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सुनो शहबाज, पाकिस्तान अखण्ड भारत का हिस्सा है उसके बिना भारत अधूरा है Pakistan Kashmir

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 The parrot said to Pakistan, Kashmir.. Kashmir ... Kashmir ....
 पाक से रटा रटाया तोता बोले, कश्मीर.. कश्मीर ... कश्मीर....



पाक से रटा रटाया तोता बोले, कश्मीर कश्मीर कश्मीर....

1947 में जब पाकिस्तान बना तब से ही वह कश्मीर कश्मीर की रट लगा कर रोये जा रहा है, उसी रूदन को इमरान रोते थे तो उसी रटंत को शहबाज तोते की तरह बोले जा रहे हैं। सवाल यह तो कभी भी नही रहा है कि कश्मीर पाकिस्तान का है, सवाल तो 1947 से ही यह है कि पाकिस्तान भारत का भूभाग है। अखण्ड भारत का हिस्सा है। इंतजार उसे अपना बनानें का है।

पाकिस्तान में राजनीति के लिये जरूरी है भारत को कोसा जाये उसे बुरा भला कहा जाये। वहां चीन और सेना के सामनें अपने अंक बढ़ानें के लिये भी भारत विरोधी होना जरूरी भी है। भारत विरोधी होकर ही वहां की राजनिति में टिका जा सकता है।

पाक के संभावित नये प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी कश्मीर के जर्ये भारत से अच्छे सम्बंधों से इंकार कर दिया है। यूं तो इमरान भी लगातार ही भारत के खिलाफ बोलते रहे मगर जाते जाते उन्हे भारत के लोकतंत्र को अच्छा बताना पडा है।

मात्र 2 वोटों से ही इमरान हारे हैं !

पाकिस्तान
की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान वहां के समाजवादी, उदारवादी और कट्टर धार्मिक दलों के नये नये बनें संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था। इमरान के विरूद्ध अविस्वास प्रस्ताप पारित हो गया है। मगर मात्र 2 वोट के अंतर ने बता दिया है कि आनें वाली सरकार भी तीन तेरा की ही रहेगी ।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता शहबाज़ शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाया है। शहबाज़ शरीफ ने कहा कि “ हम भारते के साथ शांति चाहते हैं, जो कश्मीर विवाद के समाधान होने तक संभव नहीं है।“ सब कुछ यथावत रहा तो सोमवार को शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। गौरतलब है कि इमरान खान भी अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर का राग जपते रहे है।

अविश्वास प्रस्ताव के जर्ये हटे पहले प्रधानमंत्री इमरान

पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया है और इसके बाद वह पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले पीएम बन गए हैं।

इमरान खान ने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के पीएम पद की शपथ ली थी, मौजूदा सदन का कार्यकाल अगस्त 2023 तक का है। 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान समाजवादी, उदारवादी और कट्टर धार्मिक दलों के संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था। जो प्रधानमंत्री को सत्ता से बाहर करने के लिए जरूरी संख्याबल यानी 172 से अधिक था, किन्तु यह मात्र 2 मत ही अधिक है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।

शहबाज शरीफ ने पीएम बनने से पहले ही अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। शहबाज शरीफ ने कहा है कि जब तक कश्मीर का मुद्दा हल नहीं निकल जाता तब तक भारत से बातचीत नहीं होगी।


राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति की शुरुआत भारत से होती है और अंत भी भारत पर बयान देकर होता है। अपनी सत्ता खोने के डर से बार-बार जनता को संबोधित करते हुए इमरान खान ने भारत की तारीफ की तो दूसरी ओर नए पीएम बनने की ओर बढ़ रहे शहबाज शरीफ ने भारत के खिलाफ बयान दिया है। पीएम पद का नामांकन करने के बाद मीडिया से बातचीत में शहबाज शरीफ ने कहा कि जब तक कश्मीर मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता, भारत से बातचीत नहीं होगी।

पाकिस्तान में जनता के मुद्दों की चिन्ता नहीं की जाती

इस वक्त पाकिस्तान अस्थिर राजनीतिक संकट के अलावा भयंकर महंगाई, बेहतासा बढ़ती बेरोजगारी और खरबों के विदेशी कर्ज से जूझ रहा है। चीन एवं अमरिका के भयंकर दवाबों से जूझ रहा है। इमरान खान की विदाई के बाद भ्रष्टता के महारथी राजनेतिक परिवार से जुडे शहबाज शरीफ के सामने पाकिस्तान को मजबूती से खड़ा करना नई चुनौती है । किन्तु इन पर काम करनें की चिन्ता किसी भी पाक सरकार ने कभी भी की ही नहीं। वहां तो भारत के विरूद्ध महीने दो महीनें बयान दे दो और फिर आराम करो।


 


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