Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

दीनदयाल संपूर्ण वाङ्मय

$
0
0



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार के पहले राजनीतिक चिंतक और विचारक दीनदयाल उपाध्याय के विचार, जीवनी और लेखों के संग्रह को एक जगह संकलित करके। दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर संघ से जुड़ा एकात्म मानव दर्शन एवं विकास प्रतिष्ठान 15 खंडों में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को सामने ला रहा है। 9 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीनदयाल संपूर्ण वाङ्मय का विमोचन करेंगे। इस दौरान आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी उपस्थित रहेंगे।

एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर बीजेपी और केेंद्र सरकार सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी समवैचारिक संगठन अलग-अलग तरह के आयोजन कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल ने पाकिस्तान, चीन, बौद्ध धर्म, भारतीय अर्थव्यवस्था, तकनीक, भारतीय महिलाओं, भगवान श्रीकृष्ण और भारतीय संस्कृति जैसे विषयों पर काफी विस्तार में लिखा है। आज से 50 साल पहले दीनदयाल ने पाकिस्तान और चीन को लेकर अपने लेखों में जिस तरह की आशंकाएं जताई थीं, आज उसी तरह की परिस्थितियां देश के सामने मौजूद हैं।

उनकी दूरदृष्टि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1961 में एक लेख में उन्होंने फिरोजपुर में सतलुज के किनारों पर पाकिस्तानी कब्जे या भारतीय क्षेत्र से बहने वाली इचामती नदी के इस्तेमाल की अनुमति को भारत की रणनीतिक हार करार दिया था। उन्होंने लिखा था कि भविष्य में इसे लेकर भारत को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि सीमाओं की सुरक्षा केवल सेना पर नहीं, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के पक्के इरादों पर भी निर्भर करती है। उनका मानना था कि देश के विकास के लिए विदेशी मॉडल पर आश्रित नहीं होना चाहिए।

उनके लेखन को एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के चेयरमैन महेश चंद्र शर्मा ने संकलित और संपादित किया है। महेश चन्द्र शर्मा ने कहा, 'यदि इस विषय पर 30 साल पहले काम होता तो दीनदयाल जी के लेखन और जीवनी को समेटने के लिए कम से कम 30 खंड लगते लेकिन कई पत्रों समेत उनके लेखन का बड़ा हिस्सा अब उपलब्ध नहीं है। इस वजह से दीनदयाल जी का पूरा साहित्य हम संकलित नहीं कर पाए हैं।'महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के आलेखों, भाषणों, वक्तव्यों और विविध संवादों ने भारतीयता के अधिष्ठान पर तत्कालीन समस्याओं का विवेचन, विश्लेषण एवं समाधान प्रस्तुत किया।

गौरतलब है कि एकात्म मानवतावाद का सिद्धांत देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय को सामाजिक-राजनैतिक दर्शन के लिए जाना जाता है। दीनदयाल संपूर्ण वाङ्मय को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। राजस्थान से पूर्व राज्यसभा सांसद महेश चंद्र शर्मा पिछले 30 सालों से दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और उनके लेखन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इस वाङ्मय के सभी खंडों को आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक एमएस गोलवरकर और जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को समर्पित किया है। इस वाङ्मय में कांग्रेस सदस्य संपूर्णानंद, गांधीवादी स्कॉलर धर्मपाल तथा 92 वर्षीय संघ के वरिष्ठ प्रचारक एमजी वैद्य ने भी काफी सहयोग किया है।

-----------------

संघ के स्वयंसेवक से लेकर जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में और जीवन के अंतिम क्षण तक दीनदयाल जी के जीवन में स्व का कोई स्थान नहीं था, उनका पूरा जीवन इस देश की संस्कृति और इस देश के हित को समर्पित थाः अमित शाह
Newslalkar December 30, 2016

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाड्मय के लोकार्पण अवसर पर एक सम्मेलन को संबोधित किया और लोगांे स पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से प्रेरणा लेकर देश हित में काम करने का आह्वान किया। ज्ञात हो कि पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी जन्मशती की शुरूआत 25 सितम्बर को ही हो चुकी है। लेकिन देश के हर राज्य की राजधानी में भी इस कार्यक्रम को आयोजित करना तय किया गया है, जिसके तहत आज पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाड्मय का विमोचन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार, दोनों पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशती को मना रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने तय किया है कि दीनदयाल जी के अंत्योदय के सिद्धान्त को चरितार्थ करने के लिये जन्मशती वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।

