भारतीय नववर्ष विक्रम संवत् 2080 ( युगाब्द 5125 ) मंगलमय हो
आदरणीय बन्धुवर/ भगिनी,
अपना नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम् विक्रम संवत् 2080 / युगाब्द 5125, तद्नुसार 22 मार्च 2023, बुधवार “वर्ष प्रतिपदा “ से प्रारम्भ होने वाले है। भारतीय नव वर्ष पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। यह नव-वर्ष आपको, आपके परिवार एवं समस्त विश्व के लिए कल्याणकारी एवं मंगलमय हो।
जिस दिन परमपिता परमात्मा ने सृष्टि की रचना की उसे ही नव वर्ष का प्रारम्भ कहते हैं। भारतीय संस्कृति की काल गणना एवं ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों के सनातन प्रमाणानुसार यह शुभ दिन चैत्र शुक्ल एकम, “वर्ष प्रतिपदा“ है। जो कि अनादीकाल से हमारे उत्सवों में से एक प्रमुख आयोजन है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा केवल धार्मिक या ऐतिहासिक महत्त्व का दिन नहीं है अपितु इस दिन प्रकृति में नवचेतना का सांगोपांग परिवर्तन होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ऋतुराज वसन्त के आगमन की पहली तारीख होती है। इसके साथ ही सम्पूर्ण भौतिक जगत् में हलचल प्रारम्भ हो जाती है। वृक्ष, लता, वनस्पति, औषधि, जल आकाश, वायुमण्डल सभी में परिवर्तन होने लगता है, मानव शरीर में नवीन रक्त का संचार होता है।
परम्परागतरूप से मनाये जानें वाला अपना भारतीय नववर्ष अन्य कई ऐतिहासिक महत्वों से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि “वर्ष प्रतिपदा“ के इस दिन :-
- ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना प्रारम्भ की गयी थी।
- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।
- भगवान झूलेलाल (वरुण देव) का जन्म हुआ था।
- महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था।
- महर्षि दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी।
- युगाब्द संवत्, विक्रमी संवत्, शालिवाहन संवत्, युधिष्ठिर संवत् आदि भारतीय काल गणना के विभिन्न संवत्सरों का प्रारम्भ “वर्ष प्रतिपदा“ के दिन से ही हुआ था।
- शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा हेतु नवरात्रा घटस्थापना इसी दिवस से होती है।
- विश्व के कल्याणकारी महर्षि गौत्तम का जन्म हुआ था।
- विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डॉ. केशव बलीराम हेडगेवारजी का जन्म हुआ था।
- महान गुरु अंगद देव जी का जन्म हुआ था।
उपरोक्त एतिहासिक संदर्भों से यह तिथि हमारे लिये उत्यंत पवित्र एवं पुण्यदायी है।
तुलनात्मक रूप से देखें कि 1 जनवरी एवं चैत्र शुक्ल एकम् में क्या अन्तर हैः-
चैत्र मास (मार्च / अप्रैल) में धरती माता धन-धान्य से पूर्ण होती है, खेत खलिहानों से फसल कटकर घर में आ जाती है। परन्तु जनवरी में ऐसा कुछ नहीं होता।
आर्थिक वर्ष का प्रारम्भ मार्च / अप्रैल में होता है। व्यापारी, सरकारी संस्थान, निजी संस्थान अपने नये खाते इस समय प्रारम्भ करते हैं। परन्तु जनवरी में ऐसा कुछ नहीं होता।
देशभर में अधिकतम स्थानों पर मार्च में परीक्षाएं समाप्त होकर अप्रेल में नया सत्र प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु जनवरी में ऐसा कुछ नहीं होता।
प्रकृति में बदलाव दिखाई देता है। ठण्ड की शिथिलता दूर होती है। अधिक चुस्ती आती है। दिन लम्बे होते हैं रातें छोटी होती है। जनवरी में मौसम में ऐसा कोई बदलाव नहीं होता।
हम भारतीय हैं अतः आइये विदेशी, अवैज्ञानिक, तर्कहीन, गैर व्यवहारिक 1 जनवरी के नव वर्ष के स्थान पर अपने पूर्ण भारतीय वैज्ञानिक तर्कयुक्त एवं व्यवहारिक भारतीय नव वर्ष अर्थात् चैत्र शुक्ल एकम जो कि इस बार 22 मार्च 2023, बुधवार को है को उल्लासपूर्वक , उत्साहपूर्वक मनाएं एवं अपने समाज तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ायें।
आप सभी से आग्रह एवं अपेक्षा है कि नव वर्ष का स्वागत निम्न प्रकार से करेंः-
- अपने मित्रों, परिजनों को शुभकामना देवें एवं सोसलमीडिया के सभी प्ल्ेटफार्मों पर शुभकामना संदेशों का आदन प्रदान करें।------------ आदि पर संदेश प्रेषित करें।
- अपने प्रतिष्ठानों एवं घरों पर ॐ अंकित पताका, बैनर / स्टीकर / होर्डिंग लगायें।
- अपने नववर्ष उत्सव आयोजनों में सपरिवार भाग लें, आयोजित करें।
- सायंकाल अपने घर पर विशेष प्रकाश-दीपमाला एवं विद्युत सज्जा से करें।
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सन् 2023 में अपना भारतीय नव संवतसर 22 मार्च बुधवार से विक्रम संवत 2080 का शुभारम्भ हो रहा है। इस शुभ अवसर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। भारतीय नववर्ष सभी को मगंलमय हो।
भारतीय नववर्ष सभी को मगंलमय हो
https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2011/04/blog-post_4.html
बूंदी के सुप्रशिध्द इतिहासकार सूर्यमल्ल मिश्रण कृत वंश भास्कर में परमार वंशीय राजपूतों का सजीव वर्णन मिलता है इसी में वे लिखते हैं "परमार वंश में राजा गंधर्वसेन से भर्तहरी और विक्रमादित्य नामक तेजस्वी पुत्र हुए, जिसमें विक्रमादित्य नें धर्मराज युधिष्ठर के कंधे से संवत का जुड़ा उतार कर अपने कंधे पर रखा | कलिकाल को अंकित कर समय का सुव्यवस्थित गणितीय विभाजन का सहारा लेकर विक्रम संवत चलाया |" वीर सावरकर ने इस संदर्भ में लिखा है कि एक इरानी जनश्रुति है कि ईरान के राजा मित्रडोट्स जो तानाशाह हो अत्याचारी हो गया था का वध विक्रमदित्य ने किया था और उस महान विजय के कारण विक्रम संवत प्रारम्भ हुआ |