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बद्रीनाथ धाम

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6 मई 2017 को सुबह 4:15 पर बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे। नरेंद्रनगर में राजा मनुजयेंद्र शाह ने राजदरबार से तिथि की घोषणा की। पूजा अर्चना और मंत्रोचार के बाद पूरे विधि विधान से बाबा केदार के कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई।

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इतिहास के पन्नो से.....बद्रीनाथ धाम
पौराणिक कथाओं और यहाँ की लोक कथाओं के अनुसार यहाँ नीलकंठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतरण किया। यह स्थान पहले शिव भूमि (केदार भूमि) के रूप में व्यवस्थित था। भगवान विष्णुजी अपने ध्यानयोग हेतु स्थान खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा नदी के समीप यह स्थान बहुत भा गया। उन्होंने वर्तमान चरणपादुका स्थल पर (नीलकंठ पर्वत के समीप) ऋषि गंगा और अलकनंदा नदी के संगम के समीप बाल रूप में अवतरण किया और क्रंदन करने लगे। उनका रुदन सुन कर माता पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा। फिर माता पार्वती और शिवजी स्वयं उस बालक के समीप उपस्थित हो गए। माता ने पूछा कि बालक तुम्हें क्या चहिये? तो बालक ने ध्यानयोग करने हेतु वह स्थान मांग लिया। इस तरह से रूप बदल कर भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती से यह स्थान अपने ध्यानयोग हेतु प्राप्त कर लिया। यही पवित्र स्थान आज बदरीविशाल के नाम से सर्वविदित है।
जब भगवान विष्णु योगध्यान मुद्रा में तपस्या में लीन थे तो बहुत अधिक हिमपात होने लगा। भगवान विष्णु हिम में पूरी तरह डूब चुके थे। उनकी इस दशा को देख कर माता लक्ष्मी का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के समीप खड़े हो कर एक बेर (बदरी) के वृक्ष का रूप ले लिया और समस्त हिम को अपने ऊपर सहने लगीं। माता लक्ष्मीजी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने की कठोर तपस्या में जुट गयीं । कई वर्षों बाद जब भगवान विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि लक्ष्मीजी हिम से ढकी पड़ी हैं। तो उन्होंने माता लक्ष्मी के तप को देख कर कहा कि हे देवी! तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है सो आज से इस धाम पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जायेगा और क्योंकि तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है सो आज से मुझे बदरी के नाथ-बदरीनाथ के नाम से जाना जायेगा। इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बदरीनाथ पड़ा।
जहाँ भगवान बदरीनाथ ने तप किया था, वही पवित्र-स्थल आज तप्त-कुण्ड के नाम से विश्व-विख्यात है और उनके तप के रूप में आज भी उस कुण्ड में हर मौसम में गर्म पानी उपलब्ध रहता है।
पावन बद्रीनाथ धाम नर-नारायण पर्वत के मध्य में हिमालय की कोख में बसा है. यह धाम भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण नारद जैसे श्रेष्ठ मुनियों द्वारा अनवरत सेवित एवं साधना स्थली के रूप में विख्यात है. . बद्रीनाथ के संदर्भ में मान्यता है कि सतयुग के प्रारंभ में ही जगत के कल्याण की कामना धारण करके स्वयं नारायण ने मूर्तिमान होकर इस धाम में एक तपस्वी की तरह तप किया. सतयुग में भगवान श्रीनारायण के प्रत्यक्ष दर्शन होने के कारण यह धाम मुक्तिप्रदा के नाम से विख्यात हुआ. त्रेता युग में योगाभ्यासरत रहकर कुछ काल तक भगवान श्रीराम के दर्शन का लाभ मानव को मिलने के कारण इसे योगिसिद्धदा के नाम से जाना गया. द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के प्रत्यक्ष दर्शन की आशा में बहुजन संकुल होने के नाते विषाला के नाम से जाना गया. प्रकृति के वैभव से आच्छादित, नर-नारायण को लुभाने वाला यह कलयुग में बद्रिकाश्रम बदरीनाथ धाम के नाम से विख्यात है.
बौद्ध धर्म के नयन-महायान समुदायों के आपसी संघर्ष ने बद्रिकाश्रम को भी प्रभावित किया. आक्रमण एवं विनाश की आशंका से ग्रस्त एवं खुद रक्षा करने में असमर्थ इस धाम के पुजारी भगवान की मूर्ति को नारद कुंड में डालकर यहां से पलायन कर गए. जब भगवान की प्रतिमा के दर्शन नहीं हुए तो नर-देवता संयुक्त रूप से देवाधिदेव भगवान शिव की शरण में जाते हैं, जो उस समय कैलाश में समाधि लिए हुए थे. आराधना से प्रकट होकर भगवान कैलाशपति ने कहा कि नारायणश्री की मूर्ति कहीं गई नहीं है. वहीं समीप के नारद कुंड में ही है, परंतु तुम लोग वर्तमान में शक्तिहीन हो. भगवान नारायणश्री मेरे भी आराध्य हैं. अतएव मैं स्वयं अवतार धारण करके मूर्ति का उद्धार कर जगत का कल्याण करूंगा. कालांतर में भगवान आशुतोष शिव ही दक्षिण भारत के कलाड़ी नामक स्थान में ब्राह्मण भेरवदत्त उ़र्फ शिव गुरु के घर माता आर्यम्बा की कोख से जन्म लेकर आदिगुरु शंकराचार्य के नाम से विख्यात हुए.
जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा संपूर्ण भारत में अव्यवस्थित तीर्थों का सुदृढ़ीकरण, बौद्ध मतों का खंडन एवे सनातन वैदिक मत का मंडन सर्वविदित है. शिव रूप आदिगुरु शंकराचार्य ने ठीक ग्यारह वर्ष की अवस्था में दक्षिण भारत से बद्रिकाश्रम पहुंच कर नारद कुंड से भगवानश्री की दिव्य मूर्ति का विधिवत उद्धार करके उसे पुन: प्राण प्रतिष्ठित किया. बद्रीनाथ धाम में आज भी उन्हीं के द्वारा शुरू परंपरा के अनुसार उन्हीं के वंशज नांबूदरीपाद ब्राह्मण ही भगवान नारायण रूप बद्रीनाथ जी की पूजा-अर्चना वैदिक परंपरा के अनुसार करते हैं. अति हिमपात के कारण इस धाम के कपाट वर्ष में छह माह बंद रहते हैं. मंदिर के कपाट पूजन के लिए अप्रैल के अंत अथवा मई के प्रथम पखवारे में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाते हैं. कुंभ 2010 के अवसर पर इस बार भी कपाट 19 मई को खोले गए. मंदिर खुलने के दिन अखंड ज्योति दर्शन का विशेष महत्व है. छह माह बाद मंदिर के पट बंद होने का दिन लगभग नवंबर मास के दूसरे सप्ताह में आता है, जो प्रत्येक वर्ष दशहरे के दिन निश्चित किया जाता है. भगवान बद्रीनाथ जी की मूर्ति का स्वरूप एवं भगवानश्री की दिव्य मूर्ति की प्रतिष्ठा का इतिहास लगभग द्वापर युग के श्रीकृष्णावतार के समय का माना जाता है. भगवान बद्रीनाथ की इस तीसरी प्रतिष्ठा का इतिहास कुछ इस प्रकार है, जब विधर्मियों-पाखंडियों का प्रभाव बढ़ा तो उन्होंने भगवानश्री की प्रतिमा को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया. बचाव में पुजारियों ने भगवानश्री की प्रतिमा पास के नारद कुंड में डाल दी, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा स्वयं शिवावतारआदि शंकराचार्य ने की. भगवानश्री की दिव्य मूर्ति हरित वर्ण की पाषाण शिला में निर्मित है, जिसकी ऊंचाई लगभग डेढ़ फुट आंकी जाती है. भगवानश्री नारायण यहां पद्मासन में विराजमान हैं, पद्मासन भी योग मुद्रा में है. पद्मासन पर भगवानश्री के गंभीर बुर्तलाकार नाभिहृदय के दर्शन होते हैं. यही ध्यान साधक को साधना में गंभीरता प्रदान करता है, जिससे साधक के मन की चपलता स्वयं समाप्त हो जाती है. नाभि के ऊपर भगवानश्री के विशाल वक्षस्थल के दर्शन होते हैं. बाएं भाग में भृगुलता का चिन्ह एवं दाएं भाग में श्रीवत्स चिन्ह स्पष्ट दिखता है. भृगुलता भगवानश्री की सहिष्णुता एवं क्षमाशीलता का परिचायक है. श्रीवत्स दर्शन शरणागत दायक और भक्त वत्सलता का प्रतीक है. पुराण इसका स्वयं साक्षी है कि त्रिदेवों में महान कौन है के परीक्षण के क्रम में भृगुऋृषि ने भगवान विष्णु जी के वक्षस्थल पर पैर से प्रहार किया तो भगवान ने क्षमादान के साथ अपने श्रेष्ठ गुणों का भी प्रदर्शन किया. श्रीवत्स चिन्ह में बाणासुर की रक्षा के लिए भगवान शिव द्वारा फेंके गए त्रिशूल के घाव एवं श्रीकृष्ण के वक्षस्थल स्पष्ट रूप से दिखते हैं. सुवर्ण रेखा के रूप में लक्ष्मी प्रदाता प्रतीक बने हैं. यह चिन्ह दाएं भाग में स्थित हैं. इस पर भगवानश्री के दिव्य कंबुग्रीवा के दर्शन होते हैं, जो महापुरुषों के लक्षणों का परिचायक है. इसके ऊपर भगवान बद्रीनाथ जी की विशाल जटाओं से सुख भाग के दर्शन होते हैं.
भगवानश्री का दर्शन मानव को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति प्रदान करने वाला है. नारद जी-भगवान बद्रीनाथ जी के दरबार के बाएं भाग में ताम्रवर्ण की छोटी सी मूर्ति मुनिवर नारद जी की है. परंपरानुसार शीतकाल में देव पूजा के क्रम में नारद जी द्वारा ही भगवानश्री एवं
देवतागण सुपूजित होते हैं. उद्धव जी-नारद जी के पृष्ठ भाग में चांदी की दिव्य मूर्ति उद्धव जी की है. द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के सखा रहे उद्धव जी उन्हीं के आदेश से यहां पधारे थे. यह भगवानश्री के उत्सव मूर्ति के रूप में सुपूजित होती है. शीतकाल में देव पूजा के समय उद्धव जी की ही पूजा पांडुकेश्वर के योगध्यानी मंदिर में संपन्न होती है. नरपूजा में ग्रीष्मकाल में उद्धव जी पुन: भगवानश्री की पंचायत बद्रीनाथ के वामपार्श्व में विराजते हैं. भगवान नारायण उद्धव एवं नारद जी के बाएं भाग में शंख, चक्र एवं गदा धारण किए हुए पद्मासन में स्थित हैं. स्कंध भाग में लीलादेवी, बाएं उरुभाग में उर्वशी, बाएं मुखारबिंद के पास श्रीदेवी एवं कटि भाग के पास भूदेवी भगवानश्री की सेवा में विराजमान हैं. स्वयं भगवान नारायण योग मुद्रा में तपस्या में लीन हैं.
बद्रीनाथ धाम में सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ आराध्य देव श्री बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। विष्णु के इन पांच रूपों को ‘पंच बद्री’ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां स्थापित है।
श्री विशाल बद्री
श्री विशाल बद्री (श्री बद्रीनाथ में) विशाल बद्री के नाम से प्रसिद्घ मुख्य बद्रीनाथ मन्दिर, पंच बद्रियों में से एक है। इसकी देव स्तुति का पुराणों में विशेष वर्णन किया जाता है। ब्रह्मा, धर्मराज तथा त्रिमूर्ति के दोनों पुत्रों नर तथा नारायण ने बद्री नामक वन में तपस्या की, जिससे इन्द्र का घमण्ड चकनाचूर हो गया। बाद में यही नर नारायण द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतरित हुए तत्पश्चात बद्रीनारायण नारद शिला के नीचे एक मूर्ति के रूप प्राप्त हुए। जिन्हें हम विशाल बद्री के नाम से जानते हैं।
श्री योगध्यान बद्री
श्री योगध्यान बद्री (पाण्डुकेश्वर में) 1500 वर्षो से भी प्राचीन योगध्यान बद्री का मन्दिर जोशीमठ तथा पीपलकोठी पर स्थित है। महाभारत काल के अंत में कौरवों पर विजय प्राप्त करने के, कलियुग के� प्रभाव से बचने हेतु पाण्डव हिमालय की ओर आए और यही पर उन्होंने स्वर्गारोहण के पूर्व घोर तपस्या की थी।
श्री भविष्य बद्री
श्री भविष्य बद्री (जोशीमठ के पास) जोशीमठ के पूर्व में 17 कि.मी. की दूरी पर और तपोवल के सुबैन के पास भविष्य बद्री का मंदिर स्थित है। आदि ग्रंथों के अनुसार यही वह स्थान है जहां बद्रीनाथ का मार्ग बन्द हो जाने के पश्चात धर्मावलम्बी यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
श्री वृद्घ बद्री
श्री वृद्घ बद्री (अणिमठ पैनीचट्टी के पास) यह जोशीमठ से 8 कि.मी. दूर 1380 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि जब कलियुग का आगमन हुआ तो भगवान विष्णु मंदिर में चले गये। यह मंदिर वर्ष भर खुला रहता है। वृद्घ बद्री को आदि शंकराचार्य जी की मुख्य गद्दी माना जाता है।
श्री आदि बद्री
कर्ण प्रयाग-रानी खेत मार्ग पर कर्ण प्रयाग से 18 कि.मी. दूर स्थित है। आदि बद्री को अन्य चार बद्रियों का पिता कहा जाता है। यहां 16 छोटे मंदिरों का समूह है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इन मंदिरों के निर्माण की स्वीकृति गुप्तकाल में आदि शंकराचार्य ने दी थी जो कि हिन्दू आदर्शो के प्रचार-प्रसार को देश के कोने-कोने में करने के लिए उद्दत थे।


मोदी सरकार के बेमिसाल तीन साल - अरविन्द सिसौदिया

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मोदी सरकार के तीन साल बेमिसाल:अरविन्द सिसौदिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र जी मोदी की केन्द्र सरकार के तीन साल 26 मई 2017 को होनें जा रहे है। मीडिया के क्षैत्र में अलग - अलग तरीकों से जांच पड़ताल हो रही है , आलेख लिखे जा रहे हैं , रायसुमारियां हो रहीं हैं, कि मोदी सरकार के तीन साल कैसे रहे। “स्वच्छ भारत से स्वच्छ धन”तक की मोदी सरकार की यात्रा के तीन साल भारत में प्रौ़द्योगिकी के उपयोग, आंतरिक विकास एवं बदलाव के लिये बेमिसाल रहे हैं। जीवन को उन्नत करनें और मानवता को अधिकतम लोगों तक ले जानें के महान प्रयास में मोदी सरकार को युगों - युगों तक स्मरण किया जाता रहेगा। सम्पूर्ण भारत के जन - जन की अभिलाषा है कि मोदी जी लगातार इसी तेजश्विता से , ऊर्जा से भारत को नेतृत्व प्रदान करते रहें । हम सफलतम तीन वर्ष  के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन करते है। उन्हे बधाई प्रेषित करते है।
आपका
अरविन्द सिसौदिया ,
जिला महामंत्री भाजपा, कोटा, राजस्थान
 9414180151 / 9509559131



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https://khabar.ndtv.com
-16 मई को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव जीती बीजेपी
-26 मई को पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी ने ली थी शपथ
-उनके कार्यकाल के कई काम काफी सराहे गए.

नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को तीन साल पहले जनता ने गुजरात छोड़कर दिल्ली में आने को मजबूर कर दिया. खुद बीजेपी ने नहीं सोचा था कि पार्टी को इस प्रकार का बहुमत मिलेगा जो ऐतिहासिक होकर भारतीय राजनीति के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो जाएगा. यह पहली बार हुआ कि एक वर्तमान मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री पद का उत्तराधिकारी बना.

कारण साफ था गुजरात के बाहर मोदी की कार्यशैली, निर्णय लेने की क्षमता, कुछ नया करने की इच्छाशक्ति और भविष्य को ध्यान में रखकर तकनीक का प्रयोग आदि की खबरें जो आई उसने लोगों के दिलोदिमाग पर एक ही छाप छोड़ी, अबकी बार मोदी सरकार. लोगों ने यह नारे नहीं लगाए, अबकी बार बीजेपी सरकार.

पहले लोग गुजरात के बाहर मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के जानते थे. अब लोग एक पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी को जानते और समझने लगे हैं. पिछले तीन सालों में पीएम मोदी के प्रति लोगों का लगाव कुछ ऐसा बढ़ा है कि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा है. विपक्ष इसी बात से परेशान है. पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल में पीएम को लोगों को जानने और समझने का मौका मिला. इन तीन सालों में पीएम मोदी के कुछ ऐसे काम रहे जो तमाम लोगों की नजर बेहतर पाए हैं. इनमें से 15 का जिक्र अब बनता है.

नरेंद्र मोदी का स्वच्छता का प्रति झुकाव 
शायद ही इससे पहले किसी प्रधानमंत्री का स्वच्छता के प्रति इतना झुकाव देश ने देखा होगा. स्वच्छता को एक अभियान बनाना. अभियान का हिस्सा बनना. खुद झाड़ू लेकर मैदान में उतरना और लाखों लोगों को इसके लिए प्रेरित करना. आसान काम नहीं है. लेकिन पीएम मोदी ने बखूबी कर दिया. परिणाम कितना मिला इस बारे में ज्यादा नहीं कहा जा सकता, लेकिन देश में लोग इस बारे में प्राथमिकता से विचार करने लगे, यह इस अभियान की सफलता के पयमाने में एक जरूर है.

पीएम नरेंद्र मोदी का समय का पालन करना
पीएम नरेंद्र मोदी काफी मेहनती है. कहा जाता है कि दिन में 18 घंटे वह काम करते हैं. समय की पाबंदी पसंद करते हैं. जब से सत्ता में आए इन्होंने सरकारी कर्मचारियों में इसे लागू करवाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी. कई मंत्रालयों में जहां कर्मचारी 11 बजे के बाद दिखाई देते थे और 3 बजे तक कुर्सियां खाली होना शुरू हो जाती वहां की परिस्थिति बिल्कुल बदल गई है. पीएम मोदी ने आदेश देकर लगभग सभी  केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक मशीन लगाने के आदेश दे दिए.

सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान और विपक्ष का मुंह बंद 
नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर के हिस्से में सर्जिकल स्ट्राइक की मंजूरी दी और भारतीय सेना ने पहली यह कारनामा कर पूरी दुनिया को अचरज में डाल दिया. यह अलग बाद है कि कांग्रेस की ओर से कहा गया कि उनके कार्यकाल के दौरान में ऐसा हुआ लेकिन उन्होंने ढिंढोरा नहीं पीटा. वर्तमान डीजीएमओ ने इसे अपनी तरह का पहला  आपरेशन बताया तो कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सीमा पर अकसर इस तरह की कार्रवाई होती है.

पीएम के मन की बात
सत्ता में आने के बाद किसी प्रधानमंत्री ने जनता से जुड़ने का अनोखा माध्यम निकाला मन की बात. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महीने के अंतिम रविवार को लगातार मन की बात कार्यक्रम के जरिए लोगों को संबोधित करते हैं. इस कार्यक्रम के लिए लोगों से सुझाव मंगाते और कई मुद्दों पर लोगों से बात करते हैं. पीएम की इस पहल की लोगों ने काफी सराहना की है.

भ्रष्टाचार पर अंकुश की कोशिश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही यह प्रयास आरंभ किए कि भ्रष्टाचार पर हर प्रकार का अंकुश लगे. इसके लिए सरकार सभी सरकारी भुगतान ऑनलाइन करने का निर्णय लिया. टेंडरिंग को पूरी तरह ऑनलाइन करने का आदेश दिया. इस प्रकार के कई आदेश सरकार दिए और इसकी उपलब्धि कितनी है इस बारे में ठोस नहीं कहा जा सकता है. कहा जा सकता है तो सिर्फ इतना कि पिछले तीन साल में अभी  तक सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है. जबकि पिछली सरकार में मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पर आरोप लगते रहे हैं.

नोटबंदी का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवंबर को तत्कालीन 500 और 1000 के नोट को बंद करने का ऐलान किया. देश की पूरी अर्थव्यवस्था जैसे रुक गई. पीएम ने लोगों ने दो महीने का समय मांगा और लोगों ने दिया. लोगों को काफी कष्ट झेलने पड़े. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया. नोटबंदी को गलत कदम करार दिया. चुनाव में भुनाने का प्रयास भी लेकिन यह लोगों का मोदी से विश्वास कम नहीं हुआ.

स्वस्थता के प्रति सजगता
पीएम मोदी स्वास्थ्य के प्रति काफी सजग हैं. वह सुबह उठकर योग करते हैं. उन्होंने पूरी दुनिया में योग दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र से संपर्क किया और भारत के नाम एक अंतरराष्ट्रीय सफलता लगी. इतना ही नहीं वह लगातार लोगों से यह अपील कर रहे हैं कि वे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें. योग को अपनाएं और स्वस्थ जीवन शैली.

तकनीक के प्रति रुझान
प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. वहां से वह लगातार सोशल मीडिया के जरिए लोगों से जुड़े रहे हैं. मोबाइल तकनीक और तकनीक का प्रयोग कामकाज में करने ताकि पारदर्शिता बने और काम सहज हो. यह प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की देश को एक देन है. भारत में राष्ट्रपति का एक ट्विटर हैंडल  बना. पीएमओ का ट्वीटर हैंडल, पीएम का, सभी मंत्रालयों और मंत्री को ट्वटीर से लोगों से जुड़ने का आदेश दिया गया और सभी को सक्रियता से इससे जुड़ने की बात कही गई. परिणाम साफ है कि विदेश मंत्रालय से लेकर रेल, और कई मंत्रालयों में लोगों ने ट्विटर के जरिए अपनी समस्याओं का समाधान किया. कई बार तो बड़ी समस्याओं का समाधान एक ट्वीट से हो गया. उससे से बड़ी बात समय पर लोगों को सुविधा मिली और लोगों ने पीएम की इस मुहिम का लाभ उठाया और दिया धन्यवाद.

डिजिटल भारत की मुहिम
डिजिटल भारत के सपने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी आगे बढ़ रहे हैं. उनके पिछले तीन साल के कार्यक्रम में वह लगातार इस ओर बढ़ते जा रहे हैं. लोगों ने इस दिशा में काम करने का आग्रह कर रहे हैं. सरकार के सभी विभागों को डिजिटलाइजेशन के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनका मानना है कि इससे पर्यावरण से लेकर धन की हानि दोनों को बचाया जा सकता है. कई सरकारी काम अब इस माध्यम से होने लगे हैं. इतना ही नहीं कई ऐसे फॉर्म को सरल किया जिसके चलते लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता था.

कैशलेश भारत की मुहिम
पीएम ने न्यू इंडिया की संकल्पना की है. उन्होंने इसके लिए कैशलेस भारत की बात कही है. वह चाहते हैं कि देश में नकदी का चलन न हो. यह सबसे बड़ा माध्यम है भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का. पीएम को कितनी कामयाबी मिली, या मिलेगी यह तो साफ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन लोगों ने माना कि पीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत किलेबंदी की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

रोज एक कानून किया खत्म
आजादी के पहले अंग्रेजों ने भारत के लिए कई कानून बनाए. आजादी के बाद भी हजारों की संख्या में इस प्रकार के कानून भारत में चलते रहे. कई ऐसे कानून भी हैं जिनकी अब आवश्यकता भी नहीं रही. आजादी के 70 से भी ज्यादा हो गए कई सरकारें आईं कई लेकिन किसी ने भी इस ओर विचार नहीं किया. नरेंद्र मोदी सरकार ने कई ऐसे कानून रद्द कर दिए जिनकी अब कोई जरूरत नहीं है. एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि जब से वह सरकार में आए हैं तब से लेकर अब तक उन्होंने 1000 से ज्यादा कानून रद्द कर दिये हैं. वे अपनी इस मुहिम में रोज  आगे बढ़ रहे हैं. उनका मानना है कि कई गैरजरूरी कानून लोगों के लिए दिक्कत पैदा करते हैं.

नीति आयोग का गठन
योजना आयोग अब इतिहास हो गया है. इसके स्थान पर पीएम मोदी ने नीति आयोग का गठन किया है. जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब योजना आयोग, उसकी कार्यशैली और राज्यों से व्यवहार उन्हें उचित नहीं लगा. राज्यों से केंद्र के बेहतर समन्वय के लिए उन्होंने नीति आयोग का गठन किया.

