Quantcast
Channel: ARVIND SISODIA
Viewing all 2995 articles
Browse latest View live

ट्विटर : सामाजिक नेटवर्क

$
0
0

https://hi.wikipedia.org
ट्विटर वा चिर्विर एक मुक्त सामाजिक संजाल व सूक्ष्म चिट्ठाकारी सेवा है जो अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी अद्यतन जानकारियां, जिन्हें ट्वीट्स वा चिर्विर वाक्य कहते हैं, एक दूसरे को भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है। ट्वीट्स १४० अक्षरों तक के पाठ्य-आधारित पोस्ट होते हैं और लेखक के रूपरेखा पृष्ठ पर प्रदर्शित किये जाते हैं, तथा दूसरे उपयोगकर्ता अनुयायी (फॉलोअर) को भेजे जाते हैं।[5][6] प्रेषक अपने यहां उपस्थित मित्रों तक वितरण सीमित कर सकते हैं, या डिफ़ॉल्ट विकल्प में मुक्त उपयोग की अनुमति भी दे सकते हैं। उपयोगकर्ता ट्विटर वेबसाइट या लघु संदेश सेवा (SMS), या बाह्य अनुप्रयोगों के माध्यम से भी ट्विट्स भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं।[7] इंटरनेट पर यह सेवा निःशुल्क है, लेकिन एस.एम.एस के उपयोग के लिए फोन सेवा प्रदाता को शुल्क देना पड़ सकता है। ट्विटर सेवा इंटरनेट पर २००६ में आरंभ की गई थी और अपने आरंभ होने के बाद टेक-सेवी उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं में खासी लोकप्रिय हो चुकी है। ट्विटर कई सामाजिक नेटवर्क जालस्थलों जैसे माइस्पेस और फेसबुक पर काफी प्रसिद्ध हो चुका है।[5] ट्विटर का मुख्य कार्य होता है यह पता करना होता कि कोई निश्चित व्यक्ति किसी समय क्या कार्य कर रहा है। यह माइक्रो-ब्लॉगिंग की तरह होता है, जिस पर उपयोक्ता बिना विस्तार के अपने विचार व्यक्त कर सकता है। ऐसे ही ट्विटर पर भी मात्र १४० शब्दों में ही विचार व्यक्त हो सकते हैं।

उपयोग
ट्विटर उपयोक्ता विभिन्न तरीकों से अपना खाता अद्यतन अपडेट कर सकते हैं। वे वेब ब्राउज़र से अपना पाठ संदेश भेजकर अपना ट्विटर खाता अद्यतित कर सकते हैं और ईमेल या फेसबुक जैसे विशेष अन्तरजाल अनुप्रयोगों (वेब एप्लीकेशन्स) का भी प्रयोग कर सकते हैं। संसार भर में कई लोग एक ही घंटे में कई बार अपना ट्विटर खाता अद्यतन करते रहते हैं।[5] इस संदर्भ में कई विवाद भी उठे हैं क्योंकि कई लोग इस अत्यधिक संयोजकता (ओवरकनेक्टिविटी) को, जिस कारण उन्हें लगातार अपने बारे में ताजा सूचना देते रहनी होती है; बोझ समझने लगते हैं।[6] पिछले वर्ष से संसार के कई व्यवसायों में ट्विटर सेवा का प्रयोग ग्राहको को लगातार अद्यतन करने के लिए किया जाने लगा है। कई देशों में समाजसेवी भी इसका प्रयोग करते हैं। कई देशों की सरकारों और बड़े सरकारी संस्थानों में भी इसका अच्छा प्रयोग आरंभ हुआ है। ट्विटर समूह भी लोगों को विभिन्न आयोजनों की सूचना प्रदान करने लगा है। अमेरिका में २००८ के राष्ट्रपति चुनावों में दोनों दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आम जनता तक इसके के माध्यम से अपनी पहुंच बनाई थी। माइक्रोब्लॉगिंग विख्यात हस्तियों को भी लुभा रही है। इसीलिये ब्लॉग अड्डा ने अमिताभ बच्चन के ब्लॉग के बाद विशेषकर उनके लिये माइक्रोब्लॉगिंग की सुविधा भी आरंभ की है। बीबीसी[9] व अल ज़जीरा[10] जैसे विख्यात समाचार संस्थानों से लेकर अमरीका के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बराक ओबामा[11] भी ट्विटर पर मिलते हैं।[12] हाल के समाचारों में शशि थरूर, ऋतिक रोशन, सचिन तेंदुलकर, अभिषेक बच्चन, शाहरुख खान, आदि भी साइटों पर दिखाई दिये हैं। अभी तक यह सेवा अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी, किन्तु अब इसमें अन्य कई भाषाएं भी उपलब्ध होने लगी हैं, जैसे स्पेनिश, जापानी, जर्मन, फ्रेंच और इतालवी भाषाएं अब यहां उपलब्ध हैं।

रैंकिंग्स
ट्विटर, अलेक्सा इंटरनेट के वेब यातायात विश्लेषण के द्वारा संसार भर की सबसे लोकप्रिय वेबसाइट के रूप में २६वीं श्रेणी पर आयी है।[13] वैसे अनुमानित दैनिक उपयोक्ताओं की संख्या बदलती रहती है, क्योंकि कंपनी सक्रिय खातों की संख्या जारी नहीं करती। हालांकि, फरवरी २००९ compete.com ब्लॉग के द्वारा ट्विटर को सबसे अधिक प्रयोग किये जाने वाले सामाजिक नेटवर्क के रूप में तीसरा स्थान दिया गया।[14] इसके अनुसार मासिक नये आगंतुकों की संख्या मोटे तौर पर ६० लाख और मासिक निरीक्षण की संख्या ५ करोड़ ५० लाख है[14], हालांकि केवल ४०% उपयोगकर्ता ही बने रहते हैं। मार्च २००९ में Nielsen.com ब्लॉग ने ट्विटर को सदस्य समुदाय की श्रेणी में फरवरी २००९ के लिए सबसे तेजी से उभरती हुई साइट के रूप में क्रमित किया है। ट्विटर की मासिक वृद्धि १३८२%, ज़िम्बियो की २४०% और उसके बाद फेसबुक की वृद्धि २२८% है।


सुरक्षा
हाल के दिनों में ट्विटर पर भी कुछ असुरक्षा की खबरें देखने में आयी हैं। ट्विटर एक हफ्ते के भीतर दूसरी बार फिशिंग स्कैम का शिकार हुई थी। इस कारण ट्विटर द्वारा उपयोक्ताओं को चेतावनी दी गई वे डायरेक्ट मेसेज पर आए किसी संदिग्ध लिंक को क्लिक न करें। साइबर अपराधी उपयोक्ता लोगों को झांसा देकर उनके उपयोक्ता नाम और पासवर्ड आदि की चोरी कर लेते हैं।[16] इनके द्वारा उपयोक्ता को ट्विटर पर अपने मित्रों की ओर से डायरेक्ट मेसेज के भीतर छोटा सा लिंक मिल जाता है। इस पर क्लिक करते ही उपयोक्ता एक फर्जी वेबसाइट पर पहुंच जाता है। यह ठीक ट्विटर के होम पेज जैसा दिखता है। यहीं पर उपयोक्ता को अपनी लॉग-इन ब्यौरे एंटर करने को कहा जाता है, ठीक वैसे ही जैसे ट्विटर के मूल पृष्ठ पर होता है। और इस प्रकार ये ब्यौरे चुरा लिये जाते हैं। एक उपयोक्ता, डेविड कैमरन ने अपने ट्विटर पर जैसे ही एंटर की कुंजी दबाई, वह खराब संदेश उनकी ट्विटर मित्र-सूची में शामिल सभी उपयोक्ताओं तक पहुंच गया। इससे यह स्कैम दुनिया भर के इंटरनेट तक पहुंच गया। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार साइबर अपराधी चुराई गई सत्रारंभ जानकारी का प्रयोग शेष खातों को भी हैक करने में कर सकते हैं, या फिर इससे किसी दूर के कंप्यूटर में सहेजी जानकारी को हैक कर सकते हैं।

इससे बचने हेतु उपयोक्ताओं को अपने खाते का पासवर्ड कोई कठिन शब्द रखना चाहिये और सभी जगह एक ही का प्रयोग न करें। यदि उन्हें यह महसूस होता है कि उनके ट्विटर खाते से संदिग्ध संदेश भेजे जा रहे हैं तो अपने पासवर्ड को तुरंत बदल लें।[16] इसी तरह अपने ट्विटर खाते की सेंटिंग्स या कनेक्शन एरिया भी जांचें। यदि वहां किसी थर्ड पार्टी की ऐप्लिकेशन संदिग्ध लगती है तो खाते को एक्सेस करने की अनुमति न दें।

ट्विटर ने भी सुरक्षा कड़ी करने हेतु पासवर्ड के रूप में प्रयोग होने वाले ३७० शब्दों को निषेध कर दिया है। उनके अनुसार पासवर्ड के इन शब्दों के बारे में अनुमान लगाना सरल है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर ने '12345'और 'Password'जैसे शब्दों के पासवर्ड के रूप में प्रयोग को रोक दिया है। इनका अनुमान लगा अत्यंत सरल होता है और फिर उपयोक्ताओं की जानकारी को खतरा हो सकता है। पासवर्ड के रूप में 'पॉर्शे'और 'फेरारी'जैसी प्रसिद्ध कारों और 'चेल्सी'व 'आर्सनेल'जैसी फुटबॉल टीमों के नाम भी निषेध कर दिये हैं। इसी प्रकार विज्ञान कल्पना (साइंस फिक्शन) के कुछ शब्दों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।[17]

आतंकियों के हर लॉन्चिंग पैड को 45 लाख रुपये देता है पाकिस्तान

$
0
0


आतंकियों के हर लॉन्चिंग पैड को 45 लाख रुपये का हुक्का पानी देता है पाकिस्तान!
आईबीएन-7  October 01, 2016
http://khabar.ibnlive.com/news
नई दिल्ली। भारतीय फौज के कमांडो दस्ते ने सरहद लांघ कर, पीओके में घुसकर आतंकवादियों के लॉन्च पैड पर निशाना साधा। उस वक्त उन्हें इस बात की पक्की जानकारी थी कि उनका सामना किन लोगों से, किन हथियारों से, और किस रणनीति से होने वाला है। भारतीय एजेंसियों ने सरहद के आसपास बने लॉन्चिंग पैड पर जबरदस्त होमवर्क किया था। हमारे पास पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी ISI की टॉप सीक्रेट फाइलों में कैद चौंकाने वाला सच भी था। हमें पता था कि आतंकवादियों को भारत में घुसपैठ करवाने के लिए खास तौर पर बनाए गए। इन लॉन्चिंग पैड में कितने आतंकवादी हैं, उनके पास कौन से हथियार होते हैं, उनका हुक्कापानी कहां से आता है।
आईबीएन7 की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानि SIT को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, ऐसे आतंकी लॉन्चिंग पैड में हर आतंकी को AK-47 राइफ़ल और 2 मैगज़ीन, चीन में बने हैंडग्रेनेड, वायरलेस सेट, मोबाइल फोन और एक्स्ट्रा बैटरी, ड्राई फ्रूट और खाने के पैकेट, पहाड़ी रास्तों पर लंबे सफ़र का दर्द झेलने के लिए मॉर्फीन के इंजेक्शन, रास्ता न भटक जाएं इसके लिए आधुनिक GPS भी दिया जाता है। भारत में घुसपैठ के बाद पैसों की जरूरत पड़ती है। इसलिए हर आतंकी को 10 से 20 हजार भारतीय नोट भी दिए जाते हैं।

लॉन्चिंग पैड का असली आका आईएसआई है। आईएसआई के रास्ते पाकिस्तान इनपर पानी की तरह पैसा बहाता है। हाल ही में पकड़े गए आतंकियों ने भी इस खुलासे पर मुहर लगाई है। एक लॉन्चिंग पैड के रखरखाव के लिए 4 से 5 लोग होते हैं। लॉन्चिंग पैड का एक मुखिया होता है जिसे कमांडर कहा जाता है। हर लॉन्चिंग पैड पर 8 से 10 आतंकवादी रखे जाते हैं। कमांडर की हरी झंडी मिलते ही सभी आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए निकल पड़ते हैं। हर लॉन्चिंग पैड के रखरखाव पर हर महीने तक़रीबन 45 लाख रुपये खर्च होते हैं।

हर महीने पाकिस्तान आतंकियों के हर लॉन्चिंग पैड को 45 लाख रुपए का हुक्का पानी देता है, ये रकम खासी बड़ी है। आईबीएन7 की SIT के पास वो दस्तावेज हैं जो ISI की TOP SECRET फाइलों में दर्ज थे। ये सबूत है इस बात का कि पाकिस्तान सीधे तौर पर आतंकियों की फंडिंग कर रहा है। एलओसी के उस पार आतंक का खेल बरसों से जारी है। जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रज्जाक ने भारत में घुसपैठ की पूरी कहानी बताई है। रज्जाक तीन आतंकियों के साथ पीओके में बने अथमुकम लॉन्च पैड पर पहुंचा। उसकी मुलाक़ात कमांडर हमज़ा से हुई। अथमुकम में 8-10 आतंकी पहले से मौजूद थे। हर आतंकी को AK-47 राइफल, 4 मैगज़ीन, एक वायरलेस सेट, दो हैंड ग्रेनेड और 10 हज़ार रुपये दिए गए। राशिद नाम के एक आतंकी को ग्रुप ली़डर बनाया गया और उसे जीपीएस और मैप की जानकारी दी गई। इसके बाद तलहा ज़रार नाम का गाइड सभी आतंकियों को घुसपैठ के लिए लेकर निकल पड़ा।
सभी आतंकी PoK में चितराल होते हुए कुपवाड़ा के केरन सेक्टर की ओर बढ़ने लगे। इन आतंकियों को भारत में घुसपैठ करने के लिए 4 दिन का वक़्त लगा। भारत में घुसपैठ के बाद कुपवाड़ा के टोपी नाला इलाके में सभी आतंकियों की मुलाकात लश्कर के एरिया कमांडर सैफ़ुल्ला और उसके सहयोगी अबु अबदुल्ला से हुई। लॉन्चिंग पैड पर पहुंचने के कुछ ही दिन के भीतर ही आतंकियों को घुसपैठ करनी होती है क्योंकि यहां ज्यादा दिन तक रुकना महफूज नहीं माना जाता। घुसपैठ के काम में पाकिस्तानी फौज भी आतंकियों की मदद करती है। आमतौर भारतीय जवानों का ध्यान बंटाने के लिए फायरिंग की जाती है और उसकी आड़ लेकर आतंकियों को एलओसी पार करा दी जाती है।
लश्कर के गिरफ्तार आतंकवादी मोहम्मद सलीम रहमानी ने भी ऐसा ही खुलासा किया है। मुजफ्फराबाद में लश्कर के कैंप में ट्रेनिंग लेने के बाद रहमानी केल सेक्टर पहुंचा। केल से उसे लश्कर के लॉन्चिंग पैड जामगढ़ लाया गया। 4 कमरों वाले इस लॉन्चिंग पैड पर 30 आतंकी मौजूद थे। जिन्हें 8 से 10 के ग्रुप में घुसपैठ कराने की योजना थी। रहमानी के ग्रुप में 7 आंतकवादी, 2 पोर्टर और 1 गाइड थे। सभी को एक AK-47 राइफ़ल, 5 मैगज़ीन, 60 राउंड गोलियां, 2 हैंड ग्रेनेड, 1 पिस्टल, 2 मैगज़ीन और 30 हजार रुपये दिए गए। दोनों पोर्टरों को खाने के साथ साथ 500 राउंड गोलियां भी दी गईं। लॉन्चिंग पैड से निकलकर सभी आतंकी पाकिस्तानी सेना की पोस्ट पर पहुंचे।
पोस्ट पर तैनात जवानों ने आतंकियों का मकसद जानने के बाद उन्हें आगे जाने दिया। 2 रात पैदल चलने के बाद रहमानी का ग्रुप गुरेज सेक्टर पहुंचा। गुरेज पहुंचने के बाद गाइड और पोर्टर वापस लौट गए। यहां से 5 रात चलने के बाद सभी आतंकी लुंडी टॉप पहुंचे जो भारत स्थित बंदीपुर के क़रीब है। रहमानी की किस्मत खराब निकली और बांदीपुरा के चबूतरा एरिया में भारतीय सेना ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। साफ है आतंकी घुसपैठ के लिहाज से लॉन्चिंग पैड बेहद अहम है। भारतीय फौज भी ये बात जानती है। इसलिए जब उरी का बदला लेने की योजना बनी तो इन्हीं लॉन्चिंग पैड को टार्गेट चुना गया और तबाह कर दिया गया।

पीओके में , आंतकी कैंपों के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन !

$
0
0





नरक बनी पीओके में रह रहे लोगों की जिंदगी, 

आंतकी कैंपों के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन


http://www.prabhatkhabar.com
श्रीनगर: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लोगों की जिंदगी नरक बन गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां चल रहे आतंकी कैंपों के कारण लोग परेशान हैं और आंतकी कैंपों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. मुजफ्फरबाद, कोटली, चिनारी, मीरपुर, गिलगित और नीलम घाटी  (पीओके) के लोगों का कहना है कि आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों ने उनकी जिंदगी नरक बना दी है. आपको बता दें ये वह इलाके हैं जहां आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है जिसके बाद उन्हें भारतीय सीमा में घुसपैठ कराया जाता है. इन कैंपों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और सेना का भी साथ मिलता है.

आपको बता दें कि हाल ही में हुए उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया जिसमें सेना ने वहां मौजूद 7 आतंकी कैपों का नष्‍ट कर दिया और करीब 38 आतंकियों को मार गिराया. इस संबंध में कल एक अंग्रेजी अखबार ने खबर छापी जिसमें भारतीय सेना के इस ऑपरेशन के संबंध में जानकारी दी गई.

अखबार ने सीमापार के चश्मदीदों से बात करके खुलासा किया कि स्थानीय लोगों ने अल-हवाई पुल के नजदीक गोलियों की तेज आवाज सुनी थी, लेकिन रात होने की वजह से कोई देखने के लिए बाहर नहीं आया. यह आवाज 84 एमएम कार्ल गुस्ताव राइफल की थी. दूसरे दिन लश्कर के लोगों से उन्हें पता चला कि उनपर हमला हुआ था. चश्मदीदों ने बताया कि पांच या छह शवों को सुबह ट्रक में भरकर ले जाया गया था.

अखबार ने बताया कि एलओसी के इस पार (भारत में) रहने वाले कुछ लोगों के रिश्तेदार उस पार भी रहते हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने एलओसी के इस पार रहने वालों की मदद से उस पार के रिश्तेदारों से संपर्क किया और पांच चश्मदीदों को खोज कर उन्हें चैटिंग के जरिये सवाल भेजे. एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक कथनार स्ट्रीम के नजदीक बने सेना के कैंप के नजदीक हुआ, जो नीलम नदी में मिलती है. इस इलाके में सेना के प्रतिष्ठान भी हैं और उन्हें तोप के गोलों से बचाने की व्यवस्था भी की गयी है.

पाकिस्तान में इन दिनों आंतरिक भय व्याप्त - अरविन्द सिसोदिया

$
0
0


  पाकिस्तान में इन दिनों आंतरिक भय व्याप्त हे , क्योंकि भारत से युद्ध हुआ तो पता नहीं क्या हो ! क्योंकि पाकिस्तानी की जनता खुश नही हे, वह पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ हे ! सरकारी कर्मचारी जनता को दुःख देते हैं । बेरोजगारी और भुखमरी वहां की बडी समस्या है। उसे डर है कहीं प्रान्तों में विद्रोह न हो जाये !! वह भारत से युद्ध से कहीं ज्यादा आंतरिक विद्रोह को लेकर परेशांन है ! बलूचिस्तान की समस्या कम नहीं है , सिंध की समस्या भी बड़ी हे , एक बार विद्रोह भडका तो न पाकिस्तानी सरकार के काबू में आयेगा न सेना के ।। पहले भी पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह के कारण पाकिस्तान के टुकड़े हुए और बंगलादेश बना ! फिर युद्ध हुआ तो बलूच हाथ से निकलना तय हे । हलांकी युद्ध हुआ तो चीन बहुत अधिक सहायता पाक की नहीं कर सकता क्यों कि चीन के आते ही विश्व युद्ध छिड़ जायेगा , पूरे विश्व के बम चीन पर गिरेंगे। यह चीन भी जानता है। किन्तु भारत को युद्ध के लिए तैयार रहना होगा ।
- अरविन्द सिसोदिया , कोटा , राजस्थान  9509559131





                            पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ 


http://aajtak.intoday.in


पाकिस्तान: सरकार ने सेना से कहा- आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करो या अलग-थलग होने के लिए तैयार रहो


 aajtak.in [Edited By: रोहित गुप्ता] नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2016

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव इतना बढ़ गया है कि नवाज शरीफ सरकार ने अपनी सेना को दो टूक कह दिया है, 'आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करो या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने के लिए तैयार रहो.

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, इसी को लेकर सोमवार को एक मीटिंग हुई, जिसमें दो मुद्दों पर सहमति बनी. पहला तो ये कि आईएसआई के डीजी जनरल रिजवान अख्तर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ सभी चार प्रांतों में प्रॉविनेंस एपेक्स कमेटियों और आईएसआई सेक्टर कमांडरों के लिए संदेश लेकर जाएंगे.

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में दखल न देने का निर्देश
आईएसआई को ये मैसेज दिया जाएगा कि अगर कानूनी एजेंसियां आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी तो सेना की इंटेलीजेंस एजेंसियां इसमें कोई दखल नहीं देंगी. जनरल अख्तर इसी संदेश को लेकर लाहौर पहुंच चुके हैं और इसके बाद वे दूसरे प्रांतों में जाएंगे.

पठानकोट हमले की जांच पूरी करने की कोशिश करेगा पाक
दूसरे फैसले के तहत प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये निर्देश दिया कि पठानकोट मामले की जांच पूरी करने के लिए फिर से प्रयास किया जाएगा और रावलपिंडी एंटी-टेररिज्म कोर्ट में मुंबई हमले से जुड़े सभी ट्रायल को दोबारा शुरू कराया जाएगा.

पाकिस्तान में इन दिनों आंतरिक भय व्याप्त - अरविन्द सिसोदिया

$
0
0


  पाकिस्तान में इन दिनों आंतरिक भय व्याप्त हे , क्योंकि भारत से युद्ध हुआ तो पता नहीं क्या हो ! क्योंकि पाकिस्तानी की जनता खुश नही हे, वह पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ हे ! सरकारी कर्मचारी जनता को दुःख देते हैं । बेरोजगारी और भुखमरी वहां की बडी समस्या है। उसे डर है कहीं प्रान्तों में विद्रोह न हो जाये !! वह भारत से युद्ध से कहीं ज्यादा आंतरिक विद्रोह को लेकर परेशांन है ! बलूचिस्तान की समस्या कम नहीं है , सिंध की समस्या भी बड़ी हे , एक बार विद्रोह भडका तो न पाकिस्तानी सरकार के काबू में आयेगा न सेना के ।। पहले भी पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह के कारण पाकिस्तान के टुकड़े हुए और बंगलादेश बना ! फिर युद्ध हुआ तो बलूच हाथ से निकलना तय हे । हलांकी युद्ध हुआ तो चीन बहुत अधिक सहायता पाक की नहीं कर सकता क्यों कि चीन के आते ही विश्व युद्ध छिड़ जायेगा , पूरे विश्व के बम चीन पर गिरेंगे। यह चीन भी जानता है। किन्तु भारत को युद्ध के लिए तैयार रहना होगा ।
- अरविन्द सिसोदिया , कोटा , राजस्थान  9509559131





                            पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ 


http://aajtak.intoday.in


पाकिस्तान: सरकार ने सेना से कहा- आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करो या अलग-थलग होने के लिए तैयार रहो


 aajtak.in [Edited By: रोहित गुप्ता] नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2016

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव इतना बढ़ गया है कि नवाज शरीफ सरकार ने अपनी सेना को दो टूक कह दिया है, 'आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करो या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने के लिए तैयार रहो.

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, इसी को लेकर सोमवार को एक मीटिंग हुई, जिसमें दो मुद्दों पर सहमति बनी. पहला तो ये कि आईएसआई के डीजी जनरल रिजवान अख्तर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ सभी चार प्रांतों में प्रॉविनेंस एपेक्स कमेटियों और आईएसआई सेक्टर कमांडरों के लिए संदेश लेकर जाएंगे.

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में दखल न देने का निर्देश
आईएसआई को ये मैसेज दिया जाएगा कि अगर कानूनी एजेंसियां आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी तो सेना की इंटेलीजेंस एजेंसियां इसमें कोई दखल नहीं देंगी. जनरल अख्तर इसी संदेश को लेकर लाहौर पहुंच चुके हैं और इसके बाद वे दूसरे प्रांतों में जाएंगे.

पठानकोट हमले की जांच पूरी करने की कोशिश करेगा पाक
दूसरे फैसले के तहत प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये निर्देश दिया कि पठानकोट मामले की जांच पूरी करने के लिए फिर से प्रयास किया जाएगा और रावलपिंडी एंटी-टेररिज्म कोर्ट में मुंबई हमले से जुड़े सभी ट्रायल को दोबारा शुरू कराया जाएगा.

राष्ट्र रक्षा यज्ञ : मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी : तनोट राय माता मंदिर

$
0
0



http://hindi.pradesh18.com
 मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी आज तनोट माता के दर्शन एवं पूजा अर्चना करेंगीं
जैसलमेर /  कलेक्टर मातादीन शर्मा ने बताया कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को जैसलमेर रही है। प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर द्वारा गुरुवार को दोपहर 4 बजे जैसलमेर एयरपोर्ट पहुंचने के तुरंत बाद हेलीकॉप्टर से ही रवाना होकर 4ः45 बजे तनोट पहुंचेगी। यहां तनोट माता के दर्शन पूजा अर्चना कर स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेगी। उनका रात्रि विश्राम तनोट में रहेगा। मुख्यमंत्री राजे 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजे हेलीकॉप्टर से जैसलमेर पहुंचेगी। सुबह 10 बजे बार्डर स्टेटस की मीटिंग में भाग लेने के बाद शाम 4 बजे हेलीकॉप्टर द्वारा जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगी। 

राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी  गुरुवार को भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप स्थित तनोट माता मंदिर में राष्ट्र रक्षा यज्ञ में आहूति देंगी. जैसलमेर के थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास स्थित तनोट राय माता मंदिर में आयोजित होने वाले इस यज्ञ में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे. यह राष्ट्र रक्षा यज्ञ राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से किया जा रहा है. इसी यज्ञ की तैयारी के लिए बुधवार को ही अकादमी निदेशक राजेंद्र तिवाड़ी जैसलमेर के लिए रवाना होने वाले हैं. 

