Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2980

जैसलमेर पर पाकिस्तानी कबायलीयों घुसपैठियों का आक्रमण :

$
0
0

#में_जीऊंगा_तो_प्रजा_के_साथ_मरूंगा_तो_प्रजा_के_साथ_मेरे_
पूर्वजो_की_उपाधी_उतर_भड़_किवाड़_को_नही_लजाऊँगा

 जैसलमेर पर पाकिस्तानी घुसपैठियों (कबायलीयों) का आक्रमण :

 दिनांक 24 फरवरी 1948 की अर्धरात्रि , जोधपुर महाराजा के निजी सचिव श्री ओंकार सिंह ( बाबरा ) को  जैसलमेर के महाराज कुमार श्री गिरधारी सिंह का तार मिला, वे अपने शयनकक्ष से बाहर आए उन्होंने तार खोल कर पढ़ा . तार में अंकित था – "पाँच सौ से अधिक पठान आक्रमणकारियों का एक दल भावलपुर कि ओर से बढ़ता हुआ यहाँ से चौबीस मील देवा तक पहुँचने के समाचार मिले हैं, इन के पीछे हजारों आक्रमणकारी आ रहे हैं जो गाँवों को जलाते हुए और लोगों को अंधाधुंध मारते हुए जैसलमेर कि ओर बढ़ रहे हैं, निवेदन है कि वायुयानों, कारों  ट्रकों आदि साधनों से शीघ्र सहायता भेजिए ...
स्थिति अत्यन्त भयावह है, अतः तुरन्त सहायता से ही बचाव हो सकता है " ....

तार को पढ़ते ही उन्होंने राजमहल के ए.डी.सी कक्ष को टेलीफोन किया और महाराजा श्री हनुवंतसिंह को तत्काल जगाने के निर्देश दिए और स्वयं महाराजा साहब से मिलने तत्काल उम्मेद भवन के लिए निकल पड़े, कश्मीर में भी पाकिस्तान द्वारा इसी प्रकार की घुसपैठ की जा चुकी थी अतः खलबली मचना स्वाभाविक था । श्री ओंकारसिंह के महल पहुँचने से पहले ही महाराजा साहब और उन के ए.डी.सी. जग चुके थे, महाराजा ने पूछा – "ओंकारसिंह जी क्या आफ़त लाए हो ? "ओंकारसिंह जी ने लिफाफे से तार निकाल कर महाराजा के हाथ में रख दिया, महाराजा के चेहरे पर घबराहट का कोई निशान नहीं उभरा और तत्काल जोधपुर राज्य के प्रधानमंत्री,  मुख्य सेनापति, महानिरीक्षक पुलिस को बुलाने तथा भारत के रक्षा मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को ट्रंक काल करने का निर्देश दिया .... 