पाकिस्तान को अलग थलग करना 
अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को नीति के रूप में प्रयोग कर रहे पाकिस्तान को भारत ने अलग थलग कर दिया. आज पाकिस्तान पर अमेरिका से लेकर कई देशों ने दबाव बनाया है कि वह आतंकवाद को प्रशय देना बंद करे. इस काम में मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है.

चीन की आंखों में आंखों डालना
पिछले काफी समय से चीन भारत के बड़े भाई की भूमिका में आने के प्रयास में रहा. एक तरफ जहां वह पाकिस्तान की मदद कर रहा है वहीं भारत के कई हिस्से पर अपना दावा करता रहा है. एलएसी को वह स्वीकार नहीं कर रहा है. लेकिन कई दशकों बाद भारत ने लेह के आगे अपने 100 टैंक भेजे और युद्धाभ्यास किया. वहीं अरुणाचल प्रदेश के विकास और सीमा पर सड़क निर्माण कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया गया.

भैरोंसिंह शेखावत : राजनीति का चलता फिरता विद्यालय थे

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राजनीति का चलता फिरता विद्यालय थे स्व. भैरोंसिंह शेखावत
15 मई, 2017

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत राजनीति का चलता फिरता विद्यालय थे, जिन्होंने अपनी नीतियों और योजनाओं के जरिये आम गरीब व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊंचा उठाया। स्व. शेखावत ने जन सेवा के लिए राजनीति को एक माध्यम के रूप में चुना।

श्रीमती राजे सोमवार को जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित प्रथम स्व. भैरोंसिंह शेखावत स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनका आशीर्वाद मिला और मैंने उनसे राजनीति में बहुत कुछ सीखा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. भैरोंसिंह ऐसे राजनेता थे जो शत्रु नहीं बनाते थे और उनके मित्र सभी राजनीतिक दलों में थे। उन्होंने हमेशा कतार में सबसे आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति को गणेश माना। वे कहते थे कि सबसे दूर बैठा व्यक्ति हमारी नजर में सबसे पहला व्यक्ति होना चाहिए।

श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में स्व. शेखावत ने ’अंत्योदय योजना’ तथा ’काम के बदले अनाज योजना’ लागू की, जो प्रदेश के गरीब और वंचितों के प्रति समर्पित थीं। उन्होंने पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए काम किया। हमारी सरकार ने भी उनके अंत्योदय के सपने को पूरा करने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति का प्रदेश में आगमन पर स्वागत करते हुए कहा कि विराट व्यक्तित्व के धनी श्री मुखर्जी देश के पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने प्रतिभाओं के लिए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे खोले हैं।

श्रीमती राजे ने सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पवन कुमार चामलिंग को प्रथम श्री भैरोंसिंह शेखावत लाइफटाइम अचीवमेंट ऑनर इन पब्लिक सर्विस पुरस्कार पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

Letter 'X' on palm.

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Letter 'X' on palm.
रहस्य क्रॉस
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Only 3% of the world population carry the same marking or letter 'X' on their palms.
Those people having letter 'X' on their palms might be:
Effective and highly efficient, smartest of all, great leadership qualities and great knowledge. They are intuitive and they easily forgive but yes they do not forget anything.
They are found to be powerful and lucky.
It is said that, they easily adapt themselves to the situations around them.
The popular individuals who have or had this letter include:
Greek emperor Alexander The Great and President Abraham Lincoln, Russian President
Vladimir Putin.
And
You ?????

किसानों और गरीबों की भलाई हमारा लक्ष्य - नरेंद्र मोदी

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किसानों और गरीबों की भलाई हमारा लक्ष्य - नरेंद्र मोदी
February 15, 2017

सरकार की पहली प्राथमिकता गरीबों, पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए काम करना होता है: प्रधानमंत्री
Quoteउत्तर प्रदेश की सपा सरकार गरीबों के सशक्तिकरण के खिलाफ है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteउत्तर प्रदेश के विकास के लिए भाजपा एकमात्र उम्मीद की किरण है: प्रधानमंत्री
Quoteउत्तर प्रदेश में ‘अप’ का मतलब अपराध, नौकरियों के लिए युवाओं का विस्थापन, भ्रष्टाचार, दंगे, मृत्यु दर और गरीबी है: प्रधानमंत्री मोदी

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान केंद्र में मेरे साथी श्रीमान नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा के प्रदेश महासचिव श्रीमान विजय बहादुर पाठक जी, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के अध्यक्ष श्रीमान मानवेंद्र सिंह चौहान, भाजपा की प्रदेश सचिव व हमारी समर्पित कार्यकर्ता बहन गीता शाक्य जी, राज्य सरकार में पूर्व मंत्री श्रीमान हरिद्वार दूबे जी, संसद में मेरे साथी श्री मुकेश राजपूत जी, युवा मोर्चा के हमारे जुझारू नेता श्री सुब्रत पाठक जी, कन्नौज जिला के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह राजपूत, औरैया जिला के प्रभारी श्री राजेंद्र सिंह चौहान, कन्नौज जिला प्रभारी श्री दिनेश राय, फर्रुखाबाद के अध्यक्ष श्रीमान सत्यपाल सिंह जी, फर्रुखाबाद के प्रभारी श्री श्रीकांत पाठक जी, कानपुर के प्रभारी डॉ. राम शरण कटियार जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कायमगंज से श्रीमान अमर सिंह जी खटीक, फर्रुखाबाद से श्रीमान सुनील दत्त द्विवेदी जी, बिधुना से श्रीमान विजय शाक्य जी, अमृतपुर से श्रीमान सुशील शाक्य जी, डिबियापुर से श्रीमान लखन सिंह जी, भोजपुर से श्रीमान नागेंद्र सिंह जी, तीरवा से श्रीमान कैलाश सिंह ही, कन्नौज से श्रीमान बनवारी लाल दोहरे जी, औरैया से श्रीमान रमेश दिवाकर जी, छिबरामऊ से श्रीमती अर्चना पांडेय जी, बिल्लोर से श्रीमान भगवती प्रसाद सागर जी। आप सब हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

भाइयों-बहनों।

इतनी विशाल संख्या में, मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूं भाइयों-बहनों। मैं सबसे पहले कन्नौजवासियों की क्षमा मांगता हूं। क्षमा इसलिए मांग रहा हूं कि इस जनसभा में इतना बड़ा मैदान तय किया। उसके बावजूद मैदान के बाहर छत पर हजारों लोगों को मैं देख रहा हूं। इस तरफ इस बड़े बिल्डिंग के पीछे कुछ लोग मुझे और दूर-दूर कर माथे नजर आ रहे हैं।

भाइयों-बहनों।

शायद उनको सुनाई भी नहीं देता होगा। आप लोगों के लिए मैदान छोटा पड़ गया, उसके कारण जो तकलीफ हुई है। मैं इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आपसे क्षमा मांगता हूं,  लेकिन भाइयों-बहनों आप इतनी बड़ी मात्रा में आशीर्वाद देने के लिए आए। हमारे सभी उम्मीदवारों को आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

भाइयों-बहनों।

चुनाव की बात तो करूंगा, चुनाव सभा के लिए आया हूं लेकिन एक शिकायत भी करना चाहता हूं भाइयों-बहनों। मुझे ये तो बताओ कि आप इतना प्यार दे रहे हो, इतने आशीर्वाद दे रहे हो अगर 2014 में भी दे दिया होता तो मुझे कितना अच्छा लगता। पूरा उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाया लेकिन कुछ सीटें जहां दो कुनबे के लोग लड़ रहे थे। आपने आंख की शर्म के कारण उन पर कृपा कर दी और वो दो कुनबे ही इस बार इकट्ठे होकर के आपके सपनों को कुचल-कुचल करके सत्ता हथियाने के लिए मैदान में आए हैं। और मैं देख रहा हूं, इस बार में कन्नौज की धरती पर देख रहा हूं कि जो 2014 में रह गया वो कसर पूरी करने का कन्नौजवासियों ने तय कर लिया है, और मेरे कन्नौज के भाइयों-बहनों मैं भी आपको वादा करता हूं। मैं भी आपको वादा करता हूं, आज जो मुझे प्यार दे रहे हैं। मैं ब्याज समेत विकास करके लौटाऊंगा, आपको ये वादा करता हूं भाइयों।


भाइयों-बहनों।

आज में सबसे पहले इस कन्नौज की धरती से जो इत्र की धरती है, जो हिंदुस्तान के हर कोने में सुगंध फैलाने वाला कन्नौज, उस कन्नौज की धरती से मैं देशवासियों के साथ अपनी खुशी बांटना चाहता हूं। कन्नौजवासियों से सवा सौ करोड़ देशवासियों की खुशी बांटना चाहता हूं। आप सबको पता चल गया होगा स्पेस में, आकाश में भारत बार-बार नये विकास के सीमा चिन्ह करता चला जा रहा है। आज सुबह करीब साढ़े नौ बजे हमारे देश के वैज्ञानिकों ने स्पेस प्रोग्राम में एक ऐसा काम किया, ऐसा काम किया। विश्व के स्पेस के कार्यक्रमों में आज हमारे वैज्ञानिकों की सिद्धी स्वर्णिम अक्षरों से लिखी जाएगी। आज भारत के वैज्ञानिकों ने एक साथ ये दुनिया का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है, एक साथ 104 सैलेटाइट लॉन्च किये। अरे आज मेरे देश के वैज्ञानिकों ने आज आकाश में भी सेंचुरी पार कर दी भाइयों। और उसमें तीन हमारे देश के हैं लेकिन 101 हमारे वैज्ञानिकों ने जो सैटेलाइट लॉन्च किये, वो दुनिया के और देशों के सैटलाइट थे जो हमारे वैज्ञानिकों नें हिंदुस्तान में से लॉन्च किया भाइयों-बहनों।

भाइयों-बहनों।

मैदान छोटा पड़ गया है। मेरी आपसे प्रार्थना है आप थोड़ी शांति रखिये। आगे आने की कोशिश मत कीजिए। इस सज्जन को क्या तकलीफ है भाई? क्या तकलीफ है इनको? मैदान छोटा पड़ गया है। आप लोग कृपा करके आगे आने की कोशिश मत कीजिए। जहां हो वहीं से भाजपा को जीताना यही हमारा संकल्प है।

भाइयों-बहनों।

आज जो 104 सैटेलाइट छोड़े गये। उसमें 3 हिंदुस्तान के हैं। 101 दुनिया के और देशों के हैं और वो भी अमेरिका का सैटेलाइट, आज हिंदुस्तान की धरती से हमारे वैज्ञानिकों ने छोड़े, इजराइल के, स्विट्जरलैंड के, नीदरलैंड के, यूएई के आप कल्पना कर सकते हो। भारत के वैज्ञानिकों ने भारत का नाम इतना ऊंचा किया है भाइयों। एक साथ भारत के वैज्ञानिकों के नाम मेरे साथ नारा बोलिये भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। ये मेरे वैज्ञानिकों के नाम है। मेरे देश के स्पेस के वैज्ञानिकों के नाम पर है, जिन्होंने इतना बड़ा करतब करके दिखाया है।

भाइयों-बहनों।

मैं आज कन्नौज की धरती से उड़ीसा प्रांत के नागरिकों का भी धन्यवाद करना चाहता हूं। नौजवानों का उत्साह इतना जोरदार है। मैं भाषण आगे बढ़ाऊं? मैं बोलना शुरू करूं? जरा इधर वाले बताइये मैं बोलना शुरू करूं? आप शांति रखोगे? मैं इन वालों को खास करता हूं शांति रखोगे? आपका प्यार मेरे सर-आंखों पर भाई।


भाइयों-बहनों।

मैं आज इस कन्नौज की धरती से, उत्तर प्रदेश की धरती से, एक गंगा-यमुना की धरती से उड़ीसा के नागरिकों का विशेष रूप से धन्यवाद करना चाहता हूं। उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरे उत्तर प्रदेश के भाइयों-बहनों सुन लीजिए। ये हमारे विरोधी न जाने कैसे-कैसे झूठ फैलाते हैं, लेकिन वो समझ नहीं पा रहे हैं कि हिंदुस्तान का मतदाता इतना समझदार हो गया है कि अब तुम्हारी झूठी बातें चलने वाली नहीं हैं। उड़ीसा ने दिखा दिया, उड़ीसा में पंचायतों के चुनाव थे, गांव के चुनाव थे। गांव के गरीब लोग मतदान करते हैं।

भाइयों-बहनों।

उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी बहुत कम ताकत वाली थी। हम पार्लियामेंट में भी बहुत कम लोग जीते थे लेकिन कल जब उड़ीसा में चुनाव के नतीजे आए भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व समर्थन उड़ीसा ने दिया है, मैं उड़ीसा का हृदय से धन्यवाद करता हूं।

भाइयों-बहनों।

कुछ लोग कहते थे कि मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक ये तो चुनावी खेल है, नोटबंदी राजनीति है, न जाने कैसे-कैसे आरोप लगाए थे। तीन-तीन महीने तक चुप नहीं रहे। जितने खेल-खेल सकते थे, खेलते रहे लेकिन हिंदुस्तान के गरीब से गरीब मतदाता ने उनको धूल चाटने को मजबूर कर दिया भाइयों। अभी उत्तर प्रदेश में क्या हुआ ...? एमएलसी का चुनाव हुआ, एमएलसी का चुनाव हुआ तीन सीटें भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से उत्तर प्रदेश में जीत गई। क्या हुआ? लोगों को ये साथ पसंद क्यों नहीं आया ...? एमएलसी के चुनाव में आपके सुपड़े-साफ क्यों हो गए ...?

भाइयों-बहनों।

ये बोलते साथ हैं लेकिन कारोबार स्वार्थ का है। ये जनता भली भांति जान गई है। भाइयों-बहनों पिछले दिनों नवंबर, दिसंबर महीने, जनवरी महीने में चंड़ीगढ़ कॉरपोरेशन का चुनाव हुआ, जहां भारतीय जनता पार्टी 20 साल से जीत नहीं पाई थी, चंड़ीगढ़ कॉरपरेशन में भारतीय जनता पार्टी दो-तिहाई बहुमत से चुनाव जीत गई भाइयों। महाराष्ट्र में नगर पालिकाओं के, पंचायतों के चुनाव हुए सारी विरोधियों की शक्ति को महाराष्ट्र की जनता ने साफ कर दिया। भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाया। 8 नवंबर नोटबंदी के बाद उड़ीसा में विजय, चंड़ीगढ़ में विजय, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय में विजय, गुजरात में स्थानीय निकाय में विजय, राजस्थान के उपचुनावों में विजय जहां-जहां, मध्यप्रदेश में चुनाव हुए भारतीय जनता पार्टी विजयी हुई। ये बात हवा का रूख बताता है कि भारतीय जनता पार्टी के साथ इस देश का गरीब से गरीब इंसान जुड़ गया है।

भाइयों-बहनों।

ये समाजवाद की बातें करने वाले, इंदिरा गांधी के जमाने से गरीबी हटाओ के माला जपने वाले लोग कितने खोखले थे, कितने झूठ बोलते थे। भाइयों-बहनों सरकार गरीबों के लिए कैसे काम करती है। आप मुझे बताइये भाइयों-बहनों। आखिर सरकार किसके लिए होती है ...? क्या सरकार अमीरों के लिए होती है ...? जरा जवाब दीजिए क्या सरकार अमीरों के लिए होती है ...? क्या सरकार धन्ना सेठों के लिए होती है ...? क्या सरकार बड़े-बड़े लोगों के लिए होती है ...? क्या सरकार कुछ गिने-चुने कुनबों के लिए होती है ...?

भाइयों-बहनों।

सरकार गरीबों के लिए होती है। सरकार की पहली जिम्मेवारी गांव, गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, महिला, युवा उनके लिए सरकार समर्पित होनी चाहिए। लेकिन भाइयों-बहनों ये चुनाव आते गरीब, गरीब, गरीब, गरीब करते रहते थे लेकिन कभी गरीबों के लिए न सोचा न कुछ किया। आपको जानकर के हैरानी होगी ये उत्तर प्रदेश में गरीब की थाली में जब गरीब खाता है, अगर 3 रुपया वह अपनी जेब से देता है तो 27 रुपया भारत सरकार उसमें लगाती है, तब गरीब का पेट भरता है। भारत सरकार हर गरीब को हर दिन अगर गरीब 3 रुपये का खाता है तो 27 रुपया भारत सरकार उसमें डालकर के उसका पेट भरती है भाइयों-बहनों। गरीब को भूखा नहीं रहने दिया जाता लेकिन ये उत्तर प्रदेश की सरकार कैसी गरीब विरोधी है। भारत सरकार ने अन्न सुरक्षा के तहत उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि हम आपको इतने पैसे देंगे, आपके यहां इतने गरीब परिवार हैं, इनको खाना खिलाने के लिए पैसे लगाइये, उनकी सूची बनाइये। आज मुझे कन्नौज की धरती पर बड़ी पीड़ा के साथ कहना पड़ता है जहां कभी मुलायम जी, कभी अखिलेश जी कभी उनकी श्रीमती जी यहां का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग, मैं उनसे पूछना चाहता हूं। क्या कारण है कि गरीबों को खिलाने के लिए भारत सरकार पैसे दे रही है, अभी तक आप कौन गरीब है, किसको सस्ते में खाना मिलना चाहिए, उसकी सूची भी नहीं दे पाए, सूची भी। अभी भी 50 पचास हजार और लोगों को खिलाने के लिए साढ़े सात सौ करोड़ रुपया दिल्ली में हमने निकाल के रखा हुआ है लेकिन ये उत्तर प्रदेश की सरकार उसको लेने में ही इनट्रेस्टेड नहीं है। गरीबों का नाम लिखने में इनको रूचि नहीं है। क्यों? क्योंकि उनको तो वही गरीब गरीब लगते हैं जो उनके कुनबे के साथ जुड़े हुए हों, उनकी पसंद की किसी जाति के साथ जुड़े हुए हों। अगर उस जाति में वह नहीं हैं तो रुपया आएगा तो भी उसको देंगे नहीं, वह गरीब होगा तो भी भूखा मरने देंगे। दिल्ली सरकार पैसे देती है लेकिन उन गरीबों को देने का इनका इरादा नहीं है।

भाइयों-बहनों।

ये गरीबों के दुश्मन हैं कि नहीं हैं ...? ये गरीबों के दुश्मन हैं कि नहीं हैं ...? ये गरीबों के साथ अन्याय है कि नहीं है ...? ये गरीबों के साथ अन्याय है कि नहीं है ...?

भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश में, मैं हैरान हूं कुछ सामाजिक संस्थाएं जहां सरकारी सामाजिक संस्थानों में जो लोग रहते हैं, मजबूरन घर छोड़कर आना पड़ा है, उनको खिलाने के लिए भारत सरकार पैसे देती है। आप हैरान होंगे। ये उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे सोई पड़ी है कि उन संस्थाओं में आकर के रह रहे अनाथ आश्रम जैसी जगह पर उन गरीबों को खाना खिलाने के लिए, दिल्ली में भारत सरकार पैसे लेकर के बैठी है लेकिन ये उन लोगों को पैसे नहीं देते। खर्च नहीं करते क्योंकि उनको चाहिए वैसे बिचौलिये नहीं मिल रहे, बिचौलिये।

इसलिए भाइयों-बहनों।

अनाथ आश्रम में भी गरीबों को खाना खिलाने में ये कोताही बरतते हैं। आप मुझे बताइये ये गरीबों की सरकार है क्या ...?  क्या से समाजवाद है क्या ...? अरे भाइयों-बहनों आप मेरा, मेरे खाते में एक कार नहीं हैं, एक गाड़ी नहीं है, मेरे पास कोई गाड़ी नहीं। अभी तो प्रधानमंत्री हूं तो सरकार की गाड़ी में बैठकर गुजारा कर लेता हूं और ये समाजवादी लोग उनके घर में 200 से ज्यादा तो गाड़ियां रखते होंगे। ये कौन सा समाजवाद ...? ये लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोग हैं भाइयों-बहनों। ...और इसलिए मैं आज आपके साथ ये कहने आया हूं।

भाइयों-बहनों।

आज मैं आपके खबर देना चाहता हूं। हमारे देश में हृदय की बीमारी सिर्फ अमीर को होती है ऐसा नहीं, गरीब को भी होती है। गरीब को हृदय की बीमारी हो जाए तो वो कहां जाएगा भाई? उसकी सेवा कौन करेगा? सरकार नहीं करेगी तो इसकी जिन्दगी कौन बचाएगी? आप मुझे बताइये। कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसको किसी अस्पताल में जाने के लिए सरकारी अस्पताल का इंतजार करेगा ...? सरकारी डॉक्टर का इंतजार करेगा क्या ...? वो तो हवाई जहाज लाकरके अच्छे से अच्छे अस्पताल जाएगा कि नहीं जाएगा ...? अमीर के बेटे को पढ़ना है तो उसको सरकारी स्कूल की जरूरत पड़ती है ...? वो तो अच्छे से अच्छे स्कूल में बच्चों को बढ़ाएगा, विदेशों में पढ़ाएगा और ट्यूशन के लिए लोग घर आएंगे, अगर स्कूल के लिए जरूरत पड़ती है तो गरीब के बच्चे के लिए पड़ती है वो गरीब के बच्चे के लिए स्कूल अच्छी चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए ...? आधी स्कूलें ऐसी हैं, आधी स्कूलें 50 प्रतिशत से कम शिक्षक उसमें काम कर रहे हैं, 50 प्रतिशत अगर शिक्षक नहीं हैं तो बच्चों का भविष्य क्या होगा? क्या ये गरीबों के लिए काम करते हो आप ...?

भाइयों-बहनों।

कल मेरी सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया। मैं सोच रहा था आज हमारे देश के अखबार इन खबरों से भरे हुए होंगे लेकिन मैं ढूंढ रहा था, मुझे नजर नहीं आया। हो सकता है जिन अखबारों में हो वो अखबार में देख न पाया हूं। आपको खुशी होगी जानकर के हमारे देश में हृदय रोग की बीमारी बढ़ती चली जा रही है। जब एनजीओ प्रयास करते हैं, पेसेंट को बचाना होता है तो डॉक्टर उसके हृदय की नली में एक स्टेंट लगा देते हैं जिसके कारण रक्त का प्रवाह ठीक चले, हृदय रोग की बीमारी न हो, हार्ट अटैक न हो और इंसान की जिंदगी बच जाए लेकिन भाइयों-बहनों सामान्य प्रकार का जो स्टेंट होता था। अगर गरीब को भी वो स्टेंट लगाना हो, 45 हजार रुपया लगता था, 45 हजार और विशिष्ट प्रकार का एक स्टेंट आता है जिसमें रक्त के साथ दवाईयां भी पहुंचाई जा सकती है, अगर वो लगाना है तो सवा लाख रुपया लगता था सवा लाख। अब मुझे बताइये और कितने ही सालों से यही होता था। ये गरीबों के नाम पर सरकार चलाने वाले, ये 10-10 साल दिल्ली में कांग्रेस की सरकार चलाने वाले लोग। मैं जरा आपको पूछना चाहता हूं कि क्या कारण था कि स्टेंट की कीमत पर सोचा नहीं गया।

भाइयों-बहनों।

मैंने एक कमेटी बिठाई, अध्यन किया। आखिरकर कानून बदला और कल हमने नियम बदलकरके ये स्टेंट को भी सरकार का जो ड्रग कन्ट्रोलर अथॉरिटी है। उसके अंदर डाल दिया और उसका परिणाम क्या हुआ मालूम है ...? ये गरीब को, सामान्य मानवी को, मध्यम वर्ग के मानवी को जिसके परिवार में किसी को हृदय रोग हो जाए तो उसको सीधा-सीधा लाभ मिलेगा और कितना मिलेगा जिस स्टेंट की कीमत 45 हजार रुपया थी। वो अब सिर्फ 8 हजार रुपये में बेचना पड़ेगा ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति को भी मदद मिल सके। जिसकी कीमत सवा लाख थी उन सवा लाख के स्टेंट को अब सिर्फ 30 हजार रुपये में बेचना पड़ेगा, मध्यम वर्ग के व्यक्ति को बीमारी की स्थिति में कैसे मदद मिल सकती है? इसका ये उदाहरण है।

भाइयों-बहनों।

ये हमारा कन्नौज इत्र से भी जाना जाता है, आलू से भी जाना जाता है। हमारा किसान आलू की खेती करता है। भाइयों-बहनों आप मुझे बताइये मेरे किसान भाइयों-बहनों पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी की बहु ने आलू की फूड प्रोसेसिंग के लिए, आलू के चिप्स बनाने के लिए कारखाना लगाने के लिए वादा किया था कि नहीं किया था ...? जरा जोर से बोलिये वादा किया था ...? कारखाना लगा ...? आपके आलू खरीदे ...? चिप्स बनी ...? बाजार में बिकी ...? किसी के पेट में गई ...? लेकिन वो तो चुनाव जीत गए अब उनसे हिसाब मांगोगे कि नहीं मांगोगे ...? हिसाब चुकता करोगे कि नहीं करोगे ...? ऐसे वादे करने वालों को सजा दोगे कि नहीं दोगे ...?