कहा जाता है कि जैसलमेर में भारत-पाकिस्‍तान सीमा के पास स्थित तनोट राय माता मंदिर में 1965 और 1971 की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान द्वारा कई बार बम फेंके गए लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी. आज भी मंदिर के संग्रहालय में पाकिस्तान द्वारा दागे गए जीवित बम रखे हुए हैं. इसी के साथ सिद्ध तनोट राय माता मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबो गरीब यादें जुड़ी हुई हैं.

भारत-पाक की अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 15 किलोमीटर पर स्थित चमत्कारी तनोट माता का मंदिर अद्भुत विश्‍वास एवं वीरता का प्रतीक है. 1965 कि लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 से अधिक बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं लगा सके. जबकि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं. और भारतीय सेना की वीरता एवं शौर्य के आगे दुश्मनों ने भी पांव पीछे खींच लिए.

कब्जा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर जबरदस्त हमले किए लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. अब तक गुमनाम रहा यह स्थान युद्ध के बाद प्रसिद्ध हो गया. ज्ञात हो कि पाकिस्‍तान सेना 4 किमी. अंदर तक भारतीय सीमा में घुस आई थी. लेकिन भारतीय सेना ने जवाबी हमले में पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया और वह पीछे लौट गई.




माता का मन्दिर जो अब तक सुरक्षा बलों का कवच बना रहा, युद्ध समाप्‍त होने पर सुरक्षा बल इसका कवच बन गए. मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया. आज यहां का सारा प्रबन्ध सीमा सुरक्षा बल के हाथों में है. मन्दिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं. पुजारी भी सैनिक ही हैं. यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है

तनोट माता मंदिर में भक्ति अराधना में लीन सेना के जवान.

तनोट माता मंदिर में स्थित विजय स्थम्भ.

विजयादशमी : परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी का पूर्ण संबोधन

$
0
0






रेशिमबाग नागपुर में विजयादशमी उत्सव पर परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी का पूर्ण संबोधन


October 11, 2016
आदरणीय प्रमुख अतिथि महोदय, निमंत्रित विशिष्ट अतिथिगण, नागरिक सज्जन माता भगिनी, माननीय संघचालक गण एवं आत्मीय स्वयंसेवक बंधु,

अपने पवित्र संघकार्य के 90 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् युगाब्द 5118 अर्थात् ई. स. 2016 का यह विजयादशमी उत्सव एक वैशिष्ट्यपूर्ण कालखण्ड में संपन्न हो रहा है. स्व. पंडीत दीनदयाल जी उपाध्याय की जन्मशती के संबंध में पिछले वर्ष ही मैंने उल्लेख किया था. वह 100वाँ वर्ष पूरा होने के बाद इस वर्ष भी उनके जन्मशती के कार्यक्रम चलने वाले है. यह वर्ष अपने इतिहास के कुछ और ऐसे महापुरुषों के पुनःस्मरण का वर्ष है, जिनके जीवन संदेश के अनुसरण की आवश्यकता आज की परिस्थिति में हम सबको प्रतीत होती है.

यह वर्ष आचार्यश्री अभिनवगुप्त की सहस्राब्दी का वर्ष है. वे शैवदर्शन के मूर्धन्य आचार्य तथा साक्षात्कार प्राप्त संत थे. ‘‘प्रत्यभिज्ञा’’ संज्ञक दार्शनिक संकल्पना के प्रवर्तन के साथ-साथ उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के अविष्कार से काव्य, नाट्य, संगीत, भाषा, ध्वनिशास्त्र आदि लौकिक जीवन के पहलुओं में अत्यन्त समर्थ, प्रमाणभूत व शाश्वत परिणाम करने वाले हस्तक्षेप किये है. ‘ध्वनि’ के विषय में उनकी तात्विक विवेचना, परमतत्व की अनुभूति तक ले जाने की ‘ध्वनि’ शक्ति का विवेचन तो मात्र दर्शनशास्त्री ही नहीं, आधुनिक संगणक वैज्ञानिकों के भी गहन अध्ययन का विषय बना है. परन्तु उनकी जीवन तपस्या का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने देश की विविधता में एकता का दर्शन कराने वाली सनातन संस्कृति धारा को कश्मीर की भूमि से पुनःप्रवर्तित करना. स्वयं शैव दर्शनधारा के उपासक होते हुए भी उन्होंने मत संप्रदायों का भेद न करते हुए, सभी का आदरपूर्वक अध्ययन करते हुए सभी से ज्ञान प्राप्त किया. प्रेम व भक्तिपूर्ण समन्वय की दृष्टि तथा पवित्र आचरण का सन्देश स्वयं के जीवन तथा उपदेशों से देकर वे कश्मीर में बडगाँव के पास बीरवा की भैरव गुफा में शिवत्व में लीन हो गये.

दक्षिण के प्रसिद्ध संत ‘श्रीभाष्य’कार श्री रामानुजाचार्य की भी यह सहस्राब्दि है. दक्षिण से दिल्ली तक पदयात्रा कर सुल्तान के दरबार से अपने आराध्य की उत्सवमूर्ति वे निकालकर ले आये तथा मूर्ति की भक्त बनी सुल्तान कन्या को भी मेलकोटे के मन्दिर में स्थान दिया. जातिपंथ के भेदभावों का पूर्ण निषेध करते हुए समाज में सभी के लिए भक्ति व ज्ञान के द्वार खोल दिये. सामाजिक समता को प्रतिष्ठित करते हुए जीवन में धर्म के संपूर्ण व निर्दोष आचरण के द्वारा संपूर्ण देश में समता व बंधुता का अलख जगाया.

देश, समाज व धर्म की रक्षा हेतु ‘‘मीरी व पीरी’’ का दोधारी बाना अपनाते हुए स्वाभिमान की रक्षा व पाखंड का ध्वंस करने वाले दशमेश श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के जन्म का 350वाँ वर्ष मनाने जा रहा है. देश धर्म के हित में सर्वस्व समर्पण व सतत संघर्ष का उनका तेजस्वी आदर्श स्मरण करते हुए स्वामी विवेकानन्द जी ने भी लाहौर के उनके प्रसिद्ध भाषण में हिन्दू युवकों को उस आदर्श का अनुसरण करने का परामर्श दिया था.

यह वर्ष प्रज्ञाचक्षु श्री गुलाबराव महाराज का भी जन्मशती वर्ष है. संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज की स्वयं को ‘कन्या’ कहते हुए, परिश्रमपूर्वक स्वदेश तथा विदेश के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक ग्रंथों का व्यासंगपूर्ण अध्ययन उन्होंने किया. ब्रिटिश दासता के घोर आत्महीनता के कालखंड में अकाट्य तर्कों सहित हमारे शास्त्रों के परंपरागत तथा पश्चिम के अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रमाणों के द्वारा बौद्धिक जगत में व भारतीय मनों में स्वधर्म, स्वदेश व स्वसंस्कृति की श्रेष्ठता का गौरव व आत्मविश्वास स्थापित किया. भविष्य में विज्ञान की प्रगति, मानवीयता व सार्थकता तथा विश्वभर के सभी पंथ-संप्रदायों के समन्वय का आधार हमारी श्रेष्ठ आध्यात्मिक संस्कृति ही हो सकती है, यह उनकी अति विशाल ग्रन्थ सम्पदा का स्पष्ट संदेश है.

वर्ष भर में जो परिस्थिति व घटनाक्रम हम अनुभव करते आ रहे हैं उसका अगर बारीकी से अध्ययन व चिन्तन करें तो इन चारों महापुरुषों के संदेशों के अनुसरण का महत्व ध्यान में आता है.

यह स्पष्ट है कि यद्यपि गति बढ़ाने की गुंजाईश है व और कई बातों का होना अपेक्षित है, गत दो वर्षों में देश में व्याप्त निराशा दूर करने वाली, विश्वास बढ़ाने वाली व विकास के पथ पर देश को अग्रसर करने वाली नीतियों के कारण कुल मिलाकर देश आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. यह भी स्पष्ट है – व हमने अपनायी हुई प्रजातांत्रिक प्रणाली में कुछ अपेक्षित भी है – कि जो दल सत्ता से वंचित रहते हैं वे विरोधी दल बनकर शासन प्रशासन की कमियों को ही अधो-रेखांकित कर अपने दल के प्रभाव को बढ़ाने वाली राजनीति कर रहे हैं, करेंगे. इसी मंथन में से देश के प्रगतिपथ की सहमति व उसके लिये चलने वाली नीतियों की समीक्षा, सुधार व सजग निगरानी होते रहना प्रजातंत्र में अपेक्षित रहता है. परंतु जो चित्र पिछले सालभर में दिख रहा है, उसमें कुछ चिंताजनक प्रवृत्तियों के खेल खेले जाते हुए स्पष्ट दिखते हैं. देश की स्थिति व विश्व परिदृश्य की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले सभी को यह पता है कि भारत का समर्थ, एकात्म, आत्मनिर्भर व नेतृत्वक्षम होकर उभरना फूटी आँखों न सुहाने वाली कुछ कट्टरपंथी, अतिवादी, विभेदकारी व स्वार्थी शक्तियाँ दुनिया में हैं व भारत में भी अपना जाल बिछाए काम कर रही हैं. भारत के समाज-जीवन से अभी तक पूर्णतः निर्मूल न हो पायी विषमता, भेद व संकुचित स्वार्थ प्रवृत्तियों के चलते यदाकदा घटने वाली घटनाओं का लाभ लेकर, अथवा घटना घटे इसके लिये कतिपय लोगों को उकसाते हुए अथवा अघटित घटनाओं के घटने का असत्य प्रचार करते हुए विश्व में भारतवासी तथा भारत का शासन प्रशासन तथा भारत में ऐसी दुष्प्रवृत्तियों को रोक सकने वाले संघ सहित सज्जन शक्ति को विवादों में खींचकर बदनाम करने का व लोकमानस को उनके बारे में भ्रमित करने का प्रयास चलता हुआ दिखाई देता है. जैसी उनकी आकांक्षाएँ व चरित्र रहा है, यह प्रयास, आपस में भी टकराने वाली यह शक्तियाँ अलग-अलग अथवा समान स्वार्थ के लिये गोलबंद होकर करेंगी हीं. उनके भ्रमजाल तथा छल कपट के चंगुल में फँसकर समाज में विभेद व वैमनस्य का वातावरण न बने इसके प्रयास करने पड़ेंगे.

संघ के स्वयंसेवक इस दिशा में अपने प्रयासों की गति बढ़ा रहे हैं. अनेक प्रांतों में इस दृष्टि से सामाजिक समता की सद्यःस्थिति का सर्वेक्षण किया जा रहा है तथा उपाय के लिये समाज-मन की अनुकूलता बनाने की बातचीत शाखाओं के द्वारा अपने-अपने गाँव-मुहल्ले में प्रारंभ कर दी गयी है. उदाहरण के लिये संघ की दृष्टि से मध्यभारत प्रान्त माने गये क्षेत्र के 9000 गाँवों का विस्तारपूर्वक सर्वेक्षण पूरा हुआ, जिसमें अभी तक लगभग 40 प्रतिशत गांवों में मंदिर, 30 प्रतिशत में पानी व 35 प्रतिशत गांवों में शमशान को लेकर भेदभाव का व्यवहार होता है, यह बात सामने आयी हैं. उनके उपाय के लिये प्रयास भी प्रारम्भ हुए है. अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिये बने संवैधानिक प्रावधानों का, उनके लिये आवंटित धनराशि का विनियोग व निर्वाह प्रामाणिकता व तत्परता के साथ शासन व प्रशासन के द्वारा हो इसलिये भी संघ के स्वयंसेवकों ने सहायता का कार्य प्रारम्भ कर दिया है. अपनी जितनी शक्ति, जानकारी व पहुँच है, उतना सामाजिक समता की दिशा में संघ के स्वयंसेवकों का यह प्रयास होगा ही. परंतु समाज हितैषी सभी व्यक्तियों व शक्तियों को अधिक सक्रिय होकर इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है. छोटी मोटी घटना से उत्तेजित होकर अथवा अपनी श्रेष्ठता के अहंकार में अपने ही निरपराध बंधुओं को अपमान व प्रताड़ना सहन करनी पड़े, यह 21वीं सदी के भारतीय समाज के लिये लज्जाजनक कलंक है ही, कतिपय छिद्रान्वेषी शक्तियां इसी का लाभ लेकर भारत को बदनाम करने की गतिविधियाँ चलाती हैं तथा समाज में चलने वाले अच्छे उपक्रमों की गति अवरुद्ध करने का प्रयास करती हैं.

14690953_1708774862777165_9215344321387944934_nदेशी गाय जो अपने देश के पशुधन का बडा हिस्सा है, का रक्षण, संवर्धन व विकास यह संविधान के मार्गदर्शक तत्वों में निर्दिष्ट, भारतीय समाज की आस्था व परंपरा के अनुसार पवित्र कार्य है. केवल संघ के स्वयंसेवक ही नहीं, देशभर में अनेक संत, सज्जन, संविधान कानून की मर्यादा का पूर्ण पालन करते हुए जीवन तपस्या के रूप में इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं. आधुनिक विज्ञान के प्रमाण देशी गाय की उपयुक्तता व श्रेष्ठता को सिद्ध कर चुके हैं. अनेक राज्यों में गोहत्या प्रतिबंधक कानून तथा पशुओं के प्रति क्रूरता प्रतिबंधक कानून बने हैं. उनका ठीक से अमल हो, इसके लिये भी कभी-कभी व कहीं-कहीं गौसेवकों को अभियान करना पड़ता है. गौहत्या की घटनाओं का आधार लेकर अथवा कपोलकल्पित घटनाओं की अफवाह को उछालते हुए अपना व्यक्तिगत अथवा राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करना, समाज में बिना कारण कलह खड़ा करना, अथवा केवल गौसेवा के पवित्र कार्य को ही लांछित व उपहासित करने के लिये कौभांड रचने वाले अवांच्छित तत्वों से उनकी तुलना नहीं हो सकती. गौसेवकों की तपस्या तो चलती, बढ़ती रहेगी. अपना हर कार्य कानून सुव्यवस्था की मर्यादा में ही हो यह स्वतंत्र देश के प्रजातंत्र का अनुशासन सभी सज्जन भावनाओं को भड़काने के प्रयासों के बावजूद पालन कर रहे हैं, करते रहेंगे. गोहत्या प्रतिबंधन कानूनों का अमल कड़ाई से हो व कानून सुव्यवस्था का पालन भी कड़ाई से हो यह देखते समय प्रशासन, सज्जन व दुर्जनों को एक ही तराजू में न तोले यह आवश्यक है. ऐसी घटनाओं में राजनीतिक लाभ की आशा से राजनैतिक व्यक्ति जो भी पक्ष लें, अपनी करनी से समाज में पड़ी दरारें चौड़ी न हों, विद्वेष का शमन हो ऐसा उनका मन, वचन, कर्म रहे, यह समाज की अपेक्षा है. माध्यमों में भी कुछ वर्ग अपने व्यापारिक लाभ की आशा से ऐसी घटनाओं के वृत्तकथन को वास्तविकता से अधिक भड़काऊ रंग में प्रस्तुत करता दिखाई देता है, इस मोह से उनको बचना चाहिये. सभी को यह ध्यान में रखना चाहिये कि समाज में स्वतंत्रता व समता का अवतरण व दृढ़ीकरण, समाज में बंधुभाव की व्याप्ति व दृढ़ता पर निर्भर रहता है. देश के सामने मुँह बाये खड़ी चुनौतियों का सामना उसी के बल पर देश कर सकेगा. श्री अभिनवगुप्त व श्रीरामानुज जैसे द्रष्टा महापुरुषों ने आगे बढ़ायी इस सद्भाव की परंपरा को और भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता इसलिये भी है कि देश की सुरक्षा, एकात्मता, संप्रभुता व अखण्डता पर अभी भी खतरों के बादल मंडरा रहे हैं.

समूचे जम्मू-कश्मीर राज्य की सद्यःस्थिति इस दृष्टि से हमारी चिंताएँ और बढ़ाती है. इस संबंध में अब तक चलती आयी सफल अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक गतिविधियाँ तथा शासन व संसद के द्वारा बारबार व्यक्त किये दृढ़तापूर्ण संकल्प स्वागतार्ह हैं, परंतु उस सही नीति का तत्पर व दृढ़तापूर्ण क्रियान्वयन हो यह भी आवश्यक है. जम्मू-लद्दाख सहित कश्मीर घाटी का बड़ा क्षेत्र अभी भी कम उपद्रवग्रस्त व अधिक नियंत्रण में है. वहाँ पर राष्ट्रीय प्रवृत्तियाँ व शक्तियों का बल बढ़े, पक्का हो व स्थापित हो, ऐसी शीघ्रता करनी चाहिये. उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में उपद्रव उत्पन्न करने वाले स्थानीय व परकीय तत्वों का कड़ाई से व शीघ्र नियंत्रण हो इसलिये राज्य शासन व केन्द्र शासन अपने अपने प्रशासन सहित एकमत व एकनीति बनाकर दृढ़ता व तत्परता दिखाए, इसकी आवश्यकता है. मीरपुर, मुजफ्फराबाद, गिलगिट, बाल्टिस्तान सहित संपूर्ण कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है, यह दृढ़ भूमिका बनी रहनी चाहिये. वहाँ से विस्थापित हुए बंधु और कश्मीर घाटी से विस्थापित पंडित हिंदू, सम्मान, सुरक्षा तथा योगक्षेम की स्थिरता के प्रति निश्चिंत होकर यथापूर्व पुनःस्थापित हो जायें, यह कार्य शीघ्रता से आगे बढ़ाना होगा. विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर राज्य में तत्कालीन राज्य शासन द्वारा पाकिस्तान में गये भूभाग से विस्थापित होकर आये हिंदुओं को आश्वस्त करते हुए राज्य में ही बसने को कहा था, उनको राज्य में भी नागरिकता के सभी अधिकार प्राप्त करा देने होंगे. अब तक राज्य प्रशासन के द्वारा जम्मू व लद्दाख के साथ होने वाला भेदभाव तुरंत ही समाप्त होना चाहिये. जम्मू व कश्मीर में राज्य का प्रशासन राष्ट्रभाव से, स्वच्छ, तत्पर, समदृष्टि व पारदर्शी होकर चले तभी राज्य की जनता को विजय तथा विश्वास की एकसाथ अनुभूति मिलेगी व घाटी की जनता के सात्मीकरण की प्रक्रिया आगे बढे़गी.

कश्मीर घाटी में चलने वाले उपद्रवों के पीछे सीमा पार से ऐसे उपद्रवों को उकसाने, हवा देने के लिये सतत चलने वाली कुचेष्टा यह एक बड़ा कारण है, यह बात सारा विश्व अब जानता है. विश्व के अन्यान्य देशों में अपना केन्द्र बनाकर सीमा प्रदेशों में अलगाव, हिंसा, आतंक व नशीली दवाओं की तस्करी जैसी समाज के स्वास्थ्य व बल को नष्ट करने वाली गतिविधियाँ चलाने वाले छोटे बड़े समूहों का भी इनके साथ गठबंधन बनता चला जा रहा है, यह जानकारियाँ भी मिलती रहती हैं. ऐसी अवस्था में हमारे सामरिक बल की नित्यसिद्धता, सेना दल, रक्षक बल तथा सूचना तंत्रों में समन्वय व सहयोग का प्रमाण व नित्य सजगता में क्षणभर की ढिलाई महंगी पड़ सकती है, यह उरी के सैनिक शिविर पर हुए हमले की घटना ने फिर एक बार अधोरेखित किया है. इस हमले का ठीक उत्तर बहुत दृढ़तापूर्वक तथा कुशलतापूर्वक अपने शासन के नेतृत्व ने हमारे वीर जवानों द्वारा दिया गया, इसलिये शासन व सभी सेना दलों का हार्दिक अभिनंदन! परंतु हमारी यह दृढ़ता तथा राजनयिक व सामरिक कुशलता हमारी नीति में स्थायी हो यह आवश्यक है. समूचे सागरी व भूसीमा प्रदेशों में इस दृष्टि से कड़ी निगरानी रखते हुए शासन, प्रशासन व समाज के परस्पर सहयोग से अवांच्छित गतिविधियों को तथा उनके पीछे काम करने वाली कुप्रवृत्तियों को जड़मूल से समाप्त करना आवश्यक हो गया है.

राज्यों की शासन व्यवस्थाओं का भी इसमें पूर्ण सहयोग आवश्यक रहता है. देश की व्यवस्था के नाते हमने अपने संविधान में संघराज्यीय कार्यप्रणाली को स्वीकार किया है. ससम्मान व प्रामाणिकता पूर्वक उसका निर्वाह करते समय हम सभी को, विशेषकर विभिन्न दलों द्वारा राजनीतिक नेतृत्व करने वालों को यह निरन्तर स्मरण रखना पडे़गा कि व्यवस्था कोई व कैसी भी हो, संपूर्ण भारत युगों से अपने जन की सभी विविधताओं सहित एक जन, एक देश, एक राष्ट्र रहा है, तथा आगे उसको वैसे ही रहना है, रखना है. मन, वचन, कर्म से हमारा व्यवहार उस एकता को पुष्ट करने वाला होना चाहिये, न कि दुर्बल करने वाला. समाज जीवन के विभिन्न अंगों में नेतृत्व करने वाले सभी को इस दायित्वबोध का परिचय देते चलने का अनुशासन दिखाना ही पड़ेगा. साथ-साथ समाज को भी ऐसे ही दायित्वपूर्ण व्यवहार को सिखाने वाली व्यवस्थाएँ बनानी पड़ेंगी.

अनेक वर्षों से देश की शिक्षा व्यवस्था – जिससे देश व समाज के साथ एकात्म, सक्षम व दायित्ववान मनुष्यों का निर्माण होना चाहिये – पर चली चर्चा, इस परिप्रेक्ष्य में ही अत्यंत महत्वपूर्ण है. उस चर्चा के निष्कर्ष के रूप में एक सामान्य सहमति भी उभरकर आती हुई दिखाई देती है कि शिक्षा सर्वसामान्य व्यक्तियों की पहुँच में सुलभ, सस्ती रहे. शिक्षित व्यक्ति रोजगार योग्य हों, स्वावलंबी, स्वाभिमानी बन सकें व जीवनयापन के संबंध में उनके मन में आत्मविश्वास हो. वह ज्ञानी बनने, सुविद्य बनने के साथ-साथ दायित्वबोधयुक्त समंजस नागरिक तथा मूल्यों का निर्वहन करने वाला अच्छा मनुष्य बने. शिक्षा की व्यवस्था इस उद्देश्य को साकार करने वाली हो. पाठ्यक्रम इन्हीं बातों की शिक्षा देने वाला हो. शिक्षकों का प्रशिक्षण व योगक्षेम की चिन्ता इस प्रकार हो कि विद्यादान के इस व्रत को निभाने के लिये वे योग्य व समर्थ हों. शासन व समाज दोनों का सहभाग शिक्षा क्षेत्र में हो तथा दोनों मिलकर शिक्षा का व्यापारीकरण न होने दें. नयी सरकार आने के बाद इस दिशा में एक समिति बनाकर प्रयास किया गया, उसका प्रतिवेदन भी आ गया है. शिक्षा क्षेत्र के उपरोक्त दिशा में कार्य करने वाले बंधु तथा शिक्षाविदों की राय में उस प्रतिवेदन की संस्तुतियाँ इस दिशा में शिक्षा पद्धति को रूपांतरित करेंगी कि नहीं यह देखना पडेगा. दिशागत परिवर्तन के लिये उपयुक्त ढाँचा बनाने की रूपरेखा तभी प्राप्त होगी, अन्यथा उपरोक्त सहमति प्रतीक्षा की अवस्था में ही रहेगी.

परंतु नई पीढ़ी के शिक्षित होने के स्थानों में विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विद्यापीठों के साथ-साथ कुटुंब व पर्व उत्सवों से लेकर समाज की सभी गतिविधियाँ व उपक्रमों से निर्माण होने वाला वातावरण भी है. अपने कुटुंब में नई व पुरानी पीढ़ी का आत्मीय संवाद होता है क्या? उस संवाद में से उनमें शनैः-शनैः समाज के प्रति दायित्वबोध, व्यक्तिगत व राष्ट्रीय चारित्र्य के सद्गुण, मूल्यश्रद्धा, श्रमश्रद्धा, आत्मीयता तथा बुराइयों के आकर्षण से दूर रहने की प्रवृत्ति का निर्माण होता है क्या? वे ऐसे बनें इसलिये घर के बड़ों का व्यवहार उदाहरण बनता है क्या? इन प्रश्नों के उत्तर अपने-अपने कुटुंब के लिये हम ही को देने होंगे. घर से उचित स्वभाव, लक्ष्य तथा प्रवृत्ति प्राप्त हो तो ही शिक्षा प्राप्ति का परिश्रम तथा उसके उचित उपयोग का विवेक बालक दिखाता है, यह भी हम सभी का अनुभव है. कुटुंब में यह संवाद प्रारम्भ हो व चलता रहे यह प्रयास अनेक संत सज्जन तथा संगठन कर रहे हैं. संघ के स्वयंसेवकों में भी एक गतिविधि कुटुंब प्रबोधन के ही कार्य को लेकर चली है, बढ़ रही है. किसी के माध्यम से हमारे पास यह कार्य पहुँचे, इसकी प्रतीक्षा किये बिना हम इसे अपने घर से प्रारम्भ कर ही सकते हैं.

समाज में चलने वाले अनेक उपक्रम, पर्व त्यौहार, अभियान इत्यादि का प्रारंभ समाज प्रबोधन व संस्कार की शाश्वत आवश्यकता को ध्यान में लेकर हुआ. उस प्रयोजन का विस्मरण हुआ तो उत्सव तो चलते रहता है, परंतु उसका रूप बदलकर कभी कभी भद्दा, निरर्थक बन सकता है. प्रयोजन ध्यान में लेकर इन पर्वों के सामाजिक स्तर पर आयोजन का काल सुसंगत रूप गढ़ना चाहिये तो आज भी वह समाज प्रबोधन का अच्छा साधन बन सकते हैं. महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश मंडलियों के द्वारा अनेक स्थानों पर अच्छे प्रयोग किये हैं. वर्ष प्रतिपदा पर नव वर्ष मनाने की अनेक उपयुक्त कल्पनाएँ सामने आयी हैं. समाज से ऐसे कल्पक सुधारित उपक्रमों का प्रोत्साहन, सहयोग तथा अनुकरण होने की आवश्यकता है. शासकीय तथा अशासकीय दोनों प्रकार की पहल होकर कुछ नये प्रयास चले है, उनमें भी समाज का उत्साह बना रहे, बढ़ता रहे, इसका ध्यान निरन्तर सभी समाज हितैषी बंधु व स्वयंसेवकों को रखना पड़ेगा. वृक्षारोपण, स्वच्छ भारत अभियान, योग दिवस आदि इन उपक्रमों का महत्व समाज में सामूहिकता, समाज में स्वावलंबन, सामाजिक संवेदना आदि अनेक गुणों के निर्माण की दृष्टि से ध्यान में आ सकता है. इसी बात को मन में लेकर संघ के स्वयंसेवक भी इन उपक्रमों में, उत्सवों में समाज के साथ सहभागी होकर उनको अधिक सुव्यवस्थित, सुंदर व प्रभावी बनाने में समाज का सहयोग कर रहे हैं, करेंगे. समाज की स्वाभाविक संगठित अवस्था ही देश व विश्व में सुव्यवस्था, एकात्मता, शांति व प्रगति का मूल व मुख्य कारण बनती है, इस सत्य के आधार पर ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 90 वर्षों से निरंतर कार्य करते हुए आगे बढ़ रहा है.

