Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

जंगलराज रिटर्न्स एवं विपक्ष के 5 फेस प्रधानमंत्री से नितिश आऊट हो सकते हैं - अरविन्द सिसौदिया

$
0
0

 


जंगलराज रिटर्न्स एवं 5 फेस प्रधानमंत्री से नितिश आऊट हो जायेंगे - अरविन्द सिसौदिया
प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा में फंसे नितिश बाबू लगता है, फंस गये ! क्यों कि बिहार में आरजेडी के साथ हुआ गठबंधन महाभारत के पश्चात हुये यादवी युद्ध की तरह होता प्रतीत हो रहा है। सत्ता में अचानक लौटते ही लालूप्रसाद यादव की पार्टी भारी जोश में होस खो बैठी है। क्यों कि अब नितिश बाबू पिंजरे में बंद तोते की तरह हो गये हैं। वे भाजपा को धोका देकर आये हैं, उधर जानें के अब रहे नहीं । लालूप्रसाद यादव की पार्टी पर डिपेन्ड हैं, अब गिरे तो भी कहीं के नहीं रहनें वाले। सुप्रीम मुख्यमंत्री अब उपमुख्यमंत्री तेजस्वि यादव हैं। टांग खिचाई लालू के बडे बेटे तेजप्रताप से होती रहेगी। महागठबंधन में सम्मिलित कांग्रेस ने साफ कर दिया कि उनकी ओर से प्रधानमंत्री का फेस राहुल गांधी ही हैं। अर्थात महागठबंधन में दो-दो प्रधानमंत्री फेस रहनें वाले हैं। जगल राज रिर्टन्स हो चुका है। लगता है 2024 आते आते नितिश कुमार आऊट हो जायेंगें। यूं भी विपक्ष के पास 5 प्रधानमंत्री प्रत्याशी के नजर आ ही रहे हैं। राहुल गांधी,ममता बनर्जी, शरद पंवार,अरविन्द केजरीवाल और नितिश कुमार हो सकता चुनाव आते आते लालू प्रसाद यादव स्वयं कूद लगा दें।

 ------

Bihar Jungle Raj
बिहार में कहां से आया ‘जंगलराज’,
क्या नीतीश के शासन में लालू-राबड़ी राज से कम हुआ अपराध?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना 

Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Thu, 18 Aug 2022

सार
आखिर क्यों बिहार में 1990 से 2005 तक के दौर को जंगलराज कहा जाता है?
'जंगलराज'शब्द आया कहां से?
बिहार में लालू राज के क्राइम रेट और नीतीश कुमार के शासन के क्राइम रेट में कितना फर्क रहा?
वे कौन सी घटनाएं थीं, जिनकी वजह से बिहार की छवि बिगड़ी?

आइये जानें…
बिहार में जंगलराज रिटर्न्स की चर्चा क्यों?
बिहार में जंगलराज रिटर्न्स की चर्चा क्यों?

विस्तार
बिहार में नीतीश कुमार की नई सरकार पर भाजपा लगातार हमलावर है।
राज्य में हो रही अपराध की घटनाओं को विपक्ष जंगलराज की वापसी करार दे रहा है।
बुधवार को भी राजधानी पटना में अपराधियों ने एक 16 साल की युवती को गोली मार दी।


आखिर क्यों बिहार में 1990 से 2005 तक के दौर को जंगलराज कहा जाता है? 'जंगलराज'शब्द आया कहां से? बिहार में लालू राज के क्राइम रेट और नीतीश कुमार के शासन के क्राइम रेट में कितना फर्क रहा? वे कौन सी घटनाएं थीं, जिनकी वजह से बिहार की छवि बिगड़ी? आइये जानें…

क्या है बिहार में जंगलराज की कहानी?
1990 में लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने।  यह वह दौर था जब बिहार में लगातार बाहुबलियों का उभार हुआ। 1990 के बाद के दौर में ही बिहार में एक के बाद एक कई घोटालों में राजद नेतृत्व उलझता चला गया।

खुद मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों में जेल गए। इन मामलों में बाद में उन्हें दोषी भी ठहराया गया। इसके अलावा आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी उन पर आरोप तय हुए।  2005 में जब लालू रेल मंत्री थे, तब भी उन पर रेलवे टेंडर में घोटाले के आरोप लगे। हाल ही में सीबीआई ने उन पर रेलवे भर्ती में घोटाले में भी केस दर्ज किया है।