शाह ने कहा कि देश के पुनर्निर्माण में हर क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता के लिये, राष्ट्रभक्त के लिये यह किसी ग्रंथ से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक से लेकर जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में और जीवन के अंतिम क्षण तक दीनदयाल जी के जीवन में स्व का कोई स्थान नहीं था। उनका पूरा जीवन इस देश की संस्कृति और इस देश के हित को समर्पित था। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा व्यक्तित्व जिसने जनसंघ की स्थापना के समय से काम किया, आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में जिस संगठन के 11 करोड़ से अधिक सदस्य हैं, जो विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिसके पास 1000 से अधिक विधायक है, 300 से ज्यादा सांसद हैं, 13 राज्यों में सरकारें हैं और केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है, ऐसे संगठन की स्थापना करने वाले, उसके सिद्धान्तों को शब्द रूप देने वाले, उस संगठन की कार्यपद्धति को बनाने वाले एवं हर राज्य में संगठन की ईकाई को सींचने वाले व्यक्ति श्री दीनदयाल उपाध्याय जी के बारे में आज भी लोगों से पूछा जाय तो बहुत कम लोग उनके बारे में जानते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसको बिल्कुल बुरा नहीं मानता, एक व्यक्ति के जीवन में इससे बड़ी कोई ऊंचाई हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि उनके काम को तो पूरा देश, पूरी दुनिया जानती है, मगर उस व्यक्ति को कोई नहीं जानता, इस प्रकार का जीवन जीना अपने आप में एक बहुत बड़े व्यक्तित्व का लक्षण हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब देश आजाद हुआ और पंड़ित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में देश में एक नई सरकार बनीं और उस सरकार ने जब नीतियों को बनाना शुरू किया तो उस वक्त कई बुद्धिजीवियों और मनीषियों को लगा कि देश के लिये बन रही नीतियां पाश्चात्य नीतियों के प्रभाव में बनाई जा रही है, उसमें देश की मिट्टी की सुगंध नहीं है और इसी कारण श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया और जनसंघ की स्थापना की नींव डाली गई।
शाह ने कहा कि अगर कोई मानता है कि जनसंघ की स्थापना एक बहुत बड़े राजनीतिक दल के रूप में प्रतिस्थापित करने के लिये की गई थी। राजनीतिक वैभव प्राप्त करने के लिये की गई थी तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि उस वक्त तो दूर-दूर तक सरकार बनने की कोई संभावना भी नहीं बनती थी। उन्होंने कहा कि जनसंघ की स्थापना का निर्णय सत्ता प्राप्त करने के लिये नहीं बल्कि देश को एक वैकल्पिक नीति देने के लिये की गई थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त कई मनीषियों को लग रहा था कि नेहरू सरकार देश के लिये जो नीतियां बना रही है, उन नीतियों के रास्ते पर यदि यह देश चलता रहा तो पीछे मुड़ने का भी रास्ता नहीं मिलेगा, उन्हें लगा कि इन नीतियों के सामने एक वैकल्पिक नीति रखना बहुत जरूरी है। जिसमें मिट्टी की सुगंध हो।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश की कृषि नीति कैसी हो, विदेश नीति कैसी हो, अर्थ नीति कैसी हो, रक्षा नीति कैसी हो, शिक्षा नीति कैसी हो इसके लिये जनसंघ की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि आज के समय में यदि कोई जनसंघ और कांग्रेस में मूलभूत अंतर स्पष्ट करने को कहे तो अंतर यह है कि कांग्रेस देश का नवनिर्माण करना चाहती थी जबकि जनसंघ देश की गौरवपूर्ण विरासत के आधार पर देश का पुनर्निर्माण करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि जनसंघ का मानना था कि भारतीय संस्कृति की विरासत सर्वोच्च थी, कुछ परिस्थितियां ऐसी आ गई कि देश को गुलाम होना पड़ा, हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत की नींव पर ही देश का पुनर्निर्माण करना चाहिये। उन्होंने कहा कि जब इस सिद्धान्त को बनाने के लिये और उन सिद्धान्तों के आधार पर भविष्य की राजनीति को एक नई दिशा देने के लिये जनसंघ की स्थापना हुई तो कई मनीषियों ने उसमें अपना अहम योगदान दिया, उसमें श्री श्यामा प्रसाद जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी, अटल जी, आडवाणी जी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी, कई सारे अग्रणी नेता थे लेकिन उन नीतियों को सुचारू रूप से शब्द देने का काम यदि किसी ने किया तो वह निस्संदेह पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी थे।