कुछ ही समय में जोधपुर राज्य की सेना के मुख्य सेनापति ब्रिगेडियर जबरसिंह महाराजा के ऑफिस में उपस्थित हो गए उन्होंने तार को पढ़ा और तत्काल विभिन्न सेना कमांडेंटों को फोन द्वारा सतर्कता बरतने का आदेश दिया इसी समय पुलिस महानिरीक्षक तथा प्रधानमंत्री महाराजा अजीतसिंह भी पहुँच गए, महाराजा की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई जिस में तात्कालिक कार्यवाही के लिए निम्न निर्णय लिए गए –
1. जोधपुर लांसर्स को तुरन्त सैनिक ट्रकों द्वारा जैसलमेर रवाना कर दिया जाए और साथ में वायरलैस इत्यादि संचार साधन रखे जाएँ ....
2. ब्रिगेडियर जबरसिंह कमांडेंटों को निर्देश प्रदान कर सेना को तत्काल निर्दिष्ट स्थानों के लिए रवाना करें ....
3. प्रधानमंत्री राज्य में आपातकाल की घोषणा करे और इसे सवेरे तक असाधारण राजपत्र में प्रकाशित कर दें ....
4. राज्य की पुलिस निजी ट्रकों , कारों तथा जीपों को अपने कब्जे में ले लें और निजी वाहनों के लिए पेट्रोल का वितरण तुरन्त बन्द कर दिया जाए .....
5. महाराजा के अश्वारोही बॉडीगार्ड 'दुर्गाहॉर्स 'के कमांडेंट मोहनसिंह भाटी स्वयं एक वायुयान ले जा कर जैसलमेर राज परिवार को तुरन्त जोधपुर ले आएँ,
दूसरा वायुयान भेज कर पता लगाएं कि कितने हमलावर हैं, वे कहाँ तक पहुँच गए और उन के पास क्या क्या अस्त्र शस्त्र हैं ?
महाराजा ने टेलीफोन वार्ता कर रक्षामंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को जैसलमेर महाराज कुमार का तार पढ़ कर सुनाया और जोधपुर स्टेट द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियों का विवरण भी बता दिया । 
रात्रि में जोधपुर से जैसलमेर विमान ले कर गए कर्नल मोहनसिंह भाटी ने महारावल से उन के महल में मुलाक़ात की तथा मूल्यवान वस्तुएँ तथा जेवर साथ ले कर महारावल को जोधपुर चलने का आग्रह किया किन्तु महारावल में जैसलमेर छोड़ने से स्पष्ट इंकार कर दिया उन्होंने कहा कि वे अपनी प्रजा के साथ ही जिएंगे और उन्हीं के साथ मरेंगे, विपत्तिकाल में प्रजा को असहाय छोड़ कर जाना कायरता की निशानी होगी जिस का कलंक वे अपने वंश पर नहीं लगाएंगे हम जैसलमेर छोड़ने के बजाय लड़ते हुए मर जाना उचित समझेंगे ...
कर्नल मोहनसिंह जी भाटी साहब (जो पूर्व विदेश रक्षा मंत्री जसवंत सिंह जी के ससुर थे) ने बहुत आग्रह किया किन्तु महारावल अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुए आखिर हार कर कर्नल मोहनसिंह सैनिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए जोधपुर लौट गए ..
जोधपुर लौटने से पहले उन्होंने अपने विमान से देवा और पाकिस्तान की सीमा की ओर उड़ान भर कर आक्रमणकारियों की संख्या और स्थिति का जायजा लिया, उन्होंने पाया कि वास्तव में तीन से चार सौ घुसपैठिए शस्त्रों से लैस ऊँट घोड़ों पर सवार थे, वे गायों और ऊंटों के टोलों को घेर रहे थे और जस रास्ते से आ रहे थे उस पर पड़ने वाले गाँवों को जलाया भी था। एक पुलिस टुकड़ी के मुकाबला करने पर उस एक थानेदार और दो सिपाहियों को भी मार डाला था ।

घुसपैठियों ने जब ऊपर वायुयान को मंडराते देखा तो उन के होश फ़ाख्ता हो गए वे उलटे पाँव पाकिस्तान की तरफ़ भागने लगे .... 


महाराजा हनुवंतसिंह और उन के अधिकारीयों द्वारा तत्काल लिए गए निर्णय से जोधपुर लांसर्स, जोधपुर स्टेट की सेना,  जोधपुर स्टेट पुलिस और वायुसेना के संयुक्त अभियान के फलस्वरूप न केवल जैसलमेर राजपरिवार सुरक्षित रहा अपितु भारत एक और घुसपैठ से राजस्थान के दूसरा कश्मीर बनने से बच गया .... 

लोकतंत्र के नाम पर बने नव शासकों नें बड़ी लकीर को मिटा कर अपने को बड़ा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, एकतरफा इतिहास पढ़ा कर जनता को भ्रमित करना इन नव शासकों के रक्त में है ..... 

आलेख का स्रोत -- एक महाराजा की अंतर्कथा - लेखक श्री ओंकारसिंह ( बाबरा ) पूर्व IAS ,

 प्रस्तुत चित्र मरुधराधीश  महाराजा हनुवंत सिंह जी प्रधानमंत्री नेहरू जी के साथ अपने ड्राइंग रूम में ....

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2980

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>