परंपरा से ही हमारा समाज कई विविधताओं को साथ लेकर चला है. संपूर्ण सृष्टि के विविधरंगी दृश्य के पीछे, उन सभी विविधताओं के अस्तित्व में ओतप्रोत जो सनातन व शाश्वत एकत्व है, उसका साक्षात् बोध हमारे मनीषियों को हुआ. इसी बोध का प्रबोधन संपूर्ण जगत को कराने का साधन इस नाते उनके दुर्धर तप से हमारा राष्ट्र उत्पन्न हुआ और अब तक इसी प्रबोधन का सफल साधन बनने के लिये उसकी जीवन यात्रा चल रही है. सृष्टि के अस्तित्व तक इस प्रबोधन की आवश्यकता बनी रहेगी, उस आवश्यकता को पूर्ण करने वाला यह राष्ट्र भी बना रहेगा. हमारे राष्ट्र को इसलिये अमर राष्ट्र कहा जाता है. जड़ता, कलह की स्वनिर्मित श्रृंखलाओं में बद्ध विश्व को फिर उस प्रबोधन की आवश्यकता है. हमारे लिये अपने अस्तित्व के प्रयोजन को सिद्ध करने के लिये कर्तव्यबद्ध होकर चलने की घड़ी है. संपूर्ण अस्तित्व की एकता के सत्य पर दृढ़ता पूर्वक स्थापित, उसी से निःसृत हमारे सनातन धर्म व संस्कृति को वर्तमान युग के अनुसार समझकर, देशकाल परिस्थिति के अनुरूप उसका नूतन आविष्कार, हमारे संगठित, बल संपन्न, समतायुक्त, शोषणमुक्त, सर्वांग परिपूर्ण, वैभव संपन्न राष्ट्रजीवन को खड़ा करते हुए विश्व के सामने उदाहरण के रूप में रखना होगा. कई शतकों की विदेशी दासता व हमारी आत्म विस्मृति के कुप्रभावों से पूर्ण मुक्त होकर हमारे अपने विचार धन के आधार पर हमें राष्ट्र की नीतियाँ बनानी होंगी. उसके लिये हमारे उन सनातन मूल्यों, आदर्शों व संस्कृति की गौरव गरिमा श्रद्धापूर्वक हृदय में धारण करनी पड़ेगी. विश्व में आत्मविश्वास युक्त पदक्षेपों के साथ राष्ट्र आगे बढ़ रहा है, विश्व को सहस्राब्दियों से पीड़ा देने वाली समस्याओं का अचूक समाधान दे रहा है, यह दृश्य अपने जीवन व कर्तृत्व से खड़ा करना पड़ेगा. संतशिरोमणि श्री गुलाबराव महाराज की विशाल ग्रंथ संपदा व दुर्धर जीवन तपस्या का सारांश में संदेश यही है.

शासन का कार्य इस दिशा का ध्रुव रखकर चलें, प्रशासन उसकी नीति का तत्पर व कार्यक्षम रहकर क्रियान्वयन करें व देश के अंतिम व्यक्ति तक सभी को सुखी, सुंदर, सुरक्षित व उन्नत जीवन का लाभ हो रहा है, इस पर दोनों का ध्यान निरंतर रहे, इसके साथ-साथ समाज भी एकरस, संगठित व सजग होकर इन दोनों का सहयोग करे, प्रसंग पड़ने पर नियमन भी करे, यह राष्ट्रजीवन की उन्नति के लिये आवश्यक है. इन तीनों के एक दिशा में सुसूत्र व परस्पर संवेदनशील होकर समन्वित चलने से ही, आसुरी शक्तियों के छल-कपट व्यूहों के भ्रमजाल को भेदकर, समस्याओं व प्रतिकूलताओं की बाधाओं को चीरकर परम विजय की प्राप्ति में हम समर्थ हो सकेंगे.

कार्य कठिन लगता है, परंतु वही हमारा अनिवार्य सद्य कर्तव्य है. असंभव से लगने वाले कार्य को दृढ़निश्चय, पराक्रम, सर्वस्व समर्पण व निःष्काम, निःस्वार्थ बुद्धि से निरंतर सफलता की ओर बढ़ाने वाले श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के तेजस्वी जीवन की विरासत हमें मिली है. हमें श्रद्धापूर्वक सारी शक्ति लगाकर उस आदर्श की राह पर चलने का साहस दिखाना होगा.

समाज ऐसा दैवीगुणसंपदयुक्त बने, इसलिये अपने उदाहरण से ऐसे आचरण का वातावरण बनाने का एकमात्र कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है. अपने निःस्वार्थ एवं अकृत्रिम आत्मीयता से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ना, अपने इस पवित्र और प्राचीन हिन्दू राष्ट्र को विश्व का परमवैभव संपन्न बनाने के भव्य लक्ष्य के साथ उसको तन्मय करना, कार्य के योग्य बनने के लिये शरीर, मन, बुद्धि का विकास करने वाली सहज, सरल शाखा साधना उसके जीवन का अंग बनाना, तथा ऐसे साधकों को आवश्यकता व क्षमतानुसार समाज जीवन के विविध अंगों में आवश्यक कार्य को सेवाभाव से करने के लिये प्रवृत्त करना यही उसकी कार्यपद्धति रही है. शीघ्रतापूर्वक समाज में इस परिवर्तन को लाने के लिये चलने वाली समरसता, गौसंवर्धन, कुटुंब प्रबोधन जैसी गतिविधियों का व उपक्रमों का अत्यल्प परिचय इस भाषण में आपको दिया है. परंतु संपूर्ण समाज ही इस दृष्टि से सक्रिय हो इसकी आवश्यकता है. नवरात्रि के नौ दिन तपस्यापूर्वक देवों ने – अर्थात् उस समय की सज्जनशक्ति ने – अपनी-अपनी शक्ति को परस्पर समन्वित व पूरक बनाकर सम्मिलित किया व दसवें दिन चंडमुंडमहिषासुर रूप मायावी असुर शक्ति का निर्दलन कर मानवता के त्रास का हरण किया, वही आज का विजयादशमी – विजयपर्व है. अतएव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस राष्ट्रीय कार्य पर आपके स्नेह व प्रोत्साहन की छाया की दृष्टि के साथ आपकी सहयोगिता व सहभागिता भी बढ़ती रहे, इस विनम्र आह्वान के साथ मैं इस वक्तव्य को विराम देता हूँ. आप सभी को विजयादशमी की शुभेच्छाएँ तथा सभी की ओर से एक प्रार्थना –

देह सिवा बरु मोहे ईहै, सुभ करमन ते कबहूं न टरों.

न डरों अरि सो जब जाइ लरों, निसचै करि अपुनी जीत करों..

अरु सिख हों आपने ही मन कौ, इह लालच हउ गुन तउ उचरों.

जब आव की अउध निदान बनै, अति ही रन मै तब जूझ मरों..

.. भारत माता की जय ..

नरेन्द्र मोदी जी : ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वांङमय’

$
0
0



रविवार, 09 अक्टूबर 2016
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित 'पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांङमय'के लोकार्पण अवसर पर दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

‘दीन दयाल सम्पूर्ण वांङमय’ के ये 15 ग्रंथ पंडित जी की जीवन यात्रा, विचार यात्रा और संकल्प यात्रा की त्रिवेणी है और आज का यह पल त्रिवेणी के चरणामृत लेने का पर्व है: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित जी का मानना था कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रचना ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर होना चाहिए, उनका मानना था कि सरकार की सारी योजनाओं के केंद्र बिंदु में गरीब और गरीब-कल्याण होना चाहिए, तभी हम राष्ट्र को विकास पथ पर गतिशील कर सकते हैं: नरेन्द्र मोदी
*************
हमें विकास यात्रा के सारे प्रवाह उस दिशा में ले जाने हैं जहां पर हम गरीब को एम्पावर करें, उसका सशक्तिकरण करें और जहां गरीब ही गरीबी के खिलाफ जंग में फ़ौजी बन जाएँ। हम सभी मिलकर गरीबी से मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में काम करें: नरेन्द्र मोदी
*************
भारत वैभव के शिखर पर पहुंचे, इसके लिए पंडित दीन दयाल जी सात आदर्शों की वकालत किया करते थे - एकरसता, कर्मठता, समानता, सम्पन्नता, ज्ञान, सुख और शान्ति, इन्हीं सप्त धाराओं से हम भारत का वैभव बना सकते हैं: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित जी एक ऐसे समाज का पुनर्निर्माण करना चाहते थे जहां मनमुटाव न हो, भेदभाव न हो, शोषण की कल्पना तक न हो, यही राष्ट्रभक्ति है और हम इसी चिंतन के साथ इस विचारधारा पर आगे बढ़ रहे हैं: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित जी ने जिस विचार-बीज से फाउंडेशन बनाया था, जो नींव डाली थी, आज उसी का परिणाम है कि हम विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा विश्व के सामने प्रस्तुत कर पाए हैं: नरेन्द्र मोदी
*************
श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे कि अगर मेरे पास दो दीन दयाल हो तो मैं हिन्दुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूँ: नरेन्द्र मोदी
*************
डॉ राम मनोहर लोहिया ने भी कहा था कि यह दीन दयाल जी के विशाल दृष्टिकोण का ही परिणाम था कि विभिन्न विचारधारा वाले दल साथ आए और राष्ट्र को एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था दी: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित जी की एक और विशेषता थी, उन्होंने कार्यकर्ता के निर्माण पर बल दिया, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार की जिसका कोई राजनीतिक गोत्र न हो: नरेन्द्र मोदी
*************
एक ऐसा राजनीतिक दल जिसका कार्यकर्ता संगठनकेंद्री है और एक ऐसा संगठन जो राष्ट्रकेंद्री है, ऐसी व्यवस्था पंडित जी ने देश को दी है: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित दीन दयाल जी ने अपने पसीने से, यूँ कहें कि अपने खून से जिस पार्टी को सींचा, जिस विचार को अपनाया, वह तपस्या आज भी कसौटी पर खड़ा उतरने के लिए सामर्थ्यवान है, इस विश्वास के साथ हम कह सकते हैं: नरेन्द्र मोदी
*************
हम राष्ट्र और समाज की आवश्यकतानुसार अपने आप को ढालने वाले लोग हैं, तभी तो विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा में हम हिन्दुस्तान के 125 करोड़ देशवासियों का विश्वास जीत पाए: नरेन्द्र मोदी
*************
भारत की जड़ों से जुड़ी हुई अर्थनीति, राजनीति और समाज नीति ही भारत के भाग्य को बदल सकती है, दुनिया का कोई राष्ट्र अपनी जड़ों को काटकर विकास नहीं कर पाया है: नरेन्द्र मोदी
*************
पंडित दीन दयाल जी हमेशा इस बात पर बल देते थे कि हमें अपने आप को सामर्थ्यवान बनाना होगा, वे कहते थे कि सेना को अत्यंत सामर्थ्यवान होना चाहिए, तब जाकर राष्ट्र सामर्थ्यवान बनता है: नरेन्द्र मोदी
*************
विजय का विश्वास और तपस्या के निश्चय के साथ चरैवेति, चरैवेति का जो संकल्प उन्होंने दिया था, वह आज भी उतना ही सार्थक है, उसे लेकर हमें चलना है: नरेन्द्र मोदी
*************

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वांङमय’  का लोकार्पण किया और इस अवसर पर उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सिद्धांतों, विचारों एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए लोगों से उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विचार अपने आप में एक शक्ति होता है और उस विचार यात्रा का सम्पुट आज हमें प्रसाद के रूप में मिला है, मैं आप सबका इस प्रसाद के लिए ह्रदय से बहुत आभारी हूँ। सभी देशवासियों को विजयादशमी की अग्रिम बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह विजयादशमी देश के लिए बहुत ही ख़ास है, विजयदशमी के लिए सभी देश वासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सार्वजनिक व्यक्ति के जीवन को, उनके विचारों एवं उनकी उपलब्धि को कलमबद्ध करना काफी दुष्कर नहीं होता क्योंकि चीजें उपलब्ध होती हैं लेकिन एक ऐसे व्यक्ति, जिसका जीवन तो सार्वजनिक हो लेकिन वह पहचान न बनाने की भूमिका में जीते हुए देश और समाज के कल्याण में पूर्णतया अपना सारा जीवन खपा दे, उनकी जीवनी, उनके विचारों और उनके दृष्टिकोण को जनता तक पहुंचाने के लिए वांड्मय निर्माण का यह प्रयास एक भागीरथ प्रयास है, मैं इसके लिए प्रभात जी, महेश जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ। उन्होंने कहा कि ये 15 ग्रंथ पंडित जी की जीवन यात्रा, विचार यात्रा और संकल्प यात्रा की त्रिवेणी है और आज का यह पल त्रिवेणी के चरणामृत लेने का पर्व है।
उन्होंने कहा कि दीन दयाल जी सादगी की प्रतिमूर्ति थे, इतने कम समय में, अल्प राजनीतिक जीवन में एक राजनीतिक दल, एक विचार, एक राजनीतिक व्यवस्था और विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा को कोई पार कर ले, यह छोटी सिद्धि नहीं। उन्होंने कहा कि विपक्ष से विकल्प तक की यह यात्रा संभव इसलिए बनी है कि पंडित जी ने जिस विचार बीज से फाउंडेशन बनाया था, जो नींव डाली थी, आज उसी का परिणाम है कि हम विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा विश्व के सामने प्रस्तुत कर पाए हैं।

श्री मोदी ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने संगठन आधारित राजनीति दल का एक पर्याय देश के सामने प्रस्तुत किया। जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक की यात्रा संगठन आधारित राजनीति की अलग पहचान है और इसका श्रेय पंडित दीन दयाल जी को जाता है। उन्होंने कहा कि श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे कि अगर मेरे पास दो दीन दयाल हो तो मैं हिन्दुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूँ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 60 के दशक में ‘नेहरू के बाद क्या नहीं बल्कि नेहरू के बाद कौन'का विचार चलता था, पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक एक ही राजनीतिक दल की व्यवस्था थी, कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि 62 से 67 का कालखंड पंडित जी को समझने के लिए बहुत बड़ा मूल्य रखता है। उन्होंने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया ने भी कहा था कि यह दीन दयाल जी के विशाल दृष्टिकोण का ही परिणाम था कि विभिन्न विचारधारा वाले दल साथ आए और राष्ट्र को एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था दी। उन्होंने कहा कि पंडित जी की एक और विशेषता थी, उन्होंने कार्यकर्ता के निर्माण पर बल दिया, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार की जिसका कोई राजनीतिक गोत्र न हो। उन्होंने कहा कि पंडित जी ने एक स्वतंत्र चिंतन वाला, राष्ट्रभक्ति से प्रेरित, समाज को समर्पित कार्यकर्ताओं का समूह, इससे बना हुआ संगठन और इस संगठन से राजनीतिक जीवन में पदार्पण, ऐसे कार्यकर्ताओं की फ़ौज खड़ी की और इसलिए उन्होंने संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने के लिए, कार्यकर्ताओं के निर्माण में, संगठन के विस्तार में अपना पूरा जीवन खपा दिया।

श्री मोदी ने कहा कि एक ऐसा राजनीतिक दल जिसका कार्यकर्ता संगठनकेंद्री है और एक ऐसा संगठन जो राष्ट्रकेंद्री है, ऐसी व्यवस्था पंडित जी ने देश को दी है। आज हम जहां भी काम कर रहे हैं, उसका तुलनात्मक अध्ययन कोई भी कर ले, हम तो चाहते हैं कि विश्लेषक वर्ग द्वारा हर राजनीतिक पार्टी के शासन काल का मूल्यांकन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल जी ने अपने पसीने से, यूँ कहें कि अपने खून से जिस पार्टी को सींचा, जिस विचार को अपनाया, वह तपस्या आज भी कसौटी पर खड़ा उतरने के लिए सामर्थ्यवान है, यह विश्वास के साथ हम कह सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित जी का कहना था कि “आन, विज्ञान और संस्कृति, सभी क्षेत्रों में अपने जीवन के विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह हम स्वीकार करेंगें। हम नवीनता के विरोधी नहीं और न प्राचीनता के नाम पर रूढ़ियाँ और मृत परम्पराओं के हम अंध उपासक हैं।” उन्होंने कहा कि यही हमारे चिंतन का मूल सोच है।

उन्होंने कहा कि हम राष्ट्र और समाज की आवश्यकतानुसार अपने आप को ढालने वाले लोग हैं, तभी तो विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा में हम हिन्दुस्तान के 125 करोड़ देशवासियों का विश्वास जीत पाए। उन्होंने कहा कि ‘वेद से विवेकानंद तक', ‘सुदर्शन चक्रधारी मोहन से चरखाधारी मोहन दास’ तक - उन सारे विचारों को पंडित दीन दयाल जी ने आधुनिक परिवेश में सरलता से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत की जड़ों से जुड़ी हुई अर्थनीति, राजनीति और समाज नीति ही भारत के भाग्य को बदल सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दुनिया का कोई राष्ट्र अपनी जड़ों को काटकर विकास नहीं कर पाया है।

श्री मोदी ने कहा कि पंडित दीन दयाल जी हमेशा इस बात पर बल देते थे कि हमें अपने आप को सामर्थ्यवान बनाना होगा, वे कहते थे कि सेना को अत्यंत सामर्थ्यवान होना चाहिए और तब जाकर राष्ट्र सामर्थ्यवान बनता है, उनका मानना था कि व्यक्ति से राष्ट्र तक सामर्थ्यवान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व इंटर डिपेंडेंट है, ऐसे समय पर भारत के मूलभूत चिंतन के आधार पर देश को सामर्थ्यवान बनाना समय की मांग है और इसके लिए समस्त देशवासियों को अविरल एकजुट होकर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘गरीब’ पंडित दीन दयाल उपाध्या जी की चिंतन के केंद्र बिंदु में थे। उन्होंने कहा कि पंडित जी का मानना था कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रचना ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर होना चाहिए, उनका मानना था कि सरकार की सारी योजनाओं के केंद्र बिंदु में गरीब और गरीब-कल्याण होना चाहिए, तभी हम राष्ट्र को विकास पथ पर गतिशील कर सकते हैं, नीचे वाले ऊपर आयेंगें तभी ऊपर वाले और ऊपर जायेंगें। उन्होंने कहा कि इसलिए हमें विकास यात्रा के सारे प्रवाह उस दिशा में ले जाने हैं जहां पर हम गरीब को एम्पावर करें, उसका सशक्तिकरण करें और जहां गरीब ही गरीबी के खिलाफ जंग में फ़ौजी बन जाएँ। उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर गरीबी से मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में काम करें।

उन्होंने कहा कि पंडित जी के सपने को चरितार्थ करने के लिए हम उनके शताब्दी वर्ष को गरीब-कल्याण वर्ष के रूप में मनाना तय किया है, इसके कारण सरकार के सभी विभाग यह भूल नहीं सकते कि उसके सभी निर्णयों, सभी विचारों और सभी कार्यक्रमों में गरीब-कल्याण की सोच अवश्य होनी चाहिए और इसी सोच को गरीब-कल्याण की दिशा में प्रेरित करने के अवसर के रूप में हम पंडित जी की जन्मशती वर्ष को गरीब-कल्याण वर्ष के रूप में मना रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि समाज में हर प्रकार का सामर्थ्य पैदा हो और भारत वैभव के शिखर पर पहुंचे, इसके लिए पंडित दीन दयाल जी सात आदर्शों की वकालत किया करते थे - एकरसता, कर्मठता, समानता, सम्पन्नता, ज्ञान, सुख और शान्ति, इन्हीं सप्त धाराओं से हम भारत का वैभव बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि पंडित जी एक ऐसे समाज का पुनर्निर्माण करना चाहते थे जहां मनमुटाव न हो, भेदभाव न हो, शोषण की कल्पना तक न हो, यही राष्ट्रभक्ति है और हम इसी चिंतन के साथ इस विचारधारा पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस समय हम कुछ भी नहीं थे पर पंडित जी का सामर्थ्य देखिये, विचारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता देखिये, अद्भुत श्रद्धा देखिये कि उन्होंने अपने पथ पर चलते हुए संगठन को खड़ा किया, विजय का विश्वास और तपस्या के निश्चय के साथ चरैवेति, चरैवेति का जो संकल्प उन्होंने दिया था, वह आज भी उतना ही सार्थक है, उसे लेकर हमें चलना है। उन्होंने कहा कि पंडित जी के चरणों में प्रणाम करते हुए हमें इस महान विचार यात्रा को आगे बढाने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करना चाहिए, हमें अपना सर्वस्व माँ भारती के लिए अर्पित कर दें।

(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव



भाजपा ही यूपी में आ रही है - अरविन्द सिसोदिया

$
0
0


मायावती को याद रहे !!
लोक सभा चुनाव यूपी 2014 के परिणाम 
कम से कम बडबोली मायावती को याद रहने चाहिये। 
- अरविन्द सिसोदिया, जिला महामंत्री भाजपा कोटा राजस्थान


यूपी से मोदी ने किया सबका सफाया,BSP को 0, यादव-गांधी परिवार छोड़ SP और कांग्रेस भी खत्म 

सौरभ द्विवेदी नई दिल्‍ली, 16 मई 2014 |
http://aajtak.intoday.in
नरेंद्र मोदी ने अपना एक चुनावी वायदा आज ही निभा दिया. मोदी ने उत्तर प्रदेश की हर रैली में कहा था, 'सबका साफ करो'. स से सपा, ब से बसपा और क से कांग्रेस. मोदी की लहर और उनके सेनापति अमित शाह का कहर. यूपी से बसपा, कांग्रेस और सपा तीनों साफ हो गए. बच गए तो बस कांग्रेस का गांधी परिवार और सपा का यादव परिवार. इनके अलावा सब हारे और बुरी तरह हारे. राज्य की दो अहम पार्टियां मायावती की बहुजन समाज पार्टी और चौधरी अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल तो खाता भी नहीं खोल पाई. बसपा के इतिहास में ये पहला मौका है, जब वह चुनाव में उतरे और जीरो पर अटके. और जिन चौधरी चरण सिंह की विरासत संभालने का क्या मुलायम क्या अजित सिंह, सभी दावा करते हैं, उन्हीं के पुत्र की पार्टी भी लोकसभा से गायब हो गई. जाहिर है कि इस रेकॉर्ड तोड़ जीत के बाद बीजेपी की निगाह विधानसभा चुनाव पर होगी, जिसकी सत्ता से वह 12 साल से दूर है.
रायबरेली ने रखा बहू का मान
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी अपना दल ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस के हिस्से आईं दो सीटें- सोनिया गांधी रायबरेली से और उनके बेटे राहुल गांधी अमेठी से. सोनिया की जीत तो फिर भी सरल रही. उन्होंने बीजेपी के अजय अग्रवाल को 3 लाख 53 हजार वोटों से हराया. यहां के चुनाव को लेकर बीजेपी ज्यादा पापड़ भी नहीं बेल रही थी. आखिरी वक्त में वकील साहब को टिकट देकर भेज दिया. मोदी ने यहां रैली भी नहीं की.

राहुल गांधी के छूटे पसीने
अमेठी सीट की बात करें, तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के पसीने छूट गए. जिस अमेठी को गांधी परिवार अपनी बपौती समझता था, वहां इस बार राहुल की बहन प्रियंका को कैंप करना पड़ा. आलोचक तो यहां तक कहते हैं कि अमेठी से राहुल नहीं, प्रियंका गांधी जीती हैं. आंकड़ों की बात करें, तो राहुल गांधी 79 हजार वोटों से चुनाव जीते हैं. मगर हकीकत ये है कि बीजेपी ने चुनाव के ऐलान के काफी वक्त बाद यहां से मोदी आर्मी की अहम सिपाही स्मृति ईरानी को उतारा. कम समय में ही स्मृति ने जोरदार कैंपेनिंग की. आखिरी वक्त में मोदी की रैली ने उन्हें मुकाबले में ला खड़ा किया. पहली बार बीजेपी को यहां से जबरदस्त समर्थन मिला. स्मृति को 2 लाख 19 हजार वोट मिले.

यहां से सुर्खियां बटोरने वाले आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास की जमानत जब्त हो गई. इस दो सीटों के अलावा कांग्रेस इक्का-दुक्का जगहों पर ही मुकाबले में दिखी. मसलन, मोदी के खिलाफ जहरीला बयान देने वाले इमरान मसूद सहारनपुर में कुछ राउंड में आगे रहे और कुल मिलाकर दूसरे नंबर पर रहे. कहने को तो राज बब्बर भी दूसरे नंबर पर रहे. मगर वह जनरल वीके सिंह से साढ़े पांच लाख वोटों से पिछड़े.p>धज्जियां उड़ीं सत्तारूढ़ सपा सरकार की
अब बात उनकी जो मन से मुलायम और इरादे फौलादी होने का दावा करते हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, जिनके बेटे अखिलेश उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हैं बतौर मुख्यमंत्री. मुलायम सिंह और अखिलेश का सपना था कि इन चुनावों में यूपी से इतनी सीटें जीतें कि अगर तीसरा मोर्चा नाम का कुनबा बने तो संख्याबल के दम पर नेता जी पीएम बन जाएं.

मगर सपना टूटा ही नहीं तार-तार हो गया. यूपी में सत्तारूढ़ सपा सिर्फ वहीं जीती, जहां मुलायम या उनके परिवार के लोग चुनाव लड़ रहे थे. बहू डिंपल यादव पिछली बार कन्नौज से निर्विरोध जीती थीं. इस बार हांफते हुए 22 हजार से जीतीं. खुद मुलायम मैनपुरी से तो आसानी से 3 लाख 65 हजार से चुनाव जीत गए. मगर आजमगढ़ में उनके पसीने छूट गए. आखिरी चरण में हुए इस चुनाव में मुलायम को बचाने के लिए पूरी सपा सरकार कैंप कर गई. फिर भी बीजेपी के रमाकांत यादव और बीएसपी के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. नेता जी आखिरी आखिरी तक प्रलोभन और वादों के सहारे टिके रहे और फिर 66 हजार से चुनाव जीते. जाहिर है कि उनके कद के नेता के हिसाब से ये अंक बेहद मामूली है. सपा को जो दो और सीटें मिलीं, वह भी परिवार के ही दो लोगों के पास गईं. फिरोजाबाद से मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव राजनीति में डेब्यू कर रहे थे. उनके लिए अरसे से सपा सरकार तैयारी कर रही थी. बीजेपी ने यहां बड़े पैमाने पर फर्जी मतदान के आरोप भी लगाए. अक्षय यादव लगभग 1 लाख 65 हजार वोटों से चुनाव जीते. मुलायम के एक और भतीजे धर्मेंद्र यादव बदायूं सीट से 1 लाख 60 हजार वोटों से चुनाव जीते. और बस इसी के साथ पूरे विपक्ष की यूपी में सेवा समाप्त हो गई.


