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Modi is the boss Australian PM अस्ट्रेलिया बोला मोदीजी “ बॉस ” तो पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने पैर छूए

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 भारत में यूं तो 1947 से ही प्रधानमंत्री बनते आ रहे हैं और उन्हे यथा उचित सम्मान भी मिलता ही रहा है। किन्तु जो फर्क 2014 से देखनें में आ रहा है उसे देश स्वयं महसूस कर रहा है। जो काम सीमा के उस पार पाकिस्तान भारत के साथ करता है। लगभग वैसा ही व्यवहार देश के अन्दर चुनी हुई सरकार के प्रति कांग्रेस पार्टी कर रही है। लगभग प्रतिदिन ही प्रधानमंत्री मोदी जी को निशाना बनाया जाता है। गाली गलौच की भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। मगर विश्व भर में जो सम्मान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्राप्त किया है , वह भारत को गौरवान्वित करने वाला है। अरविन्द केजरीवाल से कई गुणा अधिक पढे लिखे लोग जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी का यशोगान करते हैं, तो भारतमाता गर्व से भर उठती है। भारतमाता इस तरह के दृष्य देखनें कई सदियों से तरस रही थी। भारत के नागरिकों का सीना गर्व से फूल जाता है। यह पल दुलर्भ पल हैं जिन्दे भारत के लोग देव योग से देख रहे है, साक्षी बन रहे हैं।



अस्ट्रेलिया बोला मोदीजी “ बॉस ” तो पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने पैर छूए 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में वैसे तो हर देश रेड कार्पेट बिछाता है लेकिन आस्ट्रेलिया ने रेड कार्पेट बिछाने के अलावा आकाश में ही लिख दिया ’वेलकम मोदी’। यही नहीं, आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की तारीफ करते - करते उन्हें अपने “ बॉस “ कहा है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाईडेन नें मोदी जी से कहा में आपके ऑटोग्राफ लेना चाहता हूं, आप बहुत लोकप्रिय नेता हैं। इसके अलावा अभी एक दिन पहले पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने मोदी के आगमन के समय उनके पैर छुए थे और उनको अपने देश का सर्वोच्च सम्मान देने के साथ ही भारत के प्रधानमंत्री के ग्लोबल साउथ का लीडर करार दिया था। यही नहीं, छोटे से लेकर बड़े देशों तक में होड़ लगी है कि वह मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दें। यह सब दर्शाता है कि भारत में प्रचंड बहुमत की सरकार चला रहे नरेंद्र मोदी का वैश्विक राजनीति में क्या कद है। विदेशी नेता भी जिस तरह मोदी के फैन हैं उससे यह भी पता लगता है कि क्यों वैश्विक नेताओं के सूची में नरेंद्र मोदी की ही सबसे ज्यादा ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग रहती है।


वैसे सिडनी में ’नमस्ते आस्ट्रेलिया’ कार्यक्रम संपन्न होने के बाद निश्चित रूप से आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी राहत की सांस ली होगी क्योंकि जबसे मोदी का भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करने का कार्यक्रम तय हुआ था तबसे भीड़ के प्रबंधन को लेकर आस्ट्रेलियाई सरकार और प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए थे। खुद प्रधानमंत्री अल्बनीज ने यह बात मोदी को बताई भी थी। सिडनी में मोदी के कार्यक्रम के बाद अल्बनीज की तो मुश्किल हल हो गयी लेकिन अभी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुश्किलें बरकरार हैं , क्योंकि हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि आपके राजकीय दौरे के दौरान दिये जाने वाले रात्रिभोज में शामिल होने के लिए अमेरिका की बड़ी हस्तियों के बीच मारामारी मची हुई है।

प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें -

प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और आस्ट्रेलिया के रिश्तों की जो सी-डी-ई समझायी है वह दर्शाती है कि आपसी विश्वास, एक दूसरे के प्रति सम्मान और साझा जरूरतें दोनों देशों को बेहद करीब लाई हैं।

प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और आस्ट्रेलिया के रिश्तों की जो सी-डी-ई समझायी है वह दर्शाती है कि आपसी विश्वास, एक दूसरे के प्रति सम्मान और साझा जरूरतें दोनों देशों को बेहद करीब लाई हैं। सिडनी सामुदायिक कार्यक्रम में द “लिटिल इंडिया“ गेटवे की आधारशिला रखा जाना आने वाली पीढ़ियों को भी करीब लायेगा। साथ ही प्रधानमंत्री के संबोधन ने आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों में जिस ऊर्जा का संचार किया है वह उन्हें बरसों बरस याद रहेगी। अपने संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री ने विश्व को भारत की युवा शक्ति और हर संकल्प को सिद्ध करने की जिद से भी अवगत कराते हुए हाल के वर्षों में देश की उपलब्धियों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने ब्रिसबेन में भारत का नया वाणिज्य दूतावास खोलने की मांग मान कर जहां भारतीयों का दिल जीता वहीं आस्ट्रेलिया की विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों और उद्योगपतियों को भी भारत की सुनहरी तस्वीर दिखा कर उन्हें भारत आने और निवेश करने का निमंत्रण दिया है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत और आस्ट्रेलिया द्विपक्षीय रूप से और क्वॉड सदस्य के रूप में जिस तरह मित्रता मजबूत कर रहे हैं उससे ड्रैगन का घबराना स्वाभाविक ही है।




जब विश्व शक्तियां मोदी को बॉस कहें, पैर छुएं तो इससे भारत के वैश्विक कद का पता चलता है


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