राम को नकारते नकारते दुगर्ती होगई, अब भी समझ नहीं आई राहुल को - अरविन्द सिसोदिया
राहुल गांधी नें अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न होनें के दूसरे दिन ही मंगलवार को गुवाहाटी में एक पत्रकारवार्ता में एक बार फिर से भारत के आराध्य एवं जनजन के श्रीराम पर हमला बालते हुए कहा है कि देश में कोई राम लहर नहीं ! जबकि सच यह है कि पूरे देश में पिछले एक सप्ताह से व्यापक उत्साह से राम उत्सव मनाया जा रहा था। 22 जनवरी का पूरा दिन और आधीरात तक भारत ही नहीं विश्व के अन्यान्य देशों में भी राम उत्सव की धूम थी। मगर यह कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को महसूस नहीं हुई , न ही उन्हे मीडिया कबरेज में दिखी । यह उनकी समझ का विषय है।
राम का सत्य तो 17.5 लाख वर्ष पूर्व से त्रेता युग से ही, भारतीय संस्कृति एवं मानव सभ्यता की जीवन पद्यती का आदर्श बन कर अलौकित हो रहा है। कांग्रेस के महात्मा गांधी नें भी राम के नाम को आधार बना कर सम्पूर्ण स्वतंत्रता आन्दोलन चलाया था। रघुपति राघव राजा राम गाया जो रामराज्य का स्वप्न दिया । यह दूसरी बात है कि स्वंतत्र होते ही नेहरू कांग्रेस नें राम को ही ताले में डाल दिया था। कांग्रेस नेहरू वंश की कुटिल साजिश में फंस कर राम के आदर्श को निरंतर चोट पहुंचाती रही और राम को नकारते - नकारते वह देश की राजनीति में अपना अस्तित्व खोते - खोते हांसिये पर खडी है। उनकी लोकसभा सदन में महज 10 प्रतिशत संख्या है, जो कांग्रेस जैसे दल के लिए शर्मनाक है।
राम लहर तो क्या रामजी के नाम का तूफान पूरे देश में है, स्वयं राहुल गांधी की न्याय यात्रा के सामनें जगह जगह पर स्थानीय नागरिक जय श्रीराम और मोदी - मोदी के नारे लगा रहे हैं। इस सच्चाई को राहुल के नकारनें से सत्य बदल नहीं जाता । राम के साथ खडे पूरे भारत को राहुल गांधी के आंख बंद करने से सच बदला नहीं जा सकता । पूरे देश में 90 प्रतिशत कांग्रेस के कार्यकर्तातक राम मय होकर नाच रहे थे उत्सव मना रहे थे। रामजी को भारत से काई नहीं छीन सकता । वर्तमान सच यही है कि भारत के नायक रघुनायक कौशल्या नंदन राम ही हैं। प्रत्येक भारतवासी हनुमान जी की तरह रामजी के प्रतिसमर्पित है।
मंदिर राजनैतिक नौटंकी का स्थान नहीं - अरविन्द सिसोदिया
भारत के हिन्दू मंदिरों के साथ पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस युवराज के द्वारा राजनैतिक दुरउपयोग देखा जा रहा है, उनके उल्अे सीधे व्यवहार के कारण वे खुद अपनी छवी मजाकिया बना चुके हैं। मंदिर पवित्र आस्था के स्थान हैं, उनका राजनैतिक स्वार्थ के लिए दुरउपयोग नहीं किया जा सकता । असम में राहुल गांधी को आईना दिखाने की जो घटना सामने आरही है, यह बहुत पहले हो जाना चाहिये था। राहुल गांधी को पवित्र मंदिर को अपवित्र करने की अनुमती कैसे दी जा सकती है।