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विपक्ष की बजट प्रतिक्रियायें, झूठ और भ्रम का पुलन्दा - अरविन्द सिसौदिया

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 विपक्ष की बजट प्रतिक्रियायें,झूठ और भ्रम का पुलन्दा - अरविन्द सिसौदिया

- "मेरा व्यक्तिगत मानना है कि आय से अधिक व्यय की कोशिश से समाज में हमेशा उत्थान आता है, उससे व्यक्ति में आवश्यकता अविष्कार की जननी का दृष्टिकोंण विकसित  होकर आय बढानें के नये - नये मार्ग विकसित होते है। यही भारतीय दर्शन भी है। व्ययगामी जीवन पद्धति। इसी से समाज, संस्कृति एवं राष्ट्र समृद्ध होता है। "

- मेरा एक दूसरा भी अनुभव है कि बजट की अधिकांश प्रतिक्रियायें बिना बजट पढे  या बिना बजट सुने ही दी जाती हैं। उनको लेकर पहले से ही पार्टी लाईन तय होती है। राजनैतिक प्रतिक्रियायें एक सुनिश्चित दायरे में ही सिमटी होती है।

- कुछ लोग केन्द्र सरकार , राज्य सरकारों एवं स्थानीय निकाय एवं ग्राम स्वराज से जुडी संस्थाओं के बजटों की प्रतिक्रियाओं को लेकर बहुत गंभीर होते हैं। अखबारों में छपे और टीवी पर आये स्टेटमेंटों को बहुत गंभीरता से सुनते हैं। जबकि यह सब बहुत ही सतही और पार्टी लाईन में फंसा झूठ और भ्रम भी होता है।
     सत्ता पक्ष की जिम्मेवारी है कि वे बजट की सराहना करें , उसे लोक कल्याणकारी एवं ऐतिहासिक बतायें । वहीं विपक्ष की तय प्रतिक्रिया होती है कि बजट की आलोचना करें उसे जनविरोधी , थोथी घोषणओं वाला और चुनावी बतायें । कुल मिला कर जहां सत्तारूढ़ दल बजट को हमेशा अच्छा बताते हैं वहीं विपक्ष हमेशा बजट को जनविरोधी बताता है।

- बजट को लेकर एक और फेक्टर होता है, वह है शेयर बाजार का जिसे सामान्यतः अच्छे बुरे होनें का निष्पक्ष संकेत माना जाता है। किन्तु यह पैमाना भी बहुत सटीक नहीं है। क्यों कि देश में आर्थिक गतिविधियों से एक मामूली वर्ग ही इससे जुडा है। जिसे हम पूंजीपति के नाम से जानते हैं। शेयर बाजार के ऊंचा उठने और धडाम से नीचे गिरने से महसूस होता है, कि देश का पूंजीबाजार को बजट कैसा लगा । 2023 के बजट के बाद भारत में शेयरबाजार में उछाल आया है। इस तरह का 2022 में भी हुआ था। जो इस बात का संकेत है कि बजट अच्छा है। देश के आर्थिक चाल चलन को मजबूती देनें वाला है।

मुख्य सवाल यह है कि जनता का भला करने वाला बजट कभी भी पूंजी बाजार में अच्छे अंक नहीं पाता है। जैसे जनधन खाते खुले, शौचालय बनें , उज्जवला में रसोई गैस कनेक्शन मिला, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। इससे पूंजी बाजार को कोई लेना देना नहीं होता है। वे माईन्स मार्किंग तो कर सकते है। मगर पॉजिटिव उनके पास कुछ नहीं होता ।

- बजट  सरकार की मंसा को प्रदर्शित करता है और उसके परिणाम पर निर्भर होता है, उसका फायदा - नुकसान ! जो कई महीनों बाद दिखता है।

- बजट का सच यह है कि केन्द्र सरकार का बजट लाभगत न हो कर नीतिगत अधिक होता है। उसमें बडी बातें होती हैं। वही राज्यों के बजट स्थानीय आकांक्षा के आसपास होते हैं। उनकी दृष्टि अलग होती है।

- भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निश्चितरूप से गरीब परिवार से ही आये हैं, उनकी योजनाओं में गरीबों के हितो का चिन्तन रहता है। इसलिये उनकी सरकार में गरीबों का बुरा होनें की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
जैसे - 
- प्रति व्‍यक्ति आय करीब 9 वर्षों में दोगुनी होकर 1.97 लाख रुपये हो गई है।
• भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आकार बढ़ा है और यह पिछले 9 साल में विश्‍व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यस्‍था बन गई है।
• कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन में सदस्‍यों की संख्‍या दोगुनी से अधिक होकर 27 करोड़ तक पहुंच गई है।
• वर्ष 2022 में यूपीआई के माध्‍यम से 126 लाख करोड़ रुपये के 7,400 करोड़ डिजिटल भुगतान किए गए हैं।
• स्‍वच्‍छ भारत मिशन के अंतर्गत 11.7 करोड़ घरों में शौचालय बनाए गए हैं।
• उज्‍ज्‍वला योजना के तहत 9.6 करोड़ एलपीजी कनेक्‍शन दिये गए।
• 102 करोड़ लोगों को लक्षित करते हुए कोविड रोधी टीकाकरण का आंकड़ा 220 करोड़ से पार।
• 47.8 करोड़ प्रधानमंत्री जनधन बैंक खाते खोले गए।
• पीएम सुरक्षा बीमा योजना और पीएम जीवन ज्‍योति योजना के अंतर्गत 44.6 करोड़ लोगों को बीमा कवरेज।
• पीएम सम्‍मान किसान निधि के तहत 11.4 करोड़ किसानों को 2.2 लाख करोड़ रुपये का नकद हस्‍तांतरण।