भाइयों-बहनों।

मैं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश को बधाई देता हूं कि उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने घोषणा पत्र में एक महत्वपूर्ण वादा किया है और वो वादा किया है आलू, प्याज, लहसुन सरकार के मिनिमम सपोर्ट प्राइस एमएसपी से खरीदा जाएगा। आलू के किसान को मरने नहीं दिया जाएगा।

भाइयों-बहनों-

अगर किसान को बचाना है तो किसान जो पैदावार करता है उसकी मूल्य वृद्धि होनी चाहिए, वैल्यू एडिशन होना चाहिए और जब तक एग्रो प्रोडक्ट का प्रोसेसिंग नहीं होता है। हमारे किसान को पानी के मोल अपनी फसल बेच देनी पड़ती है। ...और इसलिए भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है कि जो कृषि पैदावार है, इस पर कोई प्रोसेस करने के लिए कारखाना लगाता है तो सौ प्रतिशत Foreign Direct Investment के लिए भारत सरकार ने आमंत्रित किया है। दुनिया के लोग यहां आएं, आलू से चिप्स बनाने के कारखाने लगाएं और आलू का किसान सफलतापूर्वक अपनी जिंदगी का गुजारा करें, लेकिन भाइयों-बहनों कांग्रेस पार्टी में एक ऐसा नेता है जो आपके पास वोट मांगने आए हैं, उनको इतना ज्ञान नहीं है कि आलू खेत में होता है कि आलू फैक्ट्री में होता है। वो उत्तर प्रदेश में किसानों की यात्रा निकाली और किसानों की यात्रा निकाल करके भाषण किया और किसानों के सामने। अब उन बेचारों को रोना है कि हंसना है, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था और ये बोलते जा रहे थे। आलू की फैक्ट्री लगाने की बात बोलते थे। आप मुझे बताओ भाई आलू खेत में होता है कि फैक्ट्री में ...? आलू खेत में होता है कि फैक्ट्री में ...? आपको बराबर समझ है ना ...? आपको है ना समझ ...? उनको नहीं है। कैसे लोग किसानों के नाम पर बातें करते हैं, उनके मुंह से शोभा नहीं देती, शोभा नहीं देती।

भाइयों-बहनों।

कोई टमाटर की खेती करें लेकिन टमाटर सस्ते में बनता है लेकिन अगर टमाटर का कैचअप बनाएं, बढ़िया सी बोटल में पैकिंग करें तो दुनिया भर में अच्छे दाम से वो माल बिकता है। कोई दूध बेचे कम पैसा मिलता है लेकिन दूध से मिठाई बनाकर के बेचे तो ज्यादा पैसा मिलता है। कोई आम बेचे तो कम पैसा मिलता है लेकिन आम का अचार बनाकर के पैक करके बेचे तो ज्यादा कमाई होती है। किसान जो पैदा करता है, उसको अगर प्रोसेस किया जाए, उसमें से एक नई बनावट बनाई जाए तो किसान को कभी घाटा नहीं होता है। ...और इसलिए भाइयों-बहनों हमने किसान की भलाई के लिए अहम कदम भारत सरकार ने उठाए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार सिर्फ कुनबे के लिए चलती है इसलिए गरीबों की चिंता नहीं करती है। भारत की योजनाएं लागू नहीं करती है।

भाइयों-बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इस बात के लिए भी अभिनंदन करना चाहता हूं कि उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला किया है। मेरे किसान भाई जरा गौर से सुनिये, भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश की ईकाई ने इस चुनाव घोषणा पत्र में एक महत्वपूर्ण वादा किया है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार बनेगी सबसे पहला काम छोटे किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। कर्ज माफ कर दिया जाएगा और मेरे किसान भाइयों-बहनों। आपने मुझे उत्तर प्रदेश में से सांसद बनाया एमपी बनाया। उत्तर प्रदेश के भारी समर्थन से आपने मुझे पीएम बनने का अवसर दिया। मैं एक सांसद के नाते, यहां के उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधि के नाते, किसानों की तरफ से आपको मैं वादा करता हूं ये जिम्मेवारी मेरी होगी। सुन लिया ...? ये जिम्मेवारी मेरी होगी कि उत्तर प्रदेश की सरकार बनते ही उनकी पहली मीटिंग में ही किसानों के कर्ज माफ करने का निर्णय में करा दूंगा।  

भाइयों-बहनों।

हमारे हिंदुस्तान की फिल्म आप देखते हैं, अलग-अलग प्रकार की मूवी आती हैं, सिनेमा देखते हैं आप लोग। हमारी फिल्मों की एक विशेषता होती है आपने देखा होगा कि इंटरवल तक दो जानी दुश्मन बराबर एक-दूसरे से भिड़ते हैं। भांति-भांति के खेल करते हैं, षड्यंत्र करते हैं और इंटरवल के बाद अचानक दोनों मिल जाते हैं, देखा है ना ...? ये उत्तर प्रदेश में भी राजनीति के मंच पर एक नई फिल्म चल रही है। इंटरवल के पहले दोनों लड़ रहे थे। 27 साल यूपी बेहाल नारे लगा रहे थे, यात्रा निकाल रहे थे, अखिलेश जी का कच्चा चिट्ठा खोल देते थे। जितने आरोप लगा सकते थे, लगाते थे लेकिन इंटरवल के बाद दोनों। ये कौन सी फिल्म है भाई?

भाइयों-बहनों।

ये चुनाव बड़ा कमाल का है। मैं हैरान हूं मीडिया के लोगों का इस बात पर ध्यान क्यों नहीं गया ...? क्योंकि हमारे देश का मीडिया बड़ा चतुर है, चीज को पकड़ लेता है। जब पहली पत्रकार परिषद हुई तो अखिलेश जी ने तो मायावती जी के खिलाफ बयान दिया लेकिन जब कांग्रेस पार्टी को पूछा गया कि आपको मायावती के खिलाफ क्या कहना है तो कांग्रेस ने ऑफिशियल कह दिया कि हमें उनके खिलाफ कुछ नहीं कहना है लेकिन मैं हैरान हूं कि इसके बाद कभी कांग्रेस को किसी ने प्रश्न ही नहीं पूछा कि आपका मायावती जी के लिए क्या कहना है। बीएसपी के लिए क्या कहना है, क्यों चुप हो भाई? ये इसलिए चुप हैं कि अखिलेश जी अभी अनुभव कम है, ये कांग्रेस वाले कितने चतुर हैं। ये उनको समझ नहीं आता है। मुलायम सिंह जी को तो आता है, इनको नहीं आता है। ये चुनाव में दो लोग साथ-साथ हैं, ऐसा नहीं है, इस चुनाव में त्रीपगी दौड़ चल रही है, त्रीपगी दौड़, तीन पैर वाली दौड़ चल रही है। एक सपा का पैर है, दूसरा सपा का पैर कांग्रेस के पैर के साथ बंधा हुआ है और कांग्रेस का दूसरा पैर बसपा के पैर के साथ बंधा हुआ है। ये कांग्रेस का कमाल है, एक पैर सपा के साथ, एक पैर बसपा के साथ और ये त्रीपगी दौड़ दौड़ रहे हैं लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस समझ लीजिए दो पैरे से दौड़ने वाले को तीन पगी दौड़ वाला कभी हरा नहीं सकता है, गिरा नहीं सकता है। अखिलेशजी चेत जाओ, चेत जाओ। मुलायम सिंह जी की बात तो तुम सुनने को तैयार नहीं हैं लेकिन लिख के रखो कांग्रेस ने एक पैर बीएसपी के साथ बांध कर के रखा हुआ है और एक पैर आपके साथ बांधकर के आपकी मदद ले रहे हैं। ये नया खेल हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार त्रीपगी दौड़ वाला खेल चल रहा है, उसे समझना पड़ेगा भाइयों।

भाइयों-बहनों।

इस उत्तर प्रदेश में आपने देखा। पांच साल मायावती जी की जब सरकार थी तो अखिलेश उनके भ्रष्टाचार के गीत गाते थे, जब अखिलेश जी की सरकार आई तो कांग्रेस और मायावती जी दोनों उनके भ्रष्टाचार के गीत गाते थे। दिल्ली में 10 साल कांग्रेस के राज में सारे देश ने भ्रष्टाचार देखा है। सुना है उसकी बदबू आज भी आ रही है। अब देखिये 5 साल उनका भ्रष्टाचार, 5 साल बसपा का, 5 साल सपा का और 10 साल का कांग्रेस का भ्रष्टाचार कैसे अनुभवी-अनुभवी लोग इकट्ठे हुए हैं। इतने बड़े खिलाड़ी भ्रष्टाचार के इकट्ठे आएंगे तो अब उत्तर प्रदेश में कुछ बचेगा क्या ...?  कुछ बचेगा क्या ...?  इसलिए भाइयों-बहनों उत्तर प्रदेश को बचाने के लिए, उत्तर प्रदेश को बनाने के लिए, उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय जनता पार्टी एक मात्र आशा बची है भाइयों, एक मात्र आशा बची है।

भाइयों-बहनों।

मैं आज कन्नौज की धरती पर आया हूं तो इतिहास के कुछ पन्ने खोलना चाहता हूं। भाइयों-बहनों ये बात याद रखिये और पूरे इलाके में घर-घर पहुंचाइये। मैं इतिहास का एक पन्ना याद कराना चाहता हूं और अगर आपको फुर्सत हो तो पुराने अखबार निकालकर के देख लेना 4 मार्च 1984। 4 मार्च 1984 जब मुलायम जी लोहिया के विचारों को लेकर के कांग्रेस के खिलाफ बड़ी कड़ी लड़ाई लड़ते थे, कांग्रेस की गभीर आलोचना करते थे। एमएलसी के नाते वे विपक्ष के नेता थे और कांग्रेस के नाक में दम ला दिया था और इस कारण कांग्रेस मुलायम सिंह जी से परेशान थी।

भाइयों-बहनों।

कांग्रेस इतनी तंग आ चुकी थी कि एक दिन  4 मार्च 1984 मुलायम सिंह पर गोलियां चलीं। उनकी हत्या करने का गंभीर प्रयास हुआ, वे बच गए। उसके बाद मुलायम सिंह के समर्थन में एक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा मैदान में आया।  मुलायम सिंह जी के हत्या करने के षड्यंत्र के खिलाफ  चौधरी चरण सिंह जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी उन्होंने एक बहुत बड़ा आंदोलन किया, मुलायम सिंह जी  की रक्षा के लिए आंदोलन किया। मुलायम सिंह जी पर गोलियां चलाने वालों को सजा दिलवाने के लिए आंदोलन चलाया। भाइयों-बहनों और वो आंदोलन कांग्रेस की सरकार के खिलाफ चला था, कांग्रेस पार्टी के खिलाफ चला था।

भाइयों-बहनों।

मैं जरा अखिलेश जी से पूछना चाहता हूं। ये कांग्रेस की गोद में बैठने से पहले जरा 4 मार्च, 1984 उन दिनों को याद कर लीजिए। जब आपके पिता जी पर कांग्रेस ने इतना गंभीर हमला करवाया था। 28 मार्च को बहुत बड़ी रैली हुई थी। क्या आपने कभी सुना है, कुर्सी के मोह में कोई ऐसा भी बेटा होता है जो अपने बाप की जिंदगी के साथ खेल-खेलने वाले लोग, मौत के घाट उतारने के लिए गोलियां चलाने वाले लोग और उनके पीछे जो लोग थे, उनकी गोद में बैठकर के राजनीति करना, इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है? ये गंभीर बात में आज कह रहा हूं भाइयों-बहनों। क्या कभी हो सकता है …? आप मुझे बताइये, आपके पिता जी पर किसी ने हत्या का प्रयास किया हो आप कभी उससे दोस्ती करेंगे …? करेंगे दोस्ती …? कोई बेटा करेगा दोस्ती …? क्या राजनीति इतनी गिर गई है, इतनी    नीचे गई है कि कुर्सी के मोह में इस प्रकार के कांड किये जाएं। भाइयों-बहनों, ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं किया जा सकता।

भाइयों-बहनों।

जब उत्तर प्रदेश की चर्चा आती है तो यूपी लिखते हैं, अंग्रेजी में UP, UP U और P लेकिन वैसे यूपी को देखो अप होता है उपर जाना, अप। यूपी का मतलब होता है अप लेकिन भाइयों-बहनों। आज में अगर यूपी का खाका खोलूं तो कहीं अप नजर नहीं आता है, सब कुछ डाउन नजर आता है, डाउन नजर आता है। आज यूपी में जनता का भरोसा डाउन है। विकास का ग्राफ डाउन है। कानून व्यवस्था डाउन है। माताओं-बहनों की बेटियों की सुरक्षा का मसला डाउन है। किसानों की खुशहाली डाउन है। युवाओं का रोजगार डाउन है। व्यापारियों का कारोबार डाउन है। बिजली का उजाला डाउन है। सड़क का हाल डाउन है। स्वास्थ्य और शिक्षा डाउन है। सपा-बसपा-कांग्रेस की राजनीति के वादे डाउन ही डाउन है लेकिन कहने को अप है और अप क्या है? यूपी का अप कारोबार डाउन और अगर अप क्या है? अपराध अप है, भ्रष्टाचार अप है, असुरक्षा अप है, दंगा अप है, मां-बहनों पर अत्याचार अप है, बेरोजगारी अप है, गरीबी अप है, बीमारी अप है, शिशु मृत्यु अप है, माता मृत्यु अप है, स्कूल छोड़ने वालों की संख्या अप है, पलायन करने वालों की संख्या अप है और फिर भी कहते हैं, काम बोलता है। ये काम बोलता है या कारनामे बोलते हैं।





भाइयों-बहनों।

काम कैसे बोलेगा? आप मुझे कहिए भाइयों-बहनों। यहां पुलिस की भर्ती में जातिवाद होता है कि नहीं होता है ...? पुलिस की भर्ती में जातिवाद होता है कि नहीं होता है ...? ईमानदार नौजवान को रोजगार मिलता है क्या ...? जाति के नाम पर उसको नकार दिया जाता है कि नहीं जाता है ...? यहां के पुलिस थाने सपा के कार्यालय बन गए हैं कि नहीं बन गए हैं ...? सपा कार्यकर्ता चाहे उसको सजा करवाता है कि नहीं करवाता है ...? पुलिस से डंडा मरवाता है कि नहीं मरवाता है ...? यहां पर जमीनों पर कब्जा सपा के लोग करते हैं कि नहीं करते हैं ...? निर्दोष लोगों की जमीन पर कब्जा सपा वाले करते हैं कि नहीं करते हैं ...? उनकी कोई सुनवाई होती है क्या ...? पुलिस मदद करती है क्या ...? अफसर मदद करते हैं क्या ...? सरकार मदद करती है क्या ...? क्या ये चलने देना है क्या ...? ये खत्म होना चाहिए कि नहीं ...?  ईमानदारों को उसका हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...? गरीब को उसका हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...? नौजवान को उसका अधिकार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...?

भाइयों-बहनों।

आपको वादा करने आया हूं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी। जहां-जहां बेईमानी हुई है, उसका कच्चा चिट्ठा खोल दिया जाएगा। मेरे नौजवानों क्या मैरिट के आधार पर नौकरी मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...? आपकी ताकत के हिसाब से आपको काम मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...?  अगर आप होनहार है तो नौकरी का हक है कि नहीं है ...? लेकिन रोका कैसे जाता है, जब आप परीक्षाएं पास करते हैं, अच्छे मार्क्स लाते हैं, फिर नौकरी के लिए एक्जाम देते हैं, उसमें भी अच्छे मार्क्स लाते हैं, टॉपर होते हैं लेकिन बाद में इंटरव्यू की चिट्ठी आती है, इंटरव्यू आता है। आता है ना इंटरव्यू और जब इंटरव्यू आता है तो बेटा खुशी से समाता नहीं है। मां को कहता है, मां इंटरव्यू आ गया। मैंने परीक्षा पास कर ली अब नौकरी लगेगी, मां अनुभवी है, कहती है बेटा देखो किसी की पहचान है क्या …? कोई जानने वाला मिल जाए तो देखो। देखो कोई नेता मिल जाए तो देखो। वो बेचारा इंटरव्यू के पहले कोई पहचान वाले को तलाशता है, सिफारिश करने के लिए तलाशता है तो कोई बिचौलिया आ जाता है, कहता है नौकरी चाहिए तो दो लाख दीजिए, नौकरी चाहिए तो पांच लाख दीजिए। वो गरीब मां कहती है बेटा, ये तेरे बाप ने मेरे लिए जमीन छोड़ी है> ये जमीन गिरवी रख दो लेकिन पैसे देकर के एक बार नौकरी ले लो बेटा और इंटरव्यू में कैसा चल रहा है भाइयों। तीन बाबू बैठे हैं, एक दरवाजे से नौजवान अंदर आता है, 30 सेकेंड। ज्यादा नहीं 30 सेकेंड वो तीन लोग उसको देखते हैं वो तीन लोगों को देखता है, वो उससे पूछ लेते हैं नाम क्या, कहां से आए हो और दूसरे दरवाजे से निकल जाता है ये है इंटरव्यू। मुझे बताइये भाई दुनिया में ऐसा को विज्ञान निकलता है क्या कि 30 सेकेंड में पता चल जाए कि ये भाई कैसा है, कैसा नहीं है पता चल जाए ऐसा कोई विज्ञान है क्या ...? ये बेईमानी है कि नहीं है ...? ये इंटरव्यू नाम का झूठ चल रहा है कि नहीं चल रहा है ...? ये लोगों को उनके हक को छीनने का षड़यंत्र है कि नहीं है ...?

भाइयों बहनों।

हमने निर्णय किया। दिल्ली में आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया हमने निर्णय किया कि वर्ग 3 और 4 सरकार में सबसे ज्यादा नौकरी करने वाले लोग वर्ग 3 और 4 के होते हैं। हमने निर्णय किया अब वर्ग 3 और 4 में कोई इंटरव्यू नहीं लिया जाएगा। हर किसी के मार्क्स कम्प्यूटर में डाल दिये जाएंगे और कम्प्यूटर ही तय करेंगा कि पहले 100 कौन हैं, पहले 200 कौन हैं, पहले 500 कौन हैं और कम्प्यूटर से ही उसके घर ऑर्डर चला जाएगा, कौई बिचौलिया नहीं रहेगा, कोई जाति नहीं रहेगी, कोई बेईमानी नहीं रहेगी, कोई भ्रष्टाचार नहीं रहेगा।

भाइयों-बहनों।

ईमानदारी की सरकार है, ईमानदारों के लिए ये सरकार है भाइयों और इसलिए भाइयों-बहनों। अभी रेलवे में 1 लाख लोगों का भर्ती हुआ। कोई इंटरव्यू नहीं किया। कम्प्यूटर ने बता दिया। उनके घर ऑर्डर चला गया। एक नये पैसे के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा।

भाइयों-बहनों।

मेरे नौजवानों। नई सरकार भाजपा की उत्तर प्रदेश में बनेगी और आप देखना सीआईएसएफ में 35 हजार पलिसों की भर्ती करनी है। बीएसएफ में सीआरपीएफ में 25 हजार हेड कांस्टेबल की भर्ती करनी है। कोई भाई-भतीजा जातिवाद नहीं होगा। ईमानदार नौजवानों को नौकरी मिलेगी, देख लेना भाइयों। और इसलिए भाइयों-बहनों। मैं आपसे यही कहने आया हूं कि हम ये सरकार दिल्ली में ऐसी है जो गरीबों के लिए है, ये सरकार मध्यमवर्ग के मेहनतकश लोगों के लिए है, ये सरकार ईमानदार लोगों के लिए है और ईमानदारी की रक्षा करने के लिए आज दिल्ली में हम बैठे हैं। आप देखिये 8 नवंबर, रात को 8 बजे टीवी पर मोदी ने कहा मेरे प्यारे देशवासियों। तूफान खड़ा हो गया तूफान। 70, 70 साल तक नोटों के बंडल दबा-दबाकर के बैठे थे, सब कुछ निकल गया, सब कुछ। निकला कि नहीं निकला ...? बैंकों में जमा करना पड़ा कि नहीं पड़ा …? अब हिसाब देना पड़ रहा है तो रात को नींद नहीं आ रही है। और मोदी हिसाब मांग रहा है।

आप मुझे बताइये भाइयों-बहनों।

गरीब का जिन्होंने लूटा है, वो गरीब को लौटाना चाहिए कि नहीं चाहिए ...? जिसने गरीब का लूटा है उसका गरीब को लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...? देश को लूटा है देश को वापस मिलना चाहिए कि नहीं चाहिए ...? और इसलिए भाइयों-बहनों। मैंने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ एक बहुत बड़ी लड़ाई छेड़ी है और मैं जानता हूं ये लड़ाई सामान्य नहीं है। बड़े-बड़े शातिर दिमाग वालों से मुझे लड़ना है। बड़ी-बड़ी हस्तियों से लड़ना है। देश का माल खा-खाकर ताकतवर बने ऐसे लोगों से मैं भिड़ रहा हूं लेकिन लड़ पा रहा हूं, क्योंकि सवा सौ करोड़ ईमानदार लोगों का मुझे आशीर्वाद है और ईमानदार लोगों का आशीर्वाद है। इसी के कारण बेईमान लोग आज कांप रहे हैं।

भाइयों-बहनों।

आप मुझे बताइये। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए ...? भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...? भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए ...? काला धन खत्म होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...? इसके लिए कठोर कदम उठाने चाहिए कि नहीं उठाने चाहिए ...? आपके आशीर्वाद है मुझे ...? दोनों हाथ उपर करके पूरी ताकत बताइये आपके आशीर्वाद है ...? आपके आशीर्वाद है ...? आपके आशीर्वाद है ...?

