उस गलती के कारण जो नासूर पनपा और पाखंड प्रारंभ हुआ , उसी का एक पड़ाव कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से निष्कासन था । यह अनाचार अत्याचार यहीं नहीं रुका, बल्कि लगातार कश्मीर में आतंकी हमले पाकिस्तान से आए हुए आतंकियों के द्वारा कश्मीर के कुछ नेताओं से मिलकर, वहां राष्ट्रवादी ताकतों और हिंदुत्ववादी लोगों पर निरंतर प्रहार का सिलसिला आज तक भी जारी है। यह ठीक है कि मोदी युग में उन्हें सेना कड़ा जबाव दे रही है।
2014 तक भारत में चाहे कांग्रेस हो या अन्य कोई अपने आप में धर्मनिरपेक्ष कहने वाला दल रहा हो , सामान्यतः भाजपा और शिवसेना को छोड़कर सभी अन्य दल मुस्लिम वोट बैंक के डर से इस्लामिक हिंसा, इस्लामिक आतंकवाद और हिंदुओं के विरुद्ध किए जाने वाले अनेकानेक प्रकार के आनाचारों के विरुद्ध बोलने से डरते थे । भारत में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पद संभालने के बाद पहली बार यह हुआ है कि इस देश में अब मुस्लिम वोट बैंक से इतर भी विचार होता है। अब देश के मूल मालिकों अर्थात हिंदुओं की भी सुनी जानें लगी है ।
अब देश में मुस्लिम वोट बैंक का भय समाप्त हुआ है और हिंदू वोट बैंक भी है इस बात की चिंता अनेकानेक दलों में बनी है । इस को राष्ट्रीय जागरण भी कहा जा सकता है । क्योंकि यह देश हिंदुओं का था , हिंदुओं का है और हिंदुओं का ही रखना है । इसके लिए हर हिंदू को अपने राष्ट्र की सुरक्षा, अपनी संस्कृति की सुरक्षा, अपनी सभ्यता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित होना पड़ेगा , जागना पड़ेगा, स्वयं पुरुषार्थी और पराक्रमी बनना पड़ेगा ।
भारतीय संस्कृति में कभी भी कायर बनने का, पराजित होने का , अपने आप को दूसरे में धर्म में धर्मान्तरित होने का संदेश नहीं दिया ।
इस धर्म के, इस संस्कृति के, इस सभ्यता के, सभी देवी देवताओं ने पुरुषार्थ की प्रेरणा दी है , वीरता की प्रेरणा दी है, युद्ध करने युद्ध लड़ने और युद्ध में विजय प्राप्त करने की प्रेरणा दी है ।
इसलिए इस सभ्यता के , इस संस्कृति के, सभी देवाधिदेव के पास कोई ना कोई , विशेष शस्त्र अवश्य है । चाहे वह शंकर भगवान का त्रिशूल हो, चाहे वह विष्णु जी का सुदर्शन चक्र हो , चाहे शस्त्र धारणी मां दुर्गा या महाकाली हो, गणेश जी - हनुमान जी हों।
एक लंबी श्रृंखला है जिसमें हिन्दू देवों ने सन्तो नें, महापुरुषों द्वारा धर्म, सभ्यता, अस्तित्व और सुव्यवस्था तथा शास्त्रों की रक्षा शस्त्रों से करनें का संदेश साफ तौर पर दिया है।
इतना ही नहीं हमारे महापुरुषों ने भी चाहे वह श्रीराम हों, श्री कृष्ण हों, चाहे महाराणा प्रताप हों, राणा सांगा हों, छत्रपति शिवाजी हों, वीर छत्रसाल हों गौड़वाने की रानी दुर्गावती हो , झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हो , सभी ने शस्त्र के द्वारा संस्कृति सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने आप को युद्ध में संलग्न किया है । विजय प्राप्त की है या बलिदान किया है और यह नीति लाखो हजारों वर्षों की है । यही नीति आने वाले लाखों हजारों वर्षों तक चलानी भी पड़ेगी। तभी इस देश की सभ्यता इस देश की संस्कृति इस देश का धर्म इस देश की परंपराएं सुरक्षित रह पाएंगे।
सवाल यही है इस्लाम के द्वारा अपने विस्तार वाद की लगातार कई दशकों से चल रही नीति पर वहां काम हो रहा है किंतु वहां रहने वाला हिंदू या कहीं भी रहने वाला हिंदू अपनी सुरक्षा के लिए अपने परंपरागत संदेशों को निर्देशों को पालना करने या उनके प्रति जागरूक होने या सुरक्षा के प्रति सरकारों को दबाव में लेकर के व्यवस्थित सुरक्षा कराने के लिए अभी तक क्यों सजग नहीं हुआ और अब यह संदेश स्पष्ट रूप से कश्मीर फाइल्स के बाद देश की सरकारों को भी राज्य की सरकारों को भी राजनीतिक दलों को भी और विशेषकर इस देश के मूल स्वामी हिंदुओं को भी मिल चुका है कि उन्हें अपनी सुरक्षा व्यवस्था के लिए ठोस कदम ठोस नीतियां और ठोस व्यवस्था करनी ही होगी।