कांग्रेस जिस गठबंधन के सहारे अपनी ताकत दो गुनी कर पाई है, उसके असली जनक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे। सबसे पहले अपना आइडिया लेकर नितीश ही कांग्रेस दिग्गजों से मिले थे। आइडिया अच्छा था मगर कांग्रेस के मन में कपट यह था कि गठबंधन कि अगुवाई राहुल ही करें ताकी वे प्रधानमंत्री बनें...! और उसी नीती पर काम आगे बड़ाया गया!
कांग्रेस नें गठबंधन के सभी निर्णय लटकाये रखे न नेता बनने दिया, न नीती बनने दी, न सीटों का बंटवारा किया और सभी विषय लटकाये रखे ! जब प्रेस कॉन्फ्रेंसो से भी नितीश को आउट किया गया तो वे समझ गये कि कांग्रेस गठबंधन में उनके लिए कुछ नहीं है। यही बात ममता के साथ भी हुईं...ममता की बधाई का जबाब भी राहुल नें नहीं दिया .! राहुल और अखिलेश में भी काफी समय तक अन बन रही....! इसलिए यह नहीं है कि कांग्रेस गठबंधन में कोई आंतरिक एकता है।
फिलहाल कांग्रेस गठबंधन को नितीश को बाहर करने का अफ़सोस हो रहा होगा, यदी कांग्रेस गठबंधन नितीश कुमार को साथ रखते तो आज केंद्र की सरकार कांग्रेस के हाथ में होती। नितीश के अपमान नें कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया।
निश्चित ही नितीश कुमार खुश होंगे.... उन्होंने कांग्रेस के राजकुमार को सबक जो सीखा दिया...!