भाइयों-बहनों।

ये लड़ाई मैं छोड़ूंगा नहीं, गरीबों के लिए मैंने लड़ाई छेड़ी है। मैं छोड़ने वाला नहीं हूं। मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाइये। 19 तारीख को कमल के निशान पर बटन दबाइये, भारत को गौरव दिलाने का प्रयास करने वाली भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाइये। मेरे साथ, दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए भारत माता की जय। पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

योग से आयुर्वेद तक, विरासत पर गर्व है: प्रधानमंत्री मोदी

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योग से आयुर्वेद तक हम भारतीयों को अपनी विरासत पर गर्व है: प्रधानमंत्री मोदी

May 03, 2017

हमें हमारे पूर्वजों के इनोवेशन, नई-नई खोज करना और समय के अनुकूल उसे ढालते रहने आदि भाव को कभी भूलना नहीं चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteयोग को लेकर विश्व भर के लोगो में जिज्ञासा बढ़ रही है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हमें जितने संभव हो सके उतने लोगों को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए: पीएम मोदी Quoteसरकार की नई स्वास्थ्य नीति स्वास्थ्य और कल्याण के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है: पीएम मोदी Quoteस्वच्छता आरोग्य एवं प्रिवेंटिव हेल्थ केयर का सबसे महत्तवपूर्ण पहलू है: पीएम मोदी

विशाल संख्या में पधारे प्यारे भाईयो और बहनों,

आज, ये मेरा सौभाग्‍य था कि केदारनाथ जा करके बाबा के दर्शन करने का मुझे सौभाग्‍य मिला, और वहां से आप सबके बीच आने का और आप सबके आशीर्वाद पाने का सौभाग्‍य मिला। मुझे पता नहीं था, बाबा ने surprise दे दिया। बड़ी भावुकता के साथ मुझे विशेष सम्‍मान से आभूषित किया, अलंकृत किया। मैं स्‍वामी जी का, इस पतंजलि पूरे परिवार का अंत:करणपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

लेकिन, जिन लोगों के बीच में मेरा लालन-पालन हुआ है, जिन लोगों ने मुझे संस्‍कारित किया है, मुझे शिक्षा-दीक्षा दी है, उससे मैं इस बात को भली-भांति समझता हूं कि जब आपको सम्‍मान मिलता है, तो उसका मतलब ये होता है कि आपसे ये, ये, ये प्रकार की अपेक्षाएं हैं, जरा भी आगे-पीछे मत हो; इसको पूरा करो। तो एक प्रकार से मेरे सामने मुझे क्‍या करना चाहिए, कैसे जीना चाहिए, इसका एक do's and don'ts का बड़ा दस्‍तावेज गुरूजी ने रख दिया है।

लेकिन सम्‍मान के साथ-साथ आप सबके आशीर्वाद, सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद की ताकत पर मेरा पूरा भरोसा है। मेरा अपने पर उतना भरोसा नहीं है, मुझ पर इतना भरोसा नहीं है, जितना की मुझे आपके और देशवासियों के आशीर्वाद की ताकत पर भरोसा है। और इसलिए वो आशीर्वाद ऊर्जा का स्रोत है, संस्‍कार उसकी मर्यादाओं में बांध करके रखते हैं, और राष्‍ट्र के लिए समर्पित जीवन जीने के लिए नित्‍य नई प्रेरणा मिलती रहती है।

मैं आज जब आपके बीच में आया हूं, तो आप भी भली-भांति अनुभव करते होंगे कि आप ही के परिवार का कोई सदस्‍य आपके बीच में आया है। और मैं यहां पर पहली बार नहीं आया हूं, आप लोगों बीच बार-बार आने का मुझे सौभाग्‍य मिला है, एक परिवार के सदस्‍य के नाते आने का सौभाग्‍य मिला है। और ये भी मेरा सौभाग्‍य रहा है कि मैंने स्‍वामी रामदेव जी को, किस प्रकार से वो दुनिया के सामने उभर करके आते गए; बहुत निकट से मुझे देखने का सौभाग्‍य मिला है। उनका संकल्‍प और संकल्‍प के प्रति समर्पण, यही उनकी सफलता की सबसे बड़ी जड़ी-बूटी है। और ये जड़ी-बूटी बालकृष्‍ण आचार्य जी की खोजी हुई जड़ी-बूटी नहीं है; ये स्‍वामी जी ने खुद ने खोजी हुई जड़ी-बूटी है। बालकृष्‍ण जी की जड़ी-बूटी शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए काम आती हैं, लेकिन स्‍वामी रामदेव जी वाली जड़ी-बूटी हर संकटों को पार कर-करके नैया को आगे बढ़ाने की ताकत देने वाली होती है।

आज मुझे Research Centre के उद्घाटन का सौभाग्‍य मिला। हमारे देश का, अगर भूतकाल की तरफ थोड़ी नजर करें; तो एक बात साफ ध्‍यान में आती है, हम इतने छाये हुए थे, इतने पहुंचे हुए थे, इतनी ऊंचाइयों को प्राप्‍त किए हुए थे, कि जब दुनिया ने इसे देखा तो उनके लिए तो वहां तक पहुंचना शायद संभव नहीं लगता था और इसलिए उन्‍होंने मार्ग अपनाया था, जो हमारा श्रेष्‍ठ है उसे ध्‍वस्‍त करने का, उसको नेस्‍तनाबूद करने का। और गुलामी का पूरा कालखंड, हमारी पूरी शक्ति, हमारे ऋषि, मुनि, संत, आचार्य, किसान, वैज्ञानिक, हर किसी को; जो श्रेष्‍ठ था उसको बचाए रखने के लिए 1000, 1200 साल के गुलामी कालखंड में उनकी शक्ति खत्‍म कर दी।

आजादी के बाद जो बचा था उसे पनपाते, उसे पुरष्‍कत करते, समयानुकूल परिवर्तन करते, नए रंग-रूप के साथ सज्‍जा करते, और आजाद भारत की सांस के बीच उसे विश्‍व के सामने हम प्रस्‍तुत करते; लेकिन वो नहीं हुआ। गुलामी के कालखंड में नष्‍ट करने का प्रयास हुआ, आजादी का एक लम्‍बा कालखंड ऐसा गया जिसमें इन श्रेष्‍ठताओं को भुलाने का प्रयास हुआ। दुश्‍मनों ने नष्‍ट करने की कोशिश की, उससे तो हम लड़ पाये, निकल पाये, बचा पाये, लेकिन अपनों ने जब भुलाने का प्रयास किया तो हमारी तीन-तीन पीढि़यां दुविधा के कालखंड में जिंदगी गुजारती रहीं।

मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं, बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि अब भुलाने का वक्‍त नहीं है, जो श्रेष्‍ठ है उसका गौरव करने का वक्‍त है, और यही वक्‍त है जो विश्‍व में भारत की आन-बान-शान का परिचय करवाता है। लेकिन हम इस बात को न भूलें कि भारत दुनिया में इस ऊंचाई पर कैसे था। वो इसलिए था कि हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने लगातार innovation में अपनी जिंदगी खपाई थी। नई-नई खोज करना, नई-नई चीजों को प्राप्‍त करना, और मानव-जाति के कल्‍याण के लिए उसको प्रस्‍तुत करना समय, अनुकूल ढालते रहना। जब से innovation की, research की उदासीनता हमारे भीतर घर कर गई हम दुनिया के सामने प्रभाव पैदा करने में असमर्थ होने लगे।

कई वर्षों के बाद जब IT Revaluation आया, जब हमारे देश के 18, 20, 22 साल के बच्‍चे mouse के साथ खेलते-खेलते दुनिया को अचरज करने लगे, तब फिर से दुनिया का ध्‍यान हमारी तरफ गया। IT ने दुनिया को प्रभावित किया। हमारे देश के 18, 20 साल की उम्र के नौजवानों ने विश्‍व को प्रभावित कर दिया। Research, Innovation, इसकी क्‍या ताकत होती है, हमने अपनी आंखों के सामने देखा है। आज पूरा विश्‍व Holistic Health Care, इसके विषय में बड़ा संवेदनशील है, सजग है। लेकिन रास्‍ता नहीं मिल रहा है। भारत के ऋषि-मुनियों की महान परम्‍परा, योग, उस पर विश्‍व का आकर्षण पैदा हुआ है, वे शांति की तलाश में हैं। वो बाहर की दुनिया से तंग आ करके भीतर की दुनिया को जानना, परखने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

ऐसे समय हम लोगों का कर्तव्‍य बन जाता है कि आधुनिक स्‍वरूप में Research & Analysis के साथ योग एक ऐसा विज्ञान है; तन और मन की तंदुरूस्‍ती के लिए, आत्‍मा की चेतना के लिए, ये शास्‍त्र कितना सहज उपलब्‍ध हो सकता है। मैं बाबा रामदेव जी को अभिनंदन करता हूं, उन्‍हें योग एक आंदोलन बना दिया। सामान्‍य मानवी में विश्‍वास पैदा कर दिया कि योग के लिए हिमालय की गुफाओं में जाने की जरूरत नहीं है, अपने घर में kitchen के बगल में बैठ करके भी योग कर सकते हो, फुटपाथ पर भी कर सकते हो, मैदान में भी कर सकते हो, बगीचे में भी कर सकते हो, मंदिर के परिसर में भी कर सकते हो।

ये बहुत बड़ा बदलाव आया है। और आज उसका परिणाम है कि 21 जून को जब विश्‍व अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाता है, दुनिया के हर देश में योग का उत्‍सव मनाया जाता है, अधिकतम लोग उसमें जुड़ें, उसके लिए प्रयास होता है। मुझे विश्‍व के जितने लोगों से मिलना होता है, मेरा अनुभव है कि देश की बात करेंगे, विकास की बात करेंगे, Investment की चर्चा करेंगे, राजनीतिक परिदृश्‍य की चर्चा करेंगे, लेकिन एक बात अवश्‍य करते हैं, मेरे साथ योग के संबंध में तो एक-दो सवाल जरूर पूछते हैं। ये जिज्ञासा पैदा हुई है।

हमारे आयुर्वेद की ता‍कत, थोड़ा-बहुत तो हमने ही उसे नुकसान पहुंचा दिया। आधुनिक विज्ञाण का जो medical science है उनको लगा कि आपकी सारे बातें कोई शास्‍त्र आधारित नहीं हैं; आयुर्वेद वालों को लगा कि आपकी दवाइयों में दम नहीं है, अब आप लोगों को ठीक कर देते हो लेकिन ठीक होते नहीं हैं। तुम बड़े कि हम बड़े, इसी लड़ाई में सारा समय बीतता गया। अच्‍छा होता कि हमारी सभी ज्ञान, आधुनिक से आधुनिक ज्ञान भी, उसको भी हमारी इन परम्‍पराओं के साथ जोड़ करके आगे बढ़ाया होता तो शायद मानवता की बहुत बड़ी सेवा हुई होती।

मुझे खुशी है पतंजलि योग विद्यापीठ के माध्‍यम से बाबा रामदेव जी ने जो अभियान चलाया, आंदोलन चलाया है, उसमें आयुर्वेद का महिमा-मंडन, वहां अपने-आपको सीमित नहीं रखा है। दुनिया जो भाषा में समझती है, research के जिन आधारों पर समझती है, medical science में प्रस्‍थापित व्‍यवस्‍थाओ के तहत समझती है; बाबा रामदेव ने बीड़ा उठाया है, उसी भाषा में भारत के आयुर्वेद को वो ले करके आएंगे और दुनिया को प्रेरित करेंगे। एक प्रकार से ये हिन्‍दुस्‍तान की सेवा कर रहे हैं। हजारों साल से हमारे ऋषियों-मुनियों ने तपस्‍या की है, जो प्राप्‍त किया है वो दुनिया को बांटने के लिए निकले हैं, वैज्ञानिक अधिष्‍ठान पर निकले हुए हैं, और मुझे विश्‍वास है और आज मैंने जो Research Centre देखा, कोई भी आधुनिक Research Centre देखिए; बिल्‍कुल उसकी बराबरी में खड़ा हुआ है, मां गंगा के किनारे पर ये काम।

और इसलिए मैं बाबा को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। भारत सरकार, जब अटल जी की सरकार थी देश में, तब हमारे देश में एक Health Policy आई थी। इतने सालों के बाद जब हमारी सरकार बनी, तो‍ फिर से हम देश के लिए एक Health Policy ले करके आए हैं। Holistic Health Care का view ले करके आए हैं। और अब दुनिया सिर्फ Healthy रहना चाहती है ऐसा नहीं है, बीमारी न हो वहां तक अटकना नहीं चाहती है; अब लोगों को Wellness चाहिए, और इसलिए solution भी holistic देने पड़ेंगे। Preventive Health Care पर बल देना पड़ेगा, और Preventive Health Care का उत्‍तम से उत्‍तम रास्‍ता जो है, और सस्‍ते से सस्‍ता रास्‍ता है, वो है स्‍वच्‍छता। और स्‍वच्‍छता में कौन क्‍या करता है, वो बाद पे छोड़े हम। हम तय करें, सवा सौ करोड़ देशवासी तय करें‍ कि मैं गंदगी नहीं करूंगा। कोई बड़ा संकल्‍प लेने की जरूरत नहीं, इसमें जेल जाने की जरूरत नहीं है, फांसी पर लटकने की जरूरत नहीं है, देश के लिए सीमा पर जा करके जवानों की तरह मरने-मिटने की जरूरत नहीं है; छोटा सा काम- मैं गंदगी नहीं करूंगा।

आपको कल्‍पना है एक डॉक्‍टर जितनी जिंदगी बचा लेता है, उससे ज्‍यादा बच्‍चों की जिंदगी आप गंदगी न करके बचा सकते हैं। आप एक गरीब को दान-पुण्‍य दे करके जितना पुण्‍य कमाते हो, गंदगी न करके एक गरीब जब स्‍वस्‍थ रहता है, तो आपका दान रुपयों में देते हैं, उससे भी ज्‍यादा मूल्‍यवान हो जाता है। और मुझे खुशी है कि देश की जो नई पीढ़ी है, आने वाली पीढ़ी; छोटे-छोटे बालक, हर घर में वो झगड़ा करते हैं। अगर परिवार के वृद्ध व्‍यक्ति ने, बुजुर्ग ने कोई एक अगर छोटी सी चीज फेंक दी, कार में जा रहे हैं अगर पानी का bottle बाहर फेंक दिया तो बेटा कार रुकवाता है, छोटा पोता- पांच साल का, कार रुकवाता है, ठहरो, मोदी दादा ने मना किया है ये bottle वापिस ले आओ; ये माहौल बन रहा है। छोटे-छोटे बालक भी मेरे इस स्‍वच्‍छता आंदोलन के सिपाही बन गए हैं। और इसलिए Preventive Health Care, इसको हम जितना बल देंगे, हम हमारे देश के गरीबों की सबसे ज्‍यादा सेवा करेंगे।

गंदगी कोई नहीं करता है, गंदगी हम करते हैं। और हमीं फिर गंदगी पर भाषण देते हैं। अगर एक बार हम देशवासी गंदगी न करने का फैसला कर लें, इस देश से बीमारी को निकालने में, तदुरूस्‍ती को लाने के लिए हमें कोई सफलता पाने में रुकावटें नहीं आएंगी।


हमारी उदासीनता इतनी है कि हम इतना बड़ा हिमालय, हिमालय की जड़ी-बूटी, भगवान रामचंद्र जी और लक्ष्‍मण जी की घटना से परिचित, हनुमान जी जड़ी-बूटी के लिए क्‍या-क्‍या नहीं करते थे, वो सारी बातें परिचित, और हम इतने सहज हो गए थे कि दुनिया के देश, जिनको जड़ी-बूटी क्‍या होती है, ये मालूम नहीं था; लेकिन जब उनको पता कि इसका बड़ा commercial value है, दुनिया के और देशों ने patent करवा दिया। हल्‍दी का patent भी कोई और देश करवा देता है, इमली का patent भी कोई और देश करवा देता है। हमारी ये उदासीनता, अपनी शक्ति को भुला देने की आदतें, इसने हमारा बहुत नुकसान किया है।

आज विश्‍व में Herbal Medicine, उसका एक बहुत बड़ा मार्केट खड़ा हुआ है। लेकिन जितनी मात्रा में दुनिया में इस Herbal Medicine को पहुंचाने में भारत को जो ताकत दिखानी चाहिए, अभी बहुत कुछ करने की बाकी है।

इस पतंजलि संस्‍थान के द्वारा ये जो Research और Innovation हो रहे हैं, ये दुनिया के लोगों को Holistic और Wellness के लिए जो structure है, उनको ये दवाइयां आने वाले दिनों में काम आएंगी। हमारे देश में बहुत वर्षों पहले भारत सरकार ने आयुर्वेद का प्रचार कैसे हो, उसके लिए एक हाथी कमीशन बिठाया था, जयसुखलाल हाथी करके, उनका एक कमीशन बिठाया था। उस कमीशन ने जो रिपोर्ट दी थी, वो रिपोर्ट बड़ी interesting थी। उस रिपोर्ट के प्रारंभ में लिखा है कि हमारे आयुर्वेद इसलिए लोगों तक नहीं पहुंचता है क्‍योंकि उसकी जो पद्धति है, वो आज के युग के अनुकूल नहीं है। वो इतनी सारी थैला-भर जड़ी-बूटी देंगे और फिर कहेंगे इसको उबालना, इतने पानी में उबालना, फिर इतना रस रहेगा, एक चम्‍मच में लेना, फिर इसमें फलाना जोड़ना, ढिकना जोड़ना; और फिर लेना। तो जो सामान्‍य व्‍यक्ति होता है उसको लगता है कि भई ये कौन कूड़ा-कचरा करेगा, उसके बजाय चलो भाई medicine ले लें, दवाई की गोली खा लें, अपनी गाड़ी चल जाएगी। और इसलिए उन्‍होंने कहा था कि सबसे पहली आवश्‍यकता है, बहुत साल पहले का report है ये। सबसे पहली आवश्‍यकता है आयुर्वेदी दवाओं का packaging. अगर उसका packaging, modern दवाइयों की तरह कर देंगे, तो लोग ये Holistic Health Care की तरफ मुड़ जाएंगे। और आज हम देख रहे हैं कि हमें वो उबालने वाली जड़ी-बूटियां कहीं लेने के लिए जानी नहीं पड़ती है, हर चीज ready-made मिलती है।

मैं समझता हूं कि आचार्य जी ने अपने-आपको इसमें खपाया हुआ है। और आज जिस किताब का लोकापर्ण करने का मुझे अवसर मिला, मुझे विश्‍वास है कि दुनिया का इस किताब पर ध्‍यान जाएगा। Medical Science से जुड़े हुए लोगों का ध्‍यान जाएगा। प्रकृतिदत्‍त व्‍यवस्‍था कितनी सामर्थ्‍यवान है, उस सामर्थ्‍य को अगर हम समझते हैं तो जीवन कितना उज्‍ज्‍वल हो सकता है, ये अगर व्‍यक्ति को एक खिड़की खोल करके दे देता है, आगे बढ़ने के लिए बहुत बड़ा अवसर दे देता है।

मुझे विश्‍वास है कि बालकृष्‍ण जी की ये साधना, बाबा रामदेव का mission mode में स‍मर्पित ये काम और भारत की महान उज्‍ज्‍वल परम्‍परा, उसको आधुनिक रूप-रंग के साथ, वैज्ञानिक अधिष्‍ठान के साथ आगे बढ़ाने का जो प्रयास है, वो भारत के लिए विश्‍व में अपनी एक जगह बनाने का आधार बन सकता है। दुनिया का बहुत बड़ा वर्ग है जो योग से जुड़ा है, आयुर्वेद से भी जुड़ना चाहता है, हम उस दिशा में प्रयास करेंगे।

मैं फिर एक बार आप सबके बीच आने का मुझे सौभाग्‍य मिला, विशेष रूप से मुझे सम्‍मानित किया, मैं सिर झुका करके बाबा को प्रणाम करता हूं, आप सबका अभिनंदन करता हूं, और मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्‍यवाद।

तीन साल बाद भी देश में मोदी लहर : अरविन्द सिसौदिया

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26 मई को प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के तीन साल पूरे हो जायेंगे और चौथा साल लग जायेगा। देश के तमाम बडे अखवारों एवं मीडिया हाउसेज ने अपने अपने तरीके से जनता के मन को टटोला हे। और घोषण की हैं कि जनता इस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ हे। यह सब यूं ही हो रहा है ऐसा नहीं है। बल्कि प्रधानमंत्री मोदी जी 18 - 18 घंटेे काम कर तेजी से कामों को निंबटा रहे है। परिणाम देने के लिये परिश्रम कर रहे है। इसलिये यह सर्वे आ रहे हैं। आओ हम सभी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक इस महान अवसर को अपने - अपने परिश्रम से और  महान तथा यशस्वि बनानें में जुट जायें। 
- अरविन्द सिसौदिया, जिला महामंत्री भाजपा 
जिला कोटा राजस्थान   9509559131



तीन साल बाद भी देश में मोदी लहर, अभी चुनाव हुए तो NDA को मिल सकता है पूर्ण बहुमत : सर्वे
By Digital Live News Desk | Updated Date: May 23 2017
http://www.prabhatkhabar.com

नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र में NDA सरकार ने अपना तीन साल पूरा कर लिया है. तीन साल पूर्ण करने के बाद मोदी सरकार लोगों के सामने अपनी तीन साल की उपलब्धियों को गिना रही है वहीं दूसरी ओर विपक्ष मोदी सरकार की नाकामियों को उजागर करने में लगी है. विपक्ष का दावा है कि मोदी सरकार ने तीन साल में कुछ भी विकास का काम नहीं किया है

इधर मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने के मौके पर एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति ने सर्वे कराया है और केंद्र सरकार को लेकर लोगों का मूड जानने का प्रयास किया है. सर्वे के अनुसार तीन साल बाद भी लोगों ने नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार का समर्थन किया है. सर्वे के अनुसार अभी अगर लोकसभा के चुनाव होते हैं तो फिर से केंद्र में मोदी सरकार की संभावना है.

एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति सर्वे के अनुसार अभी चुनाव हुए तो एनडीए को 331 सीटें मिल सकती है. हालांकि 2014 की तुलना में एनडीए को 4 सीट का नुकसान होने की संभावना है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की अगुआई में एनडीए को 335 सीटें मिली थीं. सर्वे के अनुसार राहुल गांधी की अगुआई में यूपीए के लिए भी राहत की खबर है. सर्वे के अनुसार अभी चुनाव हुए तो यूपीए को 104 सीटें मिल सकती है.

एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति की सर्वे के मुताबिक बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों में एनडीए को 2014 से भी ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है.

* बिहार-झारखंड में NDA को हो सकता है नुकसान
एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति सर्वे के मुताबिक पूर्वी भारत में भले ही एनडीए को फायदे मिलने का अनुमान है लेकिन बिहार और झारखंड में उसे कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है. सर्वे के मुताबिक लालू यादव को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचेगा. ओडिशा, बंगाल और असम में एनडीए को फायदा हो सकता है.

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'नमो'का जलवा कायम, आज चुनाव हुए तो फिर मोदी सरकार का अनुमान: सर्वे

नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 22, 2017
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नई दिल्ली
करीब 3 साल पहले 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई। इस समय जहां केंद्र सरकार 3 साल में अब तक किए गए काम का प्रचार करने में लगी है, वहीं विपक्ष सरकार की नाकामियों को उजागर करने का दावा कर रहा है। इस बीच एक सर्वे के मुताबिक 2014 की तरह मोदी लहर चल सकता है। अगर आज चुनाव हुए तो मोदी सरकार फिर से सत्ता में आ सकती है।

आज हुए चुनाव तो NDA फिर 300 के पार
एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव हुए तो एनडीए को 331 सीटें मिल सकती हैं जबकि 2014 में इसे 335 सीटें मिली थीं। यूपीए को 104 सीटों का अनुमान लगाया गया है जो 2014 से 44 ज्यादा है। अन्य के खाते में 108 सीटें आ सकती हैं जो 2014 के मुकाबले 40 कम है। एनडीए के वोट शेयर में 7 फीसदी का इजाफा हो सकता है।

पूर्वी भारत में NDA को पहले से ज्यादा सीटों का अनुमान

एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति की सर्वे के मुताबिक बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों में एनडीए को 2014 से भी ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है। इन राज्यों में लोकसभा की कुल 142 सीटें हैं। सर्वे में एनडीए को 71 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जो 2014 के मुकाबले 16 ज्यादा है। यूपीए को थोड़ा नुकसान हो सकता है और उसे 25 सीटें मिल सकती हैं। 2014 में यूपीए को 28 सीटें मिली थीं। अगर आज चुनाव हुए तो पूर्वी भारत में अन्य के खाते में 46 सीटें आ सकती हैं जो 2014 से 19 कम है। पूर्वी भारत में एनडीए के वोट शेयर में करीब 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।

बिहार और झारखंड में NDA को हो सकता है नुकसान
सर्वे के मुताबिक पूर्वी भारत में भले ही एनडीए को फायदे मिलने का अनुमान है लेकिन बिहार और झारखंड में उसे कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। सर्वे के मुताबिक भ्रष्टाचार के आरोपों से लालू यादव को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचेगा। ओडिशा, बंगाल और असम में एनडीए को फायदा हो सकता है।

उत्तर भारत में फीका पड़ सकता है मोदी का जादू
सर्वे के मुताबिक यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे उत्तर भारत के राज्यों में कुल मिलाकर एनडीए को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। उत्तर भारत की कुल 151 सीटों में एनडीए को 116 सीटें मिल सकती हैं जो 2014 के मुकाबले 15 कम है। यूपीए को 15 सीटें मिल सकती हैं जो पहले से 9 ज्यादा है। सर्वे में अन्य के खाते में 20 सीटों का अनुमान किया गया है जो 2014 के मुकाबले 6 ज्यादा है। सर्वे के मुताबिक हरियाणा और पंजाब में एनडीए को नुकसान हो सकता है। सर्वे के मुताबिक उत्तर भारत में एनडीए को 50 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं जबकि यूपीए को 18 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।

पश्चिम-मध्य भारत में NDA को मामूली नुकसान
गुजरात, एमपी, जैसे पश्चिम-मध्य भारत के राज्यों में एनडीए को मामूली घाटा हो सकता है। पश्चिम-मध्य भारत में कुल 118 सीटें हैं जहां एनडीए को 105 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि 2014 में उसे यहां 109 सीटें मिली थीं। इस तरह एनडीए को 4 सीटों का घाटा हो सकता है। इस क्षेत्र में यूपीए को 12 सीटें मिल सकती हैं जो 2014 के मुकाबले 3 ज्यादा है। अन्य के खाते में भी 1 सीट आ सकती है। 2014 में यहां अन्य के खाते में एक भी सीट नहीं गई थी। पश्चिम मध्य भारत में एनडीए का वोट शेयर बढ़ सकता है। सर्वे में इस क्षेत्र में एनडीए को 56 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है जो 2014 के मुकाबले 3 प्रतिशत ज्यादा है।

