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बच गई , बच गई, बच गई , अजी ईवीएम बच गईं - अरविन्द सिसोदिया EVM is saved

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It is saved, it is saved, it is saved, EVM is saved - Arvind Sisodia

बच गई , बच गई, बच गई , अजी ईवीएम बच गईं - अरविन्द सिसोदिया 
ईवीएम पर दोष लगाना गलत
हालांकि इनमें तेजी हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आए परिणाम के बाद दिखी है। जिसमें मध्य प्रदेश सहित हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बीच कांग्रेस नेताओं ने ईवीएम-वीवीपैट से जुड़ा मुद्दा फिर से छेड़ दिया है। हालांकि चुनाव आयोग ने उनके इन आरोपों का जवाब भी दिया है,साथ ही बताया है कि ईवीएम से अब तक हुए 148 विधानसभा चुनावों में 49 बार राजनीतिक दलों की सीटों में बदलाव हुआ है। हाल ही में तेलंगाना में भी कांग्रेस ने ईवीएम के जरिए हुए चुनावों में जीत दर्ज की और सत्ता में काबिज हुई है। 

लोकसभा चुनावों में भी इस चुनाव से पूर्व चार बार ईवीएम का इस्तेमाल हुआ है, इनमें दो बार यानी 2004 और 2009 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बाद में इसने सहयोगी दलों के साथ सरकार भी बनाई। दो बार 2014 और 2019 में भाजपा स्पष्ट बहुमत में आई।

और इस बार 2024 में एनडीए गघबंधन सरकार में आया तो ईडी गठबंधन की सीटें भी बडी। चुनाव में हार जीत दल की परफॉर्मेंस पर निर्भर होती हैं मशीन पर नहीं, किन्तु कांग्रेस नें लगातार मशीन पर दोषारोपण किया। इसका दंड दिया जाना चाहिए।

यूँ तो ईवीएम पूरी तरह निष्पक्ष हैं और जब से उसके साथ वीवीपेट मशीन जुडी हैं और उसकी पर्चीयां एक अलग पैकेट में एकत्र होती हैँ और उनमें से कुछ का मिलान मशीन के परिणाम से होता हैं। तब से यह और भी अधिक प्रमाणिक हो चुकी हैं। किन्तु जब हवाहवाई बातें करने की स्वतंत्रता हो तो कुछ तो भी बकते रहो। कांग्रेस नें इस बार गिनती से पहले भी खूब तमाशा खड़ा किया था। किन्तु चुनाव बाद हल्ला नहीं हुआ, अर्थात ई वी एम बच गईं।

चुनाव प्रक्रिया: EVM ने सबको जवाब दे दिया - पीएम नरेंद्र मोदी 
जब 4 जून को नतीजे आ रहे थे, तब मैं अपने काम में व्यस्त था। मुझे लोगों के फोन आए तो मैंने पूछा कि आंकड़े तो ठीक हैं, लेकिन EVM जिंदा है या नहीं। कुछ लोग चुनाव प्रक्रिया पर सवाल पर उठाते हैं। मुझे तो लग रहा था कि वे EVM की अर्थी निकालेंगे, लेकिन EVM ने सबको जवाब दे दिया।

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*बेशर्म विपक्ष को शर्म है कि आती नहीं....।*

*● कटघरे में न EVM है न लोकतंत्र खत्म होने जा रहा*

लोकसभा चुनाव 2024 पूर्ण हो गया,अब न लोकतंत्र खत्म हो रहा है न ही इवीएम हैक हुआ है। इस चुनाव में एक मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया गया कि लोकतंत्र ख़तरे में है,संविधान खत्म कर दिया जायेगा। यदि जनतंत्र बचाना है तो हर हाल में मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकना होगा। इस विमर्श का असर हुआ या और बातों का कि भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिला। 

यह भी सच है कि सारी कोशिशों के बावजूद मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक पाया है। सब षड्यंत्र-भय-भ्रम फैलाने के बाद भी भाजपा सहित एनडीए के *Pre Poll Alliance* को स्पष्ट बहुमत मिला है। विघ्न संतोष के लिये इंडी ठगबंधन *Post Poll Alliance* के हसीन सपने देख रहा था जो कि हो न सका है।

पता नहीं अब जनतंत्र के ख़तरे में होने का नगाड़ा बजाने वाले बेशर्म नेता,पत्रकार और बुद्धिजीवी कहाँ चले गए? यह आख़िरी चुनाव होगा कहने का दावा करने वाले भी ग़ायब हो गए हैं। उनके लिए निराशा की बात यह है कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन रहे हैं और जनतंत्र ख़त्म होने का मुद्दा भी हाथ से निकल गया है। *फिर मोदी 2029 की बात करके जता चुके है कि फिर चुनाव होगें। हम न हारे थे न हारे है।*

येनकेन किसी भी झूठ से वोट मिल जाये तो सत्ता मिल जायेगी इस एकमेव लक्ष्य के कारण विपक्ष अपनी साख और विश्वसनीयता गंवा चुका है। *आने वाले किसी भी चुनाव में मतदाता अवश्य कहेगा कि वो न्याय पत्र के प्रतिवर्ष मिलने वाले एक लाख रूपये नहीं मिले है,न संविधान खत्म हुआ है,न लोकतंत्र खतरे में है?* दूसरी ओर मोदी की विश्वसनीयता बढ़ सकती है घटने का कोई कारण नहीं है।            

*फिलहाल मोदी सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिये कि चुनाव में जाने वाला कोई भी दल या गठबंधन आंख मूंदकर मनमानी Freebies घोषणायें कर मतदाता को भ्रमित न कर सके।* 

*सनातन समाज को अवश्य ही तय करना होगा कि भाजपा शासन में सब कुछ लेकर भी जब मुस्लिम भाजपा के विरूद्ध वोट कर सकता है तो हम क्यों नहीं सब भ्रमों से बचकर केवल भाजपा को वोट कर सकते है?*

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