लालू पर अपने शासनकाल में अपराध को बढ़ावा देने के आरोप लगे। फिर चाहे वह बाहुबली-माफियाओं से संबंधों के आरोप हों या हत्या और अपहरण को बढ़ावा देने के। लालू प्रसाद यादव के दौर में ही बाहुबली शहाबुद्दीन राजद का सांसद बना। इसी दौर में बाहुबली अनंत सिंह का उभार हुआ। इतना ही नहीं राजद शासन में ही लालू के साले साधु और सुभाष यादव पर भी कई आरोप लगे।

पत्रकार अरुण सिन्हा के मुताबिक, उस दौर में उपद्रवियों और गुंडों को खुली छूट जैसा माहौल था। साधु यादव और सुभाष यादव के गुटों की तरह ही राज्य में कई और गुट बन गए थे। छोटे शहरों में उगाही से लेकर डकैती आम हो गई थी।

पत्रकार मनुवंत चौधरी और एनआर मोहंती की आंखो-देखी के मुताबिक, शहाबुद्दीन का रुतबा इतना ऊंचा था कि जब यह पत्रकार जेल के हालत देखने गए तो शहाबुद्दीन खुद जेल सुपरिटेंडेंट की कुर्सी पर बैठा था, जबकि सुपरिटेंडेंट शहाबुद्दीन के साथियों के साथ जमीन पर। इसी तरह की कुछ कहानी अनंत सिंह की भी रही।
2002 में राबड़ी के मुख्यमंत्री रहते पटना में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की शादी हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब लालू के करीबी कार शोरूम से नई कारों को ले जा रहे थे। ताकि हर मेहमान को नई कार से लालू-राबड़ी के घर तक छोड़ा जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान करीब 50 नई-अनरजिस्टर्ड कारें शोरूम से लूट ली गई थीं। उद्योगपति-व्यापारी चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाते थे। साधु यादव का नाम शिल्पी जैन हत्याकांड में भी उछला। 1999 में विधायक रहते साधु यादव के सरकारी क्वार्टर से शिल्पी जैन और गौतम सिंह का शव मिला था। इस केस में जब सीबीआई ने साधु यादव से डीएनए टेस्ट कराने को कहा था तो उन्होंने इनकार कर दिया था।

बिहार के लिए कहां से आया 'जंगलराज'शब्द?
बिहार में 1990-2005 के बीच लालू-राबड़ी के शासन को जंगलराज तो कई लोग बुला चुके हैं, हालांकि अधिकतर लोगों को यह नहीं पता कि आखिर यह जंगलराज शब्द आया कहां से। दरअसल, 5 अगस्त 1997 को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने बिहार को पहली बार जंगलराज कहा। पटना हाईकोर्ट ने तब एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, 'बिहार में सरकार नहीं है। बिहार में जंगलराज कायम हो गया है।

बिहार में क्राइम रेट क्या कहानी कहता है?
बिहार में लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी के शासन के खत्म होने और नीतीश कुमार के 2019 तक के शासन में क्राइम रेट की तुलना की जाए तो कुछ चौंकाने वाले आंकड़े मिलते हैं।

1. किडनैपिंग-फिरौती के लिए अपहरण
बिहार में 2004 में दर्ज फिरौती के केसों की संख्या 2,566 थी। हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 15 साल बाद यानी 2019 का रिकॉर्ड देखा जाए तो सामने आता है कि नीतीश के राज में इस साल अपहरण के 10 हजार 925 मामले दर्ज हुए।
हालांकि, डेटा के मुताबिक, जहां अपहरण के केस बढ़े तो वहीं फिरौती के लिए होने वाली किडनैपिंग में कमी आई। 2004 में फिरौती के लिए होने वाले अपहरणों की संख्या 411 थी। वहीं 2019 में इनकी संख्या 43 रह गई।

2. हत्या-डकैती और दुष्कर्म के मामले
एनसीआरबी के डेटा को ही आधार बनाया जाए तो सामने आता है कि 2004 में बिहार में हत्या के 3,861 केस दर्ज हुए थे। वहीं, 2019 में हत्या के 3,138 मामले दर्ज किए गए। यानी करीब 18 फीसदी की कमी।
डकैती-लूट की घटनाओं में 2004 के मुकाबले 2019 में भारी कमी देखी गई। जहां 2004 में राज्य में 1,297 डकैती के केस दर्ज हुए, वहीं 2019 में ऐसे सिर्फ 391 केस ही आए। यानी कुल 69 फीसदी की कमी।
दुष्कर्म के दर्ज मामलों में की बात करें तो 2004 में ऐसे केस की संख्या 1,390 थी, 2019 में दुष्कर्म के 730 मामले दर्ज किए गए।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>