दक्षिण भारत में UPA को फायदा
सर्वे के मुताबिक दक्षिण भारत की कुल 132 सीटों में एनडीए को 39 सीटें मिल सकती हैं जो 2014 के मुकाबले सिर्फ एक कम है। एनडीए को आंध्र प्रदेश और केरल में फायदा हो सकता है। दक्षिण भारत में यूपीए को जबरदस्त फायदा मिल सकता है। यहां उसे 52 सीटें मिल सकती हैं जो 2014 के मुकाबले 29 ज्यादा है।

कैसे हुआ सर्वे
एबीपी न्यूज के मुताबिक सर्वे 1 मई से 15 मई के बीच किया गया। इसके लिए 19 राज्यों की 146 विधानसभा सीटों की 584 पोलिंग के 11373 लोगों से बातचीत की गई है।
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सर्वे:अभी हुए चुनाव तो बनेगी मोदी की NDA सरकार, वोट बैंक में भी इजाफा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्ली
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केन्द्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को 26 मई को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इन तीन सालों में मोदी सरकार की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। लोकनीति-CSDS-एबीपी न्यूज के सर्वे के मुताबिक, अगर आज चुनाव हुए तो एनडीए को 331 सीटें मिलेगी। 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले एनडीए को सिर्फ 4 सीटों का नुकसान हो रहा है।

वहीं यूपीए को 104 सीटें मिलने का अनुमान है और उसे 44 सीटों का फायदा हो रहा है। वहीं अन्य को 108 सीटें मिलेंगी और उन्हें 40 सीटों का नुकसान हो रहा है।

बीजेपी के वोट बैंक में इजाफा
2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी के वोट बैंक में पिछले तीन सालों में आठ प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले थे जो सर्वे के मुताबिक, 2017 में 39 फीसदी हो गया है। वहीं बीजेपी सहयोगियों के वोट प्रतिशत में सिर्फ एक फीसदी का इजाफा हुआ है।

सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस के वोट बैंक में भी दो फीसदी का इजाफा हुआ है। 2014 में कांग्रेस को 19 फीसदी वोट मिला था जबकि सर्वे के मुताबिक अभी चुनाव हुए तो कांग्रेस को 21 फीसदी फोटो मिलेंगे। यूपीए के वोट बैंक में एक फीसदी का इजाफा हुआ है।


अन्य राजनीतिक दलों का हाल

पार्टी        2014 लोकसभा चुनाव       सर्वे 2017
बसपा                4                           3
लेफ्ट पार्टी          5                           3
अन्य दल           27                          22


सर्वे के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'अच्छे दिन'को पांच में से तीन लोगों अच्छा बताया है।

नरेंद्र मोदी प्रतिशत
अच्छे दिन सफल63
अच्छे दिन फेल 27
कुछ भी कहने से मना किया10



पीएम मोदी के अच्छे दिन को लेकर हिन्दुओं में जहां आज भी विश्वास कायम है। 66 फीसदी हिन्दू मानते है कि अच्छे दिन आए है। वहीं मुस्लिम समुदाय में मिली जुली प्रक्रिया देखने को मिली। 43 फीसदी मुसलमानों का मानना है कि अच्छे दिन आए हैं तो 45 फीसदी मुसलमानों का मानना है कि अच्छे दिन नहीं आए हैं।



 मोदी अच्छे दिन लाएमोदी अच्छे दिन लाने में विफल  कोई प्रतिक्रिया नहीं
हिन्दू       66 2410
मुस्लिम43 4512
क्रिश्चन513712
सिख 54   388


सर्वे में हिस्सा लेने वाले 25 फीसदी लोगों का मानना है कि इस वक्त देश के सामने सबसे बड़ी समय बेरोजगारी है। वहीं कालाधन सबसे अब कोई मुद्दा नहीं है। सिर्फ दो प्रतिशत लोगों ने इसको देश की समस्या बताया।

देश के सामने समस्याप्रतिशत
बेरोजगारी 25
गरीबी         16
कीमत बढ़ना   8
विकास की कमी, बुनियादी सुविधाएं 8
काला धन           2
अन्य मामले 16
कोई प्रतिक्रिया नहीं 12


सर्वे के मुताबिक, पिछले तीन सालों में पीएम मोदी की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। कोई दूसरा नेता उनके आसपास भी नहीं ठहराता है। उनको छोड़कर किसी भी नेता की लोकप्रियता दहाई का आकंडा नहीं छू पाती है। लोकप्रियता के मामले में राहुल गांधी नौ फीसदी के साथ दूसरे पायदान पर हैं।

नेताप्रतिशत
नरेंद्र मोदी 44
राहुल गांधी9
सोनिया गांधी 3
मायावती         3
नीतिश कुमार2
मनमोहन सिंह 2
अखिलेश यादव 2
ममता बनर्जी 1

बर्बरता का बदला: पाक चौकी को उड़ाया

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बर्बरता का बदला: पाक चौकी को उड़ाया, 

लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्ली 23 मई, 2017

पाकिस्तान की घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना ने कार्रवाई करते हुए तोप से पाकिस्तान की चौकी तबाह कर दिया है। मेजर जनरल अशोक नरूला ने मंगलवार को बताया कि इस चौकी को आतंकवादियों की घुसपैठ मे मदद करने पर ये कार्रवाई की गई है। 6 मई को पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों के साथ मिलकर एलओसी पार करके गश्त कर रहे भारतीय जवानों पर हमला किया था और इस हमले में दो जवान शहीद हुए थे। इसके बाद शहीद जवानों के शव के साथ बर्बरता की थी। इसका बदला लेते हुए भारतीय सेना ने नौ मई पाकिस्तान के नौशेरा में पाक की चौकी को तबाह कर दिया था। सेना ने 9 मई को किए गए इस ऑपरेशन में रॉकेट लॉन्चर्स, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, ऑटोमेटेड ग्रैनेड लॉन्चर्स का इस्तेमाल किया गया।

वहीं भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने नियंत्रण रेखा के नजदीक नौशेरा सेक्टर के पास स्थित पाकिस्तानी सेना के पोस्ट को तबाह करने के भारतीय सेना के दावे को खारिज कर दिया है। बासित ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि पाकिस्तान सरकार की ओर से इस बारे में कोई रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। इसलिए शेखी बघारने की जरूरत नहीं है। दोनों देशों को चाहिए कि वह शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दे को हल करे।

एक्सपर्ट का कहना है कि भारतीय सेना के इस हमले में पाकिस्तान के 20 से 25 सैनिकों के मारे जाने की संभावना है, क्योंकि अमूमन एक पोस्ट में एक वक्त में तकरीबन इतने ही सैनिक रहते हैं।

अशोक नरूला ने बताया कि एलओसी पर हमारा कब्जा है और नौशेरा में हुई कार्रवाई का 24 सेंकेड का वीडियो जारी कर दिया है। सेना का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से 100 किलोमीटर दूर नौशेरा में सेना ने पाकिस्तानी चौकियों के खिलाफ कार्रवाई की है। पाकिस्तान की ओर से बर्फ पिघलने से और दर्रें पिघलने से घुसपैठ की आशंका है।

सर्जिकल स्ट्राइक: भारतीय सेना ने PoK में 3KM घुसकर 38 आतंकियों को किया ढेर

सेना ने इस मामले में 24 सेकंड का वीडियो जारी किया है। जिसमें यह दिखाई दे रहा है कि किस प्रकार सेना ने पाकिस्तानी पोस्ट को ध्वस्त कर दिया हैं। इस दौरान करीब 21 ब्लास्ट हुए और पाकिस्तान की पोस्ट पूरी तरह बर्बाद हो गई।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी की तरफ से हो रही गोलाबारी से भारत के गांवों को भी भारी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश की सीमा पर घुसपैठ रोके। नरूला ने बताया कि हमने हाल में नौशेरा में जो कार्रवाई की है वह घुसपैठियों के खिलाफ ही थी। यह कार्रवाई हमारी आतंकवाद विरोधी अभियान का हिस्सा है।

सेना का कहना है कि हम कश्मीर में अमन और शांति चाहते हैं। हम इसके लिए सीमा पर घुसपैठ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आतंकियों की संख्या कम से कम हो और राज्य के युवा गलत राह पर न चलें। हम आतंकियों को रोकने के लिए सीमा पर इस तरह की कार्रवाई करते रहते हैं।

गौरतलब है कि 6 मई की सुबह पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों के साथ मिलकर एलओसी पार करके गश्त कर रहे भारतीय जवानों पर हमला किया था और इस हमले में दो जवान शहीद हुए थे। भारतीय शहीदों के शवों के साथ पाकिस्तान ने बर्बरता की थी। उस वक्त सेना ने साफ किया था कि इस हमले का माकूल जवाब जरूर दिया जाएगा।

- कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पाक की चौकियों को तबाह करने के लिए मैं भारतीय सेना के साहस को सल्यूट करता हूं।

- शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा, देर आए दुरुस्त आए, अब नहीं रुकना है। अब सोचो लाहौर जाकर तिरंगा लहराना है।

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24 सेकेंड में भारतीय सैनिकों ने दागे 16 गोले, और बर्बाद हो गया LoC से सटा पाकिस्तानी पोस्ट

Tuesday, May 23, 2017

नई दिल्ली: सेना ने मंगलवार (23 मई) को दावा किया कि सीमा पार से हमला रोकने के लिए आतंकवाद-रोधी रणनीति के तहत हालिया कार्रवाई में जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटी पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों को नष्ट कर दिया गया. मेजर जनरल अशोक नरूला ने संवाददाताओं से कहा, "पाकिस्तानी सेना सशस्त्र घुसपैठियों की सहायता करती है.. नौशेरा (राजौरी जिले का सीमा सेक्टर) में हालिया कार्रवाई में हमने पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों को तबाह कर दिया."

यह पूछे जाने पर इन हमलों को कब अंजाम दिया गया, नरूला ने कहा कि यह 'हाल का, बेहद हाल का'अभियान है. उन्होंने विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन एक वीडियो क्लिप साझा किया, जिसमें एक जंगल क्षेत्र में बमबारी और विस्फोट के बाद धुआं उठता दिख रहा है.

भारतीय सेना के एडीजीपीआई मेजर जनल अशोक नरुला ने कहा कि आतंकियों को रोकने के लिए इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. भारतीय सेना ने नौशेरा सेक्टर से सटे पाकिस्तानी सेना की पोस्ट की तबाही का वीडियो जारी करते हुए कहा कि जिन पोस्ट को तबाह किया वहां से घुसपैठ होती थी.

मेजर जनरल नरूला ने कहा, "नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में कार्रवाई की गई. यह हमारे आतंकवाद रोधी रणनीति का हिस्सा है, ताकि (राज्य में) आतंकवादियों की संख्या में कमी लाई जा सके और कश्मीरी युवा गलत राह न पकड़ें."उन्होंने कहा कि भारतीय सेना इस बात से अवगत है कि बर्फ पिघलने के साथ ही घुसपैठ के प्रयास में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा, "भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर पूरी सक्रियता से तैनात है. हम जम्मू एवं कश्मीर में शांति चाहते हैं."

इससे पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने बुधवार (17 मई) को जम्मू-कश्मीर के बालाकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा की अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी कर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था. रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सेना ने बालाकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा की अग्रिम चौकियों पर आधी रात को 12 बजकर 50 मिनट पर गोलीबारी करना शुरू की थी.’’ प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा पर कल रात अग्रिम चौकियों एवं असैन्य इलाकों में भी गोलीबारी की. यह गोलीबारी देर रात डेढ़ बजे तक लगातार चली.

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सेना ने नौशेरा सेक्टर में मंगलवार (16 मई) शाम साढ़े छह बजे अंधाधुंध छोटे हथियारों, स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की और 82 एमएम और 120 एमएम के मोर्टार दागे. यह हमला मंगलवार रात नौ बजे तक जारी रहा.

पाकिस्तान रेंजर्स ने 15 और 16 मई की दरमियानी रात को भी राजौरी जिले के तीन क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर अग्रिम चौकियों एवं असैन्य इलाकों में गोले दागे थे. नौशेरा सेक्टर में 13 मई को नियंत्रण रेखा के पास असैन्य इलाके में मोर्टार दागे जाने की घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी और तीन अन्य लोग घायल हो गए थे.

सीमा-पार से हो रही गोलीबारी एवं गोलेबारी में करबी 10,000 लोग प्रभावित हुए हैं. पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में नियंत्रण रेखा पर प्रभावित कस्बों से करीब 1700 लोगों को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है.

डीसी ने बताया कि सीमा पार से लगातार हो रही गोलाबारी में 2,694 परिवारों के करीब 10,042 लोग प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने मृतकों के निकटतम रिश्तेदार को तत्काल एक-एक लाख रुपए राहत राशि देने और घायलों को भी आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.

चौधरी ने बताया कि प्रशासन और अधिक राहत शिविर बनाने को तैयार है और इसके लिए 25 इमारतों को भी निर्धारित किया गया है. उन्होंने बताया कि शिक्षा प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए स्कूल की कक्षाएं भी इस सप्ताह से बहाल की जाएगीं.

गृह मंत्रालय के एक आरटीआई को दिए जवाब के अनुसार पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा वर्ष 2015 में 405 की तुलना में वर्ष 2016 में 449 संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और दो साल में 23 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई है.


