ये हिन्दुत्व ही है
जहाँ डाकू ऋषि बने,
जहाँ सम्राट संन्यासी बने,
जहाँ वनवासी सम्राट बने,
जहाँ नारियाँ योद्धा बनीं,
जहाँ बालक तपस्वी बने,
जहाँ गर्भ में ब्रह्मज्ञान मिला,
जहाँ पृथ्वी दान में दे दी गयी,
महासागरों पर सड़कें बनी,
वृद्धों ने मृत्यु स्वयं चुनी,
पितृतर्पण को आकाश से नदियाँ उतरीं,
ऋषियों से सम्पूर्ण मानव वंश चले,
समुद्र को पी लिया गया गया,
अपने हाथ काटके पक्षी को खिला दिए गए,
जहाँ पक्षियों का श्राद्ध किया गया,
परोपकार के लिए स्वयं का बलिदान दिया गया,
परोपकार के लिए संसार का संहार किया गया,
पर्वत, नदी, पशु, वृक्ष पूजे गए,
जहाँ भगवान् मनुष्य रूप में जन्मे,
जहाँ के पत्थर विग्रह कहलाए,
वीरों के धड़ बिना मस्तक लड़े,
जहाँ की खड्ग ने पृथ्वी पर एकराट् शासन किया,
सूर्य की केसर आभा जिसका ध्वज बनी,
यही सनातनी परम्परा है
जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी
जय श्री राम ! 🙏🙏