आम आदमी पार्टी का डब्बा हुआ गुल
आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुला और अरविंद केजरीवाल के अलावा इसका कोई भी कैंडिडेट जमानत भी नहीं बचा सका. बीएसपी वोट शेयर के मामले में तीसरे नंबर पर रही, मगर सीटों के मामले में वह भी तली पर. बाहुबली मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल, डॉ. अयूब की पीस पार्टी भी खाता नहीं खोल पाए. अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चैंपियन हुआ करती थी. अपनी मर्जी से कभी कांग्रेस, कभी सपा तो कभी बीजेपी के साथ गठजोड़ करती औऱ सत्ता की मलाई खाती. मगर इस बार उसने बुरी तरह मुंह की खाई. पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह बागपत में बीजेपी के सत्यपाल सिंह से बुरी तरह से हारे. उनके बेटे दुष्यंत सिंह भी मथुरा में बीजेपी की हेमा मालिनी से लाखों के अंतर से पस्त हुए.

तीस साल बाद अपने बूते बहुमत पाने वाली पार्टी बनी बीजेपी 

आज तक वेब ब्यूरो [Edited by: पीयूष शर्मा] नई दिल्‍ली, 16 मई 2014 |
http://aajtak.intoday.in
अबकी बार, मोदी सरकार नारे को सच करते हुए नरेंद्र मोदी की बीजेपी ने देश में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. बीजेपी ने पिछले 30 वर्षों के दौरान लोकसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बन कर उभरी है.
शुक्रवार को आ रहे मतगणना के रुझानों के अनुसार लगभग 280 सीटें हासिल करते हुए बीजेपी दिखी. यह संख्या 545 सदस्यीय लोकसभा में आधी संख्या यानी 272 से अधिक है. लोकसभा के 543 सदस्यों का निर्वाचन होता है, जबकि दो सदस्यों को नामित किया जाता है.

बीजेपी के लिए यह एक चमत्कार की तरह है, क्योंकि 1984 के आम चुनाव में पार्टी ने मात्र दो सीटें जीती थी. उस समय जनता पार्टी से अलग होकर बीजेपी ने पहली बार चुनाव लड़ा था.

पूर्व में जनसंघ के रूप में यह पार्टी 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी में शामिल हो गई थी. 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर पर सवार होकर राजीव गांधी के नेतृत्व में भारी जीत हासिल की थी. उसे लोगसभा में 414 सीटें मिली थीं.

देश में अब तक हुए कुल 16 आम चुनावों में से इस बार कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन रहा, क्योंकि पार्टी को मात्र 50 सीटें मिलती दिख रही हैं.

‘जय श्रीराम’ - ‘जय जय श्रीराम’ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

$
0
0




ऐशबाग की रामलीला में मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
Posted on: October 12, 2016
http://khabar.ibnlive.com/news
लखनऊ। मंगलवार को विजयादशमी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ की ऐतिहासिक ऐशबाग की रामलीला में शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने दशहरा कार्यक्रम में अपने 25 मिनट के भाषण में मन के रावण को दूर करने से आतंक के रावण को हराने की बात की। पीएम के भाषण की 10 बड़ी बातें क्या थीं, जानिए-
-मोदी ने अपने भाषण का समापन भी ‘जय श्रीराम’ और ‘जय जय श्रीराम’ के उद्घोष के साथ किया। मैदान में मौजूद जनता ने उनका साथ दिया और पूरे वातावरण में जय श्रीराम का उद्घोष गूंज उठा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के लिए समान अधिकार की वकालत करते हुए लोगों से अपील की कि लड़के और लड़की के बीच भेदभाव बंद होना चाहिए और ‘अपने घरों की सीता’ को बचाना चाहिए।

-प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले कौन लड़ा था? फिर खुद ही जवाब दिया, ‘रामायण गवाह है कि आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले जिसने लड़ाई लडी थी, वो जटायू ने लड़ी थी। एक नारी की रक्षा के लिए रावण जैसी सामर्थ्यवान शक्ति के खिलाफ जटायू लड़ता रहा, जूझता रहा। आज भी अभय का संदेश कोई देता है तो वो जटायू देता है, इसलिए सवा सौ करोड़ देशवासी राम तो नहीं बन पाते हैं। लेकिन अनाचार, दुराचार, अत्याचार के सामने हम जटायू के रूप में तो कोई भूमिका अदा कर सकते हैं।’
-मोदी ने गंदगी और अशिक्षा से मुक्ति के लिए भी संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे भीतर ऐसी चीजें जो रावण के रूप बिखरी पड़ी हैं, उससे इस देश को मुक्ति दिलानी है।’
-पीएम ने कहा कि चाहे जातिवाद हो या वंशवाद, ऊंच नीच की बुराई हो, संप्रदायवाद का जुनून हो, ये सारी बुराइयां किसी ना किसी रूप में रावण हैं, इसलिए इनसे मुक्ति पाना हमारा संकल्प होना चाहिए।
-उन्होंने कहा, ‘श्रीकृष्ण के जीवन में भी युद्ध था। राम के जीवन में भी युद्ध था। लेकिन हम वो लोग हैं, जो युद्ध से बुद्ध की ओर चले जाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘समय के बंधनों से, परिस्थिति की आवश्यकताओं से युद्ध कभी कभी अनिवार्य हो जाते हैं लेकिन ये धरती का मार्ग युद्ध का नहीं बल्कि बुद्ध का है। हम हमारे भीतर के रावण को खत्म करने वाले और अपने देश को सुजलाम सुफलाम बनाने के लिए संकल्प करने वाले लोग हैं।’
-मोदी ने कहा, ‘अगर सवा सौ करोड़ देशवासी एक बनकर आतंकवादियों की हर हरकत पर ध्यान रखें और चौकन्ने रहें तो आतंकवादियों का सफल होना बहुत मुश्किल होगा।’
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता का दुश्मन करार देते हुए कहा कि आतंकवाद को आज जड़ से खत्म करने की जरूरत है और जो आतंकवाद को पनाह देते हैं, उन्हें भी नहीं बख्शा जा सकता।
-आतंकवाद को खत्म किये बिना मानवता की रक्षा संभव नहीं। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है।
-मोदी ने कहा कि आज से तीस-चालीस साल पहले जब हिंदुस्तान दुनिया के सामने आतंकवाद के कारण होने वाली परेशानियों की चर्चा करता था तब वह विश्व के गले नहीं उतरता था। वर्ष 1992-93 की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह उस समय अमेरिका के ट्रेड डिपार्टमेंट के स्टेट सेक्रेटरी से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, जब मैं आतंकवाद की बात करता तो वे (स्टेट सेक्रेटरी): बोलते थे कि ये आपकी कानून व्यवस्था की समस्या है, जब 26-11 हमले के बाद सारी दुनिया के गले उतर गया कि आतंकवाद कितना भयंकर है।
(भाषा से प्राप्त जानकारी के साथ)

-------------------



हम युद्ध से बुद्ध की ओर जाने वाले लोग:

दशहरा रैली में बाेले मोदी; गिनाए 10 रावण

लखनऊ.नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यहां ऐशबाग की ऐतिहासिक रामलीला में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने लोगों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी आैर रावण के 10 रूप गिनाते हुए उनके खात्मे का संकल्प लेने की अपील की। मोदी ने जय श्री राम कहकर स्पीच की शुरुआत की और जय श्री राम कहकर ही उसे खत्म भी किया। उन्होंने कहा- 'दशहरे का मतलब है कि हम अपने भीतर की 10 बुराइयों को खत्म करें। जो लोग आतंकवाद को शह देते हैं उनको बख्शा नहीं जा सकता, लेकिन हम युद्ध करने वाले नहीं, युद्ध से बुद्ध की ओर जाने वाले लोग हैं।'मोदी ने और क्या कहा...
- मोदी ने आतंकवाद के अलावा जातिवाद, वंशवाद, साम्प्रदायिकता, अंधविश्वास, दुराचार, कन्या भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, गरीबी और अशिक्षा को भी रावण का ही रूप बताया।
- मोदी ने रामायण से सीख लेने की सलाह दी। कहा- 'विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। आतताई को परास्त करने का पर्व है।'
- 'हम रावण को हर वर्ष जलाते हैं। हम इस परंपरा से क्या सबक लेते है। रावण को जलाते समय एक ही संकल्प होना चाहिए कि हम हमारे जीवन की बुराइयों को भी ऐसे ही भस्म करके रहेंगे। हमें हर साल इस संकल्प को मजबूत बनाना चाहिए।'
- 'आज शायद उस समय का रावण नहीं होगा, आज राम -रावण की तरह लड़ाई भी नहीं होगी।'
- 'हम वो लोग हैं जो युद्ध से बुद्ध की ओर चले जाते हैं। राम और कृष्ण दोनों ने युद्ध देखे, लेकिन हमें बुद्ध की जरूरत है।'
- 'युद्ध के मैदान में गीता का संदेश देने वाले मोहन का है ये देश। ये चरखे वाले मोहन का भी देश है।
'आतंकवाद को परास्त किए बिना मानवता की रक्षा नहीं हो सकती'
- मोदी ने कहा, 'आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। प्रभु राम मानवता का प्रतीक हैं। वे मानवता का प्रतिनिधित्व करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले कौन लड़ा था? आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहली लड़ाई जटायु ने लड़ी थी। आज भी अभय का संदेश जटायु देता है।'
- 'हम राम तो नहीं बन सकते लेकिन जटायु बनने की कोशिश हमें करनी चाहिए।'
- 'आज जब आप रावण को जला रहे हैं तो पूरे विश्व की मानवतावादी शक्तियों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी। आतंकवाद को परास्त किए बिना मानवता की रक्षा नहीं हो सकती। विजयादशमी से हमें यही प्रेरणा लेनी है।'
'अब अमेरिका भी हमारा दर्द समझता है'
- मोदी ने कहा- 'पहले हमारी समस्या को दुनिया नहीं सुनती थी। 1992 और 93 में अमेरिकी अफसर मेरी बात को नहीं समझे थे। इसे लॉ एंड ऑर्डर प्राॅब्लम बताया था। लेकिन 26/11 के बाद समझ गए।'
- 'आतंकवाद से पूरा विश्व तबाह हो रहा है। दो दिन से हम सीरिया की एक छोटी बालिका का चित्र देख रहे हैं। आंख में आंसू आ जाते हैं।'
- 'पूरे विश्व की मानवतावादी शक्तियों को लड़ाई लड़नी पड़ेगी। आतंकवाद को खत्म किए बिना मानवता की रक्षा नहीं की जा सकती।'
'बेटियों के पैदा होने पर भी उत्सव मनाएं'
- पीएम ने कहा- 'हमें समाज के भीतर की बुराइयां खत्म करनी होंगी। दुराचार और भ्रष्टाचार अगर रावण नहीं तो क्या हैं? गंदगी भी रावण का ही एक रूप है। बीमारी भी रावण का ही एक रूप है। जो गरीब बच्चों की जान लेती है।'
- 'अाज गर्ल चाइल्ड डे भी है। सीता माता को सताने वाले हरण करने वाले रावण को हम हर साल जलाते हैं। लेकिन मां के गर्भ में पल रही बेटियों को मार दिया जाता है। बेटियों के पैदा होने पर भी उत्सव मनाया जाना चाहिए।'
नहीं किया रावण दहन
- मोदी ने ऐशबाग रामलीला मैदान में रावण दहन में हिस्सा नहीं लिया। सिर्फ तीर चलाकर इसकी परंपरा निभाई।
- सिक्युरिटी एजेंसीज ने आतंकी हमले की आशंका के चलते मोदी के रहते यहां कोई भी विस्फोटक दागने या आतिशबाजी करने पर रोक लगा रखी थी।
भेंट में मिली चांदी की गदा और चक्र
- स्पीच से पहले मोदी ने राम और लक्ष्मण के पात्रों को तिलक लगाया और उनकी आरती उतारी। मंच पर यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्या ने उनका स्वागत किया। मोदी को चांदी की गदा और एक चक्र भेंट में दिया गया।
- अमौसी एयरपोर्ट पर सीएम अखिलेश यादव, राज्‍यपाल रामनाईक, लखनऊ के सांसद और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मोदी को रिसीव किया।
- मोदी ने दिल्‍ली से रवाना होने से पहले एक ट्वीट में भी किया। उन्होंने लिखा- 'विजयदशमी के कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा हूं लखनऊ।'
पिछले साल मोदी को बुलाने का हुआ था विरोध
- बता दें कि 2015 में जब ऐशबाग रामलीला कमेटी के ज्यादातर मेंबर्स ने मोदी को बुलाने पर जोर दिया था तो इसके विरोध में कमेटी के चीफ ट्रस्टी जेपी अग्रवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया था। अग्रवाल कांग्रेस से जुड़े रहे हैं।
- इनके बाद डॉ. दिनेश शर्मा को चीफ ट्रस्टी बनाया गया था। शर्मा बीजेपी के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट और लखनऊ के मेयर भी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : 'सेना बोलती नहीं पराक्रम करती है'

$
0
0



भोपाल: शौर्य स्मारक में सैनिकों को लेकर प्रधानमंत्री  मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
By: Brajesh Mishra Updated: Friday, October 14, 2016
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शौर्य स्मारक के उद्घाटन के मौके पर न सिर्फ सैनिकों के पराक्रम का गुणगान किया बल्कि पूर्व सैनिकों के लिए तमाम योजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सैनिकों ने अपनी वीरता से देश के रक्षा की है और देश को भी उनका सम्मान करना चाहिए। पढ़िए, पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें-

सैनिकों का सबसे बड़ा शस्त्र है मनोबल 
1. सेना बोलती नहीं। सेना पराक्रम करती है। हमारे रक्षा मंत्री भी बोलते नहीं हैं। पराक्रम करते हैं। 
2. सैनिकों का सबसे बड़ा शस्त्र मनोबल है। मनोबल शस्त्र से नहीं सवा सौ करोड़ देशवासियों के पीछे खड़े होने से बढ़ता है। 
3. लोग कहते हैं मोदी कुछ नहीं बोल नहीं रहा। मोदी कुछ करता नहीं।

वन रैंक वन पेंशन योजना से मिलेगा लाभ 
4. शौर्य स्मारक हमारे लिए तीर्थ स्थान है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत होगा। 
5. हमारी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन योजना लागू की। अब तक 5000 करोड़ वितरित हो चुके हैं। OROP के आधार पर हम 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे।

लोगों को बचाते समय सेना द्वेष नहीं रखती
 6. हम चैन की नींद सो जाएं तो सेना को खुशी मिलती है लेकिन जागने के समय भी अगर सो जाएं तो सेना माफ नहीं करती है। 
7. लोगों को बचाते समय हमारी सेना ने यह नहीं सोचा कि ये वो लोग हैं जो कभी हमें पत्थर मारते हैं, कभी हम पर भारी पत्थरबाजी करते हैं, सिर फोड़ते हैं। सब भुलाकर सेना लोगों की मदद करती है।

बेटियों की शादी के लिए बढ़ाया फंड 
8. सेवानिवृत्त हो रहे सैनिकों को आखिरी साल में भारत सरकार कौशल विकास योजना के तहत ट्रेनिंग सर्टिफिकेट देगी, जिससे वह आगे दूसरों को ट्रेनिंग दे। 
9. सेवानिवृत्त सैनिकों की बेटियों की शादी के फंड को 16000 से बढ़ाकर 50000 कर दिया गया है। 
10. सेवानिवृत्त सैनिकों के इलाज के लिए देशभर के अस्पतालों से करार किया गया है, जहां उन्हें मुफ्त इलाज मिलेगा।


------------------------
सैनिकों के त्याग-बलिदान को पढ़कर प्रधानमंत्री  की आंखें हुई नम, बोले

 'शानदार मेरे वीरों'

शान बहादुर |
 Oct 14, 2016
http://www.bhaskar.com/news
भोपाल। अरेरा हिल्स पर 41 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 12.67 एकड़ भूमि पर निर्मित इस अद्वितीय स्मारक की परिकल्पना बहुत अद्भुत है। इसमे जीवन बलिदान करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया।
शौर्य स्मारक का पीएम मोदी ने शाम 6.15 पर लोकापर्ण किया। इसके बाद उन्होंने स्मारक का बारीकी से अवलोकन किया। इसके बाद मोदी शहीदों की गैलरी में गए और उनकी वीरता के किस्से पढ़े। सैनिकों के त्याग-बलिदान को पढ़कर पीएम की आंखें नम हो गई और उन्होंने कहा 'शानदार मेरे वीरों'।

स्मारक के विभिन्न चरण
प्रवेश प्रांगण: स्मारक में प्रवेश करते ही मिट्टी के रंग की घास लगी सीढिय़ों से बना चौकोर खुला आंगन मन को एक सुखद और पवित्र वातावरण का अनुभव देता है। यह पृथ्वी पर मानव जाति के वास के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है।

युद्ध का रंगमंच: चौकोर आंगन वाले प्रवेश प्रांगण के अनुभव के बाद पर्यटक एक अन्य आंगन में पहुंचेंगे। इसे वृक्ष का आकार देकर युद्ध की विभीषिका से आहत धरती को दर्शाया गया है। असमतल धरातल और काले रंग के परिवेश से यह दु:ख की अनुभूति कराता है।

मृत्यु: मृत्यु की भयावहता को दर्शाने के लिए एक वर्गाकार छोटे कक्ष का निर्माण किया गया है, जो पूरी तरह अंधकारमय और काला है। इसमें से एक बारीक छेद के माध्यम से प्रकाश की किरण प्रवेश करेगी। दिन के समय प्राकृतिक प्रकाश और रात में फाइबर ऑप्टिक्स लाइट से उत्सर्जित प्रकाश की बारीक रेखा आत्मा का परिचायक होगी, जो मृत्यु के बाद देह त्याग करती है।

मरणोपरांत जीवन: शरीर नश्वर है और आत्मा अजर-अमर है। जीवन के अलौकिक और शाश्वत सत्य की अनुभूति को जीवंत बनाने के लिए स्मारक परिसर प्रांगण में 2 से 3 मीटर ऊंची धातु की छड़ों को सेना की टुकडिय़ों की तरह सुव्यवस्थित रूप से स्थापित किया जाएगा। इन छड़ों के ऊपरी सिरों पर फाइबर ऑप्टिक्स लाइट के प्रकाश पुंज रात के अंधेरे में जगमगाएंगे। धातु की छड़ के आधार पर बिछी पानी की चादर शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

'नमस्कार'साइनेज से किया जाएगा शहीदों को नमन
प्रवेश द्वार के पास नमस्कार की मुद्रा वाला करीब 20 फीट ऊंचा और 15 फीट चौड़ा साइनेज लगा है, जो शहीदों की ओर से मातृभूमि को प्रणाम करने का भाव दर्शाता है। शहीदों के बलिदान को बताने के लिए इसका रंग खून की तरह लाल रखा गया है।

एम्पीथिएटर: शौर्य स्मारक में ओपन एरिया में एम्पीथिएटर का निर्माण किया गया है। इसमें 1000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था रहेगी। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
संग्रहालय: शौर्य स्मारक में एक संग्रहालय का भी निर्माण किया गया है। यहां सेना और सैनिकों से संबंधित पेंटिंग्स और ऑब्जेक्ट्स के जरिए ब्यूटीफिकेशन का जिम्मा संस्कृति विभाग को सौंपा गया है।

पंच तत्वों में प्रस्तुत होगा गरिमामय स्मारक
प्रांगणों के साथ ही स्मारक परिसर में शहीदों से संबंधित संग्रहालय, वीथिकाएं, संसाधन केन्द्र, खुला रंगमंच और अन्य मूलभूत सुविधाओं का समावेश किया गया है। पंच तत्वों पृथ्वी, वायु, जल, आकाश और अग्नि के समावेश से स्मारक अत्यंत विनम्र और गरिमामय रूप में प्रस्तुत होगा।

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के बाद चुना गया आर्किटेक्ट
शौर्य स्मारक के निर्माण के लिए आर्किटेक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इसमें देश के जाने-माने आर्किटेक्ट्स में से विभिन्न चरणों के बाद हाईलेवल ज्यूरी ने सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट को शौर्य स्मारक के प्रोजेक्ट के लिए चुना था।

-----------------------------


सर्जिकल स्ट्राइक पर बोले पीएम मोदी, 'सेना बोलती नहीं पराक्रम करती है'

October 14, 2016 IBNKHABAR.COM
http://khabar.ibnlive.com

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान में पूर्व सैनिक सम्मेलन व शौर्य सम्मान सभा को भी संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सर्जिकल अटैक का जिक्र किया और सरकार पर निशाना साधने वालों को जवाब दिया। पीएम ने कहा कि उरी हमले के बाद उन दिनों रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे, लोग कहते थे मोदी सोता है कुछ करता नहीं, जैसे सेना और रक्षा मंत्री नहीं बोलते। लेकिन मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारी सेना बोलती नहीं, बल्कि पराक्रम करती है। वैसे ही हमारे रक्षा मंत्री बोलते नहीं, काम करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय सेना मानवता की बड़ी मिसाल है। हमारे जवान इसलिए अपना जीवन खपा देते हैं कि देश चैन की नींद सो सकें। ये मेरा सौभाग्य है कि देश के लिए शहीद हुए वीरों को श्रद्धासुमन अर्पित करने का मौका मुझे मिला है। मोदी ने कहा कि हमारी सेना के जवान की मानवता है कि वो किसी से साथ भेदभाव नहीं करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सेना के कई रूप हैं, मगर उसकी चर्चा सिर्फ एक रूप की होती है। वह है यूनीफार्म, हाथ में शस्त्र और आंखों में युद्ध की ज्वाला। उसके कई और भी रूप हैं। सेना प्राकृतिक आपदा के समय लोगों का जीवन बचाने के लिए अपने जीवन को संकट में डाल देती है। बद्रीनाथ, केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा में सेना के काम को देश व दुनिया ने देखा है।

कश्मीर में आई बाढ़ में सेना द्वारा किए गए राहत व बचाव कार्य का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि बाढ़ की समस्या से जूझना सरकार के भी बस का नहीं था, तब सेना के जवानों ने बाढ़ पीड़ितों की जान को बचाने के लिए अपनी जान खपा दी। उन्होंने यह कभी नहीं सोचा कि ये वे लोग हैं, जो उन्हें पत्थर मारते हैं, आंख फोड़ देते हैं, सिर फोड़ देते हैं, कई बार तो हमला इतना बड़ा होता है कि मौत तक हो जाती है।
आतंकवाद का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कि आज आतंकवाद ने भयंकर रूप ले लिया है। पश्चिम एशिया आतंकवाद से घिरा हुआ है। सेना ने यमन में फंसे हजारों लोगों को बचाया। हमने कभी किसी देश की एक इंच जमीन हड़पने के लिए युद्ध नहीं किया।
इससे पहले रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि देश में शौर्य कम नहीं है, 29 सितंबर को हमारी सेनाओं ने एक बार फिर अपना शौर्य दिखाया। उन्होंने कहा कि शिवाजी, महाराणा प्रताप और वर्ष 1965 तथा 1971 के युद्ध में हमारे सैनिकों का शौर्य पूरी दुनिया ने देखा है। ऐसा पराक्रम करने वाले सैनिकों में मध्य प्रदेश के सैनिक भी ह

--------------------------

भोपाल में PM मोदी ने जवानों की तारीफ में कहा -
 कश्मीर में पत्थरबाजी भुलाकर की बाढ़ में मदद

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शौर्य स्मारक सभा में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सेना ने हमेशा लोगों की रक्षा की. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत 'जवानों अमर रहो'नारे के साथ करते हुए कहा कि कश्मीरी सेना पर पत्थरों से हमला करते हैं लेकिन फिर भी जवानों ने बाढ़ के वक्त उनकी मदद की.

पीएम मोदी ने कहा कि कश्मीरियों की पत्थरबाजी के बाद भी सेना ने बाढ़ के वक्त सब कुछ भुलाकर उनकी मदद की थी. उन्होंने कहा कि कश्मीर और केदारनाथ की बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना ने अपने आप को खपाया.

रक्षा के लिए जवानों ने जवानी खपाई
मोदी ने जवानों के शौर्य पर बात करते हुए कहा कि देश की रक्षा के लिए हमारे जवान हमेशा तैयार रहते हैं. उन्होंने कहा कि देश चैन की नींद सो सके इसके लिए जवान अपनी जवानी खपा देते हैं.

विश्व युद्ध में भी शौर्य का परिचय दिया
मोदी ने कहा कि दोनों विश्वयुद्ध से भारत को कोई लेना देना नहीं था, फिर भी उन युद्धों में भारत के करीब डेढ़ लोगों ने कुर्बानी दी.

पाकिस्तान के नागरिकों को भी बचाया
पीएम मोदी ने कहा कि सेना ने हमेशा अपना फर्ज निभाया है. यहां तक कि सेना ने भारत के अलावा यमन में फंसे पाकिस्तान के नागरिकों को भी बचाया है. उन्होंने कहा कि हमारी सेना मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है.

सेना बोलती नहीं, पराक्रम दिखाती है
मोदी ने कहा कि सेना का मनोबल उसका सबसे बड़ा शस्त्र है और यह ताकत सवा सौ करोड़ लोगों की भावना से आती है. उन्होंने कहा कि हमारी सेना बोलती नहीं है वह अपना काम करके दिखाती है.

रक्षा मंत्री बोलते नहीं, काम करते हैं
पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का भी जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से हमारी सेना कुछ बोलती नहीं पराक्रम करती है उसी तरह से हमारे रक्षा मंत्री भी कुछ बोलते नहीं है काम करके दिखाते हैं.

सर्जिकल स्ट्राइक पर बोले मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की तरफ से की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर इशारों में कहा कि पहले रोज उनसे ये सवाल किया जाता था कि मोदी कुछ क्यों नहीं करते. उन्होंने कहा, 'रोज मेरे बाल नोंच लिए जाते थे कि मोदी कुछ करता नहीं है.'

वन रेंक वन पेंशन का वादा किया पूरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन रेंक वन पेंशन का जिक्र करते हुए कहा है कि हमारी सरकार ने वन रेंक वन पेंशन का वादा पूरा किया है, जिसे हम चार किश्त में पूरी तरह वितरित करने की योजना में हैं.

उन्होंने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि ओआरओपी के आधार पर ही सातवां वेतन आयोग गिना जाएगा ताकि सैनिकों को अधिक फायदा हो. उन्होंने कहा, 'हम 50,000 रिटायर्ड फौजियों के लिए रोजगार उत्पन्न कर रहे हैं. हमारी सरकार ने फौजियों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिफ बढ़ाकर 5,500 रुपये कर दी है'

शौर्य स्मारक संस्कार देने के लिए ओपन स्कूल
मोदी ने कहा कि हमें हमेशा हमारे जवानों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शौर्य स्मारक हमारी पीढ़ियों को संस्कार देने के लिए ओपन स्कूल है.




“ दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिये सेना के साहस को नमन ”- हेमन्त विजयवर्गीय

$
0
0








जिला महामंत्री अरविन्द सिसोदिया

भाजपा कोटा का अपना फेसबुक पेज जिला अध्यक्ष विजयवर्गीय ने प्रारम्भ किया
शहर भाजपा के सभी प्रकोष्ठ भंग , अब 10 प्रकोष्ठों का ही गठन होगा
भाजपा की कार्यपद्यती में 10 प्रकल्प, 19 विभाग जुड़ेंगे !
पार्टी कार्य के लिऐ विस्तारक कार्यकर्ताओं को दूसरे क्षैत्रों में भेजा जायेगा
“ दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिये सेना के साहस को नमन ”- हेमन्त विजयवर्गीय


कोटा 15 अक्टूबर । भारतीय जनता पार्टी , शहर जिला की ओर से शनीवार को सायं 4 बजे लायन्स भवन एयरपोर्ट के सामनें, कोटा में भाजपा की जिला बैठक सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता भाजपा जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय ने की तथा मंच पर विधायक नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामकुमार मेहता, पूर्व महापोर श्रीमती सुमन श्रृंगी, जिला महामंत्री अरविन्द सिसोदिया, अमित शर्मा एवं जगदीश जिंदल मंचस्थ रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला संचालन जिला महामंत्री अरविन्द सिसोदिया ने धन्यवाद ज्ञापन जिला महामंत्री जगदीश जिंदल नेे किया ।”
मुख्यवक्ता एवं भाजपा के जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय ने भाजपा की राष्ट्रीय परिषद एवं प्रदेश कार्यसमिति के द्वारा तय की गई कार्यपद्यती एवं कार्यकर्ताओं से अपेक्षा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने देश सीमा पार भारतीय सेना के साहसी आपरेशन की प्रशंसा की तथा पूर्व में शहीद हुऐ सैनिकों को नमन करते हुऐ कहा “ देश आतंकवादियों से जूझ रहा है और देश के अन्दर अराष्ट्रीय तत्व सक्रीय हैं, इन परिस्थितियों में देशवासियों सहित भाजपा कार्यकर्ताओं को सतत् जागरूक रहना होगा। देशसहित के लिए निरंतर सक्रीयता दिखानी होगी। “
विजयवर्गीय ने कहा “ भाजपा अब विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है, केन्द्र , राज्यों , पालिकाओं तथा पंचायती राज क्षैत्र में प्रभावीरूप से कार्य कर रही है। इसीक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कार्यसंचालन की पद्यती में कुछ सुधार करते हुए नय कार्य जोडे़ हें। अब भाजपा मुख्य कार्यकारणी , 6 मोर्चों सहित निरंतर कार्य के लिये 19 प्रकार के विभाग बनायें हैं और 10 अलग - अलग कार्यों के प्रकल्प बनायें है।” उन्होने बताया कि “ अब सभी प्रकोष्ठ भंग कर दिए गये है। राष्ट्रीय स्तर से प्रकोष्ठों की संख्या कम करके मात्र 12 सीमित कर दी गई हे। कोटा में मात्र 10 प्रकोष्ठों का गठन होगा। विस्तारक कार्यकर्ताओं का भी चयन होगा जो 15 दिन से एक वर्ष तक भाजपा को दें और पार्टी योजना से काम करें।”
जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय ने बताया कि “ कोटा शहर भाजपा के एक ही विधानसभा क्षैत्र के 50 से 60 बूथ संख्या के मण्डलों के गठन की प्रदेश कार्यकारणी में सराहना हुई हे । अब सभी भाजपा मण्डलों में कार्यकारणीयों का गठन, 11 - 11 सदस्यीय बूथ कमेटियों का निर्माण एवं मतदान केन्द्रों के संशोधन प्रस्तावों पर कार्य सम्पन्न करना हे। जो कि शीघ्र ही सम्पन्न हो जायेगा। उन्होने 15 दिनों में ही मण्डल बैठकों का आयोजन के निर्देश दिये। ”
बैठक में नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामकुमार मेहता ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा बडे उद्यान में लगानें की आवश्यकता बताते हुये कहा “ में सबसे पहले कार्यकर्ता हूं आप वे झिझक मुझे अपनी समस्यायें बतायें ।” उन्होने कहा “कोटा के विकास के लिऐ न्यास संकल्पबद्ध है। धन की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी। ”
पूर्व महापौर श्रीमती सुमन श्रृंगी ने कहा “मेरी जो भी पहचान है पार्टी से है, पार्टी कार्य ही हमारे लिये सर्वोपरी होना चाहिये। ” उन्होने कहा जनपतिनिधि बनने के बा हमारी जिम्मेवारी ओर अधिक बनती है। श्रीमती श्रृ्रंगी ने कहा “पार्टी के काम में संख्याबल से कहीं अधिक गुणवत्ता का महत्व होता है।”
बैठक में भाजपा आई टी विभाग के जिला संयोजक सुनील पोकरा द्वारा बनाया गया भाजपा कोटा शहर का फेसबुक पेज का शुभारम्भ जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय के द्वारा किया गया । कार्यक्रम में प्रदेश कार्यकारणी सदस्य हनुमान शर्मा जिला उपाध्यक्ष सतीश गोपालानी एवं जिला महामंत्री अमित शर्मा ने भी सम्बोधन किया ।
जिला बैठक में भाजपा जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय, जिला महामंत्री अरविन्द सिसोदिया, अमित शर्मा, जगदीश जिंदल, जिला उपाध्यक्ष सतीष गोपालानी, विशाल जोशी, लक्षमण सिंह खीची, त्रिलोक सिंह, वरिष्ठ भाजपा पूर्व प्रदेश मंत्री भाजपा हीरेन्द्र शर्मा, युवा मोर्चा के विकास शर्मा, लोकेन्द्रसिंह राजावत, पंकज चतुर्वेदी, राकेश चतुर्वेदी, पूर्व जिला महामंत्री नेता खण्डेलवाल, पूर्व मुख्य सचेतक रविन्द्र सिंह सोलंकी, पुरूषोतम अजमेरा, कोर कमेटी सदस्य महेश वर्मा, जिला मंत्री कैलाश गौतम, अशोक जैन, पूर्व नेता प्रतिपक्ष बृजमोहन सेन, पार्षद भगवान गौतम, विनोद नायक आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।
एस सी मोर्चा अध्यक्ष अशोक बादल, महामंत्री नरेन्द्र मेघवाल , देवू राही , महिला मोर्चा की महामंत्री रेखा खेलवाल सहित मंजु विश्नोई, सीमा भारद्वाज, श्रीमती प्रभा तंवर , श्रीमती तनुजा खन्ना सहित । मण्डल अध्यक्ष किसन प्रजापति, पंकज साहू, प्रेमसिंह गौड़, शिवनारायण शर्मा,शैलेन्द्र ऋषि , उमेश मेवाडा, विवेक मित्तल,  बाबूलाल रेनवाल,खेमचन्द शाक्यवाल ,
मण्डल महामंत्रियों में पवन भटनागर, रमेश शर्मा, प्रमोद मित्तल, मनोज निराला, डालूराम मराठा, सियाराम वैष्णव, मुकेश सिंह, किशोर सिंह, देवेन्द्र तिवारी, शिवनारायण शर्मा , आईटी सेल के जिला संयोजक सुनील पोकरा, रोहित गर्ग, प्रखर कौशल,सचिन मिश्रा मोनू, घनश्याम ओझा , पूर्व पार्षद रघुराज सिंह सोलंकी, भंवरसिंह पंवार, पु आदि ने प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
भवदीय
अरविन्द सिसोदिया,
जिला महामंत्री 9414180151

Eternal Vigilance is the Price of Liberty : PM Narendr Modi

$
0
0



Indian Armed Forces rank the best in the world on parameters of discipline and conduct: PM Modi
October 14, 2016

India's soldiers are a symbol of humanity: PM Modi
Our jawans put their lives on the line whenever there is a natural disaster: PM ModiIndian Armed Forces rank among the best in the world on parameters such as discipline and conduct: PM Modi
India is one of the foremost contributors to peace keeping forces worldwide, says the Prime Minister
Indian Armed Forces had evacuated not just thousands of Indian citizens, but citizens of other nations as well: PM
India has never coveted territories of other nations: Prime Minister Modi
During the World Wars, so many Indian soldiers sacrificed their lives defending foreign lands: PM
We must not forget, and we should also make sure that the world does not forget, the sacrifices made by our jawans: PM
The strength of the Indian Armed Forces is the morale of its jawans, which comes from the support of 125 crore Indians: PM
Our Govt fulfilled its promise of One Rank, One Pension: PM



शहीदो अमर रहो अमर रहो

शहीदो अमर रहो अमर रहो

बंदे मातरम बंदे मातरम

बंदे मातरम बंदे मातरम

बंदे मातरम बंदे मातरम

मेरा सौभाग्‍य है इस महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक अवसर पर आप सबके बीच आ करके इस देश के वीर जवानों को नमन करने का मुझे अवसर मिला है, श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सौभाग्‍य मिला है। हमारे देश में जब सेना का हम स्‍मरण करते हैं तो उसका ज्‍यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है, यूनिफॉर्म, हाथ में शस्‍त्र, आंखों में ज्‍वाला जैसे हर पल दुश्‍मन की तलाश में हो। लेकिन कभी-कभी ये भी सो‍चें कि भारत के सैन्‍य बल मानवता की एक बहुत बड़ी मिसाल हैं। कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो, पिछले कुछ दिनों में हम सबकी स्‍मृति में है बद्रीनाथ, केदारनाथ का प्राकृतिक संकट। अब पूरा देश, देश के जवानों को अपने अपने स्‍थान से नमन कर रहा था। जिस प्रकार से वो जद्दोजहद करके आपत्ति में फंसे हुए लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते थे।

दो वर्ष पूर्व जब श्रीनगर में बड़ी भयंकर बाढ़ आई, पहली बार श्रीनगर ने इतनी भयंकर बाढ़ देखी। ऐसी समस्‍याओं से जूझना एक सरकार के लिए भी कठिन काम था। ऐसे समय देश ने देखा कि हमारी सेना के जवान श्रीनगर की इस वादियों में बाढ़ पीडि़तों के जीवन बचाने के लिए अपने-आप को खपा रहे थे। और जब वो इन मुसीबत में फंसे लोगों की सेवा कर रहे थे, उनको बचाने में लगे थे, ये मेर सेना का प्रशिक्षण देखिए, मेरी सेना के भीतर भरी हुई उस मानवता देखिए, कि कभी उन्‍होंने ये नहीं सोचा कि ये तो वो लोग हैं, जो कभी पत्‍थर मारते हैं, कभी हमारी आंखे फोड़ देते हैं, कभी हमारा सिर फोड़ देते हैं, कभी पत्‍थरों का हमला इतना भयंकर होता है कि मौत का शरण हो जाता है। ये सब अनुभव करने के बाद भी जब मानवता ने ललकारा, यही मेरे फौज के जवान, कल क्‍या हुआ था; किसने क्‍या किया था; इसका रत्‍ती भर मन में न रखते हुए, उसकी भी जिंदगी मेरे देशवासी की जिंदगी है, उसको बचाने के लिए वो जी-जान से जुटे रहे।

आज पूरे विश्‍व में दुनिया के जो रक्षा बल हैं, सुरक्षा बल हैं, हो सकता है कि दुनिया के कई देशों के पास सैन्‍य शक्ति हमसे सैंकड़ो गुना ज्‍यादा होगी, लेकिन विश्‍व जब हमारे सुरक्षा बलों के भिन्‍न-भिन्‍न पैरामीटर से मूल्‍यांकन करते हैं तो discipline, आचार, सामान्‍य नागरिकों के प्रति व्‍यवहार, इन सारे मानकों में भारत की सेना प्रथम प‍ंक्ति में नजर आती है, पूरे विश्‍व में नजर आती है। पूरे विश्‍व में शांति के लिए एक peace keeping फोर्स बना हुआ है। जिसमें दुनिया भर के रक्षा बल के जवान बारी-बारी से आते हैं, कोई दो साल वहां सेवा देते हैं; कोई तीन साल देते हैं; जिस देश में उनको लगाया जाये वहां जाते हैं; उस देश की शांति के लिए वो अपना जीवन लगा देने के लिए तैयार हो जाते हैं। विश्‍व का जो peace keeping फोर्स है, हर हिन्‍दुस्‍तानी को गर्व होगा कि विश्‍व के इस peace keeping फोर्स में इतने वर्षों में लगातार सबसे अधिक योगदान करने वाला कोई देश है, तो उस देश का नाम हिन्‍दुस्‍तान है। और ये इसलिए संभव होता है कि हमारे सुरक्षा बल के जवानों ने सिर्फ शस्‍त्र के आधार पर नहीं, नैतिकता के अधिष्‍ठान पर, अपने आचरण पर, अपने व्‍यवहार पर विश्‍व को जीतने में सफलता पाई है, जब जा करके ये सिद्धि प्राप्‍त होती है।

इन दिनों West Asia में लगातार बम धमाके की आवाज सुनाई दे रही है। आतंकवाद ने भयंकर रूप ले लिया है। यमन में हिन्‍दुस्‍तान के हजारों नागरिक फंसे थे, बम वर्षा हो रही थी, जीवन और मृत्‍यु के बीच भारत के नागरिक वहां मुसीबत से घिरे हुए थे, हमने सेना के जवानों को वहां भेजा, मदद के लिए हर व्‍यवस्‍था ले करके भेजा, और ये सेना के जवानों का पराक्रम देखिए, 5 हजार से ज्‍यादा वहां पर फंसे हमारे भाई-बहनों को सलामत हिन्‍दुस्‍तान वापस लेकर आए। और सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान के नहीं, दुनिया के अनेक देशों के नागरिकों को भी; पाकिस्‍तान के नागरिकों को भी; बचा करके ले आए थे। ये भारत की सेना इसके इन रूपों को अभी भी हम समय-समय पर तो कभी नजर पड़ जाती है, लेकिन सात्‍यत्‍य रूप से हम इस शक्ति को कभी-कभी भूल जाते हैं और सिर्फ सीमा, गोलियां, बम, बंदूक, पिस्‍तोल, दुश्‍मन, उसी के इर्द-गिर्द इस ताकत को तराजू पर तोलते रहते हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा, हिन्‍दुस्‍तान का इतिहास तो इस बात का गवाह है, हजारों साल का हमारा इतिहास है, हमारे पूर्वजों ने कभी भी किसी की एक ईंच जमीन के लिए झगड़ा नहीं किया है, युद्ध नहीं किया है, दुनिया के किसी देश को दबोचने के लिए, अपना बनाने के लिए आक्रमण नहीं किया है। लेकिन अगर मूल्‍यों के, आदर्शों के लिए जीवन-मृत्‍यु का जंग खेलने की नौबत आई, हिन्‍दुस्‍तान की सेना कभी पीछे नहीं है।


मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, बहुत कम लोगों को पता होगा कि प्रथम विश्‍वयुद्ध और द्वितीय विश्‍वयुद्ध, ये लड़ाइयां न हमने की थीं, न ही ये युद्ध हमारे लिए हुआ था, न ही इस युद्ध के नतीजे का हमें कोई लाभ होना था। इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन दो विश्‍वयुद्ध में इसी धरती की संतान, मेरे देश के वीर जवान, मेरे वीर सैनिक, डेढ़ लाख जवानों ने बलिदान दिया था, डेढ़ लाख। पूरा विश्‍व इस बात को भुला दे रहा है, दुर्भाग्‍य है कि कभी-कभी हम भी भुला देते हैं। डंके की चोट पर दुनिया के सामने हमारे पूर्वजों का मानवता के लिए किया हुआ ये त्‍याग और बलिदान बार-बार दुनिया को स्‍मरण कराने की आवश्‍यकता है। यहां गांधी ऐसे पैदा नहीं होते हैं, यहां बुद्ध ऐसे पैदा नहीं होते हैं, एक महान परम्‍परा है जिसमें से वीर सैनिक भी मानवता के लिए मरते हैं तो गांधी भी मानवता के लिए जीते हैं, ये इस धरती की विशेषता रही है। और उसी विशेषता को ली करके आज दुनिया में हमारी सेना पर गर्व कर सकते हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, हमारे और भी सुरक्षा बल, BSF के जवान, जिस प्रकार से सीमा पर डटे होते हैं, CRPF के जवान, Coast guard के जवान, अनगिनत व्‍यवस्थाएं हैं, जो इसलिए अपनी जवानी खपा देते हैं, कि हम चैन की नींद सो सकें। मेरे देश की सेना को हम चैन की नींद सो जाएं, उसे सर्वाधिक खुशी मिलती है। हम चैन की नींद से सो जाएं, उसे संतोष होता है। हमारे सोने पर उसको शिकायत नहीं होती है। लेकिन जागने के वक्‍त भी अगर सो जाएं तो सेना हमें कभी माफ नहीं करती है और दुर्भाग्‍य ये है कि कभी-कभी हम जागने के समय भी सोए पाए जाते हैं। संस्‍कृत में कहा है :

राष्ट्रायाम जागरयाम वयम Eternal Vigilance is the Price of Liberty.

सतत् जागते रहो। और सिर्फ सेना के जवान जागते रहें, ये तो उनके साथ अन्‍याय होगा। हमें भी जागने के समय तो जागना ही चाहिए। उस समय सोने का हमें हक नहीं है। अगर कोई ये भ्रम रखता है कि हाथ में कितना आधुनिक शस्‍त्र है, गोली कितनी दूर तक जा सकती है, इतने मात्र से सेना जीत जाती है तो ये हमारा भ्रम है। सेना का सबसे बड़ा जो शस्‍त्र होता है वो उसका मनोबल होता है। उसके मन की ताकत होती है। और ये मनोबल ये मन की ताकत शस्‍त्र से नहीं आती है, सवा सौ करोड़ देशवासियों की एक साथ मिल करके उनके पीछे खड़े रहने से आती है।

हमारे देश में मैं बड़ी पुरानी एक घटना मुझे स्‍मरण है, 62 (sixty two) के war बाद दिवाली के दिन थे, तो लोग मिठाई के पैकेट फोज को भेजते रहते थे, कोई भी पता मिल जाए तो, ठीक है कि देश के आर्मी के जवान ऐसा कह करके भेजते रहते थे। पहुंचते पहुंचते शायद वो खराब भी हो जाए लेकिन भक्ति भाव से पहुंचते थे। मैंने कभी सुना था कि बड़ौदा से एक बेटी ने किसी जवान को मिठाई भेजी, अपना पता भी उसमें डाल दिया साथ-साथ। जिस जवान के पास वो मिठाई पहुंची, साथ में वो पता भी पहुंचा। और बाद में मुझे पता चला कि जीवनभर उस फौजी ने उस बहन को अपनी सगी बहन से ज्‍यादा प्‍यार दिया। ये सेना के रूप जो हैं, इसे कभी-कभी हम भलीभांति समझ नहीं पाते हैं। हमारी सेना, और मैंने कहा था सेना बोलती नहीं है, सेना पराक्रम करती है। और उस दिन रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे, मोदी सो रहा है, मोदी कुछ कर नहीं रहा है। लेकिन जैसे हमारी सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती हैं, हमारे रक्षा मंत्री भी बोलते नहीं हैं।

प्‍यारे देशवासियो, मैं मध्‍यप्रदेश सरकार को विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने ये शौर्य स्‍मारक का निर्माण किया, युद्ध स्‍मारक तो होते हैं, शहीद स्‍मारक भी होते हैं; लेकिन शौर्य स्‍मारक इसके अंदर ये सब कुछ समाहित होता है, उससे भी प्‍लस (Plus) होता है। ये शौर्य स्‍मारक हम सबके लिए एक तीर्थ क्षेत्र है। हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए ये प्रेरणा का मंदिर है। हम देखें तो सही, अनुभव तो करें, हम जानें तो सही सेना है क्‍या? जिंदगी क्‍या है उनकी? ऐसी कौन सी ट्रेनिंग है कि रग-रग में हिन्‍दुस्‍तान समाया हुआ है। क्‍या कारण है पूरे भारत मां को अपना परिवार बना लिया है और अपनों को अकेले छोड़कर चल दिए। ये छोटा त्‍याग नहीं है दोस्‍तो; शब्‍दों में इसका वर्णन नहीं हो सकता। ये वीरों की गाथा है, हर पल हर कदम प्रेरणा की एक नई शक्ति इन वीरों से हमें प्राप्‍त होती है। उनका जीवन, उनका कार्य हर हिन्‍दुस्‍तानी के जीवन को देश के लिए जीने की, देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता रहता है। और हमारे देश के सभी गणमान्‍य कवि, उनकी कलम, कोई ऐसी कलम नहीं होगी कवियों की, जिसने देश के वीर जवानों को, शहीदों को, वीरों को, योद्धाओं को, सैनिकों को स्मरण न किया हो, अंजलि न दी हो। हम लोग बचपन में पढ़ा करते थे माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता, और माखनलाल जी ने कहा था:-

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।

भाइयो-बहनों, रामधारी सिंह दिनकर, आज इस शौर्य स्‍मारक के उद्घाटन के समय उनकी एक कविता बहुत सटीक बैठती है, उन्‍होंने लिखा है :-

कलम, कलम, आज उनकी जय बोल

कलम आज उनकी जय बोल

जला अस्थियां बारी-बारी, जला अस्थियां बारी-बारी

चिटकाई जिनमें चिन्‍गारी

जला अस्थियां बारी-बारी, चिटकाई जिनमें चिन्‍गारियां

जो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर, जो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर

लिए बिना गर्दन का मोल, लिए बिना गर्दन का मोल,

वो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर

ऐसे महापुरुषों का, वीर पुरुषों का, हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से एक मांग कर रहे थे One Rank One Pension. अनेक लोग निवृत्‍त हो गए, मांग करते रहे, लेकिन फौजी थे, Disciplined थे, देश उनके लिए पहले था, खुद बाद में था इसलिए यूनियन वालों की तरह उन्‍होंने कभी झगड़े किए नहीं, तौर-तरीके से अपनी बात बता रहे थे। और हर सरकार बहुत ही बढि़या-बढि़या शब्‍दों में वादे भी करती थी। कोई ऐसी सरकार नहीं है जिसने वादे न किए हों। और कुछ लोग तो इतने बड़े होशियार थे कि दो सौ, पांच सौ करोड़ रुपये बजट में डाल भी देते थे। ये सरकार आने के बाद हमने वादा किया था कि हम One Rank One Pension लागू करेंगे। और मैं आज मेरे वीर जवानों के सामने सर झुका करके इस वादा हमने पूरा कर दिया, आज मैं सन्‍तोष की अनुभूति कर रहा हूं। चार किस्‍त में, चार किस्‍त में उसकी भुगतान करने के लिए हमने तय किया है, क्‍यों‍कि इतना बड़ा आर्थिक बोझ है कि एक साल में भारत सरकार के लिए भी देना मुश्किल है। तो इसलिए उसको चार किस्‍त में बांटा है। अब तक साढ़े पांच हजार करोड़ रुपया वितरित हो चुके हैं। फौजी के घर, उसके खाते में जमा हो चुके हैं। और लाभ कितना हुआ है, जो हवालदार, जो हवालदार जिसने 17 साल, Seventeen Years फौज में काम किया और निवृत्‍त हुआ, OROP के पहले उसको चार हजार रुपये 4090 रुपया मिलता था, 4090। OROP के बाद उसको करीब-करीब 7600 रुपया मिलना शुरू हुआ। यानी करीब करीब 30 percent से भी ज्‍यादा इजाफा।
भाइयो-बहनों, अभी 7वां Pay Commission आया। हर Pay Commission में कोई न कोई Anomaly रहती हैं, हर एक बार रहती हैं, एक Anomaly Committee बैठती है वो समस्‍या का समाधान के रास्‍ते खोजती है। भारत सरकार भी उस दिशा में है, Seventh Pay Commission के बाद हमारी सेना के जो मुखिया हैं उन्‍होंने भी हमें चिट्ठी दी है, उस पर हम काम कर रहे हैं। और जरूर अच्‍छा परिणाम उससे भी आएगा। लेकिन एक महत्‍वपूर्ण बात मैं बताता हूं, 7th Pay Commission ने कहा है कि 6th Pay Commission से जो वेतन मिलता था 7th Pay Commission में उसको 2.57 गुना बढ़ाया जाये। भारत सरकार ये कर सकती थी क्‍योंकि 7th Pay Commission ने कहा था। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हमने कहा 6th Pay Commission को आधार मान करके अगर फौज के लोगों को देंगे, निवृत्‍त लोगों को पेंशन देंगे तो उनको बहुत कम फायदा होगा। हमने कहा कि निर्णय हमने किया कि OROP मिलने के बाद जो उनका वेतन का Wage बना है उसी के आधार पर 7th Pay Commission गिना जाएगा, उनको भले ही double फायदा हो जाए लेकिन मेरे देश के जवानों के लिए ये करना जरूरी है, हमने किया।

मैंने एक बार, मेरा एक प्रगति कार्यक्रम चलता है। जिसमें में Video Conference के सभी Department सभी राज्‍यों के साथ समस्‍याओं का समाधान करता हूं। मैंने पड़ताल की, निवृत्‍त फौजियों की complaint का क्‍या हाल है। और मैं हैरान था ढेर सारी complaint pending पड़ी थीं। हमने Technology का इस्‍तेमाल किया है, और बहुत तेज गति से हमारे निवृत्‍त फौजियों की जो शिकायतें हैं, उसका समाधान करने के लिए और बहुत बड़ी सफलता, तेज गति से सफलता प्राप्‍त्‍ हुई है। एक और काम हमने किया है। हम जानते हैं, Civilian Society को ये ध्‍यान में नहीं आता है। Civilian Society सोचती है कि भाई जवानी में तो जरा जो कुछ भी करना है कर लो, बाद में क्‍या कर पाएंगे। उसके दिमाग में जवानी का ख्‍याल अलग होता है, और 35-40 साल का होने के बाद सोचता है चलो यार अब बहुत कुछ कर लिया, अब देखो ठीक से आराम से जिंदगी गुजार लेंगे। फौज का उलटा होता है, जिस जीवन उम्र को हम मौज की उम्र समझते हैं, कुछ कर गुजरने की उम्र होती है, उस समय मेरे देश का जवान अपनी जवानी सीमा पर खपा देता है। सुख-वैभव, ऐश-आराम, मौज, सपने, अरमान मां भारती को, मिट्टी को समर्पित करके अपना जीवन गुजारता है। और 15-17 साल की नौकरी के बाद जब घर आता है, 40, 42, 35 साल की उम्र होती है, हम लोग उस समय बहुत कर लिया अब आराम से जिएंगे और सोचते हैं। वो आ करके सोचता है अब नई जिंदगी शुरू कैसे करूं। एक Question Mark के साथ जिंदगी शुरू करते हैं।