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार : तीन वर्ष पूर्ण

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भारतीय जनता की सेवा करने का मूल उद्देश्य लेकर बनी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अगुवाई वाली जनहितकारी भाजपा सरकार को आज तीन वर्ष पूर्ण हुऐ है और निरंतर जनहित हेतु कार्यरत इस सरकार के प्रति जनता को है विश्वास कि आगे भी होता रहेगा हमारा सही मायने में विकास , आप सभी के अवलोकनार्थ जनहितकारी केन्द्र सरकार के अबतक के कार्यों का एक सक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहा हूँ
मोदी सरकार के बेमिसाल तीन साल: 156 हफ्ते, 156 उपलब्धियां
कालेधन पर पीएम मोदी का वार, पस्त हुआ भ्रष्टाचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिया गया नोटबंदी का फैसला देश के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ। नोटबंदी ने भ्रष्टाचार, काले धन और आतंकवाद को जड़ से कम करने का काम किया।
कालेधन पर एसआईटी के गठन के साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की शुरुआत हो गई।
2015 में ही इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलने लगे, जब कालेधन वालों पर नकेल कसी जाने लगी।
बैंकों से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए मोदी सरकार ने साइप्रस, मॉरीशस और सिंगापुर जैसे देशों के साथ समझौते किए।
बेनामी ट्रांजेक्शन्स को रोकने के लिए 2016 में कड़े कानून बनाए गए। इसे कालेधन का एक बहुत बड़ा श्रोत माना जाता है। सरकार कठोर जुर्माने के साथ कालेधन की घोषणा करने की योजना भी लेकर आई।
मोदी सरकार ने कोल ब्लॉक और स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए एक बहुत ही सफल और पारदर्शी तरीका इस्तेमाल किया। ये भविष्य में भी एक उदाहरण साबित होगा।
मोदी सरकार ने सुलझाए लंबित मुद्दे
करीब तीन दशकों से पड़े बेनामी संपत्ति कानून को संसद से संशोधन कराकर लागू करवाया। ये कानून कालाधन के खिलाफ सरकार के पास बहुत बड़ा हथियार है।
रिटायर्ड सैनिकों के हित में मोदी सरकार ने उठाया ऐतिहासिक कदम, चार दशकों से लंबित ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की मांग को पूरा किया।
बांग्लादेश के साथ लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को मोदी सरकार ने सुलझाया, सीमा विवाद को लेकर ये मोदी सरकार का ऐतिहासिक कार्य था।
आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब बजट फरवरी के आखिर में पेश न होकर एक फरवरी को पेश किया गया। सरकार के कामकाज को बेहतर करने के हिसाब से यह बहुत ही सराहनीय कदम है।
लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी बिल जैसे संविधान संशोधन को संसद से पारित करवाया। आधे से ज्यादा राज्य सरकारों को भी अपनी-अपनी विधानसभाओं से पास कराने के लिए प्रेरित कर देश के विकास का रास्ता खोल दिया।
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को मिली कामयाबी
‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है भारत
2 साल में 60 प्रतिशत से ज्यादा पूंजीगत खर्च भारतीय कंपनियों पर खर्च किया गए हैं।
3 साल में भारतीय विक्रेताओं से खरीद पर 1.05 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय।
भारतीय कंपनियों को 2.46 लाख करोड़ रुपये के 96 बड़ी खरीद को स्वीकृति।
रक्षा हथियार उत्पादन के लिए मेक इन इंडिया के तहत 116 इंडस्ट्रियल लाइसेंस जारी किये जा चुके हैं।
ऑटोमेटिक रूट द्वारा 49 प्रतिशत तक FDI की स्वीकृति मिली।
मेक इन इंडिया की धमक आज दूसरे देशों में भी देखने को मिल रही है जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्था बेहद गिरी है।
सर्वोपरि है देश की सुरक्षा
मोदी राज में सेना ने आतंकी देश पाकिस्तान के टट्टुओं को उसके घर में घुसकर मारा, सर्जिकल स्ट्राइक से विश्व में देश की साख बढ़ी।
मोदी सरकार में म्यांमार में घुसकर आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन किया गया जिसमें आतंकियों को भारी नुकसान हुआ।
युवाओं के लिए काम करती मोदी सरकार
मोदी सरकार में युवाओं को मिल रही है वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन।
युवाओं की दी जा रही है कानूनी सलाह और मदद।
युवाओं को पहले 3 साल तक के मुनाफे पर आयकर में छूट दे रही है मोदी सरकार।
पूंजीगत मुनाफे पर कर में छूट मिल रही है।
देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त माहौल बना रही है मोदी सरकार।
मोदीराज में युवाओं को बेहतर प्रोत्साहन और फायदा मिला है जिससे अब वह अपना व्यवसाय आदि कर रहे हैं।
गांव और गरीब को सशक्त और मजबूत बनाती मोदी सरकार
वित्तीय सहायता से गरीबों के जीवन में आया बदलाव
मोदी सरकार में आजादी के बाद पहली पर घर-घर तक पहुंचाई गई बैंकिंग सेवा, जनधन योजना के तहत खोले गए 28 करोड़ से अधिक बैंक खाते।
13 करोड़ से अधिक लोग मामूली दरों पर सरकार के पैसे लेकर सशक्त हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 7.45 करोड़ से अधिक छोटे उद्यमियों को 3.17 लाख करोड़ रुपये लोन के तौर पर दिये जा चुके हैं।
एससी / एसटी वर्ग को रोजगार के लिए 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का लोन बैंकों द्वारा दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 से स्वस्थ होगा गरीब
गरीबों के लिए सस्ती दवा अब जन औषधि स्टोर से ली जा सकती है, इसके साथ ही मुफ्त जांच की सुविधा भी दी जा रही है।
मोदी सरकार द्वारा यौन हिंसा के पीड़ितों को सरकारी और निजी अस्पतालों में दी जाएगी मुफ्त चिकित्सा सुविधा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में अब उपचार और स्थिति की जानकारी रोगियों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।
सभी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पब्लिक प्रबंधन कैडर का गठन किया गया है।
गरीब के लिए स्टैंट की कीमत को घटाया गया जिससे उसका इलाज काफी किफायती हो गया है।
मोदी सरकार में खुशहाल हैं गरीब
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से 2 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उप्लब्ध कराया गया है, जिससे गरीब महिलाएं राहत महसूस कर रही हैं।
मोदी सरकार का सपना, सबको मिले घर अपना, 2022 तक सबको घर देना मोदी सरकार का लक्ष्य है जिस पर तेजी से काम चल रहा है।
देश में मिशन इंद्रधनुष के तहत 2.6 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण हुआ है जिससे बच्चों में होने वाली बीमारियों में भारी गिरावट आई है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2016-17 में 48,000 किमी सड़क निर्माण हुआ और हर रोज 133 किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। 2013-14 में रोजाना 69 किमी सड़क का ही निर्माण होता था।
मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक 1,20,000 किमी सड़क का निर्माण हुआ है।
मोदी सरकार में देश का गांव-गांव हो रहा है रोशन, छंट रहा है अंधेरा।
पीएम मोदी की UDAN योजना से आज आम नागरिक भी हवाई सफर कर रहा है, ऐसा पहले किसी सरकार ने नहीं किया।
मोदी राज में हुआ शोषण का खात्मा
Direct Benefit Transfer से निम्न और मध्यम वर्ग के शोषण का हुआ खात्मा, मोदी सरकार के 19 मंत्रालयों और विभागों की 92 योजनाओं में Direct Benefit Transfer लागू होने से 49,560 करोड़ की बचत हुई।
देश में ह्रदय रोग के मरीजों की सहायता के लिए मोदी सरकार ने स्टेंट की कीमतों में 85% तक की कटौती करवाई जिससे गरीबों को राहत मिली।
गरीबों के लिए सस्ती और सुलभ दवाइयां सुनिश्चित करना मोदी सरकार की प्रार्थमिकता रही है और आज इससे लोगों को लाभ मिल रहा है। गरीबों के लिए आवश्यक दवाओं की 489 राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में डाला गया है।
मोदी सरकार द्वारा आज जन औषधि केंद्रों पर गरीबों के लिए सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध हैं।
केंद्र सरकार द्वारा श्रमिकों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ देने के लिए कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी में 42% की वृद्धि की गई, जिससे गरीब मजदूरों को लाभ मिल रहा है।
2015-16 के दौरान निष्क्रिय खातों से लाभार्थियों को 5826.89 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
मजबूत और ईमानदार सरकार
इरादे नेक, काम अनेक
कालेधन और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले को पूरा देश का समर्थन प्राप्त हुआ। ये नये भारत की शुरूआत है।
दशकों से लटका पड़ा बेनामी संपत्ति अधिनियम लागू करके मोदी सरकार ने चोरों पर एक और कड़ा प्रहार किया।
राजनैतिक फंड में पारदर्शिता लाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति 2 हजार रुपये तक ही कैश में दे सकता है, ये सीमा मोदी सरकार ने तय की।
मोदी सरकार के कार्यकाल को तीन साल हो गये हैं और आज तक भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा, यह एक ईमानदार सरकार का प्रमाण है।
मोदी सरकार, जिसको है हर एक भारतीय की परवाह
मोदी सरकार, जिसके कारण है दुनिया के हर कोने में सुरक्षित हैं भारतीय
2014 में मोदी सरकार द्वारा यूक्रेन से 1,100, लीबिया से 3,750 और इराक से 7,200 लोगों को संकट के समय सुरक्षित निकाला गया।
2015 में सरकार द्वारा यमन से 6,710 (4,748 भारतीय) और 2016 में दक्षिण सूडान से 153 भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया।
कठिन परिस्थितियों में हर नागरिक के लिए खड़ी होती है मोदी सरकार
सूखा हो या बाढ़, किसानों का हो कोई दुख या दुर्घटना मोदी सरकार हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे खड़ी होती है।
मोदी सरकार ने रेलवे मार्ग के माध्यम से महाराष्ट्र में सूखा प्रभावित क्षेत्र में
6 करोड़ लीटर से अधिक पानी पहुंचाया ऐसा पहली बार किसी सरकार द्वारा किया गया।
पहले किसान को 50 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर ही सरकारी मदद मिलती थी। लेकिन मोदी सरकार ने इस सीमा को घटाकर 33 प्रतिशत कर दिया है, जिससे हर किसान खुश हैं।
मोदी सरकार में सभी को मिल रहा है सशक्तिकरण का समान अवसर
मोदी सरकार ने सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों के लिए आरक्षण 4% तक बढ़ा दिया, जो कि एक सराहनीय कदम है।
मई 2014 से पूरे देश में आयोजित हुए 4,700 विशेष सहायता कैंपों से अब तक 6 लाख से अधिक दिव्यांगों को लाभ मिला।
दिव्यांगों को लाभ देने के लिए उनकी 7 से बढ़ाकर 21 श्रेणियां करके सरकारी सहायता दी जा रही है।
मोदी सरकार में श्रमिकों का कल्याण हुआ सुनिश्चित
कृषि और गैर-कषि क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी में की गई 42 प्रतिशत की वृद्धि।
कैलकुलेश की सीमा को दोगुना कर 7,000 रुपये किया गया।
पात्रता सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये कर दी गई।
अतिरिक्त 55 लाख श्रमिकों को मिलेगा लाभ।
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) से करोड़ों श्रमिकों के लिए अपना ईपीएफ खाता ट्रांसफर करना हुआ आसान।
eNAM से आई कृषि क्षेत्र में क्रांति
eNAM एक राष्ट्र,एक कृषि बाजार की ओर अग्रसर।
eNAM के तहत 36.43 लाख किसान और 84,631 व्यापारी पंजीकृत हुए।
लेन-देन की राशि 14,202 करोड़ रुपये और कुल उत्पादन 54.24 लाख टन रहा है।
किसानों के हित में काम करती है मोदी सरकार
केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेकों काम किये जा रहे हैं जिससे किसान बेहद खुश हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से आज हर गरीब किसान के खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। योजना पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे ।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन से स्वदेशी नस्ल के जानवरों का विकास करने का सरकार का लक्ष्य है। इसके तहत पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोले जा रहे हैं। पहले ये 36 थे जिनको बढ़ाकर 46 किया गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से गरीब किसानों की मदद की जा रही है और जरूरत के समय किसान को सरकार द्वारा लोन दिया जा रहा है।
किसान चैनल की शुरूआत मोदी सरकार द्वारा की गई, जिसका लाभ किसान भाई उठा रहे हैं और नई-नई तकनीक सीख रहे हैं।
सॉयल हेल्थ कार्ड के द्वारा मिट्टी की जांच कर आज किसान इसका लाभ ले रहे हैं और उत्पादन काफी बेहतर हो रहा है।
मोदी सरकार में हुआ महिलाओं का सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से करोड़ लोगों को लाभ मिला है, जिनमें 79 प्रतिशत महिलाएं हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना से 1 करोड़ खाते खोले गए और कुल 11,000 करोड़ रुपये जमा किये गए।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए शुरू किया गया बेटी बचाओ, बेची पढ़ाओ कार्यक्रम काफी सफल रहा है।
उज्ज्वला योजना से पीएम मोदी ने गरीब की रसोई को धुआं मुक्त कर दिया है और अब तक 2 करोड़ 20 लाख गरीब परिवार की माताएं-बहनें इसका लाभ ले रही हैं।
केंद्र में भाजपा की सरकार के तीन साल पूरे होने को हैं। इस पर केंद्र सरकार ने अपने इन तीन साल के कार्यकाल के दौरान किये गए बदलावों को एवं सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा।
सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनसे देश में बड़े बदलाव देखे गए हैं।
अर्थव्यवस्था में बदलाव
सरकार की अहम और बड़ी योजनाओं में ‘जन धन’, आधार और भीम एप शामिल हैं। केंद् सरकार की यह तीनों योजनाएं देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
‘जन धन योजना’ से सरकार ने देश के आम नागरिकों को बैंक से जोड़ा, जिससे देश के गरीब और असहाय नागरिकों को लाभ मिल सके।
पीएम मोदी का सपना, सबको मिले घर अपना
मोदी सरकार में गरीबों को यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल से ज्यादा घर मिले हैं।
17,73,533 किफायती घरों के निर्माण को मोदी सरकार ने दी स्वीकृति।
2,008 शहरों और कस्बों के गरीबों को मिलेगा मोदी सरकार में अपना घर।
केंद्र ने राज्य/ केंद्र शासित राज्यों के लिए 27,883 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है।
योजना के लिए निवेश की कुल 96,266 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
मोदी सरकार में मिला पर्यटन को बढ़ावा
161 देशों के 24 एयरपोर्ट और 3 बंदरगाह पर ई-वीजा की सुविधा मोदी सरकार पर्यटकों को दे रही है।
ई-वीजा की वैधता की सीमा 30 से बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई है।
इंटर्नशिप के लिए आने वाले विदेशियों को इंटर्न वीजा की सुविधा मोदी सरकार द्वारा दी जा रही है।
आपात स्थिति में मेडिकल और व्यवसाय वीजा 48 घंटे के अंदर ही मिल जाएगा।
देश के गरीबों के लिए मोदी सरकार
28 करोड़ खाते धारकों को सीधा लाभ मिल रहा है।
‘आधार योजना’ के तहत केन्द्र सरकार ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी नागरिकों को आधार से जोड़ कर भ्रष्टाचार व बिचौलियों को खत्म करने का प्रयास किया। जिसके फलस्वरूप सरकार की योजनाओं का सभी को लाभ मिल सके। सरकार के इसी प्रयास से करीब 49,560 रु करोड़ की राशि, खाता धारकों तक सीधे पहुंच चुकी हैं।
पीएम मोदी के ‘डि़जिटल इंडिया’ अभियान के तहत ‘भीम एप’ को 2 करो़ड़ से भी अधिक लोगों ने डाउनलोड किया। सरकार की यह पहल देश के नागरिकों को कैशलेस की ओर प्रेरित करता है। इस एप से जुड़ कर डि़जिटल बैंकिंग की जा सकती है। इस योजना से सरकार अधिक से अधिक नागरिकों को ‘डि़जिटल इंडिया’ अभियान से जोड़ना चाहती है।
वर्तमान सरकार ने ‘ एक देश, एक कर‘ और एक मार्केट के उद्देश से देश में एक समान कर को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। गुड एंड सर्विस टैक्स (GST) के नाम से यह बिल पास हुआ, जिसका सीधा फायदा सभी नागरिकों और व्यापारियों को मिलेगा।
केंद्र सरकार ने व्यापार हेतु अनुकूल वातावरण तैयार किया, जिससे अधिक से अधिक व्यापारियों व विदेशी कंपनियों को देश में व्यापार हेतु उचित माहौल मिल सके।
देश में मोदी सकार की ऐसी ही नीतियों के चलते व्यापार जगत को विशेष लाभ मिला,जिसके परिणाम स्वरुप-
भारत में व्यापार करने की स्थिति को वर्ल्ड बैंक ने 2015 में 142 रैंकिग के मुकाबले 2017 में 130 रैंकिंग दी है।
सरकार की नीतियों के तहत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमोदन कराने के 600 दिनों की अवधि को घटा कर 180 दिन कर दिये हैं। साथ ही निर्यात के लिए आवश्यक दस्तावेजों की संख्या भी 7 से घटा कर 3 और आयात करने के लिए 10 से घटाकर 3 कर दी गई है।
भारत सरकार ने ‘श्रम सुविधा पोर्टल ‘ की शुरुआत की, जिससे कर्मचारी नियोक्ता व प्रर्वतन ऐजेंसियों के बीच सामंजस्य हो सके और उसमें पार्दशिता व काम की जवाबदेही तय हो सके। साथ ही साथ दिन – प्रतिदिन की जानकारी पोर्टल के माध्यम से मिल सके और लेबर इंसपेक्टर पर भी निगरानी रखी जा सके।
गरीब के कल्याण के लिए धन
मोदी सरकार द्वारा पीएम गरीब कल्याण योजना के लिए कर और निवेश व्यवस्था प्रस्तावित।
योजना के तहत अघोषित आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करना होगा।
10 प्रतिशत अघोषित आय पर 10 प्रतिशत की दर से दंड।
अतिरिक्त 33 प्रतिशत पीएम गरीब कल्याण के तहत जमा होगा।
इस राशि का उपयोग गरीबों को बेहतर संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई और शौचालय देकर किया जाएगा।
आयात और निर्यात में मोदी सरकार ने नियमों में लाई सरलता
आवेदन के लिए अब सिर्फ 2 दस्तावेज के साथ एक फोटो की जरूरत होगी। साथ ही सुविधा के लिए सरकार ने टोल फ्री लाइन एवं 3 अलग नंबरों की व्यवस्था की है जिससे आसानी से अपनी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
सरकार ने Ebiz पोर्टल की शुरु्आत की है जिसमें गर्वमेंट- टू- बिजनेस (G2B) सर्विस को ऑनलाइन करके तेजी दी जा सके। इस पोर्टल की मदद से व्यापार को शुरू करने एवं चलाने में होने वाली असुविधा को कम किया जा रहा है। साथ ही यह पोर्टल विनियामक से जुड़ी जानकारियां भी प्रदान करता है जिसमें व्यापार शरू करना, संचालन और व्यापार को बंद करने से संबंधित जानकारियां शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने व्यापार शुरू करने के लिए कई छूट दी हैं, जैसे कि कम दरों पर लोन देना और खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए आसानी से आवेदन का प्रावधान। सरकार की इस योजना के तहत करीब 29 लाख व्यवसायियों ने आवेदन दर्ज कराया है।
भारत सरकार की सफल व्यापार नीति से रक्षा, रेलवे, फार्मा और खाद्य जैसे क्षेत्रों में FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) में बढोत्तरी हुई है।
केंद्र सरकार के कदमों ने रियल एस्टेट पर भी अंकुश लगाया है। नियमों में बदलाव करके मोदी सरकार ने 2016 में विनियम और विकास एक्ट में बड़े परिवर्तन किये हैं। इस एक्ट के तहत गलत दस्तावेज देकर जमीन खरीदना अपराध की श्रेणी में माना जाएगा और उस पर कड़े दंड का प्रावधान भी शामिल है।
सरकार के ऐसे कड़े कदम से भू-माफियों और बिल्डरों पर लगाम लग सकेगी।
प्रधानमंत्री जी ने अपनी कुशल नीतियों से भारत को दुनिया में सबसे सफल एवं उदार अर्थव्यवस्था वाला देश बना दिया है जिसका लाभ निर्माण, रेलवे, बीमा और रक्षा क्षेत्र में देखने को भी मिल रहा है।
केंद्र सरकार ने जहां निर्माण, रक्षा और बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दी है। वहीं बीमा के क्षेत्र में FDI को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्र सरकार की इस प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति से रेलवे को विशेष लाभ होगा। जिससे हाई स्पीड ट्रेन और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके रेलवे को मजबूती प्रदान किया जा सके।
दिवालियापन और बैंकरप्ट नीति- केंद्र में भाजपा सरकार की यह नीति, GST बिल के बाद अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक नीतियों में से एक मानी जा रही हैं।
रियल स्टेट का विनियमन– केंद्र सरकार ने रियल स्टेट विनियमन और विकास अधिनियम 2016 के तहत बड़े बदलाव किए हैं। इसमें आवासीय योजनाओं के अंर्तगत प्लॉट साइज 500 Sq मीटर सें अधिक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। साथ ही अधूरी और गलत जानकारी देने पर योजना की रकम का 5% दंड लगाया जाएगा। नियमों का पालन न करने पर योजना को बंद भी किया जा सकता है।
सरकार की ऐसी कठोर नियमों से परियोजना की मार्केटिंग और क्रियान्वयन में पारर्दशिता आएगी साथ ही भ्रष्टाचार पर भी लगाम लग सकेगा।
इस अधिनियम के तहत घर खरीदार को सुरक्षित करना है और डेवलपर को परियोजना की 70 प्रतिशत राशि जमा करने को बाध्य करना है।
FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) – केंद्र सरकार के प्रयासों और बदलावों की श्रंखलाओं ने देश को विश्व में FDI के लिए सबसे प्रभावशाली व खुली अर्थव्यवस्था बनाया है।
निर्माण – सरकार ने निर्माण क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI को मंजूरी दी है।
रक्षा – केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI को मंजूरी दी। इसके तहत सरकार से मंजूरी लेकर छोटे हथियार और गोला एवं बारूद का निर्माण किया जा सकता है।
बीमा– सरकार ने बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है।
रेलवे– केंद्र सरकार के अहम फैसलों में से एक रेलवे की आधारिक संरचना में 100 प्रतिशत FDI को लागू करना है। जैसे कि हाई स्पीड ट्रेन का ट्रैक बिछाना आदि।
रेलवे में FDI के 100 प्रतिशत मंजूरी से बुलेट ट्रेन, हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट का काम आसान होगा। साथ ही रेलवे के दूसरे विभागों जैसे- सिग्नल, टेस्टिंग और मेन्युफैक्चरिंग में भी सरकार ने 100 प्रतिशत FDI को मंजूरी दी है।
स्पेक्ट्रम नीलामी – सरकार को 2015 में स्पेक्ट्रम्स की नीलामी से 1.10 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ। जबकि 2016 में स्पेक्ट्रम्स की नीलामी से 66,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। इसका उपयोग देश के विकास में किया जा रहा है।
डीजल के दामों को डीरेग्युलराइज किया– सरकार ने 2014 में डीजल के दामों का डीरेग्युलराइज किया जिससे उपभोक्ता को सीधा लाभ मिल सके, साथ ही राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाई जा सके।
औद्योगिक लाइसेंस की अवधि को बढाना– केंद्र सरकार ने व्यापार करने की प्रकिया को सरल किया और औद्योगिक लाइसेंस की अवधि को 2 साल से बढ़ा कर 3 साल कर दिया।
कोयला क्षेत्र में निजीकरण और विदेशी निवेशकों को बढ़ावा– भारत सरकार ने कोयला खनन के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के एकाधिकार को खत्म कर दिया है।
फैक्टरी एक्ट में संशोधन– सरकार ने 2016 में फैक्टरी एक्ट में संशोधन करते हुए कुछ अहम बदलाव किए हैं जिसमें फैक्ट्री की उत्पादकता की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से त्रैमासिक ओवर टाइम को 50 घंटों से बढ़ाकर 100 घंटे कर दिया गया है।
प्रेषक
डॉक्टर आलोक भारद्वाज

संवेदनशील, पारदर्शी एवं निर्णायक सरकार:अमित शाह

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इन तीन वर्षों में कई क्षेत्रों में असाधारण काम करके मील का पत्थर स्थापित किया है और एक महान भारत की नींव डालने का काम किया है: अमित शाह
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लोकतंत्र में सरकार के कामकाज का सबसे बड़ा पैमाना जनादेश होता है। 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद देश में हुए सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनाधार को बढ़ाया है और ज्यादातर चुनावों में विजय प्राप्त की है: अमित शाह 
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देश की जनता यह मानती है कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है, देश के गौरव को बढ़ाने वाली सरकार है, पारदर्शी व निर्णायक सरकार है। देश की जनता मानती है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी आजादी के बाद देश के सबसे लोकप्रिय लोकनेता बन कर उभरे हैं: अमित शाह
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इन तीन सालों में देश की जनता का आत्मविश्वास बढ़ाने, दुनिया में देश की प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि करने और देश की सोच के स्केल को बदलने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सफल हुए हैं: अमित शाह
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इन तीन वर्षों में देश की राजनीति से परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण के अभिशाप को ख़त्म करने का काम हुआ है जो देश की राजनीति के लिए एक शुभ संकेत है: अमित शाह 
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आजादी के 70 सालों में जो चीजें हम अचीव नहीं कर पाए, मोदी सरकार ने इन तीन वर्षों में इसे अचीव किया है, इसलिए हमने तीन साल के पूरे होने पर अपने लोकसंपर्क अभियान का नारा बनाया है - साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है: अमित शाह
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार एक निर्णायक सरकार है, त्वरित फैसले लेने वाली सरकार है और योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाली सरकार है: अमित शाह 
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सभी दलों को साथ लाकर जीएसटी के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर'के स्वप्न को साकार करके दिखाया है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है: अमित शाह
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सर्जिकल स्ट्राइक करके सेना के जवानों ने जो वीरता दिखाई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस राजनीतिक दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उससे भारत दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है: अमित शाह
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स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना के माध्यम से देश भर में लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है: अमित शाह
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आजादी के 70 साल बाद भी बिजली से वंचित देश के 18 हजार गाँवों में से लगभग 13 हजार से अधिक गाँवों में बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा कर लिया गया है, बाकी बचे गाँवों में भी 2018 तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर लिया जाएगा: अमित शाह
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में भारत आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, महंगाई काबू में है, विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है, सेंसेक्स 31000 को पार कर गई है, निफ्टी भी अपने उच्चतम स्तर पर है: अमित शाह
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सार्वजनिक जीवन में शुचिता लाने के लिए और चुनावी राजनीति में से काले-धन के दुष्प्रभाव को निरस्त करने के लिए कैश में लिए जाने वाले चंदे की रकम को दो हजार रुपये तक सीमित करने का साहस भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है: अमित शाह
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज, शुक्रवार को भाजपा के केन्द्रीय मुख्यालय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन बेमिसाल वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और मोदी सरकार की उपलब्धियों और गरीब-कल्याण की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की।
साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इन तीन वर्षों में कई क्षेत्रों में असाधारण काम करके मील का पत्थर स्थापित किया है और एक महान भारत की नींव डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इन तीन सालों में देश की जनता का आत्मविश्वास बढ़ाने, दुनिया में देश की प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि करने और देश की सोच के स्केल को बदलने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में देश की राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, इन तीन वर्षों में हमारे विरोधी भी हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में देश की राजनीति में से परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण के अभिशाप को ख़त्म करने का काम हुआ है जो देश की राजनीति के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 सालों में जो चीजें हम अचीव नहीं कर पाए, मोदी सरकार ने इन तीन वर्षों में उन चीजों को हासिल करने में सफलता अर्जित की है और इसलिए हमने भाजपा सरकार के तीन साल के पूरे होने पर लोकसंपर्क अभियान का नारा बनाया है - साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है।
संवेदनशील, पारदर्शी एवं निर्णायक सरकार
श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देने की 1955 से लंबित मांग को पूरा कर के देश के करोड़ों पिछड़े लोगों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि 40 सालों से लंबित पूर्व सैनिकों की ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) को पूरा करके संवेदनशील भाजपा सरकार ने लगभग 8000 करोड़ रुपये की राशि को पूर्व सैनिकों के खाते में सीधा पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करके भारत एक ग्लोबल लीडर के रूप में दुनिया में उभरा है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक करके सेना के जवानों ने जो वीरता दिखाई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस राजनीतिक दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उससे भारत दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक राष्ट्रवादी सरकार का परिचय देते हुए शत्रु संपत्ति बिल को क़ानून बनाकर इसपर एक्शन लिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी, फर्जी कंपनियों के खिलाफ एक्शन और बेनामी संपत्ति का क़ानून लाकर मोदी सरकार ने काले-धन को ख़त्म करने की दिशा में निर्णायक पहल की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चुनाव सुधार की एक नई सोच देश की जनता और सभी राजनीतिक दलों के सामने रखने का काम किया ताकि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के सारे चुनाव एक ही दिन कराया जा सके और जनता के ऊपर से चुनाव खर्च के बोझ को कम किया जा सके।
श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सभी दलों को साथ लाकर जीएसटी के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर'के स्वप्न को साकार करके दिखाया है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ग्यारह सौ से ज्यादा अप्रासंगिक कानूनों को ख़त्म करके मोदी सरकार ने क़ानून के जंगल में मंगल का काम किया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के लिए 48000 करोड़ रुपया आवंटित करके गरीबों की जिन्दगी को आसान बनाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर भीम एप शुरू करके गरीबों को डिजिटल ट्रांजेक्शन का सबसे पॉपुलर एप उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि विकलांगों को दिव्यांग का नाम देकर और उनकी भलाई के लिए कई योजनायें लाकर मोदी सरकार ने एक संवेदनशील सरकार होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि मैटरनिटी की छुट्टी को 26 सप्ताह तक बढ़ा कर मोदी जी ने इस देश के करोड़ों गर्भवती महिलाओं को खुद के और बच्चे की स्वास्थ्य की देखभाल करने का मौक़ा दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार एक निर्णायक सरकार है, त्वरित फैसले लेने वाली सरकार है और योजनाओं को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में हमने देश को पॉलिसी पैरालिसिस वाली सरकार के स्थान पर एक निर्णायक सरकार देने का काम किया है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए भी मोदी सरकार ने काफी कार्य किये हैं। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया में सम्मान दिलाने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि हलके लड़ाकू विमान ‘तेजस'को वायु सेना में सम्मिलित करके ‘मेक इन इंडिया'इनिशिएटिव को बहुत बड़ा बल प्रदान किया गया है, साथ ही, सेना के आधुनिकीकरण को भी बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु सम्मेलन में भारत की भूमिका को पूरी दुनिया ने सराहा है और भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में भी ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि लाल बत्ती के वीआईपी कल्चर को बदलने का काम भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', नमामि गंगे और स्वच्छता अभियान के माध्यम से जनसमस्याओं को जन-भागीदारी से सुलझाने की पहल भी मोदी सरकार ने की है।
उपलब्धियों भरा वर्ष
श्री शाह ने कहा कि मैं यह गर्व के साथ कहना चाहता हूँ कि पिछला वित्तीय वर्ष कई मायनों में बेमिसाल उपलब्धियों वाला वर्ष रहा। उन्होंने कहा कि 2016-17 वित्तीय वर्ष में यूरिया का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, इस वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा इथेनॉल का उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा घरेलू गैस कनेक्शन वितरित किये गए, सबसे ज्यादा कोयले का उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा विद्युत् उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा पूंजी रेलवे के विकास के लिए दी गई, सबसे ज्यादा राजमार्ग बनाए गए, सबसे ज्यादा तेज गति से ग्रामीण सड़कें बनाई गयी, सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर का निर्यात किया गया और सबसे ज्यादा मोटर गाड़ी व टू व्हीलर का उत्पादन हुआ। उन्होंने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर है, यही बताता है कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार किस तरह से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने न्यू इंडिया की नींव रखने का काम किया है, वे देश को महान भारत बनाने की दिशा में आगे लेकर बढ़े हैं।
सोशल सेक्टर में सुधार
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत देश भर में लगभग साढ़े 28 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक अकाउंट खोले गए हैं और उन्हें देश के अर्थतंत्र की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और जीवन सुरक्षा बीमा के अंतर्गत लगभग 13 करोड़ नागरिकों को सुरक्षा कवच दिया गया है, उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश के दो करोड़ गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है, गिव इट अप के तहत लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी सब्सिडी छोड़ी है, जेनेरिक दवाओं के माध्यम से देश के गरीब लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का काम किया गया है, स्टैंट के दाम 80% तक कम किये गए हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी बिजली से वंचित देश के 18 हजार गाँवों में से लगभग 13 हजार से अधिक गाँवों में बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा कर लिया गया है, बाकी बचे गाँवों में भी 2018 तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुद्रा बैंक के माध्यम से साढ़े साथ करोड़ युवाओं को स्वरोजगार के लिए काफी आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 2018 तक लेप्रोसी और कालाजार से मुक्त होने का लक्ष्य रखा है, 2020 तक चेचक से मुक्ति पाने का लक्ष्य तय किया है, इस दिशा में देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा देश भर में लगभग साढ़े चार करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है, मिशन इन्द्रधनुष के माध्यम से साढ़े सात करोड़ बच्चों के टीकाकरण का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि स्किल इंडिया के माध्यम से युवाओं के स्किल अपग्रेडेशन का कार्य तेज गति से प्रगति पर है। स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना के माध्यम से देश भर में लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में 42% की वृद्धि हुई है, यूनिवर्सल पीएफ अकाउंट के माध्यम से मजदूरों की बहुत सारी समस्याओं का अंत किया गया है। उन्होंने कहा कि एक गरीब और बूढ़े मजदूरों के पेंशन को न्यूनतम एक हजार करके सम्मान देने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ग तीन और वर्ग चार की नौकरी में से इंटरव्यू को ख़त्म करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है, भाजपा की सभी राज्य सरकारों ने भी इस पारदर्शी मॉडल को अपनाया है।
भारत: दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में भारत आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, महंगाई काबू में है, विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है, एक साल में विदेशी मुद्रा सेंसेक्स 31000 को पार कर गई है और निफ्टी भी अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। उन्होंने कहा कि बिजली उपलब्धता में भारत 2014 में दुनिया में 99वें स्थान पर था जबकि आज हम 76 स्थान ऊपर उठ कर 26वें स्थान पर आ गए हैं जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास दर पांच प्रतिशत से ऊपर रहा है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ के अनुसार भारत का विकास दर 7.2 फीसदी रहने की संभावना है जबकि कांग्रेस की यूपीए सरकार 2014 में इसे 4.8 फीसद में छोड़ कर गई थी। उन्होंने कहा कि लगातार तीसरे वर्ष कृषि विकास दर में वृद्धि दर्ज की गई है, कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय कृषि विकास दर ऋणात्मक थी जबकि मोदी सरकार में यह लगातार 4% से ऊपर है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में हम 71वें स्थान से 39वें स्थान पर आ गाये हैं। उन्होंने कहा कि नेमुरा के अनुसार, निर्यात में शुरुआती गिरावट के बात लगातार वृद्धि का दौर जारी है और मार्च महीने में यह सालाना आधार पर 27.6 प्रतिशत बढ़ा है। एफडीआई में 45% की वृद्धि हुई है, एक्सपोर्ट में तेजी आई है, ब्याज दरों में कटौती करने में हमें सफलता मिली है, राजकोषीय खाते को 3.9 प्रतिशत तक रखने में हम सफल हुए हैं और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर संग्रह में लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई है जो आजादी के बाद से सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष जहां भारत में प्रति व्यक्ति आय 93,293 रुपये थी, वहीं इस वित्त वर्ष यह 103,007 रुपये रहने का अनुमान है।
काले धन पर प्रहार
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन तीन वर्षों में काले-धन के रास्ते को बंद करने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लेते हुए काले-धन के खिलाफ लड़ाई की अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई, फर्जी कंपनियों के खिलाफ एक्शन और बेनामी संपत्ति का क़ानून लाकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार ने काले-धन को रोकने की दिशा में निर्णायक पहल की। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन और स्पेक्ट्रम की पारदर्शी नीलामी सुनिश्चित की गई और इससे भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्डरिंग के जरिये अर्जित की गई बेनामी संपत्ति में से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति सीज की गई है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई की कटिबद्धता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि लगभग 9.36 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई है, साइप्रस, सिंगापुर और मॉरीशस रूट बंद करके काले धन को वापिस लाने को अर्थतंत्र में वापस लाने के रास्ते बंद किये गए हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता लाने के लिए और चुनावी राजनीति में से काले-धन के दुष्प्रभाव को निरस्त करने के लिए कैश में लिए जाने वाले चंदे की रकम को दो हजार रुपये तक सीमित करने का साहस भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।
किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध सरकार
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसानों की भलाई के लिए मोदी सरकार ने कई इनिशिएटिव लिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, ई-मंडी इत्यादि योजनाओं के माध्यम से किसानों के जीवन-स्तर को ऊपर उठाने के लिए कार्य किये गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से खेत से लेकर खलिहान तक किसानों की फसल को सुरक्षित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस में सरकार द्वारा लगातार तीसरी बार वृद्धि की गई है, दलहन फसलों को एमएसपी पर खरीद कर सरकार ने दाल उत्पादक किसानों को काफी राहत प्रदान की गयी है, किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसानों की सुविधा में बढ़ोत्तरी की गई है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय किसानों को सहायता देने के सभी पैमानों में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों को दी जाने वाली आवंटित राशि को लगभग दोगुना कर दिया गया है, गन्ना किसानों का भुगतान लगभग - लगभग पूरा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नीम कोटेड यूरिया के मदद से पेस्टीसाइड के उपयोग और खाद के उपयोग में कमी लाई गई है, साथ ही खादों के दाम में भी आजादी के बाद पहली बार कमी आई है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तेज प्रगति
श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद सबसे तेज गति से राजमार्गों का निर्माण मोदी सरकार में हो रहा है, राजमार्गों को लेवी फ्री एवं क्रोसिंग फ्री बनाने का काम किया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, आज ही प्रधानमंत्री जी ने असम को अरुणाचल प्रदेश से जोड़ने वाली देश की सबसे लंबी सड़क पुल भूपेन हजारिक का उद्घाटन किया है। उन्होंने कहा कि विद्युत् उत्पादन क्षमता में एक तिहाई जबकि विद्युत् ट्रांसमिशन में एक चौथाई बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में लगभग 30 करोड़ एलइडी बल्ब बांटे गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लगभग 28 लाख विदेशी पर्यटकों को देश में लाने का काम किया गया है, इसमें लगभग 13% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ग्राम सड़क योजना में लगभग 130 किलोमीटर सड़क रोज बनाया गया है, उड़ान के माध्यम से सस्ती हवाई यात्रा की शुरुआत की गई है, सागरमाला में कार्य प्रगति पर है और नाविक नेविगेशन में भी दुनिया के कई देश भारत के साथ आ रहे हैं, होम लोन की दर को कम करके लोगों को राहत दी गयी है और सस्ते घर के सपने को साकार करने का काम हुआ है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार के कामकाज का सबसे बड़ा पैमाना जनता का जनादेश होता है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद देश में हुए सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनाधार को बढ़ाया है और ज्यादातर चुनावों में विजय प्राप्त की है, यह मोदी सरकार को जनता का सर्टिफिकेट है। उन्होंने कहा कि देश की जनता यह मानती है कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है, देश के गौरव को बढ़ाने वाली सरकार है, पारदर्शी व निर्णायक सरकार है। उन्होंने कहा कि देश की जनता मानती है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आजादी के बाद से देश के सबसे लोकप्रिय लोकनेता बन कर उभरे हैं।
(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव


