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चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

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चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता 

राजस्थान में देवली - उनियारा सीट पर हो रहे चुनाव के दौरान 13 नबंवर 2024 को चलते मतदान में कांग्रेस कल्चर के बागी कांग्रेसी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ एक मतदान केंद्र में प्रवेश करता है , जहां समर्थकों को पुलिस रोक देती है किंतु नरेश मीणा मतदान केंद्र के परिसर में मौजूद चुनाव डियूटी पर लगे एसडीएम को थप्पड़ जड़ देता है । जो कि कांग्रेस के ही अराजकतावाद की प्रस्तुति है ।

इस घटना को निष्पक्ष भाव से देश की चुनाव प्रक्रिया पर अराजकतावाद के हमले के रूप में देखा जा रहा है । क्योंकि किसी भी शिकायत पर स्वयं न्यायाधीश बनने और दंड सुनाने का अधिकार किसी भी आम नागरिक को नहीं है ।

इस घटनाक्रम से कई प्रश्न खड़े हुए हैं । जो भविष्य की राजनीति को प्रभावित करेंगे । यदि इस प्रकरण में प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई तो आने वाले चुनावों में अराजकता भी चुनाव प्रचार व सस्ती लोकप्रियता का हिस्सा बन जायेगा । इसे वोट बटोरने के साधन के रूपमें इस्तेमाल किया जाएगा ।

अमर उजाला अखबार की इंटरनेट न्यूज़ के अनुसार नरेश मीणा पर 23 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं और उनमें से कई में उसकी गिरफ्तारी भी बांच्छित है । अर्थात एक आदतन अपराधी को पुनः अपराध करने की छूट के लिए कौन जिम्मेवार था ?

- यहां प्रश्न यह है कि क्या गिरफ्तारी के बांच्छित और 23 आपराधिक मुकदमें के धारक को मतदान केंद्र में प्रवेश दिया जा सकता है ? उसे तो नामांकन भरते वक्त ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए था ।

- भारत निर्वाचन आयोग को यह स्पष्ट नियम बनाना चाहिए कि संज्ञेय अपराध में गिरफ्तारसुदा , जमानतसुदा  या बांछित व्यक्ति जो मतदाता हो या प्रत्याशी हो उसे पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था में ही , आयोग के जिला निर्वाचन अधिकारी की अनुमति पर ही मतदान केंद्र में प्रवेश दिया जाएगा ।
- भारत के संविधान में अपराधी को अपराधी माना जाता है इसे कीड़ी भी जातीय या वर्ग के हिसाब से कम ज्यादा नहीं किया जा सकता । इसलिये नरेश मीणा के विरुद्ध भी प्रभावी कार्यवाही आवश्यक है ।


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