आज हम हर वर्ष निवृत्‍तमान फौजियों को, 50,000 लोगों को तत्‍काल रोजगार का प्रबन्‍ध करते हैं। अभी एक बड़ा महत्‍वपूर्ण काम किया है भारत सरकार ने। फौज में से जो रिटायर होना तय कर लेता है कि बस मुझे अब नहीं रहना है जाना है, एक उम्र के बाद उसको जाने दिया जाता है। तो आखिरी वर्ष सरकार की तरफ से उसको Skill Development के Certificate Course के लिए Training दी जाती है। भारत सरकार का Skill Development Department और हमारी सेना के तीनो अंग, उनके साथ MOU हुआ है। Skill Development करने के बाद उसको Certificate दिया जाता है। अब फौज के लोग फौज के अंदर Training तो पाते ही हैं, वहां भी Communication Expert होते हैं, वहां भी Technology के Expert होते हैं, वहां भी Expert Driver होते हैं, लेकिन जब वो बाहर आते हैं, तो लोग कहते हैं भई तुम्‍हारे पास Certificate है क्‍या? तो काम नहीं मिलता है।

पहली बार भारत सरकार ने फौज में निवृत्‍त होने वाले लोगों के पास जो Skill है उसको Special Training आखिरी वर्ष में देना, Certificate देना और जिस प्रकार के जो Market हैं वहां उसको एक रोजगार मिले, वरना उसकी जिंदगी आने के बाद भी कहीं न कहीं चौकीदार के नाते जाती थी। अब वो के Trainer रूप में काम करेगा, Skill Developer के रूप में काम करेगा, देश की युवा पीढ़ी को Skill देने का काम करेगा। ये एक बहुत बड़ा अहम फैसला इस सरकार ने किया है।

शायद बहुत नागरिकों को कम पता होता है। सरकार में एक रक्षा मंत्री विवेकाधीन राशि रहती है, जो निवृत्‍त फौजी होते हैं उनके परिवारों में कोई तकलीफ हो, आवश्‍यकता हो, कोई बच्‍चों की पढ़ाई का विषय हो, कोई जरूरत हो, बेटी की शादी हो, इन सारे विषयों के लिए वो मदद करता है। पहले एवरेज ये लाभ 10 से 12 हजार लोगों को साल में मिलता था। ये हमारे रक्षामंत्री जी इतने Pro Active हैं कि आज हर वर्ष 50 हजार परिवारों को कोई न कोई मदद इस व्‍यवस्‍था से दी जाती है। पहले फौज से जो निवृत्‍त हुए उनके बच्‍चों को Scholarship देते थे और वो करीब-करीब साल पूरा होने के बाद पहुंचती थी। अब उसको Technology से जोड़ दिया है, ताकि उसको पहले सत्र में ही ये Scholarship मिल जाए, ताकि उसके जो व्‍यवस्‍था हैं उसको चलती रहें।

पहले Scholarship 4,000 रुपये मिलती थी, इस सरकार ने आ करके फौज के इन संतानों के लिए 4,000 से बढ़ा करके इस राशि को 5,500 कर दिया है ताकि उनको इसका लाभ मिल सके। हवालदार तक के जो फौजी होते हैं, जो निवृत्‍त होते हैं और सेना में 80-90 Percent लोग यही होते हैं। बाकी तो 10 Percent में सब आ जाते है। 80-90 Percent यही लोग होते हैं। हवालादार तक के जो लोग रिटायर होते हैं, अगर उनकी बेटी की शादी हो रही है तो पहले सरकार बेटी की शादी के लिए 16,000 रुपये देती थी। हमारे रक्षामंत्री जी की उदारता है, अब ये राशि 50,000 रुपया कर दी गई। हमारे यहां फौज में जो Disable लोग होते हैं, लड़ाई में चोट पहुंचती है, Injury होती है, फौज के लोगों को परेशानी रहती थी, अस्‍पताल से Certificate लेना कि कितने Percent Disable हैं। बहुत बड़ा संकट का काम रहता था और वो इसको बड़ी मुश्किल से पार करता था। कोई कहता था नहीं 20 Percent है, कोई कहता था 25 Percent, कोई कहता था 30 Percent, कभी ज्‍यादा हुआ तो कोई 45, 50, 55, और उसके आधार पर उसको आर्थिक सहायता मानदंड रहता है। इस उलझन से फौजियों को बड़ी तकलीफ होती थी। कुछ फौज के लोग मुझे मिले थे, ये बाते मेरे ध्‍यान में लाए थे। अब हमने उसको एक Broad Branding की व्‍यवस्‍था बना दी है जिसके कारण 50 से कम वाले, 75 और 50 के बीच वाले और 75 से ऊपर वाले तीन ही Slab में सब डाल दिया ताकि अब फौजी को इस संकट से गुजरना न पड़े और इस काम को वो आराम से कर सके।

इतना ही नहीं हमारे फौज के जवानों को निवृत्‍त होने के बाद भी Medical Help के लिए हमने करीब Four Hundred Seventy Two नए अस्‍पताल Empanel किए हैं जिसमें फौजी को Cashless Treatment दी जाती है। हमारे मध्‍यप्रदेश में हमने Sixty Four अस्‍पताल को फौजियों के लिए Empanel किया है। तो एक के बाद एक ऐसे अनेक काम आज फौजियों के लिए, हमारे जवानों के लिए, एक संवेदनशील सरकार, भारत की आन-बान-शान, ये हमारे जवान, उनके लिए प्राथमिकता देते हुए हम देश के अंदर योजनाएं बनाते हैं। हमारी कोशिश है कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर कैसे बने? सशस्‍त्र हमारे देश में उत्‍पादन कैसे हो? हमारे देश के नौजवानों में भी Ability है, Talent है, दम है। पिछले दो साल से मैं लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा हूं और मुझे विश्‍वास है कि वो दिन जरूरत आएगा जब हिन्‍दुस्‍तान अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के तो शस्‍त्रात्र यहां बनाएगा, बनाएगा, लेकिन दुनिया को भी बेचने की ताकतवाला बन सकता है, ये ताकत इस देश में पड़ी है। और हम उस दिशा में भी काम कर रहे हैं।

मेरे प्‍यारे-भाइयो, बहनों, मैं फिर एक बार वीर शहीदों को प्रणाम करता हूं। मैं उन माताओं को प्रणाम करता हूं जिन माताओं ने ऐसे वीर योद्धाओं को जन्‍म दिया है। मैं उन बहनों को प्रणाम करता हूं जिसने शायद अपना पति खोया होगा, जिसने शायद अपना भाई खोया होगा और उसके बाद भी मां भारती की सेवा करने का प्रण ले करके जीने वाले इन परिवारों को भी मैं आज नमन करता हूं।

भाइयो-बहनों, दुनिया में, दुनिया में कई देशों में परम्‍परा है, अभी वो परम्‍परा हमारे देश में पनपी नहीं है। लेकिन वो पनपे ऐसी है, हम कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि दुनिया के किसी देश में मान लीजिए आप Airport पर बैठे हैं, सैंकड़ों मुसाफिर बैठे होते हैं Airport पर। और अगर फौज के दो-चार जवान यूनिफॉर्म में वहां से निकलते हैं, तो Airport पर बैठे हुए सारे नागरिक खड़े हो जाते हैं, तालियों से उनका अभिनंदन करते हैं और वो अपने रास्‍ते पर चलते रहते हैं। अपने जो जहाज में जाना है, चले जाते हैं। रेलवे में कहीं दिखाई दिए, तो वहां के देश के नागरिक उनको देखते ही खड़े होते हैं, तालियां बजाते हैं, उनका गौरवगान करते हैं। क्‍या हम हमारे देश में, हम हमारे देश में धीरे-धीरे ये स्‍वभाव बना सकते हैं क्‍या? मेरे फौज के लोग जाते हों कहीं भी, हर समय युद्ध के समय उनको याद करें वो ठीक नहीं है। चौबिसों घंटे उनके प्रति हमारे मन में आदर रहना चाहिए, उनके प्रति भक्तिभाव रहना चाहिए।

क्‍या आप लोग कभी भी इस प्रकार से फौजियों को आते-जाते देखेंगे तो तालियों की गड़गड़ाहट से उनका सम्‍मान करेंगे? भूल तो नहीं जाएंगे? चीजें छोटी होती हैं लेकिन सामान्‍य जीवन पर और खास करके फौजी के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव होता है। मुझे विश्‍वास है कि शौर्य स्‍मारक जैसी व्‍यवस्‍था के द्वारा हम हमारे देश के नागरिकों को भी प्रशिक्षित कर पाएंगे। ये सिर्फ जवानों का सम्‍मान है, इतना ही नहीं, हमारी पीढि़यों को संस्‍कारित करने का भी एक Open School है ये। ये Open University है, उस रूप में उसका उपयोग हो। मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से अभिनंदन करता हूं, मध्‍यप्रदेश सरकार का भी अभिनंदन करता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए:-

शहीदो - अमर रहो।

अवाज दूर-दूर तक जानी चाहिए।

शहीदो - अमर रहो।

शहीदो - अमर रहो।

शहीदो - अमर रहो।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।


संत शंभू सिंह कौशिक महाराज : गायत्री परिवार साधना आश्रम

$
0
0





स्मृति शेष : शत शत नमन्  !!
गायत्री परिवार साधना आश्रम बोरखेड़ा कोटा के संस्थापक संत शंभू सिंह कौशिक महाराज का रविवार को निधन हो गया। संत कौशिक महाराज नशा छुड़ाने वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने पूरे संभाग में सैकड़ों लोगों से पशु बलि, लोगों से अपराध नशा छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई। कंजर, बागरी और मोग्या जाति के लोगों को अपराध से दूर कर मेहनत मजदूरी में लगाया। ये लोग आज भी अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं।

कौशिक महाराज के बड़े बेटे यज्ञदत्त सिंह हाड़ा ने बताया कि उनका जन्म 1928 को गणगौर तीज पर करवाड़ के हाड़ा राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आनंद सिंह हाड़ा और माता सज्जन कंवर थीं। उन्होंने 1956 में श्रीराम आचार्य से दीक्षा ली। 1958 में इनको कौशिक महाराज नाम मिला। 1960 में कौशिक महाराज ने बलि बंद करने के लिए आंदोलन की बागडोर संभाली। उनके प्रयासों के चलते 187 स्थानों पर पशु बलि बंद हो गई। 1958 में मोईकलां के मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक पद से नौकरी छोड़कर धर्म प्रचार में लग गए। 1961 में कोटा में आश्रम बनाया। संत कौशिक महाराज के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। वे 90 साल के थे और कुछ दिनों से बीमार थे। हाल में उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था।

1500 गांवों के लोगों से नशा छुड़ाया
छोटे बेटे युधिष्ठिर सिंह हाड़ा ने बताया कि संत कौशिक महाराज ने आश्रम को केंद्र बनाकर मध्यप्रदेश के उज्जैन, नागदा, बड़नगर, रतलाम, खाचरोद, जावरा, मंदसौर, झाबुआ, देवास, गुना, कुंभराज सहित 371 गांव, छबड़ा और अटरू, बूंदी, इटावा सहित हाड़ौती संभाग में करीब 1000 गांवों और पाली जोधपुर नागौर में 150 गांवों के लोगों को गायत्री यज्ञ के माध्यम से नशा, हिंसा अपराध छुड़ाया।

समान नागरिक आचार संहिता : आज की जरूरत

$
0
0



क्या समान नागरिक संहिता जरूरी है?
संजय कुमार , Sep 15, 2014
http://www.bhaskar.com/news
केंद्र में सत्ता हासिल करने के कुछ ही महीने बाद सत्तारूढ़ दल के गोरखपुर से सासंद योगी आदित्यनाथ ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर अपनी सरकार से रुख स्पष्ट करने की मांग की। सांसद के दृष्टिकोण से उनकी मांग सही हो सकती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के अपने चुनाव घोषणा-पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह समान नागरिक संहिता को लागू करेगी। केंद्रीय कानून मंत्री रवीशंकर प्रसाद ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए यह सही कहा कि नागरिक संहिता की दिशा में ऐसी किसी पहल पर व्यापक विचार-विमर्श जरूरी है।
अब इसमें शायद ही किसी को संदेह हो कि इस मुद्‌दे पर व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिए, खासतौर पर उनमें, जिनका इस फैसले पर बहुत कुछ दांव पर लगा है। हालांकि, सवाल यह है कि कुछ समुदाय के पर्सनल कानून को हटाने के इस फैसले का कई तबकों की ओर से कड़ा विरोध हो सकता है, जिसका सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ सकता है। क्या सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ने की कोई पहल करनी भी चाहिए? क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण से संगत होगा, जिसमें सामाजिक सौहार्द पर अत्यधिक जोर दिया गया था?
मुझे वाकई इस बारे में संदेह है कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के हित और उनके कल्याण को ध्यान में रखकर समान नागरिक संहिता के लिए पहल करना चाहती है। किसी तबके के कल्याण की चिंता की बजाय इसमें राजनीतिक दृष्टिकोण नजर आता है। अामतौर पर यह समझा जाता है कि ऐसी किसी पहल का हिंदू समर्थन करेंगे, जिससे सत्तारूढ़ दल को अपने पक्ष में बहुसंख्यक समुदाय के वोट लामबंद करने में मदद मिलेगी। दीर्घावधि में इससे उसे चुनावी फायदा मिलेगा।
भाजपा ने हाल में लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की है और इसमें हिंदू मतों की लामबंदी प्रमुख कारक था। ऐसे में क्या पार्टी को यह मुद्‌दा उठाने की जरूरत है? फिर ऐसा सोचना गलत होगा कि समान नागरिक संहिता लाने के प्रयासों से िहंदू मतों का ध्रुवीकरण होगा, क्योंकि सारे हिंदू इस विचार का समर्थन नहीं करते। हिंदुओं में ऐसे तबके हैं, जो विवाह और संपत्ति के मामले में अल्पसंख्यक समुदाय को स्वतंत्रता देने के विचार का समर्थन करते हैं। समान नागरिक संहिता को संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत रखने में कोई बात तो होगी, जिसके तहत ऐसी किसी नीति को लागू करना सरकार के लिए आवश्यक नहीं है और इसे केवल सरकार का कर्तव्य माना गया है। यहां यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि जवाहरलाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे तब लंबी बहस के बाद यह तय हुआ था। इस मुद्‌दे पर तो बहस इससे भी बहुत पुरानी है। उपनिवेशकालीन भारत में 1840 की लेक्स लोसाय रिपोर्ट ने जोर देकर कहा था कि अपराध, सबूत और अनुबंध को लेकर कानूनों में समान संहिता आवश्यक है, लेकिन इसके बावजूद इस समिति ने हिंदू और मुस्लिमों के निजी कानूनों को ऐसी किसी संहिता से दूर ही रखने की सिफारिश की थी।
समान नागरिक संहिता 1980 के दशक में जन-चर्चा का बड़ा विषय बन गई थी, जब शाह बानो नामक मुस्लिम महिला को 73 साल की उम्र और विवाह के 40 वर्षों के बाद पति मोहम्मद अहमद खान ने सिर्फ तीन बार ‘तलाक’ कहकर त्याग दिया था। निचली अदालत ने तलाक देने वाले पति को शाहबानो को भरण-पोषण का खर्च देने का निर्देश दिया। अहमद खान ने 1981 में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सर्वोच्च न्यायालय ने 1985 में ‘पत्नियों, बच्चों और पालकों के भरण-पोषण’ के तहत (अखिल भारतीय आपराधिक नागरिक संहिता का अनुच्छेद 125), जो सारे नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है, शाहबानो का दावा मंजूर किया।
अभी हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने मूलचंद कुचेरिया की जनहित याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया था, जिसमें देशभर में निश्चित समय-सीमा के भीतर समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की गई थी। इसका आधार 1995 के सरला मुद्‌गल बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाया गया था। हालांकि, सामान नागरिक संहिता होनी चाहिए या नहीं, यह लंबे समय से बहस का विषय रहा है। ज्यादातर पूर्ववर्ती सरकारों ने समान नागरिक संहिता लागू करने में शायद ही कोई रुचि दिखाई है। यहां तक कि 1998-2004 के बीच केंद्र की सत्ता में रही एनडीए सरकार ने इस दिशा में शायद ही कोई प्रयास किया। अब भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में आई है और इसकी स्थिरता सहयोगी दलों पर निर्भर नहीं है। ऐसे में भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करने की जरूरत है कि क्या वह इस दिशा में आगे की ओर कदम बढ़ाना चाहती है अथवा नहीं, क्योंकि अब वह अपने बल पर कोई भी फैसला लेने में सक्षम है।
यदि महिलाओं के कल्याण की गंभीर चिंता से समान नागरिक संहिता को लागू किया जा रहा हो तो इस विचार का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यदि सिर्फ वोट बैंक राजनीति के नजरिये से, हिंदू मतों की लामबंदी के लिए ऐसा किया जा रहा हो तो पार्टी बहुत गंभीर गलती करेगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि सारे हिंदू समान नागरिक संहिता के विचार से सहमत नहीं हैं।
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) ने इस मुद्‌दे पर सर्वे कराया था। सर्वे में 57 फीसदी लोग विवाह, तलाक, संपत्ति, गोद लेने और भरण-पोषण जैसे मामलों में समुदायों को पृथक कानून की इजाजत के पक्ष में थे। सिर्फ 23 फीसदी लोगों ने समान नागरिक संहिता के पक्ष में राय जाहिर की। 20 फीसदी लोगों ने तो इस मुद्‌दे पर कोई राय ही जाहिर नहीं की। संपत्ति और विवाह के मामले में समुदायों के अपने कानून रहने देने के पक्ष में 55 फीसदी हिंदुओं ने राय जाहिर की तो ऐसे मुुस्लिम 65 फीसदी थे। अन्य अल्पसंख्यक समुदायों (ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन) ने सर्वे में इससे मिलती-जुलती या इससे थोड़ी ज्यादा संख्या में इसे समर्थन दिया। यानी अल्पसंख्यक समुदाय मौजूदा व्यवस्था कायम रखने के पक्ष में हैं।

इस मामले में शिक्षित लोगों ने ज्यादा राय व्यक्त की जबकि अल्पशिक्षित तबका उतना मुखर नहीं था। शिक्षित तबके में भी समान नागरिक संहिता के पक्ष और विपक्ष में जोरदार दलीलें दी गईं, लेकिन कुल-मिलाकर तराजु का पलड़ा इस ओर ही झुकता पाया गया कि विभिन्न समुदायों के व्यक्तगत मामले अपने-अपने कानूनों से ही संचालित होने साहिए। यानी शिक्षित वर्ग में भी समान नागरिक संहिताल से असहमति रखने वालों का बहुमत है। अब जिस प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है, वह यह है कि क्या वाकई देश में समान नागरिक संहिता की गंभीर आवश्यता है?
संजय कुमार
डायरेक्टर, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज
sanjay@csds.in
--------------------------------

समान नागरिक आचार संहिता : आज की जरूरत


लेखिका – डॉ. शुचि चौहान
http://vskbharat.com
Posted by: admin Posted date: September 27, 2016
समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. वर्तमान केन्द्र सरकार ने कानून आयोग को इस संहिता को लागू करने के लिए आवश्यक सभी पहलुओं पर विचार करने को कहा है. दरअसल यह मुद्दा आज का नहीं है. यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है.

भारत विविधताओं से भरा देश है. यहाँ विभिन्न पंथों व पूजा पद्धतियों को मानने वाले लोग रहते हैं. इन सबके शादी करने, बच्चा गोद लेने, जायदाद का बंटवारा करने, तलाक देने व तलाक उपरांत तलाकशुदा महिला के जीवन यापन हेतु गुजारा भत्ता देने आदि के लिए अपने-अपने धर्मानुसार नियम, कायदे व कानून हैं. इन्हीं नियमों, कायदे व कानूनों को पर्सनल लॉ कहते हैं.

अंग्रेज जब भारत आए और उन्होंने यह विविधता देखी, तो उस समय उन्हें लगा पूरे देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक समान नागरिक आचार संहिता बनानी आवश्यक है. जब उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की तो हर धर्मों के लोगों ने इसका विरोध किया. ऐसे में उन्होंने लम्बे समय तक यहाँ अपने पांव जमाये रखने के लिए किसी से उलझना ठीक नहीं समझा. इन परिस्थितियों में 1860 में उन्होंने Indian penal code तो लागू किया पर Indian civil code नहीं. यानि एक देश – एक दंड संहिता तो लागू की, लेकिन एक देश एक नागरिक संहिता नहीं.

सन् 1947 में देश आजाद हो गया. कानून बनाने व सामाजिक कुरीतियां दूर करने की जिम्मेदारी हमारे नेताओं पर आ गई. पर्सनल लॉ के अनुसार हिन्दुओं में बहुविवाह व बालविवाह अब भी चलन में थे. महिलाओं की पिता व पति की सम्पत्ति में कोई हिस्सेदारी नहीं थी. अकेली महिला बच्चा गोद नहीं ले सकती थी. मुसलमानों में भी बहुविवाह को मान्यता प्राप्त थी. पुरूष एक साथ चार शादियां कर सकता था. बिना कोई कारण बताए तीन बार तलाक बोलने मात्र से पत्नी को तलाक दे सकता था. उस समय फिर से समान नागरिक आचार संहिता की आवश्यकता को महसूस किया गया. कमेटियां बनीं, बहस चली, एक बार फिर सभी धर्मों से विरोध के स्वर मुखर हुए. हिन्दू बहुसंख्यक थे. उनके लिए पं. नेहरू व तत्कालीन कानून मंत्री डॉ. अम्बेडकर ने हिन्दू सिविल कोड बनाने का प्रयास किया, परन्तु असफल रहे. पं. नेहरू ने इस बिल को पारित कराने में विशेष रूचि दिखाई. क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं था. वे अपनी सारी संपत्ति व किताबों से मिलने वाली रॉयल्टी अपनी इकलौती संतान इंदिरा को कानूनन उत्तराधिकार में देना चाहते थे. इसलिए वे हिन्दू सिविल कोड बिल लाने के लिए प्रयासरत थे.

सन् 1952 में पहली सरकार गठित होने के बाद दोबारा इस बिल को लाने की दिशा में कार्य आरम्भ हुआ. इस बार इसको हिन्दू विवाह अधिनियम, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, हिन्दू दत्तक ग्रहण व पोषण अधिनियम एवं हिन्दू अवयस्कता एवं संरक्षता अधिनियम में विभाजित कर दिया गया एवं 1955-56 में संसद में पारित करा लिया गया. हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत तलाक को कानूनी दर्जा मिला. अर्न्तजातीय विवाह को कानूनी मान्यता मिली. बहुविवाह को गैर-कानूनी घोषित किया गया. ये सभी कानून महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा देने के लिए लाए गये थे. इसके अन्तर्गत महिलाओं को पहली बार संपत्ति में अधिकार दिया गया. लड़कियों को गोद लेने पर जोर दिया गया. इस तरह तमाम विरोधों के बावजूद हिन्दू समाज के पुनर्निर्माण की नींव पड़ी.

कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जब यूनीफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया तो हमारे नेताओं ने भी अंग्रेजों की तरह तुष्टीकरण की नीति अपनायी. उन्होंने उनसे टकराव न लेते हुए यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू करने के बजाय उसे संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 44 के रूप में नीति निर्देशक तत्वों में शामिल कर दिया. अर्थात बाद के लिए टाल दिया. नीति निर्देशक तत्व सरकार को कानून बनाने के लिए दिशा निर्देश देते हैं. वे कानून द्वारा सुलभ (enforceable) नहीं है. इस तरह मुसलमान मुख्य धारा में जुड़ने से रह गये. प्रचार यह किया गया कि वे मुस्लिम समुदाय के रहनुमा हैं, परन्तु आज आजादी के 68 वर्षों के बाद भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति दयनीय है. वे आजादी के बाद भी उन्हीं कुरीतियों की शिकार हैं.

आज हमारा संविधान देश के हर नागरिक को चाहे वह स्त्री है या पुरूष, बराबर का दर्जा देता है. जब भी समान नागरिक आचार संहिता लागू करने की बात आती है, मुस्लिम कट्टरपंथी शरिया कानून की बात करने लगते हैं. उन्हें लगता है समान नागरिक आचार संहिता लागू होने से देश में मुस्लिम संस्कृति ध्वस्त हो जायेगी. इसके लिए कई बार वे संविधान के भाग 3 में उल्लेखित अनुच्छेद 25 का सहारा लेते हैं. अनुच्छेद 25 किसी भी नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है. इस समय वे यह भूल जाते हैं कि हर नागरिक के कुछ दूसरे मौलिक अधिकार भी हैं. जैसे अनुच्छेद 14 स्त्री-पुरूष को बराबरी का अधिकार देता है. मुस्लिम पुरूष एक बार में 4 शादियां कर सकता है, परन्तु स्त्री नहीं. तो यह स़्त्री के बराबरी के मौलिक अधिकार का हनन है. पुरूष 4 शादियां करता है और सभी पत्नियों के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं करता है, उन्हें मानसिक कष्ट में रखता है तो यह उनके जीने के अधिकार अनुच्छेद 21 का हनन है.

कानून की 1860 IPC की धारा 494 के अनुसार कोई भी स्त्री या पुरूष एक विवाह के रहते दूसरा विवाह नहीं कर सकता. दूसरी ओर मुस्लिम पुरूष 4 शादियां कर सकता है. CRPC 1973 की धारा 125 के अनुसार तलाकशुदा पत्नी-पति से आजन्म गुजारा भत्ता लेने की हकदार है. मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐसा नहीं है. शाहबानो केस इसका उदाहरण है. इसी तरह बाल विवाह निषेध अधिनियम 1929 के अनुसार बाल विवाह अपराध है, परन्तु मुस्लिम समाज के लिए यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. ईसाई विवाह अधिनियम 1872, ईसाई तलाक अधिनियम 1869 भी पुराने हैं व हिन्दू विवाह अधिनियम से अलग हैं. ये विषमताएं देश की धर्मनिरपेक्षता पर प्रश्नचिन्ह हैं.

गोवा का अपना सिविल कोड है. यह पुर्तगाली सिविल कोड 1867 पर आधारित है. इसे गोवा में 1870 में लागू किया गया था. बाद में कुछ परिवर्तन भी किये गये. गोवा सिविल कोड में हर धर्म के लोगों के लिए विशेष प्रावधान है. यह हिन्दू सिविल कोड से अलग है. सन् 1961 में गोवा के भारत में विलय के बाद भी इसे उसी स्वरूप में रहने दिया गया. सन् 1981 में भारत सरकार ने इस कोड को हटाने व सबके अपने-अपने कानून (Non_Uniform law) लागू करने की संभावनायें तलाशने के लिए एक पर्सनल लॉ कमेटी बनाई. गोवा मुस्लिम शरिया ऑर्गेनाइजेशन ने इसका समर्थन किया, परन्तु मुस्लिम युवा वेलफेयर एसोसिएशन एवं महिला संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया.