ANNEXURE

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनायें
1. प्रधानमंत्री जन धन योजना
2. प्रधानमंत्री आवास योजना
3. प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना
4. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
5. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
6. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
7. अटल पेंशन योजना
8. सांसद आदर्श ग्राम योजना
9. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
10. प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना
11. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
12. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना
13. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
14. मेक इन इंडिया
15. स्वच्छ भारत अभियान
16. किसान विकास पत्र
17. सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम
18. डिजिटल इंडिया
19. स्किल इंडिया
20. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
21. मिशन इन्द्रधनुष
22. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
23. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
24. पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना
25. अटल मिशन फॉर रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत योजना)
26. स्वदेश दर्शन योजना
27. पिल्ग्रिमेज रेजुवेनशन एंड स्पिरिचुअल ऑग्मेंटशन ड्राइव (प्रसाद योजना)
28. नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटशन योजना (ह्रदय योजना)
29. उड़ान स्कीम
30. नेशनल बाल स्वछता मिशन
31. वन रैंक वन पेंशन (OROP) स्कीम
32. स्मार्ट सिटी मिशन
33. गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम
34. स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया
35. डिजिलॉकर
36. इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम
37. श्यामा प्रसाद मुखेर्जी रुर्बन मिशन
38. सागरमाला प्रोजेक्ट
39. ‘प्रकाश पथ’ – ‘वे टू लाइट’
40. उज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना
41. विकल्प स्कीम
42. नेशनल स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च स्कीम
43. राष्ट्रीय गोकुल मिशन
44. पहल – डायरेक्ट बेनिफिट्स ट्रांसफर फॉर LPG (DBTL) कंस्यूमर्स स्कीम
45. नेशनल इंस्टीटूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग)
46. प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना
47. नमामि गंगे प्रोजेक्ट
48. सेतु भारतं प्रोजेक्ट
49. रियल एस्टेट बिल
50. आधार बिल
51. क्लीन माय कोच
52. राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान
53. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
54. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
55. उन्नत भारत अभियान
56. टी बी मिशन 2020
57. धनलक्ष्मी योजना
58. नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम
59. गंगाजल डिलीवरी स्कीम
60. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
61. विद्यांजलि योजना
62. स्टैंड अप इंडिया लोन स्कीम
63. ग्राम उदय से भारत उदय अभियान
64. सामाजिक अधिकारिता शिविर
65. रेलवे यात्री बीमा योजना
66. स्मार्ट गंगा सिटी
67. मिशन भागीरथ
68. विद्यालक्ष्मी लोन स्कीम
69. स्वयं प्रभा
70. प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना
71. शाला अश्मिता योजना
72. प्रधानमंत्री ग्राम परिवहन योजना
73. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान – National Health Protection Mission
74. राईट टू लाइट स्कीम (आने वाली योजना)
75. राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव
76. उड़ान – उडे देश का आम नागरिक
77. डिजिटल ग्राम
78. ऊर्जा गंगा
79. सौर सुजाला योजना
80. एक भारत श्रेष्ठ भारत
81. शहरी हरित परिवहन योजना (GUTS)
82. नोटबंदी
83. प्रधानमंत्री युवा योजना
84. भारत नेशनल कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP)
85. अमृत OR AMRIT (अफोर्डेबल मेडिसिन एंड रिलाएबल इम्प्लांट्स फॉर ट्रीटमेंट)
86. राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव
87. प्रवासी कौशल विकास योजना
88. प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
89. गर्भवती महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता योजना
90. वरिष्ठ नागरिकों के लिए Fixed Deposit स्कीम – वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना 2017
91. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान
92. यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम
93. जन धन खाता धारकों के लिए बीमा योजना
94. महिला उद्यमियों के लिए स्टार्ट-अप इंडिया योजना
95. मछुआरों के लिए मुद्रा लोन योजना
96. ग्रीन अर्बन मोबिलिटी स्कीम
97. राष्ट्रीय वयोश्री योजना
98. MIG के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लोन स्कीम
99. पॉवेरटेक्स इंडिया स्कीम
100. भारत के वीर पोर्टल
101. व्यापारियों के लिए भीम आधार एप
102. भीम रेफेरल बोनस स्कीम और कैशबैक स्कीम
103. शत्रु सम्पति कानून
104. डिजिधन मेला
105. राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवल
106. यूनिवर्सल बेसिक आय योजना

जीवन उद्देश्यपूर्ण भी होना चाहिए – परम पूज्य डॉ. मोहन भागवत जी

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सफल होने के साथ-साथ व्यक्ति का जीवन उद्देश्यपूर्ण भी होना चाहिए 

– डॉ. मोहन भागवत जी

May 24, 2017

नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूज्य डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जीवन में सफल होने के साथ-साथ जीवन को उद्देश्यपूर्ण भी होना चाहिए. तभी मनुष्य को प्राप्त विद्या सार्थक होती है. ऐसे उत्कृष्ट कार्य को विद्या भारती पूरी मेहनत के साथ कर रही है. सरसंघचालक मोहन भागवत जी 23 मई को विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से संबंधित समर्थ शिक्षा समिति द्वारा संचालित राव मेहर चंद सरस्वती विद्या मंदिर, भलस्वा के नए भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि विद्याभारती ने अपने हाथ में एक कल्याणकारी, मंगलकारी कार्य लिया है. इसके माध्यम से विद्या भारती एक ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना चाहती है जो हिन्दुत्व निष्ठ और राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत हो, अपनी वर्तमानकालीन समस्याओं से सामना करने में सफल होने के लिए सक्षम हो और अपने देश के अभावग्रस्त लोग, साधनहीन लोगों को शोषण और अन्याय से मुक्ति दिलाकर उनका उत्थान करने के लिए सेवारत हों.

उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जीवनयापन करना नहीं है. शिक्षा प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जिस समाज व जिस देश से हम हैं, उसे वापिस देने के लिए हम सक्षम बनें. शिक्षा को सार्थक बनाने के लिए इन भावों को जगाना जरूरी है. विद्या मनुष्य को शिक्षित बनाती है. वह बच्चों के मन में स्वाभिमान को बनाए रखने की क्षमता प्रदान करती है. विद्या केवल विद्यालय में जाकर नहीं सीखते हैं. इसमें अभिवावकों और परिवारों का भी बहुत बड़ा त्याग, तपस्या, और बलिदान सम्मिलित होता है.

विद्या भारती इन सब कार्यों को अच्छे ढंग से करने का प्रयास कर रहा है. विद्या भारती वास्तव में एक परिवार है, जिसमें अभिभावक, आचार्य और विद्यार्थी सभी शामिल हैं. जिस प्रकार की शिक्षा की हमें आवश्यकता है, वह विद्यार्थियों को मिल सके, इस हेतु विद्या भारती के लाखों कार्यकर्ता दिन-रात एक करके समर्पित होकर लगे हुए हैं.

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान से संबंधित समर्थ शिक्षा समिति द्वारा संचालित “राव मेहर चंद सरस्वती विद्या मंदिर, भलस्वा के नए भवन के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, विद्या भारती के अखिल भारतीय पदाधिकारी डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी जी, दिल्ली प्रांत के संघचालक कुलभूषण आहूजा जी, विद्यालय प्रबंधन के सदस्य एवं शिक्षक उपस्थित थे.

केरल में गाय काटते यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता

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केरल गोहत्या विवाद : कांग्रेस ने किया 3 कार्यकर्ताओं को सस्पेंड
नई दिल्ली : केरल राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओ के द्वारा गाय काटे जाने का वीडियो वायरल होने के बाद बवाल मचा हुआ है. कल रात केरल बीजेपी अध्यक्ष राजशेखरन ने ये वीडियो अपलोड किया. राजशेखरन ने इस बारे में ट्वीट किया है कि सरेआम बीच सड़क पर यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओ ने गोवध किया. इसके बाद ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. कांग्रेस में इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए गाय काटने वाले यूथ कांग्रेस के 3 कार्यकर्ताओं को सस्पेंड कर दिया है.

पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की शिकायत पर यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. गौरतलब है कि खुद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर ट्विटर पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि यह एक ऐसी घटना है जिसका समर्थन कोई नहीं कर सकता.

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि कांग्रेस इस हरकत का समर्थन नहीं करती. अगर किसी ने किसी कानून का उल्लंघन किया है तो उसको कानून के अनुसार डील किया जाएगा. अभी इस चीज का कोई प्रमाण नहीं है कि गाय काटने वाले कांग्रेस के है या नहीं. अगर वो कांग्रेस के है तो भी कांग्रेस उसके समर्थन में नही है.

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केरल गोहत्या विवाद मामले में 16 कांग्रेसियों पर केस, योगी आदित्यनाथ भड़के
लखनऊ|Last Updated: सोमवार, 29 मई 2017

केरल के कन्नूर में हुए गोवध मामले में केरल पुलिस ने कांग्रेस के कार्यकर्ता रिजिल मुकुलटी सहित यूथ कांग्रेस के 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन पर कन्नूर में सरेआम गाय की हत्या का आरोप है।
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केरल में गाय काटते यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का वीडियो आया सामने, ट्विटर पर बुरी तरह घिरी पार्टी
गोवध से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस चारों तरफ से घिरती हुई नजर आ रही हैं। सोशल साइट ट्विटर पर यूजर्स ने वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस पर अपनी भड़ास निकाली है।

जनसत्ता ऑनलाइन May 28, 2017

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो केरल का बताया जा रहा है, जिसमें कुछ लोग कथित तौर पर गोवध करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में कई लोग यूथ कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं। शेयर किए गए वीडिओ में एक शख्स ने कांग्रेस का झंडा भी पकड़ा हुआ है। वहीं गोवध से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस चारों तरफ से घिरती हुई नजर आ रही हैं। सोशल साइट ट्विटर पर यूजर्स ने वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस पर अपनी भड़ास निकाली है। #गउ_हत्यारी_Congress भी ट्विटर पर खासा वायरल हो रहा है। ट्विटर यूजर विकास एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखते हैं, ‘पहले कांग्रेस का चुनाव चिन्ह क्या था और अब!’ प्रदीप माहौर लिखते हैं, ‘कांग्रेस ने साबित कर दिया कि उसे 80 फीसदी भारतीयों की भावनाओं के साथ कोई सहानुभूति नहीं है।’ पुनीत शर्मा लिखते हैं, ‘कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कल केरल के कन्नूर में गाय की हत्या कर दी और मांस को बांटने तक वहीं रुके रहे।’ माहौर अन्य ट्वीट में लिखते हैं, ‘अब साफ हो चुका है कांग्रेस हिंदुओं से नफरत करती है।’ स्वेता एंचोमोन लिखती हैं कि आज कांग्रेस 1980 पहले चुनाव चिन्ह को भूल चुकी है।

आशीष मिश्रा लिखते हैं, ‘पहले इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का नारा दिया जाता था। आज सोनिया गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस गो हत्यारी बन चुकी है।’ आशीष मिश्रा लिखते हैं, ‘पहले इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का नारा दिया जाता था। आज सोनिया गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस गो हत्यारी बन चुकी है।’ वहीं गौरव लिखते हैं, ‘कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी है, हिंदुओं को भी इस पार्टी को वोट नहीं देना चाहिए।’ चायवाला नाम से यूजर ट्विटर अकाउंट पर लिखते हैं, ‘कहां गया पशु प्रेमी एनजीओ। क्या अब इसका विरोध करेंगे कांग्रेस गायों की हत्या कर रही है।’

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केरल: गौहत्या पर घिरी कांग्रेस ने निकाले 3 पार्टी कार्यकर्ता, एक के खिलाफ मामला दर्ज
amarujala.com- Presented by: हर्षित गौतमUpdated Mon, 29 May 2017 

केरल में कांग्रेस कार्यकर्ता पर लगे गौहत्या के आरोप के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी इस मामले पर तेवर नरम करने के मूड में कतई नहीं है। शनिवार की रात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजशेखरन ने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो ट्वीट किया। इस वीडियो में कुछ लोग गौहत्या करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ये लोग पीएम मोदी के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे हैं। वीडियो में युवा कांग्रेस का झंडा भी दिखाई दे रहा है।

इस मामले पर मचे बवाल के बाद कांग्रेस ने फौरी तौर पर कार्रवाई करते हुए पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया है। इससे पहले कांग्रेस कार्यकर्ता पर लगे गौ हत्या के आरोपों के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी  ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'ये ऐसी घटना है जिसका समर्थन कोई नहीं कर सकता'।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी भी कांग्रेस का बचाव कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि किसी ने भी अगर कानून का उल्लंघन किया है तो कांग्रेस पार्टी उसके साथ नहीं है उसे कानून के मुताबिक डील किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन इसके लिए वीडियो का प्रमाणित होना जरूरी है।  गाय काटने के आरोप के बाद पुलिस ने केरल के युवा कांग्रेस कार्यकर्ता रिजिल मकुलती के खिलाफ मामला दर्ज किया है।


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मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर केंद्र ने नए नियम बनाए, मांस के लिए मवेशियों की बिक्री पर पाबंदी लगी
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार मवेशियों के खरीदारों को यह शपथपत्र देना होगा कि इनका इस्तेमाल खेती के काम में ही किया जाएगा


केंद्र सरकार ने देशभर के पशु बाजारों में हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम-1960 के तहत नया नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत पशु बाजारों से मवेशियों की खरीद करने वालों को लिखित में यह वादा करना होगा कि इनका इस्तेमाल खेती के काम में किया जाएगा, न कि मारने के लिए. इन मवेशियों में गाय, बैल, सांड, बधिया बैल, बछड़े, बछिया, भैंस और ऊंट शामिल हैं.

नए नियमों के तहत सरकार ने मवेशियों की खरीद-बिक्री से जुड़ी कागजी कार्रवाई को भी बढ़ा दिया है. अब मवेशियों की प्रत्येक खरीद-बिक्री से पहले क्रेता और विक्रेता को अपना पहचान-पत्र और स्वामित्व का कागजी सबूत दिखाना होगा. इसके अलावा खरीदारों को बिक्री के सबूत की प्रतियों को संबंधित जिले के स्थानीय राजस्व अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु बाजार समिति और विक्रेता को देना होगा. नए नियमों के तहत यह भी शर्त जोड़ी गई है कि कोई भी खरीदार मवेशियों की छह महीने के भीतर बिक्री नहीं कर सकेगा. इसके अलावा सीमापार और दूसरे राज्यों में मवेशियों की हत्या रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी और राज्यों की सीमा से 25 किमी के भीतर पशु बाजार लगाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नए नियमों में मवेशियों को मारने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, फिर भी यह देशभर के बूचड़खानों और मांस उद्योग को प्रभावित करेगा. 2016-17 में 26,303 करोड़ रुपये के निर्यात के साथ भारतीय मांस उद्योग का सालाना कारोबार एक लाख करोड़ रुपये होने का आकलन है. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जिसके बाद आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना आते हैं. नए नियमों को लाने के पीछे केंद्र सरकार से गोहत्या पर पाबंदी लगाने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मांग को प्रमुख कारण माना जा रहा है. फिलहाल पूर्वोत्तर और केरल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में गौहत्या पर पाबंदी है. लेकिन, दूसरे दुधारू पशुओं जैसे भैंसों को मांस के लिए मारा जाना आम है.


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नई दिल्ली (भाषा)। पशु बाजारों में वध के लिए जानवरों की खरीद बिक्री पर हालिया प्रतिबंध के बाद राज्यों और कुछ अन्य संगठनों के ज्ञापन पर केंद्र सरकार गौर कर रही है। यह बात आज केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कही।

नायडू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय और पशुओं पर अत्याचार रोकने तथा तस्करी सहित पशु बाजार की मिलीभगत को तोड़ने के लिए बनी संसदीय समिति की कुछ टिप्पणियों के परिप्रेक्ष्य में ये नियम अधिसूचित किए गए थे। नायडू ने कहा, ‘‘बहरहाल कुछ राज्य सरकारों और अन्य वाणिज्य संगठनों ने कुछ मुद्दे उठाए हैं। सरकार इन पर गौर कर रही है।''पिछले हफ्ते नियमों को अधिसूचित करने वाले पर्यावरण मंत्रालय को इन पर अभी तक 13 ज्ञापन मिल चुके हैं।

मंत्रालय ने कठोर पशु अत्याचार निवारण (पशु बाजारों का नियमितीकरण) नियम 2017 को अधिसूचित किया था, जिसमें वध के लिए पशु बाजार से जानवरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाया गया है। निर्णय से मांस और चमड़ा व्यवसाय तथा निर्यात प्रभावित हो सकता है।


नये नियम में राज्यों की सीमा से 25 किलोमीटर की दूरी के अंदर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के भीतर पशु बाजार लगाने पर प्रतिबंध है। इस बीच पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर उन्हें कई ज्ञापन मिले हैं और उनका अध्ययन किया जा रहा है।

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मवेशी खरीद बिक्री को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई रोक
by गाँव कनेक्शन on May 30th 2017
मद्रास। मवेशी बिक्री और पशु बाजारों के विनियमन को लेकर केंद्र सरकार के 23 मई के अधिसूचना पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई बेंच ने मंगलवार को इस अधिसूचना पर रोक लगा दी है। सेल्वगोमाथी और असिक इलाही बाबा द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति एम वी मुरलीधरन और न्यायमूर्ति सीवी कार्तिकेयन के खंडपीठ ने इस आशय का अंतरिम आदेश पारित किया है।


उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों का चयन व्यक्ति के अधिकार का मामला है और किसी को भी इस विषय में हुक्म देने का अधिकार नहीं होना चाहिए। बहस के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने तर्क दिया कि अधिसूचना केवल पशु बाजारों को विनियमित करने के लिए लाई गई है। वहीं, अदालत की खंडपीठ ने इस अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं, उन्हें चार सप्ताह में इस संबंध में अपने जवाब पेश करने होंगे।

आपको बता दें कि केंद्र की अधिसूचना किसानों द्वारा मवेशी बिक्री पर प्रतिबंध लगाती है और यह जनादेश जारी करती है कि इसे केवल किसानों को ही बेचा जाना चाहिए।

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए : राजस्थान हाई कोर्ट

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राजस्थान हाई कोर्ट की सिफ़ारिश, 
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए ; 
जज ने फ़ैसले को बताया 'आत्मा की आवाज़'
Last Updated: Wednesday, May 31, 2017

जयपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार (31 मई) को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ समन्वय में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिये आवश्यक कदम उठाये. न्यायमूर्ति महेश चंद शर्मा की एकल पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को गाय का कानूनी संरक्षक भी नियुक्त किया. आज (बुधवार, 31 मई) ही सेवानिवृत्त हो रहे न्यायधीश ने फैसला सुनाने के बाद कहा कि इस मामले पर उनका फैसला ‘आत्मा की आवाज’ है और ‘गौ हत्या से जघन्य कोई अपराध नहीं’.

अपने 145 पन्नों के आदेश में उन्होंने कहा, ‘नेपाल एक हिंदू राष्ट्र है और उसने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया है. भारत मुख्य रूप से कृषिप्रधान देश है जो पशुपालन पर आधारित है. अनुच्छेद 48 और 51ए (जी) के मुताबिक राज्य सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि उसे इस देश में गाय की कानूनी पहचान के लिये कदम उठाना चाहिये.’ संविधान का अनुच्छेद जहां कहता है कि राज्य को नस्लों के संरक्षण और सुधार और गायों, बछड़ों और दूसरे दुधारू तथा अन्य मवेशियों के वध को निषेध करने के लिये कदम उठाने चाहिये. अनुच्छेद 51ए(जी) प्राकृतिक वातावरण के संरक्षण और जीवित प्राणियों के प्रति दया के बारे में बात करता है.

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि उसे गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिये और इस उद्देश्य के लिये राज्य के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को गायों का कानूनी संरक्षक घोषित किया जाता है.’ अदालत ने हिंगोनिया गौशाला मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. पिछले साल जयपुर की सरकारी गौशाला में सौ से ज्यादा गायों की मौत हो गयी थी. पीठ ने किसी भी शख्स या लोगों के समूह को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिये अदालत में जनहित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता भी दी है.

यह निर्देश ऐसे समय आया है जब कई राज्य केंद्र सरकार के मवेशियों के वाणिज्यिक उपयोग के लिये वध करने पर प्रतिबंध के फैसले का विरोध कर रहे हैं. मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार की अधिसूचना पर चार हफ्ते की रोक लगा दी है. आदेश जारी करने के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से बात करते हुये न्यायमूर्ति शर्मा ने मोरों के समागम का विशिष्ट सिद्धांत भी पेश किया.

