Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2978

स्याम ! मने चाकर राखो जी ( भजन ) meera bhajan

$
0
0

स्याम! मने चाकर राखो जी, 
मीरा बाई का सुप्रशिद्ध भजन - 

गिरधारिलाल! चाकर राखो जी॥

चाकर रह सूँ बाग लगा सूँ, नित उठ दरसण पासूँ। 
बिंद्राबन की कुंजगलिन में, तेरी लीला गासूँ॥ 
चाकरी में दरसण पाऊँ, सुमिरन पाऊँ खरची। 
भाव भगति जागीरी पाऊँ, तीनूँ बाताँ सरसी॥ 
मोर मुगट पीतांबर सोहे, गल बैजंती माला। 
बिंद्राबन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला॥ 
हरे हरे नित बाग लगाऊँ, बिच बिच राखूँ क्यारी। 
साँवरिया के दरसण पाऊँ, पहर कुसुम्मी सारी॥ 
जोगी आया जोग करण कूँ, तप करणे संन्यासी। 
हरि भजन कूँ साधु आयो, बिंद्राबन के बासी॥ 
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा, सदा रहो जी धीरा। 
आधी रात प्रभु दरसन दीन्हें, प्रेम नदी के तीरा

अर्थात - 
श्याम मुझे नौकर रख लो। गिरधर लाल मुझे नौकर रख लो। मैं तुम्हारी नौकरी करूँगी, बाग़ लगाऊँगी, रोज़ उठते ही तुम्हारा दीदार करूँगी और वृंदावन की हरी-भरी गलियों में तुम्हारी लीला गाऊँगी। नौकरी के बदले दीदार मिलेगा, तुम्हारा नाम जपना मेरी तनख़्वाह होगी तुम्हारे तसव्वुर और भक्ति की मुझे जागीर मिलेगी, तीनों ही बातें अच्छी हैं। सिर पर मोर पंख का मुकुट, जिस्म पर पीला कपड़ा गले में वैजयंती माला पहने मुरली वाला मोहन वृंदावन में गायें चराता है। रोज़ मैं हरे-भरे बाग़ लगाऊँगी, बीच-बीच में क्यारियाँ रखूँगी और कुसुंबी रंग की साड़ी पहनकर साँवरिया के दर्शन पाऊँगी। जोगी जोग करने को आया और संन्यासी तपस्या करने को वृंदावन के साधु हरि का भजन करने को आए। मीरा के प्रभु बेहद गंभीर है, हमेशा दिल में सब्र रखो। प्रभु आधी रात को प्रेम नदी के किनारे दर्शन देंगे।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2978

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>