- जहां तक निष्पक्ष प्रतिक्रिया की बात करें तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बजट की तारीफ की। उन्होंने कहा कि बजट में मध्यम वर्ग को मदद दी गई है, सबको कुछ न कुछ दिया गया है।

किन्तु कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर मार लेनी चाहिये ताकि पार्टी लाईन के सच झूठों को समझा जा सके।
सत्तापक्ष -
1- पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट 2023-24 पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमृत काल का पहला बजट विकसित भारत के निर्माण की मजबूत नींव रखेगा। यह बजट गरीब लोगों, मध्यम वर्ग के लोगों, किसानों सहित आकांक्षी समाज के सपनों को पूरा करेगा. परंपरागत रूप से अपने हाथों से देश के लिए मेहनत करने वाले 'विश्वकर्मा'इस देश के निर्माता हैं।
2 - केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाया है। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था आकार में 10वें से 5वें स्थान पर पहुंच गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था चमकता सितारा है। उन्होंने बताया कि गरीब खाद्यान्न योजना 1 साल के लिए बढ़ाई गई है और 7 लाख की आय तक अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।
3 लोगों को सक्षम बनाने वाला बजट है- जेपी नड्डा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि अमृत काल का पहला बजट लोक कल्याणकारी है। यह गरीब किसानों, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, वंचितों, आर्थिक रूप से पिछड़े तथा मध्यम वर्ग को सशक्त और सक्षम बनाने वाला बजट है। यह बजट बच्चों की पढ़ाई, मध्यम वर्ग की कमाई और बुजुर्गों की भलाई पर बल देने वाला है।

विपक्ष -
1 - कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, हर घर महंगाई है, आम इंसान की आफ़त आई
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, हर घर महंगाई है, आम इंसान की आफ़त आई है ! बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे रोज़मर्रा की वस्तुओं के दामों में कोई भी कमी आये ! आटा, दाल, दूध, रसोई गैस दृ सबका दाम बढ़ाकर मोदी सरकार ने देश को लूटा है ! कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था, इस बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है। उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक भी क़दम नहीं उठाया गया है। 
2 - राहुल गांधी ने दावा किया, एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास 40 प्रतिशत संपत्ति है। 50 प्रतिशत गरीब लोग 64 प्रतिशत जीएसटी देते हैं। 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। इसके बाद भी प्रधानमंत्री को कोई परवाह नहीं है। बजट से साबित हुआ कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण के लिए कोई रूपरेखा नहीं है।
3 - जयराम रमेश बोले-यह हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए मोदी की
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया, यह हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए मोदी की 'ओपेड रणनीति-ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलिवर (वादे ज्यादा, कम काम) है।
4 - पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय बजट को ''जनविरोधी''करार देते हुए कहा कि इसमें गरीबों का ध्यान नहीं रखा गया। उन्होंने दावा किया कि आयकर स्लैब में बदलाव से किसी की मदद नहीं होगी। उन्होंने कहा, ''यह केंद्रीय बजट भविष्यवादी नहीं है और पूरी तरह से अवसरवादी, जनविरोधी तथा गरीब विरोधी है। यह केवल एक वर्ग के लोगों को लाभान्वित करेगा। यह बजट देश की बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने में मदद नहीं करेगा। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।''
5 - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम बजट 2023-24 को खराब बताया है। उन्होंने कहा कि इस बजट से महंगाई से कोई राहत नहीं, बेरोजगारी दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं। बल्कि यह महंगाई को और बढ़ाएगा ।
6 - जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने इस बजट को 'सपनों का सौदागर'जैसा बताया। उन्होंने कहा कि जब आप सपने के बाद जागते हैं तो कुछ भी सच नहीं होता है। महंगाई और बेरोजगारी को कैसे नियंत्रित किया जाए। इस बारे में बजट में कुछ भी नहीं बताया गया।

कुल मिला कर कांग्रेस अडानी - अंबानी फोबिया में ही फंसी है, उनके पास तथ्यातमक कुछ भी नहीं है। कई बार लगता है कि कांग्रेस अडानी अंबानी से वसूली चाहती है। वहीं विपक्ष के अधिकांश आरोप गप्प हैं।

- एक तथ्य महंगाई और बेरोजगारी का है, यह लगातार 75 वर्ष से ही है और आनेवाले 75 वर्ष में भी रहने वाली है। इसका मूल कारण जनसंख्या की असीमित वृद्धि है। इसमें मुस्लिमवर्ग का भी बड़ा योगदान है। जनसंख्या नियंत्रण के बिना देश का उद्धार असंभव है। भारत का विपक्ष वोट हित चिंतन में देश की हत्या से भी पीछे नहीं हटता है। भारत में गंभीरतम गैर जिम्मेवार है।


 


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