आज समय है, जब मुस्लिम महिलाओं व युवाओं को संगठित होकर सरकार से समान नागरिक आचार संहिता लागू करने की मांग करनी चाहिए. हिन्दू समाज ने भी हिन्दू सिविल कोड का विरोध किया था. लेकिन आज हिन्दू महिलाएं अच्छा जीवन जी रही हैं. मुस्लिम समाज में भी समान नागरिक आचार संहिता लागू होने पर कुछ विरोध होंगे. सरकार को उनकी अनदेखी करनी चाहिए. यूं भी समान नागरिक आचार संहिता के अन्तर्गत शादी, तलाक, गोद लेने व उत्तराधिकार जैसे धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के मुद्दे आते हैं. इनसे किसी के भी धार्मिक अधिकारों की स्वतंत्रता का हनन नहीं होता है. हां, समान नागरिक आचार संहिता लागू होने से कुछ फायदे अवश्य होंगे. मुस्लिमों में बहुविवाह पर रोक लगने से जनसंख्या वृद्धि रूकेगी. कम बच्चे होने से उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी. एक तरफा तलाक पर रोक लगने से मुस्लिम महिलाओं के शोषण में कमी आयेगी. जब धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा तो देश सही मायने में धर्मनिरपेक्ष बनेगा. विभिन्न समुदायों के बीच एकता की भावना पैदा होगी. एक ही विषय पर कम कानून होने से न्यायतंत्र को भी फैसले देने में आसानी होगी. कई मुस्लिम देशों जैसे टर्की व ट्यूनिशिया आदि ने भी शरीयत से हटकर नागरिक कानून बनाये हैं. अन्य धर्मों में भी समय-समय पर व्यक्तिगत कानूनों में परिवर्तन हुए हैं. मुस्लिम समाज को मुख्य धारा में आने व अपने सामाजिक उत्थान के लिए सरकार पर समान नागरिक आचार संहिता लागू करने के लिए दबाव बनाना चाहिए. सरकार को भी मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक ना मानते हुए तुष्टीकरण की नीतियों से ऊपर उठ कर सामाजिक समरसता व हर वर्ग के उत्थान के लिए काम करना चाहिए.

--------
समान नागरिक संहिता।
http://gshindi.com
नागरिक संहिता तथा आचार संहिता बिल्कुल अलग-अलग अर्थ और प्रभाव रखते हैं। नागरिक संहिता नागरिक की होती है, राजनैतिक व्यवस्था से जुड़ी होती है, सामूहिक होती है जबकि आचार संहिता व्यकित की होती है, व्यकितगत होती है, समाज या राज्य के दबाव से मुक्त होती है। नागरिक संहिता को हर हाल में समान होना ही चाहिये दूसरी ओर आचार संहिता को समान करने का प्रयत्न घातक होता है।
विवाह, खानपान, भाषा, पूजा-पद्धति, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि आचार संहिता से जुड़े विषय हैं। कोर्इ सरकार इस संबंध में कोर्इ कानून नहीं बना सकती। सुरक्षा, न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में सरकारी सहायता व्यकितगत न होकर नागरिकता से जुड़े हैं। इस संबंध में सरकार कोर्इ कानून बना सकती है।
स्वतंत्रता के समय से ही आचार संहिता और नागरिक संहिता का अन्तर नहीं समझा गया और न आज तक समझा जा रहा है। आचार संहिता तथा नागरिक संहिता को एक करने के कारण समाज में अनेक समस्याएं बढ़ती गर्इं समाज टूटता गया तथा राजनेता मजबूत होते चले गये। राजनेता तो लगातार चाहता है कि समाज, धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्रीयता, उम्र, लिंग, गरीब-अमीर, किसान, मजदूर के रूप में वर्ग विद्वेष वर्ग संघर्ष की दिशा में बढ़ता रहे तथा राजनेता बिलिलयों के बीच बन्दर बनकर सुरक्षित रहें।
भारत की राजनैतिक व्यवस्था को व्यकित, परिवार, गांव, जिला, प्रदेश, देश और विश्व के क्रम में एक दूसरे के साथ जुड़ना चाहिये था, किन्तु उसे जोड़ा गया व्यकित, जाति, वर्ण, धर्म, समाज के क्रम में। स्वाभाविक था कि उपर वाला क्रम एक दूसरे का पूरक होता तथा नीचे वाला क्रम एक दूसरे के विरूद्ध। स्वतंत्रता के तत्काल बाद अम्बेडकर जी, नेहरू जी आदि ने तो सब समझ ते हुए भी यह राह पकड़ी जिससे समाज कभी एक जुट न हो जावे किन्तु अन्य अनेक लोग नासमझी में आचार संहिता और नागरिक संहिता को एक मानने लगे। आज भी संघ परिवार के लोग समान नागरिक संहिता के नाम पर आचार संहिता के प्रश्न उठाते रहते हैं। विवाह एक हो या चार यह नागरिक संहिता का विषय न होकर आचार संहिता से संबंधित है जिसे बहुत चालाकी से नागरिक संहिता में घुसाया गया है।
आज भारत में जो भी सामाजिक समस्याएं दिख रही हैं उनका सबसे अच्छा समाधान है समान नागरिक संहिता। भारत एक सौ इक्कीस करोड़ व्यकितयों का देश होगा, न कि धर्म, जाति, भाषाओं का संघ। भारत के प्रत्येक नागरिक को समान स्वतंत्रता होगी। संविधान के प्रीएम्बुल में समता शब्द को हटाकर स्वतंत्रता कर दिया जायेगा। प्रत्येक नागरिक के अधिकार समान होंगे। न्यायालय भी कर्इ बार समान नागरिक संहिता के पक्ष में आवाज उठा चुका है। अब समाज को मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिये।

--------------------

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code): देश एक, संविधान एक फिर कानून अलग-अलग
वैसे तो यूनिफॉर्म सिविल कोड की बहस देश में बहुत पुरानी है, लेकिन अब केन्द्र सरकार ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। सरकार ने लॉ कमीशन से इसके बारे में राय मांगी है। सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि इस मुद्दे पर क्या हुआ, उसके बाद हम यूनिफॉर्म सिविल कोड को डिकोड करेंगे और आसान शब्दों में आपको इस पूरे मुद्दे के हर पहलू की जानकारी देंगे।

-केन्द्र सरकार ने लॉ कमीशन को यूनिफॉर्म सिविल कोड के सभी पहलुओं की जांच करने को कहा है।
-कानून मंत्रालय ने कमीशन को इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।
-इसके अलावा सरकार अलग-अलग पर्सनल लॉ बोर्ड्स से भी इस मुद्दे पर एकराय बनाने के लिए बात करेगी।

-देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर समाज में और अदालत में बड़ी बहस होनी चाहिए।
 लॉ कमीशन कानूनों पर सरकार को सिर्फ़ सलाह देता है और कमीशन की रिपोर्ट को मानने के लिए सरकार किसी भी रूप में बाध्य नहीं है।

समान नागरिक संहिता का मुद्दा क्या है और इसे लेकर क्या विवाद है

-यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है भारत के सभी नागरिकों के लिए समान यानी एक जैसे नागरिक कानून।
-शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के तहत करते हैं।
-समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है।
-ये किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।
-संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्‍छेद 44 के तहत राज्‍य की जिम्‍मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया।
-लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं होने से हम वर्षों से संविधान की मूल भावना का अपमान कर रहे हैं।

अब सवाल ये उठता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कहां पर दिक्कतें आ रही हैं। कई लोगों का ये मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाने से देश में हिन्दू कानून लागू हो जाएगा जबकि सच्चाई ये है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक ऐसा क़ानून होगा जो हर धर्म के लोगों के लिए बराबर होगा और उसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं होगा।

-फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
-अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाए तो सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून होगा।
-यानी शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों ना हो।
-फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी क़ानूनों के तहत करते हैं।
-मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए इस देश में अलग कानून चलता है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़रिए लागू होता है।
-मुसलमानों में ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर इन दिनों देश में खूब बहस चल रही है और इसे हटाने की मांग की जा रही है। मुसलमानों में तलाक मुस्लिम पर्सनल लॉ यानी शरिया के ज़रिए होता है।
-वैसे निजी कानूनों का ये विवाद अंग्रेज़ों के ज़माने से चला आ रहा है।
-उस दौर में अंग्रेज मुस्लिम समुदाय के निजी कानूनों में बदलाव करके उनसे दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते थे।                                    
-आज़ादी के बाद वर्ष 1950 के दशक में हिन्दू क़ानून में तब्दीली की गई लेकिन दूसरे धर्मों के निजी क़ानूनों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
-यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने में सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसके लिए क़ानूनों में ढेर सारी तब्दीलियां करनी पड़ेंगी।

दूसरी समस्या ये है कि तमाम राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग वजहों से इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहतीं क्योंकि ये उनके एजेंडे को सूट नहीं करता और इससे उनके वोट बैंक को नुकसान हो सकता है जिसका नतीजा ये है कि देश आज भी अलग-अलग क़ानूनों की जंज़ीरों में जकड़ा हुआ है।

दुख इस बात का है कि जो बहस आज से 50-60 साल पहले ख़त्म हो जानी चाहिए थी, हम आज तक उसे ठीक से शुरू भी नहीं कर पाए हैं। अगर हम धार्मिक आधार पर बनाए गए पुराने कानूनों से मुक्ति पा लेते तो देश अब तक ना जाने कितना आगे बढ़ चुका होता, ये सिर्फ कानून का नहीं बल्कि सोच का विषय है।

फ्रांस में कॉमन सिविल कोड लागू है जो वहां के हर नागरिक पर लागू होता है। यूनाइटेड किंगडम के इंग्लिश कॉमन लॉ की तर्ज पर अमेरिका में फेडरल लेवल पर कॉमन लॉ सिस्टम लागू है। ऑस्ट्रेलिया में भी इंग्लिश कॉमन लॉ की तर्ज पर कॉमन लॉ सिस्टम लागू है। जर्मनी और उज़बेकिस्तान जैसे देशों में भी सिविल लॉ सिस्टम लागू हैं।

धर्म पर आधारित कानूनों की ज़ंजीरों से आज़ादी का एकमात्र रास्ता ये है कि सबके लिए समान क़ानून बनाए जाएं। लोगों को इस बात पर यकीन होना चाहिए कि उनके साथ राजनीति नहीं होगी बल्कि न्याय होगा। इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करके कानून को धार्मिक जंज़ीरों से मुक्त करना ज़रूरी है। ये देश को विकास के रास्ते पर बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है।

-------




'तीन तलाक'को राजनीतिक और साम्प्रदायिक मुद्दा ना बनाएं : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

$
0
0



'तीन तलाक'को राजनीतिक और साम्प्रदायिक मुद्दा ना बनाएं : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


भाषा, अंतिम अपडेट: सोमवार अक्टूबर 24, 2016

महोबा.नरेंद्र मोदी आज महोबा पहुंचे। मोदी ने कहा, 'बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग गुजरात में रहते हैं। यूपी में कभी सपा तो कभी बसपा। उनकी दुनिया तो चलती रही लेकिन आपका कुछ नहीं हुआ। एक को परिवार की चिंता है तो दूसरे को कुर्सी की चिंता है। लेकिन हमें यूपी की चिंता है।'बुंदेलखंड में पानी की कमी के कारण मिट्टी सूखी...
- मोदी ने कहा, "मैथिलीशरण गुप्त, वृंदावन लाल वर्मा को नमन करता हूं। हमें ऐसा आशीर्वाद मिले, ताकि बुंदेलखंड की सारी मुसीबतें दूर हो सकें।"
- "यहां तो नदी भी है, गुजरात में तो नर्मदा और ताप्ती ही है।"
- "हमने कोशिश की। 15 साल के परिश्रम के बाद पानी का संकट दूर हुआ है।"
- "जल प्रबंधन के अभाव में यहां मिट्टी सूखी है। किसान तबाह हो गया। अगर पानी का प्रबंध कर दिया तो यहां का किसान मिट्टी में से सोना उपजा सकता है।"
- "यहां के लिए एक काम का सपना अटलजी ने देखा था। बाद में ऐसे लोग आए जिनको अपनी चिंता तो रहती है, लोगों की चिंता नहीं रहती। नदियों को जोड़ने की योजना थी। जहां बाढ़ आती है, उनका पानी सूखी नदियों में जाएगा।"
- "अटल जी का सपना था केन-बेतवा नदी को जोड़ने का। उमाजी के नेतृत्व में ये काम हो रहा है।"
- "बुंदेलखंड के पानीदार लोग हैं। उन्हें पानी दिया तो सब बदल देंगे। बुंदेलखंड के ज्यादातर लोग गुजरात में रहते हैं। मैं उनसे पूछता था किस बुंदेलखंड के हैं, मध्य प्रदेश वाले या उत्तर प्रदेश वाले। वे कहते- उत्तर प्रदेश वाले, क्योंकि वहां रोजगार नहीं होता।"
- "यूपी में कभी सपा तो कभी बसपा। उनकी तो दुनिया चलती रही, लेकिन आपका कुछ नहीं हुआ। आपको सपा-बसपा के चक्कर से बाहर निकलना होगा।"
- "जब चुनाव आता है तो बसपा वाले सपा पर आरोप लगाते हैं। लेकिन बसपा ने सत्ता में रहने के दौरान किसी सपा वाले को जेल भिजवाया था। आप अपनी बार लूटो, मैं अपनी बार लूटूंगा। सपा-बसपा में यही खेल चलता है।"
'हमें यूपी के लोगों की चिंता'
- "आज भी देश में ईमानदार अफसर और पुलिस है। लेकिन इन्हें ताकत देने की जरूरत होती है। इस चुनाव में यूपी का पिक्चर बहुत साफ है। जैसे लोकसभा चुनाव में आपने पूर्ण बहुमत दिया, वैसा ही अब कीजिए। मैं यूपी और देश की जनता का आभारी हूं, जो उन्होंने दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार दी।"
- "एक तरफ वो लोग हैं जिन्हें परिवार बचाने की चिंता हैं। दूसरी तरफ वो लोग हैं जिन्हें कुर्सी की चिंता है। तीसरी ताकत हम हैं जिन्हें यूपी बचाने की चिंता है। अब फैसला आपको करना है। खासतौर पर नौजवानों को फैसला करना है। आपको अपने भाग्य का विचार करना है।"
- "आपके पूर्वजों ने सपा-बसपा के बारे में सोचा होगा। लेकिन आप यूपी और बुंदेलखंड की चिंता कीजिए। कुछ मुठ्ठी भर लोग आपका हक छीन रहे हैं। यहां के माफिया से भिड़ने की ताकत सपा-बसपा में नहीं है। यहां जमीन सुधार के नहीं, जमीन हड़पने के काम होते हैं।"
'एमपी ने केंद्र के पैसे का सही इस्तेमाल किया'
- "एमपी का बुंदेलखंड आगे है, क्योंकि वहां सरकार ने केंद्र के पैसे का पूरा उपयोग किया। एमपी में सरकार ने 90 फीसदी धन का उपयोग किया। लेकिन यहां यूपी में 40 फीसदी ही धन का उपयोग हुआ। और कोई हिसाब नहीं है। पैसा कहां गया? कुछ पता नहीं।"
- "एमपी सरकार ने 47 हजार कुओं का काम पूरा किया। दरअसल, सपा बसपा के खिलाफ और बसपा सपा के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाती।"
- "यूपी ने देश को अनेक प्रधानमंत्री दिए। मुझे भी इसी प्रदेश ने बनाया। इस प्रदेश का मुझ पर हक है। मुझे आपका कर्ज चुकाना है। मोदी राज करने नहीं, सेवा करने पैदा हुआ है।"
-"'माताओं-बहनों की रक्षा होनी चाहिए। हिंदू अगर गर्भ में बेटी को मारे तो उसे जेल होनी चाहिए। मुस्लिम बहनों को उनका हक मिलना चाहिए।"
- "सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर हमसे पूछा। हमने कहा, संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। कुछ पार्टियां वोट के चक्कर में मुस्लिम बहनों के साथ अन्याय कर रही हैं।"
- "मीडिया से अनुरोध है कि वो विद्वान मुसलमानों को बुलाएं, क्योंकि मुसलमानों में अच्छे लोग हैं। दिल्ली में बैठे लोगों को समझ में आ गया है कि यूपी ने अपनी किस्मत बदलने का फैसला कर लिया है।"
बनारस में क्या बोले मोदी?
- मोदी ने मोदी ऐप की जानकारी दी। नंबर बताया 1922। लोगों से कहा- सेना को संदेश भेजें।
- मोदी ने कहा, 'सेना को अनुभव होना चाहिए कि उनके देशवासी उन पर कितना गर्व करते हैं। दुनिया के कई देशों में सेना को देखकर लोग ताली बजाकर स्वागत करते हैं। हमारे यहां विशिष्ट हालात में ही ये होता है। हमारे यहां भी यह नाता बना रहना चाहिए। मैंने देशवासियों और सेना को यही संदेश भेजा है।'
- 'हम काशीवालों ने छोटी दिवाली मना ली। 29 सितंबर को जब देश की सेना ने पराक्रम किया तो काशी झूम उठा था।'
- 'ये ऐसी सरकार है जो शिलान्यास भी करती है और उद्घाटन भी खुद ही करती है। योजनाएं समय पर पूरी होने चाहिए। किसी भी फाइल पर साइन करते हुए पूछता हूं- पहले ये बताओ कि पूरा कब करोगे।'
- 'सरकार गरीबों को खोज कर गैस चूल्हा और सिलेंडर देंगे। गैस पाइपलाइन योजना का शिलान्यास करने जा रहा हूं। सात शहरों में गैस पाइपलाइन से घरों तक गैस पहुंचाएंगे। सीएनजी गैस से वाहन चलेंगे तो प्रदूषण कम होगा। देश का पैसा बचेगा। और विकास भी तेजी होगा।'
बनारस में कई इनॉगरेशन
- मोदी ने बनारस में इलेक्ट्रिक सब स्टेशन का इनॉगरेशन किया।
- 'ऊर्जा गंगा'सिटी गैसपाइप लाइन योजना का शिलान्यास किया। 12 हजार करोड़ से गैसपाइप लाइन बनाई जाएगी।
- वाराणसी-इलाहाबाद रेल रूट का पर डबल लाइन डलेगी। डाक विभाग के नए रीजनल ऑफिस का किया शिलान्यास किया और बनारस का डाक टिकट भी जारी किया।
------------------

खास बातें
1- साम्प्रदायिक आधार पर मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये
2 -कुरान के ज्ञाताओं को बैठाकर इस पर सार्थक चर्चा करवाये मीडिया
3 -21वीं सदी में मुस्लिम औरतों से अन्याय करने पर तुले दल


महोबा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'तीन तलाक'के संवेदनशील विषय पर पहली बार मुखर होते हुए कहा कि साम्प्रदायिक आधार पर मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये और मीडिया तीन तलाक को राजनीतिक और साम्प्रदायिक मुद्दा बनाने के बजाय कुरान के ज्ञाताओं को बैठाकर इस पर सार्थक चर्चा करवाये.

पीएम मोदी ने बुंदेलों की धरती महोबा में आयोजित ‘परिवर्तन रैली’ में आरोप लगाया कि तीन तलाक के मुद्दे पर देश की कुछ पार्टियां वोट बैंक की भूख में 21वीं सदी में मुस्लिम औरतों से अन्याय करने पर तुली हैं. क्या मुसलमान बहनों को समानता का अधिकार नहीं मिलना चाहिये.

उन्होंने कहा ‘‘मेरी मुसलमान बहनों का क्या गुनाह है. कोई ऐसे ही फोन पर तीन तलाक दे दे और उसकी जिंदगी तबाह हो जाए. क्या मुसलमान बहनों को समानता का अधिकार मिलना चाहिये या नहीं. कुछ मुस्लिम बहनों ने अदालत में अपने हक की लड़ाई लड़ी. उच्चतम न्यायालय ने हमारा रुख पूछा. हमने कहा कि माताओं और बहनों पर अन्याय नहीं होना चाहिये. सम्प्रदायिक आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिये.’’

पीएम मोदी ने कहा ‘‘चुनाव और राजनीति अपनी जगह पर होती है लेकिन हिन्दुस्तान की मुसलमान औरतों को उनका हक दिलाना संविधान के तहत हमारी जिम्मेदारी होती है.’’ उन्होंने कहा ‘‘मैं मीडिया से अनुरोध करना चाहता हूं कि तीन तलाक को लेकर जारी विवाद को मेहरबानी करके सरकार और विपक्ष का मुद्दा न बनाएं. भाजपा और अन्य दलों का मुद्दा ना बनाएं, हिन्दू और मुसलमान का मुद्दा ना बनाएं. जो कुरान को जानते हैं, वे टीवी पर आकर चर्चा करें.’’


प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘मुसलमानों में भी लोग सुधार चाहते हैं. जो सुधार नहीं चाहते, उनकी चर्चा हो।. सरकार ने अपनी बात रख दी है. कोई गर्भ में बच्ची की हत्या कर दे तो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये. वैसे ही तीन तलाक कहकर औरतों की जिंदगी बर्बाद करने वालों को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.’’

मालूम हो कि ‘तीन तलाक’ का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. सरकार ने अपने हलफनामे में इसका विरोध किया है, जबकि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे शरई कानून में दखलअंदाजी मानते हुए पूरे देश में हस्ताक्षर अभियान चलाया है.


विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक : संघ

$
0
0


विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक – सुहासराव हिरेमठ जी
October 12, 2016

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हिरेमठ जी ने कहा कि विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक है. जब तक भारत शक्तिशाली नहीं बनेगा, दुनिया के किसी भी देश में चलने वाला आतंकवाद समाप्त नहीं होगा. इसलिए समाज को संगठित करते हुए राष्ट्र को वैभव सम्पन्न बनाना हमारा कर्तव्य है. सुहासराव जी मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जयपुर विभाग के विजयादशमी उत्सव में उपस्थित स्वयंससेवकों एवं नागरिकों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है. महत्वाकांक्षी और विस्तारवादी नीति पोषक चीन ने तिब्बत पर अधिकार कर लिया है. अब उसकी भारत पर नजर है. सीमाओं पर हो रहे आक्रमणों की रक्षा तो सेना कर रही है, लेकिन देश में हो रहे आर्थिक आक्रमण से समाज को संघर्ष करना होगा. विदेशी आक्रमणों का सामना ‘स्व’ के प्रकटीकरण से ही हो सकता है. उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आह्वान किया. जीवन में स्व का जागरण करना हर देशभक्त नागरिक का कर्तव्य है.

उन्होंने कहा कि विजयादशमी विजय का विश्वास जागृत कर आसुरी प्रवृतियों को ध्वस्त करने वाला दिन है. विजय के लिए शक्ति आवश्यक है. यह सामर्थ्य की उपासना का संदेश देने वाला त्यौहार है. सामर्थ्य केवल शस्त्रों में नहीं होता, उसके लिए मनोबल और प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है.

सुहासराव जी ने कहा कि पिछले दिनों जम्मू- कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ. इससे समाज में निराशा और आक्रोश का वातावरण बन गया था. लेकिन हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. यह तब संभव हुआ, जब जागृत समाज ने समर्थ और मजबूत नेतृत्व को चुना. इस आनन्द के अवसर पर सेना व नेतृत्व का अभिनंदन है.

अखिल भारतीय सेवा प्रमुख ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति संगठित समाज पर निर्भर करती है. जापान और इज़राइल इसके उदाहरण है. प्रतिकूलताओं के बाद भी अपने राष्ट्रीय भाव और संगठित शक्ति के कारण दोनों ही देशों ने पराक्रम हासिल किया है. इसलिए शक्ति सम्पन्न संगठित राष्ट्र बनाने के लिए हमें संकल्प लेना होगा. श्री गुरूगोविंद सिंह जी का स्मरण करते हुए कहा कि यह उनका 350वां जयंती वर्ष है. गुरू गोविंद सिंह जी ने जाति, भाषा, पंथ, प्रांत आदि से उपर उठकर राष्ट्रहित के लिए समाज को संगठित करने का काम किया. धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को  बलिदान कर दिया.

उन्होंने कहा कि समरसता का संदेश विचारों के साथ- साथ आचरण से देना होगा. छुआछूत और भेद- भाव को समाप्त करने के लिए हिन्दू समाज को हृदय से जागृत होना होगा. रामानुजाचार्य की जयंती की इस वर्ष सहस्राब्दी है. उन्होंने जाति, पंथ के भेदभावों को मिटाते हुए, समाज के सभी वर्गों के लिये ज्ञान और भक्ति के द्वार खोले. जाति, श्रेष्ठता और हीनता के आधार पर किसी को अपमानित और प्रताड़ित करना अपने समाज के लिए लज्जाजनक कलंक है. सामाजिक समरसता लाना संपूर्ण समाज का काम है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में समूचे राजस्थान में मंदिर, पानी और दाहसंस्कार स्थल के आधार पर होने वाले भेदभाव के अध्ययन के लिए सर्वेक्षण कर समरसता लाने के प्रयास करेंगे. देशभक्ति, प्रमाणिकता और समाज संगठन की गुणवत्ता निर्माण करने का साधन संघ की शाखा है. हम व्यक्ति निर्माण करेंगे, आने वाले दस वर्षों में सारा विश्व भारत माता की जय करेगा.

अजमेरी गेट पर अद्भुद्द संगम

इससे पहले विजय दशमी उत्सव पर महाराज कॉलेज मैदान पर स्वयंसेवकों का एकत्रिकरण हुआ. स्वयंसेवकों ने घोष, दण्डयोग, नियुद्ध और सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन किया. शस्त्र पूजन हुआ. इसके बाद दो भागों में पथ संचलन निकाला, पहला पथ संचलन- महाराज कॉलेज के उत्तर पूर्वी द्वार, अजायब घर, मोत डूंगरी रोड़, बापू बजार, चौड़ा रास्ता, छोटी चौपड़, किशनपोल बाजार होता हुआ और दूसरा संचलन महाराजा कॉलेज के दक्षिण पश्चिम द्वार से अशोक मार्ग, एमआई रोड़, संसारचन्द्र रोड़, दरबार स्कूल, पांचबत्ती होते हुए दोनों संचलनों का अजमेरी गेट पर पूर्व निर्धारित समय पर दोपहर 12.13 बजे संगम हुआ. इसके बाद संचलन पुनः महाराज कॉलेज पहुंचकर सम्पन्न हुआ. संचलन का मार्ग में जगह- जगह हिन्दू समाज ने स्वागत किया.

