भाई बहन के अटूट एवं अनंत सम्बन्धों का स्नेह पर्व भाई दौज
- अरविन्द सिसोदिया 9414180151
भारतीय संस्कृति में भाई और बहन के अटूट संबंधों को लेकर बहुत ही गंभीरता एवं प्राथमिकता से ध्यान रखा गया है और इसी कारण वर्ष में 3 बार भाई बहन आपस में मिले और संबंधों को ताजा रखें । उनमें स्नेह,प्रेम आदर एवं अपनत्व का भाव भरते रहे । इस हेतु रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन का ही पर्व है । इसके बाद दीपावली पर भाई दूज एवं होली के त्यौहार पर भाई दौज आती है ।
इस तरह ईश्वर भी चाहता है कि भाई-बहन कम से कम साल में तीन बार तो आपस में मिलते रहे । आज देखने में जा रहा है कि बहुत सारे भाई अपनी बहनों से इसलिए किनारा करते हैं कि कहीं उन्हें संपत्ति में हिस्सा ना देना पड़े , हालांकि ईश्वर ने बहन को अधिकार बान ही बनाया है। जगन्नाथपुरी का भव्य एवं दिव्य मंदिर भाई बहन के अटूट सम्बंधों को ही समर्पित है । इसलिए बहन के प्रति सभी भाइयों को कर्तव्यवान होना चाहिये ।
ईश्वर की दृष्टि में नर और नारी नारायण और नारायणी , देव और देवी एक समान है , बल्कि हिन्दू संस्कृति नारी को उच्च स्थान प्रदान करती है।
जो भाई इस मे भेद करके अपनी बहनों से किनारा करते हैं। वह मूल रूप से अपने पाप को आमंत्रित करते हैं । वह अपने जीवन के भविष्य को कष्ट में डालनें वाला बनाते हैं । क्योंकि जो कुछ वह बो रहे हैं यही सब कुछ उनके साथ होना भी है । यह प्रकृति का नियम है, यह ईश्वर व्यवस्था है कि जो भी छल कपट और अपराधपूर्ण आप करोगे, वही फिर आपके सामने आने हैं । बोये हुए वे ही कर्म और दुष्कर्म आपको भी सजा या दंड के रूप में भुगतने पड़ते हैं ।
मेरा सभी भाइयों से आग्रह है कि किसी भी धर्म जाति पंथ से हैं किसी भी परंपरा से हैं । लेकिन अपनी बहन के साथ अपने प्रेम और स्नेह के संबंध निरंतर बनाए रखें । इस रिश्ते को जीवन दें , जीवंत रखें । यही धर्म है यही नीति है और यही पुण्य है ।