शाह ने कहा कि पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हर क्षेत्र में अपने विचार बेबाकी से रखे, वे विचार 50 सालों बाद आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने उस वक्त थे, उनके विचार आज भी शाश्वत है। उन्होंने कहा कि पहली बार देश में यदि गैर कांग्रेसी सरकार देश में और उत्तर प्रदेश में भी बनी थी तो इसका सम्पूर्ण श्रेय पंड़ित दीनदयाल जी को जाता है। उन्होंने कहा कि जनसंघ की अन्य दलों के साथ बैठने की भूमिका तैयार करने का जो प्रयास हुआ, उसमें पंड़ित दीनदयाल जी की दूरदृष्टि थी, उनकी नजर में यह विचार प्रतिस्थापित करना बहुुत जरूरी था कि देश में कांग्रेस के अलावा भी कोई अन्य पार्टी भी शासन कर सकती है, उसके बाद जनता तय करे कि सारे दलों में कौनसा दल अच्छा है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय को अलग नहीं किया जा सकता मगर एकात्म मानववाद में बहुत सारी चीजों को पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी ने एक भारतीय दृष्टिकोण का काम किया था। उन्होंने कहा कि पंड़ित दीनदयाल जी ने उस वक्त जलवायु समस्या को गंभीरता से रखा था। जब बहुत लोग इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं थे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रकृति का शोषण नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि विकास को लेकर भी पंड़ित दीनदयाल जी के विचारों में स्पष्टता थी, उनके अनुसार विकास की पंक्ति में अंतिम खड़े व्यक्ति को पंक्ति में पहले खडे़ व्यक्ति के समकक्ष लाया जाना चाहिये, यदि ऐसा हुआ तो देश का विकास अपने आप हो जाएगा। इस तरह की अंत्योदय के सिद्धान्त की परिकल्पना पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी।


शाह ने कहा कि व्यक्ति से समष्टि तक की समग्रता से चिंतन करते हुए जो एकात्म मानव दर्शन दीनदयाल जी ने दिया है, मैं मानता हूं कि यह न केवल भारत, न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि पूरी दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जनसंघ की स्थापना के बाद इसे चलाने के लिये कार्यपद्धति के निर्माण में भी पंड़ित दीनदयाल जी का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि चाहे व्यक्ति निर्माण की बात हो, संगठन निर्माण की बात हो या फिर संघ की कार्यपद्धति को राजनीति में ढ़ालने की बात हो, हर समस्या को पंड़ित दीनदयाल जी ने बड़ी सरलता के साथ हल करने का काम किया। उन्होंने कहा कि दीनदयाल ने बिना भाषण दिए लाखों कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने का काम किया। उन्होंने कहा कि संगठन आंतरिक लोकतंत्र, सबसे पहले देश उसके बाद पार्टी, अंत में मैं और सिद्धान्तों की राजनीति- इन सबकी घूंटी दीनदयाल जी ने जनसंघ के कार्यकर्ताओं को जो पिलाई वह आज भी भाजपा के कार्यकर्ताओं को संस्कारित कर रही है। उन्होंने कहा कि उसी कार्यपद्धति पर आज भी भारतीय जनता पार्टी चल रही है और इसी विचारधारा के कारण 10 सदस्यों द्वारा जनसंघ के रूप में बोया गया बीज आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के वटवृक्ष के रूप में पूरे देश के सामने खड़ा है। उन्होंने कहा कि इसी के कारण आज हम यह गर्व से कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी सभी पार्टियों से अलग है। भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसकी नींव एक ऐसे व्यक्ति ने रखी थी, जो कभी अपने लिये सोचता ही नहीं था।

शाह ने कहा कि केन्द्र में श्री नरेन्द्र भाई की सरकार भी दीनदयाल जी के सिद्धान्तों पर ही चल रही है। उन्होंने कहा कि अंत्योदय को किस प्रकार से कोई सरकार चरितार्थ कर सकती है, उसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी की नरेन्द्र मादी सरकार है। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के वक्त इस देश में 60 करोड़ लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं था तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के गरीबों को देश के अर्थतंत्र से जोड़ने का आह्वान किया और एक ही साल में लगभग 20 करोड़ से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि देश में आज तक जितनी भी योजनाएं बनती थी, उसमें गरीब की चिंता कभी की ही नहीं जाती थी, खैरात देकर गरीबों के वोट बटोर लिये जाते थे मगर उनके जीवन को ऊपर उठाने का प्रयास कभी नहीं किया गया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 5 सालों में देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों के घर में गैस पहुंचाने का काम किया, यह अंत्योदय का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने गिव इट अप के माध्यम से देश के सम्पन्न लोगों से सब्सिड़ी छोड़ने की अपील की और देश के एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री के एक आह्वान पर अपनी सब्सिड़ी को छोड़ने का काम किया ताकि गरीबों के घरों में गैस पहुंच सके।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाड्मय का उŸार प्रदेश की जनता से परिचय कराया गया है। उन्होंने कहा कि मैं इस मंच के माध्यम से पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी और विचार परिवार के कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि इस जन्मशती वर्ष में हर कार्यकर्ता गरीबों की भलाई, देश के विकास अथवा पार्टी के विकास के लिये एक संकल्प अवश्य लें। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा के 11 करोड़ कार्यकर्ता एक-एक संकल्प लेते हैं तो 11 करोड़ संकल्प की ताकत देश को बदलने में बहुत बड़ा योगदान करेगा और यही पंड़ित दीनदयाल जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2979

Trending Articles