हिन्दुत्व की व्याख्या नहीं : सुप्रीम कोर्ट

$
0
0

न्याय का अधिकार

यदि कोई यह सोचता हे की श्री राम जन्म भूमि मुक्ति धर्म का मामला हे तो वह गलत सोचता हे ! यह अन्याय के विरुद्ध शुद्ध रूप से न्याय के अधिकार का मामला हे  और न्याय प्राप्त करने के लिए सभी  लोकतान्त्रिक रास्ते अपनाने के लिए श्री राम जन्म भूमि मुक्ति के  लिए आंदोलित लोगों  का अधिकार है ! जिस तरह स्वतन्त्रता प्राप्ति का अधिकार था ठीक उसी प्रकार श्री राम जन्म भूमि को अपनी मुक्ति ( स्वतंत्रता ) प्राप्त करनी है । इस हेतु  लोकतान्त्रिक रास्ते कोई भी कैसे रोक सकतें  है ।
- अरविन्द सिसोदिया , कोटा राजस्थान ।


कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पत्नी जावेद आनंद ने 1995 में आए फैसले पर दोबारा विचार की दरख्वास्त की। उनकी मांग थी चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को ‘हिंदुत्व’ के नाम पर वोट मांगने से रोका जाए।


हिन्दुत्व की व्याख्या पर कोर्ट नहीं करेगा विचार

Publish Date:Tue, 25 Oct 2016
http://www.jagran.com

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। धर्म के आधार पर वोट की अपील करने की मनाही के कानूनी दायरे पर विचार कर रही सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार को एक बार फिर साफ किया कि वे हिन्दुत्व या धर्म के मुद्दे पर विचार नहीं करेंगे।

फिलहाल कोर्ट के सामने 1995 का हिन्दुत्व का फैसला विचाराधीन नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें जो मसला विचार के लिये भेजा गया है उसमें हिन्दुत्व का जिक्र नहीं है। उन्हें विचार के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) की व्याख्या का मामला भेजा गया है जिसमें धर्म के नाम पर वोट मांगने को चुनाव का भ्रष्ट तरीका माना गया है। कोर्ट इसी कानून की व्याख्या के दायरे पर विचार कर रहा है। बात ये है कि इस मामले की जड़ें नब्बे के दशक के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़ी है।

जिसमें हिन्दुत्व के नाम पर वोट मांगने के आधार पर बंबई हाई कोर्ट ने करीब दस नेताओं का चुनाव रद कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसे चुनाव का भ्रष्ट तौर तरीका माना था। हालांकि 1995 में सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट का यह फैसला पलट दिया था। उस फैसले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि हिन्दुत्व कोई धर्म नहीं बल्कि जीवनशैली है। इन्ही मामलों से जुड़ी भाजपा नेता अभिराम सिंह की याचिका सुप्रीमकोर्ट में लंबित रह गई। इसके अलावा मध्यप्रदेश का सुन्दर लाल पटवा का मामला भी सुप्रीमकोर्ट आया। दोनों ही में धर्म के आधार पर वोट मांगने का मसला शामिल है। जो तीन और पांच न्यायाधीशों की पीठ से होता हुआ सात न्यायाधीशों के पास पहुंचा है। जिस पर आजकल विचार हो रहा है।

हालांकि मंगलवार की सुबह सुनवाई की शुरूआत में ही मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों के द्वारा स्थिति स्पष्ट कर दिये जाने के बावजूद कोर्ट के समक्ष 1995 के हिन्दुत्व के फैसले पर समीक्षा की मांग उठती रही। सुबह कुछ हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि अगर कोर्ट 1995 के हिन्दुत्व के फैसले पर विचार कर रहा है तो उन्हें भी सुना जाए। इस पर पीठ ने कहा कि वे हिन्दुत्व या धर्म पर विचार नहीं कर रहे हैं। उनके समक्ष ये मसला विचाराधीन नहीं है।

वे मुद्दे को और व्यापक नहीं करना चाहते। उन्हें जो मुद्दा विचार के लिए भेजा गया है वह धर्म के आधार पर वोट मांगने का है उसमें हिन्दुत्व शब्द शामिल नहीं है। इसलिए फिलहाल वे उस पर विचार नहीं कर रहे अगर आगे बहस के दौरान किसी ने कोर्ट को बताया कि रिफरेंस में ये मुद्दा भी शामिल है तो वे उसे सुनेंगे। इसके बाद धारा 123(3) के दायरे पर बहस होनी लगी। भोजनावकाश के बाद एक अन्य हस्तक्षेप याचिकाकर्ता के वकील बीए देसाई ने फिर मुद्दा उठाया और कहा कि कोर्ट ये नहीं कह सकता कि उसके समक्ष हिन्दुत्व का मसला नहीं है या वह उस पर विचार नहीं करेगा।

कोर्ट के सामने जो अपीलें विचाराधीन हैं उनमें यह मुद्दा शामिल है। पीठ को पूरा मामला विचार के लिए भेजा गया है और कोर्ट को पूरे मामले पर तथ्यों के साथ विचार करना चाहिये। देसाई ने कहा कि मेरा मानना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) के दायरे में हिन्दू और हिन्दुत्व आता है और कोर्ट को उस पर विचार करना चाहिये। फिर उन्होंने चुनाव याचिका पर त्वरित सुनवाई के मुद्दे पर दलीलें रखीं। उनकी बहस कल भी जारी रहेगी। इस मामले में वैसे तो सिर्फ तीन याचिकाएं सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन हैं लेकिन राज्य सरकारों सहित कई हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने अर्जी दाखिल कर इस मुद्दे पर उन्हें सुने जाने की अपील की है।

----------------------

हिन्दुत्व धर्म है या जीवनशैली, 

इसकी व्याख्या नहीं करनी : सुप्रीम कोर्ट

आशीष कुमार भार्गव, अंतिम अपडेट: मंगलवार अक्टूबर 25, 2016
http://khabar.ndtv.com

खास बातें १-1995 के जजमेंट पर दोबारा विचार नहीं करेंगे२-वह ये तय करेंगे कि क्या धर्म के नाम पर वोट मांगे जा सकते हैं?३-20 साल पुराने हिंदुत्व जजमेंट को पलटने की मांग की गई थी

   नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि 'हिंदुत्व'क्या धर्म है या जीवन शैली, इस बात की सुनवाई नहीं करेंगे. 1995 के जजमेंट पर दोबारा विचार नहीं करेंगे. वह ये तय करेंगे कि क्या धर्म के नाम पर वोट मांगे जा सकते हैं?

CJI टीएस ठाकुर ने कहा कि 20 साल पुराने फैसले के बाद 5 जजों की बेंच ने जो रेफरेंस सात जजों की संविधान पीठ में भेजा उसमें यह बात कहां लिखी गई है कि संवैधानिक पीठ को हिंदुत्व की व्याख्या करनी है? फैसले के किसी भी हिस्से में इस बात का जिक्र नहीं है. जिस बात का जिक्र ही नहीं है.. उसें हम कैसे सुन सकते हैं? कोर्ट फिलहाल इस बड़ी बहस में नहीं जा रहा कि हिंदुत्व क्या है और इसका मतलब क्या है?

इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि किसी प्रत्याशी या उसके किसी समर्थक को ये इजाजत नहीं दी जा सकती कि वो धर्म के नाम पर वोट मांगे. ये चुनावी प्रक्रिया में सबसे बडी बुराई है, क्योंकि धर्म के नाम पर लोग प्रभावित होते हैं. किसी भी सेकुलर देश में मतदाताओं को की जाने वाली अपील भी सेकुलर सिद्धांत के तहत ही होनी चाहिए. धर्म के आधार पर वोट मांगकर राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की मंशा को मंजूरी नहीं दी जा सकती. मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, रिटायर्ड प्रोफ़ेसर शम्सुल इस्लाम और पत्रकार दिलीप मंडल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिपप्णी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी पर बाद में गौर किया जाएगा. कोर्ट ने इस याचिका को लंबित रखा है.

दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 20 साल पुराने हिंदुत्व जजमेंट को पलटने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि पिछले ढाई साल से देश में इन आदेशों की आड़ में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, जिससे अल्पसंख्यक, स्वतंत्र विचारक और अन्य लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को ऐसे भाषण देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, हालांकि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में CJI ठाकुर ने कहा था :-
क्यों ना चुनाव में धर्म के आधार पर वोट मांगने को चुनावी दोष माना जाए?
चुनावी प्रक्रिया धर्मनिरपेक्ष होती है और उसमें किसी धर्म को नहीं मिलाया जा सकता
चुनाव और धर्म दो अलग-अलग चीजें हैं, उनको एक साथ नहीं मिलाया जा सकता
क्या किसी धर्म निरपेक्ष राज्य में किसी धर्मनिरपेक्ष गतिविधि में धर्म को शामिल किया जा सकता है?
20 साल से संसद ने इस बारे में कोई कानून नहीं बनाया
इतने वक्त से मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो क्या इंतजार हो रहा था कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ही फैसला करे जैसे यौन शौषण केस में हुआ. अगली सुनवाई 25 अक्तूबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता सुंदर लाल पटवा के वकील की दलील पर की थी जब कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को 1995 के जजमेंट को बने रहने देना चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि पटवा का केस ही देखें तो वह जैन समुदाय से हैं और कोई उनके लिए कहे कि वह जैन होने के बावजूद राम मंदिर बनाने में मदद करेंगे तो ये प्रत्याशी नहीं बल्कि धर्म के आधार पर वोट मांगना होगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने कई बड़े सवाल भी उठाए थे :-
क्या कोई एक समुदाय का व्यक्ति अपने समुदाय के लोगों से अपने धर्म के आधार पर वोट मांग सकता है? क्या ये भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है ?
क्या एक समुदाय का व्यक्ति दूसरे समुदाय के प्रत्याशी के लिए अपने समुदाय के लोगों से वोट मांग सकता है?
क्या किसी धर्म गुरु के किसी दूसरे के लिए धर्म के नाम पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण होगा और प्रत्याशी का चुनाव रद्द किया जाए?

दरअसल, भारत में चुनाव के दौरान धर्म, जाति समुदाय इत्यादि के आधार पर वोट मांगने या फिर धर्म गुरूओं द्वारा चुनाव में किसी को समर्थन देकर धर्म के नाम पर वोट डालने संबंधी तौर तरीके कितने सही और कितने गलत हैं ? इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.


वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पहली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को फिलहाल पार्टी बनाने से इंकार कर दिया था। CJI ठाकुर ने केंद्र सरकार को मामले में पार्टी बनाने संबंधी मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह एक चुनाव याचिका का मामला है, जोकि सीधे चुनाव आयोग से जुड़ा है। इसमें केंद्र सरकार को पार्टी नहीं बनाया जा सकता।
दरअसल 1995 के फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि- 'हिंदुत्व'के नाम पर वोट मांगने से किसी उम्मीदवार को कोई फ़ायदा नहीं होता है।'उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को 'वे ऑफ़ लाइफ़'यानी जीवन जीने का एक तरीका और विचार बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिन्दुत्व भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा है और इसे हिंदू धर्म और आस्था तक सीमित नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगना करप्ट प्रैक्टिस नहीं है और रिप्रजेंटेशन ऑफ पिपुल एक्ट की धारा-123 के तहत ये भ्रष्टाचार नहीं है.

याचिकाकर्ता के वकील ने रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा-123 व इसके अनुभाग 3 पर करते हुए कहा कि वर्ण, धर्म, जाति, भाषा और समुदाय के आधार पर अगर कोई व्यक्ति वोट मांगता है तो इसे चुनाव के गलत तरीकों की संज्ञा दी जाती है. ऐसा मामला पाए जाने पर दोषी व्यक्ति का पूरा चुनाव रद्द कर दिया जाता है.

गौरतलब है कि 1992 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए थे. उस समय वहां के नेता मनोहर जोशी ने बयान दिया था कि महाराष्ट्र को वे पहला हिंदू राज्य बनाएंगे. जिस पर विवाद हुआ था और 1995 में बांबे हाईकोर्ट ने उक्त चुनाव को रद्द कर दिया था. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेस एस वर्मा की बेंच ने फैसला दिया था कि हिंदुत्व एक जीवन शैली है, इसे हिंदू धर्म के साथ नहीं जोड़ा जा सकता और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था.

2005 के तीन जजों के फैसले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेजा गया. जनवरी 2014 में सुंदर लाल पटवा का केस आने के बाद इस मामले को सात जजों की संविधान पीठ को भेजा गया.


तीस्ता सीतलवाड़ ने धार्मिक दुश्मनी फैलाई : HRD पैनल

$
0
0


UPA सरकार में तीस्ता सीतलवाड़ ने धर्म-राजनीति को मिलाया, धार्मिक दुश्मनी फैलाई: HRD पैनल

भाषा , नई दिल्ली | October 23, 2016
http://www.jansatta.com
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक पैनल ने दावा किया है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके सबरंग ट्रस्ट ने उसे लगभग 1.4 करोड़ रुपए का अनुदान देने वाली संप्रग सरकार के लिए पाठ्यक्रम की सामग्री बनाने के दौरान ‘धर्म और राजनीति का घालमेल’ करने और दुर्भावना फैलाने की कोशिश की। समिति के निष्कर्षों को एक शीर्ष कानूनी अधिकारी का समर्थन प्राप्त है। समिति ने पाया कि प्रथम दृष्टया सीतलवाड़ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 153बी के तहत धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का और राष्ट्रीय अखंडता को लेकर पूर्वाग्रहों से ग्रसित आरोप लगाने एवं दावे करने का मामला बनता है।

बताया जा रहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कानूनी अधिकारी की ओर से मिली राय में कहा गया है, ‘जांच समिति की रिपोर्ट व्यापक है और यह मामले के हर पहलू को देखती है और रिपोर्ट में कहा गया कदम उल्लंघनों की जिम्मेदारियां तय करने, दुर्भावना और घृणा फैलाने के खिलाफ कार्रवाई करने और योजना में लगाए गए धन की पुन: प्राप्ति के लिए उठाया जा सकता है।’ अधिकारी ने यह राय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट का पूरा अध्ययन करने के बाद दी। इस पैनल ने सीतलवाड़ को ‘शिक्षा की राष्ट्रीय नीति’ योजना के तहत अपनी परियोजना ‘खोज’ के लिए मिले कोष के वितरण और उपयोग की जांच की।

मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यों वाली इस समिति में उच्चतम न्यायालय के वकील अभिजीत भट्टाचार्य, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एस के बारी और मंत्रालय के एक अधिकारी गया प्रसाद थे। इस समिति का गठन सीतलवाड़ के करीबी सहयोगी रहे रईस खान पठान के आरोपों की जांच के लिए किया गया था। पठान ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सबरंग ट्रस्ट के प्रकाशन ‘देश के अल्पसंख्यकों में असंतोष फैलाते हैं और भारत को गलत तरीके से पेश करते हैं’ और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
ये निष्कर्ष इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं कि सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ दो दशक पुराने एक फैसले पर पुनर्विचार कर रही है, जिसमें कहा गया था कि हिंदुत्व एक ‘जीवन शैली है’ और सीतलवाड़ ने इसमें हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी है। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘सबरंग ट्रस्ट’ के किसी भी दस्तावेज में शिक्षा कभी एजेंडा नहीं रहा। सीतलवाड़ और उनका ट्रस्ट ‘छोटे बच्चों की कक्षा में धर्म का राजनीति के साथ घालमेल करने की कोशिश करता दिखाई देता है। ये वे बच्चे हैं, जो ज्यादा संपन्न पृष्ठभूमि से नहीं आते।’

धन प्राप्त करने की ‘उसकी योग्यता में असल समस्या और बाधा यही है।’ हालांकि समिति ने कहा कि धन प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट की अयोग्यता की वजह यह है कि ट्रस्ट के दस्तावेज ‘सीतलवाड़ के लेखन में उच्चतम न्यायालय की अवमानना’ दर्शाते हैं। समिति ने ट्रस्ट को 2.05 करोड़ रूपए आवंटित किए जाने पर सवाल उठाया था। ट्रस्ट को इसमें से 1.39 करोड़ रुपए जारी किए गए क्योंकि वह इसका 50 प्रतिशत भी इस्तेमाल कर पाने में अक्षम था। रिपोर्ट में सीतलवाड़ का एक बयान उद्धृत किया गया है जिसमें उन्होंने हिंदुत्व को ‘जीवन शैली’ बताने से जुड़े उच्चतम फैसले के बारे में टिप्पणी की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि यह अपराध का उचित मामला नहीं है तो फिर और क्या होगा?

सीतलवाड़ की ओर से ‘सबरंग ट्रस्ट’ की निदेशक के रूप में जमा कराई गई सामग्री और दस्तावेजों की जांच करने वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारी ट्रस्ट की ओर से की गई ‘झूठी घोषणाओं’ को पहचानने में विफल रहे क्योंकि उनपर परियोजना को मंजूरी देने की एक तरह की ‘बाध्यता’ थी। समिति ने उनके खिलाफ भी कार्रवाई का सुझाव दिया। समिति ने कहा कि ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत ट्रस्ट: ‘खोज’ को दिया गया जनता का धन ‘दुर्भावना, शत्रुता की भावना, घृणा आदि फैलाने वाला पाया गया।’ ‘खोज’ परियोजना को सीतलवाड़ के एनजीओ ने महाराष्ट्र के कुछ जिलों में शुरू किया था।

---------------------------------

तीस्ता सीतलवाड़ पर लटकी तलवार, उनके खिलाफ केस दर्ज कर सकती है मोदी सरकार

By: Rajeevkumar Singh Updated: Saturday, October 15, 2016
http://hindi.oneindia.com

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ केस दर्ज करने का प्रस्ताव दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ को दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने और सामंजस्य भंग करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और इसके लिए उन पर आईपीसी की धारा 153-A और 153-B के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

यूपीए शासनकाल के अधिकारी भी जिम्मेदार
कमेटी ने यह भी कहा है कि तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट को 1.39 करोड़ का ग्रांट देने वाले यूपीए शासनकाल के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
कमेटी का कहना है कि जांच के बाद यह पता चला है कि सबरंग ट्रस्ट यह ग्रांट पाने के लिए योग्य नहीं था फिर भी अधिकारियों ने इसे मंजूरी दी।
कमेटी के इस प्रस्ताव के बाद तीस्ता सीतलवाड़ के साथ-साथ अब यूपीए शासनकाल के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
कहां लगाई जा सकती है यह आईपीसी की धारा
इन आरोपों पर आईपीसी की धारा 153-A औरर 153-B के तहत मुकदमा चलाया जाता है।
समूहों या धर्मों के बीच नफरत फैलाना
समाज में सामंजस्य भंग करने के लिए पूर्वाग्रह से कोई काम करना
राष्ट्रीय अखंडता को क्षति पहुंचाने वाला कोई काम करना
इन आरोपों के साबित होने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पहुंचा प्रस्ताव
तीस्ता सीतलवाड़ और यूपीए शासनकाल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के प्रस्तावों की यह रिपोर्ट कानून मंत्रालय की सलाहो के साथ केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में जून 2015 में जमा की गई थी। उस समय स्मृति ईरानी मंत्री थीं।
अब इन प्रस्तावों पर वर्तमान मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के फैसले का इंतजार हो रहा है।

इस बारे में पूछे जाने पर जावड़ेकर बोले, 'मैंने रिपोर्ट मंगाई है और अभी इसे ठीक से देखा नहीं है। रिपोर्ट से गुजरने के बाद ही इस पर कुछ कह पाऊंगा।'
कौन-कौन थे इस कमेटी में?
तीस्ता सीतलवाड़ और उनके एनजीओ की जांच के लिए बनी इस कमेटी के हेड गुजरात सेंट्रल युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सैयद ए बारी रहे। इस कमेटी के सदस्य थे - सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अभिजित भट्टाचार्य और मानव संसाधन मंत्रालय में डायरेक्टर गया प्रसाद।

क्या है इस रिपोर्ट में?
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि यूपीए शासनकाल में मानव संसाधन मंत्रालय ने शिक्षा फैलाने के एक स्कीम के तहत तीस्ता सीतलवाड़ के सबरंग ट्रस्ट के दो साल के प्रोजेक्ट के लिए 2.06 करोड़ रुपए की मंजूरी दी और 1.39 करोड़ रुपए जारी भी कर दिया जबकि मंत्रालय को ऐसा नहीं करना चाहिए था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव संसाधन मंत्रालय को यह मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी क्योंकि इस एनजीओ के आवेदन की ठीक से जांच की जाती तो यह वहीं रिजेक्ट हो जाता। शिक्षा फैलाना सबरंग ट्रस्ट का उद्देश्य कभी नहीं रहा।
सबरंग ट्रस्ट के कागजातों और लेखों से पता चलता है कि राजनीतिक एजेंडा फैलाना इसका काम है। इसने गुजरात सरकार के खिलाफ एजेंडे के तहत काम किया और इतिहास लेखन को लेकर पूर्व मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी की आलोचना करते हुए आरएसएस के साथ संबंध होने की बात कही।
कमेटी का कहना है कि सबरंग ट्रस्ट से पूछा जाना चाहिए कि वह शिक्षा के लिए काम करता था या फिर भाजपा और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ राजनीतिक अभियान चलाता था।
तीस्ता सीतलवाड़ के पति ने रिपोर्ट पर यह कहा
कमेटी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए तीस्ता सीतलवाड़ के पति जावेद आनंद ने कहा, 'इस रिपोर्ट में शिक्षा के बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया गया है। पिछले दो दशकों से तीस्ता बच्चों की शिक्षा के लिए खोज प्रोग्राम चला रही हैं। महाराष्ट्र के नगरपालिका स्कूलों में इस प्रोग्राम को चलाने के लिए साल दर साल मंजूरी मिली जबकि वहां शिवसेना-भाजपा का शासन था। कमेटी ने कैसे निष्कर्ष निकाल लिया कि शिक्षा फैलाना सबरंग ट्रस्ट का उद्देश्य नहीं है।'

देश ने 29 सितंबर को ही मना ली दिवाली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

$
0
0



देश ने 29 सितंबर को ही मना ली दिवाली: PM नरेंद्र मोदी

By: एबीपी न्यूज़/एजेंसी | Last Updated: Tuesday, 25 October 2016
http://abpnews.abplive.in
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को आठ बड़ी योजनाएं देने के बाद कहा कि कई बरस बाद हम लोग सेना को अहसास करा सके कि पूरा देश आपके साथ है. उन्होंने कहा कि उसी दौरान टीवी में देखा, अखबारों में पढ़ा, टेलीफोन आए बनारस से कि 29 सितंबर को हम काशीवासियों ने छोटी दीपावली मना ली. दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक पर 29 सितंबर को गंगा आरती सेना को समर्पित थी.

सालों बाद लगा, सेना के साथ पूरा देश खड़ा है: प्रधानमंत्री
इस दौरान रैैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई सालों के बाद ऐसा लगा कि सेना के साथ पूरा देश खड़ा है. मोदी ने कहा, “अब हम बड़ी दीपावली मनाएंगे, मगर यह तभी होता है कि जब सीमा पर किसी मां का लाल हमारे त्योहार के लिए अपने को खपा देता है. मैं आह्वान करता हूं कि अपनों की ही तरह सेना के जवानों को, सुरक्षा बलों को दीपावली पर शुभकामना संदेश भेजें.”

दीपावली पर सुरक्षा बलों को बधाई दें: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोगों से दीपावली पर सेना और सुरक्षा बलों के जवानों को बधाई एवं शुभकामना संदेश भेजने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि इन संदेशों से जवानों का मनोबल ऊंचा होगा. महोबा में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे हमारे जवानों, सेना, वायु सेना, नौसेना और सभी सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए दीपावली पर उन्हें शुभकामना संदेश भेजें.”

मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को करोड़ों रुपये की योजनाओं का तोहफा दिया. उन्होंने पांच बेटियों को सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ दिया और ऊर्जा गंगा परियोजना के अंतर्गत पीएनजी सिटी गैस परियोजना और गैस आधारित बिजली उपकेंद्र का भी शिलान्यास किया.

घर-घर पाइप लाइन से रसोई गैस
प्रधानमंत्री ने गंगा किनारे बसे शहर बनारस में ऊर्जा गंगा परियोजना (घर-घर पाइप लाइन से रसोई गैस) का बटन दबाकर शुभारंभ किया. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान भी उनके साथ थे. प्रधानमंत्री ने सुकन्या धन योजना के लाभार्थियों को चेक दिया. पहली लाभार्थी परिणीति (चंदौली), दूसरी अनुष्का (वाराणसी), फिर सारिया (वाराणसी) और आराध्या यादव को चेक प्रदान किया. इसके बाद 5 महिलाओं को उज्ज्वला योजना से लाभान्वित किया.

प्रधानमंत्री ने वाराणसी में सोमवार को सिटी गैस परियोजना का शिलान्यास भी किया और कहा कि इसका लाभ 12 लाख उपभोक्ताओं को मिलेगा. साथ ही उन्होंने डीरेका विस्तारीकरण योजना का लोकार्पण भी किया. इसके तहत मॉडर्न मशीनरी से रेल इंजन बनेंगे. इसके साथ ही वाराणसी-इलाहाबाद रेल मार्ग दोहरीकरण का शिलान्यास भी किया.


मोदी का यह आठवां दौरा
प्रधानमंत्री मोदी महोबा से सेना के विशेष हेलीकॉप्टर द्वारा वाराणसी के डीजल रेल कारखाना (डीरेका) मैदान पर उतारे, जहां उनकी अगवानी राज्यपाल राम नाईक ने की. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री प्रधान के अलावा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा और अनुप्रिया पटेल समेत कई केंद्रीय मंत्री और सांसद मौजूद थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का आठवां दौरा है.

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री के आगमन के पूर्व बीजेपी के कार्यकर्ता शूलटंकेश्वर, रोहनिया, सेवापुरी, राजा तालाब, शिवपुर मंडल से जुलूस निकालकर कार्यकर्ता सभा स्थल पर पहुंचे. सभा स्थल पर सांसद और भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता मनोज तिवारी ने सभा स्थल पर अपने गीतों से समां बांधा और केंद्र सरकार की योजनाओं का बखान किया.

सबको रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध कराएगी सरकार: मोदी
सार्वजनिक परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से एवं निर्दिष्ट बजट में पूरा करने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार अगले तीन सालों में सबको रसोई गैस का कनेक्शन देने के लिए कृतसंकल्प है. सात सार्वजनिक परियोजनाओं की शुरुआत करने के बाद यहां एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “सार्वजनिक योजनाओं का क्रियान्वयन तथा शुरुआत समय पर होनी चाहिए. इसमें किसी भी प्रकार का विलंब नहीं होना चाहिए और मेरी सरकार यही कर रही है.” उन्होंने कहा, “हम सुनिश्चित करेंगे कि अगले तीन वर्षो के भीतर हर परिवार को रसोई गैस का कनेक्शन मिले.”

मोदी ने कहा कि सार्वजनिक परियोजनाओं व योजनाओं का मतलब केवल समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर देना ही नहीं है, बल्कि लोगों के जीवन में सुधार करने में मदद के लिए इसका सही तरीके से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “आधारशिला रखकर हम अपने काम की इतिश्री नहीं समझते, बल्कि हम यह सुनिश्चित करते हैं कि परियोजाएं पूरी भी हों.”
Viewing all 2995 articles
Browse latest View live


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>