अपने फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘मोर में भी अपना गुण होता है. वह आजीवन अविवाहित रहता है. वह मोरनी के साथ समागम नहीं करता. मोरनी मोर के आंसुओं से गर्भवती होती है. तब एक मोर या मोरनी का जन्म होता है, भगवान कृष्ण ने पक्षियों के ब्रह्मचर्य के लिये मोर के पंख का इस्तेमाल किया था.’ राष्ट्रीय पशु के दर्जे पर अपने फैसले के बारे में और जानकारी देते हुये न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा,
‘कानून का उदय धर्म से हुआ है. धर्म कानून से नहीं आया है.’

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किसानों के लिये स्वामीनाथन आयोग की अनुसंशाओं से बढ़कर काम किया है मप्र ने - मुख्यमंत्री श्री चौहान

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हजारों किसानों के आग्रह पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उपवास तोड़ा

किसानों ने कहा शिवराज हमारा भाई
किसानों के लिये स्वामीनाथन आयोग की अनुसंशाओं से बढ़कर काम किया है मप्र ने - मुख्यमंत्री श्री चौहान
शांति भंग करने वालों को नहीं छोड़ा जाएगा

भोपाल : रविवार, जून 11, 2017, 17:48 IST

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को नारियल पानी पिलाकर उपवास समाप्त करवाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी। इस दौरान केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गेहलोत भी मौजूद थे।


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हजारों किसानों के आग्रह पर आज यहाँ शांति बहाली के लिए चल रहे उपवास के दूसरे दिन अपना उपवास समाप्त किया। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी एवं बुजुर्ग किसान श्री मोतीलाल ने नारियल पानी पिलाकर उपवास तुड़वाया।

स्थानीय दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास का दूसरा दिन सुबह 11 बजे से महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन'से शुरू हुआ। प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आये किसान मुख्यमंत्री के साथ उपवास में शामिल हुए। मुख्यमंत्री के समर्थन में केन्द्रीय नेता, प्रदेश मंत्रीमंडल के सदस्य, विधायक, विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारी भी उपवास पर बैठे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के नाम पर शांति भंग करने वालों ने राज्य को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि किसानों के विरूद्ध किसी भी प्रकार का प्रकरण नहीं बनाया जाएगा, लेकिन ऐसे लोगों को नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों की सेवा आखिरी साँस तक करते रहेंगे। कुछ लोग प्रदेश को आग में झोंकने का काम कर रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे ऐसे तत्वों की पहचान करें और भविष्य में सतर्क रहें। असामाजिक तत्वों को शांति भंग न करने दें। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की निजी सम्पत्तियों को नुकसान हुआ है उन्हें भी राहत दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2006 में बने स्वामीनाथन आयोग ने किसानों के लिये जो अनुशंसाएँ की थी उससे आगे बढ़कर मध्यप्रदेश ने काम किया है। स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन देने की सिफारिश की थी, जबकि राज्य सरकार माइनस 10 प्रतिशत पर खाद-बीज के लिये उन्हें ऋण दे रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिये लोन दे रही है। किसानों के कल्याण के लिये स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से भी आगे निकल गई है। स्वामीनाथन आयोग ने राज्यों से सिंचाई की व्यवस्था करने को कहा था। आज प्रदेश में 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। हर क्षेत्र के लिये सिंचाई योजनाएँ बनाई गई हैं। हर खेत में पानी है। नर्मदा के जल से मालवा और अन्य क्षेत्रों में पानी पहुँच रहा है। आयोग की अनुशंसा के अनुरूप विलेज नॉलेज सेंटर बनाये जायेंगे ताकि किसानों को समय पर सलाह मिल सके। उन्होंने कहा कि बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने के लिए प्रदेश के सभी नगरों में किसान बाजार बनाए जाएंगे ताकि किसान अपनी उपज सीधे खरीदारों को बेच सकें। श्री चौहान ने कहा कि राज्य भूमि उपयोग परामर्श सेवा लागू की जाएगी ताकि किसानों को सही समय पर परामर्श मिले कि कौन सी फसल कितनी मात्रा में बोना चाहिए। किसी भी प्रकार से शहरी परियोजना के लिए कृषि भूमि जबरदस्ती अधिग्रहीत नहीं की जाएगी। किसानों की राय जरूरी है। किसानों को खसरा/खतौनी की नकल वर्ष में एक बार उनके घर नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी।

श्री चौहान ने कहा कि दो लाख आदिवासी भाइयों को जमीन पर अधिकार दिया गया है। प्रदेश में किसी भी गरीब को बिना जमीन के नहीं रहने दिया जायेगा। इसके लिये कानून बनाया जायेगा। आज मध्यप्रदेश की कृषि वृद्धि दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। पहले फसलें खेत में सूख जाती थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश प्रथम रहा है। किसानों के लिये सड़क नेटवर्क बढ़ाया गया है। सोयाबीन खराब होने पर बिना सर्वे के भी किसानों को राहत दी गई थी। विपक्षी दल के लोग कभी किसान के खेत में नहीं गए।

श्री चौहान ने कहा कि किसानों के बेटों के लिये कई योजनाएँ बनाई गई हैं चाहे वे अपना रोजगार लगाये या पढ़ाई करें। पहले राहत देने के लिये तहसील इकाई थी अब किसान स्वयं इकाई है। उन्होंने कहा कि 1000 करोड़ की लागत से मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया जा रहा है। प्याज की खरीदी 8 रूपये प्रति किलो शुरू हो गई है। कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उड़द, तुअर और मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर होगी। जिन किसानों का सोयाबीन बचा रह गया है उसकी भी खरीदी की जाएगी।

श्री चौहान ने कहा कि कोई भी उपज समर्थन मूल्य के नीचे नहीं खरीदी जाएगी। समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी करने को अपराध माना जाएगा। श्री चौहान ने किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दे पर उन्होंने कहा कि दूध खरीदी का सबसे अच्छा मॉडल अमूल डेयरी का है। इसी मॉडल के आधार पर दूध खरीदी की व्यवस्था की जाएगी। डिफाल्टर किसानों के लिये समाधान योजना बनाई जायेगी ताकि उन्हें दोबारा लोन मिल सके।

श्री चौहान ने किसानों द्वारा आंदोलन वापस लेने और शांति बहाली में राज्य सरकार को सहयोग करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सभी समस्याएँ सुलझाई जायेंगी। उन्होंने किसानों से दो जुलाई को नर्मदा के किनारे होने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की।

आंदोलन करने वाले मध्यप्रदेश किसान यूनियन के उपाध्यक्ष श्री अनिल यादव ने यह कहते हुए आंदोलन वापस लेने की घोषणा की कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी माँगें मान ली हैं। उन्होंने कहा कि लागत मूल्य देने की माँग बरसो पुरानी थी जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। आजादी के बाद पहली बार यह मांग स्वीकार की गई है।

इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत, पंचायत एवं ग्रामीण विकास केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री प्रभात झा, राष्ट्रीय महामंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद एवं राज्य भाजपा अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, मंत्रीमंडल के सदस्य और बड़ी संख्या में किसान एवं उनके प्रतिनिधि संगठन के सदस्य उपस्थित थे।

ए.एस.

आरती : ॐ जय जगदीश हरे

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आरती : ॐ   जय   जगदीश   हरे

ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे | ॐ जय जगदीश हरे ||

जो ध्यावे फल पावे,दुःखबिन से मन का,
स्वामी दुःखबिन से मन का |
सुख सम्पति घर आवे,सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का |ॐ जय जगदीश हरे ||

मात पिता तुम मेरे,शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा,तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी |ॐ जय जगदीश हरे ||

तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर,पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी |ॐ जय जगदीश हरे ||

तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख फलकामी मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता | ॐ जय जगदीश हरे ||

तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय,किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति |ॐ जय जगदीश हरे ||

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ,अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे |ॐ जय जगदीश हरे ||

विषय-विकार मिटाओ,पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा |ॐ जय जगदीश हरे ||


रामनाथ कोविंद : राष्ट्रपति पद पर चुनना तय

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राष्ट्रपति चुनाव: कोविंद को मिला जदयू का साथ, नीतीश के मंथन के बाद हुआ ऐलान

जदयू ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को आधिकारिक तौर पर समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. पार्टी प्रवक्ता के सी त्यागी ने बुधवार को इसकी घोषणा की.

केसी त्यागी ने कहा कि पार्टी के इस फैसले से महागठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही त्यागी ने साफ कर दिया है विपक्ष की गुरुवार को होने वाली बैठक में जदयू के नेता शामिल नहीं होंगे.

जदयू नेता ने कहा कि अब समर्थन देने के फैसले के बाद बैठक में भाग लेने का अब कोई औचित्य नहीं है. इस संबंध में कांग्रेस पार्टी को सूचित कर दिया गया है.

त्यागी ने कहा कि माननीय कोविंद का बेहतरीन कार्यकाल के तौर पर रहा है. उन्होंने (कोविंद) ने किसी भी तरह का टकराव राजभवन से नहीं होने दिया. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर सर्वसम्मति से ये फैसला किया गया है. गुरुवार की अन्य दलों की होने वाली मीटिंग में जदयू शिरकत नहीं करेगी. इसके बावजूद जदयू विपक्षी एकता के लिए हमेशा प्रयासरत रहेगा. नीतीश जी ने पहले ही अपने फैसले से सोनियाजी और लालूजी को अवगत करा चुके हैं.

राष्ट्रपति पद के लिए तय किया गया रामनाथ कोविंद का नाम
रामनाथ कोविंद : कानपुर के एक छोटे से गाँव से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने तक का सफर 
by Vineet Bajpai on Jun 19th 2017

लखनऊ। BJP संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की है। आइये हम आपको बताते हैं कि कौन हैं रामनाथ कोविंद और कैसा है उनका राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने तक का सफर...

रामनाथ कोविंद का अब तक का सफर
राम नाथ कोविन्द का जन्म एक अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला ), तहसील डेरापुर के एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था।
कोविन्द का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।
वकालत की उपाधि लेने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की।
वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे।
8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुए।
वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के निर्वाचित हुए।
वर्ष 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए।
कोविन्द लगातार 12 वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे।
वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।
वह भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे।
वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रहे।

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इन 10 कारणों से श्री रामनाथ कोविन्द ने राष्ट्रपति उम्मीदवारी की रेस जीती
द्वारा Himanshu Poswal - 20 जून , 2017

एक अप्रत्याशित दांव खेलते हुये नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जुगलबंदी मीडिया हाउस और सम्पूर्ण विपक्ष की बोलती बंद करने में एक बार फिर सफल रही है। जब मीडिया अपने ही विचारों और सिद्धांतों की पोटली बना राष्ट्रपति चुनाव में बाँच रही थी, और कई प्रसिद्ध नामों पर विचार विर्मश करने में व्यस्त थी, तभी एनडीए ने अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा की, जो इनके आशाओं के एकदम विपरीत निकले।

हाल ही में एक नितिक्ष श्रीवास्तव के नाम से चलने वाले ट्विट्टर हैंडल का ट्वीट सामने आया है, जिसने बड़े सटीक रूप से 2016 में ही एनडीए के इस उम्मीदवार की घोषणा की भविष्यवाणी की थी, और बड़े करीने से इस हैंडल ने बड़े बड़े मीडिया घरानों और विपक्ष के प्रपंची नेताओं को धूल चटा दी।

वकालत की शिक्षा ग्रहण की।
बीएनएसडी इंटर कॉलेज के विद्यार्थी, और प्रसिद्ध दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज, कानपुर के स्नातक, श्री रामनाथ कोविन्द ने वकालत की शिक्षा भी ग्रहण की। कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी, श्री कोविन्द ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली की तरफ चल पड़े।

लोक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की
दिल्ली आने का इनका प्रमुख कारण था, लोक सेवा परीक्षा [यूपीएससी एग्ज़ाम्स] के लिए पढ़ाई करना और उसे उत्तीर्ण करना। हालांकि वे दो बार असफल भी हुये, पर तीसरी बारी में उन्होने ये परीक्षा उत्तीर्ण की। हालांकि इनकी रैंक आईएएस सेवा के लिए काफी नहीं थी, सो इन्हे सम्बद्ध सेवा में नौकरी से संतोष करना पड़ा।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया में वकील के तौर पर 1971 में दाखिला
आईएएस बनने का सपना त्यागने के बाद इनहोने वही किया जिसके लिए इनहोने कॉलेज में पढ़ाई की। 1971 में इनहोने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली में बतौर वकील अपना दाखिला करवाया।

दिल्ली हाइ कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील (1977–1979)
इनकी सबसे पहली उपलब्धि आई 1977 में, जब इन्हे मोरारजी देसाई के नेतृत्व में केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली हाइ कोर्ट में वकील नियुक्त किया गया। वहाँ इनहोने दो साल अपनी सेवाएँ दी।

सूप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के स्थायी वकील (1980 – 1993)
1980 में इनके जीवन में एक और मोड़ आया। अब इन्हे सरकार की तरफ से सूप्रीम कोर्ट में बतौर स्थायी वकील प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 13 सालों तक माननीय कोविन्द जी ने निस्संकोच अपनी सेवाएँ दी।

मोरारजी देसाई के निजी सचिव के तौर पर कार्य किया
ये कुछ लोगों के लिए चौंकाने वाला तथ्य हो सकता है, पर इस राष्ट्रपति उम्मीदवार ने कभी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई की बतौर निजी सचिव सेवा भी की थी। इससे इन्हे पीएमओ की कार्यशैली को करीब से जानने का मौका भी मिला।

दो बार उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद (1994-2000 और 2000-2006)
इनके नाम अनगिनत उपलब्धि में सबसे उत्कृष्ट उपलब्धि है इनका बतौर राज्य सभा सांसद दो बार उत्तर प्रदेश से निर्वाचित होना। बतौर सांसद इनहोने सांसद की कार्यप्रणाली का भी गहन अध्ययन किया है। कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों की इनहोने अपनी सेवाएँ भी दी है, जैसे एससी/एसटी कल्याण समिति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण समिति इत्यादि। इसे कहने में कोई हर्ज़ नहीं की इन सेवाओं से इनहोने उच्च पद पर आसीन होने के लिए आवश्यक प्रशासनिक अनुभव भी ग्रहण किया है।

न्यू यॉर्क में यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व और यूएन आम सभा में अक्टूबर 2002 में भाषण का सौभाग्य

जब अटल बिहारी वाजपयी जी भारत के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होने रामनाथ कोविन्द जी को संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधित्व का सुनहरा अवसर प्रदान किया। न सिर्फ इनहोने यह उत्तरदायित्व बखूबी संभाला, बल्कि अक्टूबर 2002 में आम सभा में इनहोने अपने भाषण से अपनी धाक भी जमाई। इससे ये साफ है की भारत के भावी राष्ट्रपति में देश का अंतराष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व करने की उचित योग्यता भी है।

वर्तमान में बिहार के राज्यपाल
71 वर्षीय रामनाथ कोविन्द बिहार के वर्तमान राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। एक राज्य का कुशल निरीक्षण करने की इनकी क्षमता ने इन्हे एनडीए के लिए एक उचित उम्मीदवार के तौर पर उपर्युक्त समझा गया है।

दलित – जिसमें मीडिया को ख़ासी दिलचस्पी हैं।
ये एक विडम्बना है की इस देश की राजनीति में योग्यता नहीं, जाति मायने रखती है। अब इससे एनडीए पूरी तरह अनभिज्ञ रहे, ऐसा सोचना भी असह्य है। एक दलित को उच्च पद के लिए नामित करना पार्टी के आगामी अभियानों के लिए वरदान समान ही साबित होगा। पर जिस तरह इसे मीडिया एक आडंबर बनाने पर तुली है, ऐसे योग्य मनुष्य के लिए अपमानजनक प्रतीत होता है, जिनहोने अपनी जाति के दंश से ऊपर उठ कर अपने देश की उच्च से उच्चतम सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

इसके अलावा डॉ॰ बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में बतौर प्रबंधन बोर्ड के सदस्य श्री कोविन्द कभी प्रसिद्ध भारतीय प्रबंधन संस्थान, कलकत्ता [आईआईएम कलकत्ता] के बोर्ड ऑफ गोवेर्नर्स के मनोनीत सदस्य भी रह चुके है। आरएसएस बैक्ग्राउण्ड से आने वाले कोविन्द जी बीजेपी दलित मोर्चा की 1998-2002 में अगुवाई भी कर चुके हैं। वे अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतितनिधित्व करने का सौभाग्य इनके फायदे में ही रहा। चूंकि मोरारजी देसाई के साथ इनहोने काम किया है, इसीलिए इन्हे नीति निर्माण में भी अनुभव प्राप्त है। इनहोने एससी और एसटी समुदाय की महिलाओं के उन्मूलन और कानूनी सहायता में भी अपना योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश और बिहार से संबन्धित होने के नाते इन्हे देश के लाखों लोगों की कई समस्याओं का भी गहरा अनुभव है।

बहरहाल, चाहे आप खुश हो या नाखुश, पर इस बार एनडीए ने अपना दांव सही खेला है। राष्ट्रीय राजनीति में इनका दांव आने वाले कई वर्षों तक अपनी छाप छोडते जाएगा। रामनाथ कोविन्द के लिए प्रणब दा की जगह भरना काफी मुश्किल होगा, पर उनका अनुभव और उनका ज्ञान इस देश के लिए काफी मूल्यवान सिद्ध हो सकता है।

नीतीश कुमार : दो बार मौका था तब क्यों नहीं याद आई बिहार की बेटी मीरा कुमार ?

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बिहार के सीएम नीतीश का विपक्ष पर हमला, 
पूछा-मीरा कुमार को हराने के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार क्यों बनाया

नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Jun 23, 2017

पटना
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव इफ्तार पार्टी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 'टेस्ट'बदलने में कामयाब नहीं रहे। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के साथ मजबूती से खड़े नीतीश ने इफ्तार पार्टी से बाहर निकलते ही विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा और पूछा कि क्या बिहार की बेटी का चयन हारने के लिए किया गया है? लालू ने नीतीश से फैसले पर पुनर्विचार करने और विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार के समर्थन की अपील की थी।

शुक्रवार को सभी की नजरें लालू की इफ्तार पार्टी पर ही टिकी हुईं थीं। इसमें नीतीश-लालू गले तो जरूर मिले, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव पर दोनों की पसंद अलग ही रही। नीतीश ने मीडिया कर्मियों से कहा, 'मैं मीरा कुमार का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन क्या बिहार की बेटी का चयन हराने के लिए किया गया? जिताने के लिए क्यों नहीं किया गया? दो बार मौका था तब क्यों नहीं याद आई बिहार की बेटी? यदि सच में सम्मान करना है तो 2019 में जीत के लिए रणनीति बनाइए और 2022 में बिहार की बेटी को राष्ट्रपति बनाइए। अभी भी मौका है उन्हें दोबारा सोचना चाहिए। हम लोगों ने हर पहलू पर गौर करके निर्णय लिया है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है। जहां तक जेडीयू की बात है पार्टी स्वतंत्र निर्णय लेती है। पिछली बार जब प्रणव मुखर्जी और हामिद अंसारी उम्मीदवार थे तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ बयानबाजी की थी तो मैंने उसकी मुखालफत की थी। एनडीए में रहते हुए हमने उनका समर्थन किया था।'

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार के तौर पर मीरा कुमार के नाम के ऐलान के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मीरा को 'बिहार की बेटी'बताते हुए कहा था कि कोविंद को समर्थन देकर नीतीश 'ऐतिहासिक भूल'कर रहे हैं। पत्रकारों ने जब नीतीश से इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा, 'लालू जी आपको क्या कहते हैं मुझे उस पर कुछ नहीं कहना है? जब 17 पार्टियां एक साथ बैठीं और एक उम्मीदवार तय किया तो उनका फर्ज था अपील करना। कहा जा रहा है कि ऐतिहासिक भूल है....तो करने दीजिए... छोड़ दीजिए।

विपक्ष को झटका
जेडीयू का एनडीए उम्मीदवार को समर्थन विपक्ष की एकता के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। नीतीश के इस कदम से बिहार में महागठबंधन के भविष्य को लेकर भी कयासों के नए दौर की शुरुआत हो सकती है। सियासी गलियारों में काफी लंबे समय से जेडीयू और आरजेडी के रिश्तों में तल्खी के कयास लग रहे हैं। 

राष्ट्रपति चुनाव : 2017

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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सोनिया गांधी का अहम बयान, जानिए- क्या कहा
Date:Wed, 28 Jun 2017

सोनिया गांधी ने कहा कि यह चुनाव हमारे लिए एक विचार धारा, उसूलों अौर सच्चाई की लड़ाई है, हम लड़ेंगे।
नई दिल्ली (एएनअाई)। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चल रहे गुणा-गणित के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का अहम बयान सामने अाया है। सोनिया गांधी ने कहा कि यह चुनाव हमारे लिए एक विचारधारा, उसूलों अौर सच्चाई की लड़ाई है, हम लड़ेंगे।
इससे पहले ईद पर भी सोनिया गांधी ने कुछ इसी तरह से बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 'विध्वंसकारी ताकतें, अनेकता में एकता और सांप्रदायिक समरसता के भारत के अनोखे चरित्र पर हमला करने का प्रयास कर रही हैं'लेकिन अपनी 'साजिशों'में वे कभी कामयाब नहीं होंगी।
सोनिया गांधी ने कहा था कि भारत को दुनिया में एकमात्र ऐसा देश होने का विशेष दर्जा हासिल रहा है जहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग प्यार और समरसता के माहौल में एक साथ रहते आए हैं। उन्होंने कहा, 'विध्वंसकारी ताकतें विभिन्नता में एकता और सांप्रदायिक मेलमिलाप के भारत के खास चरित्र पर हमला करने का प्रयास कर रही हैं लेकिन ये ताकतें अपनी साजिशों में कभी कामयाब नहीं होंगी।'
वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव जाति के आधार पर नहीं, बल्कि विचारधारा के आधार पर होगा। मीरा कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि दोनों राष्ट्रपति उम्मीदवारों की उपलब्धियों और योग्यताओं पर बहस के बजाय उनकी जाति पर बहस की जा रही है। उन्होंने कहा कि वह सामाजिक न्याय के मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समावेशीकरण तथा जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए लड़ेंगी।
उन्होंने कहा कि उच्च जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले दो नेताओं के बीच भी पहले राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो चुका है, लेकिन उनकी जाति पर चर्चा नहीं की गई। इस बार जब दो दलित एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, तो इसे लेकर हर जगह बहुत चर्चाएं हो रही हैं। मेरा मानना है कि जाति को दफना दिया जाना चाहिए और इसे पूरी तरह से भुला दिया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद अौर मीरा कुमार सहित 64 नामांकन पत्र दाखिल
By Sanjeev Tiwari

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राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद अौर मीरा कुमार सहित 64 नामांकन पत्र दाखिल
Date:Wed, 28 Jun 2017

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है।
नई दिल्ली, जेएनएन।  राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार अाज संसद भवन पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल किया। इससे पहले राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद सहित 64 नामांकन पत्र भरे जा चुके हैं। नामांकन भरते वक्त मीरा कुमार के साथ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और 17 विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे। मीरा कुमार ने नामांकन पत्र के चार सेट लोकसभा महासचिव के समक्ष दाखिल किया। राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा महासचिव निर्वाचन अधिकारी हैं। 17 विपक्षी दलों में से प्रत्येक के नेता को मीरा कुमार के नाम का प्रस्ताव या अनुमोदन करने का अवसर मिला।
नामांकन के समय मीरा कुमार के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा विपक्ष के अन्य नेता उपस्थित थे। इससे पहले वह सुबह 10 बजे ‘राजघाट’ पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद अपने पिता बाबू जगजीवन राम की समाधि स्थल ‘समता स्थल’ जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
नामांकन से एक दिन पहले मीडिया से रूबरू हुई मीरा कुमार ने कहा कि 17 पार्टियों का उन पर जताया गया विश्वास उनके लिए सम्मान की बात है।
   राष्ट्रपति चुनाव को दलित बनाम दलित बताए जाने को गलत करार देते हुए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह जाति व्यवस्था के ढांचे को खत्म कर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को मुद्दा बनाएंगी। मीरा कुमार इस चुनाव को वैचारिक लड़ाई बनाने के लिए अपने प्रचार अभियान का आगाज साबरमती के गांधी आश्रम से करेंगी।
मीरा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जाति की मानसिकता को गठरी में बांधकर नीचे दबा समाज को आगे बढ़ना चाहिए। इस वक्त देश हित सर्वोपरि है और जो विचारधारा प्रेस की आजादी, पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समावेशी समाज में विश्वास रखती है उसी में देश हित है। इसीलिए उन्होंने अंतरात्मा की आवाज की अपील की है।
   मीरा ने कहा कि यह जातिगत लड़ाई नहीं है और अच्छी बात है कि इसको लेकर चर्चा हो रही है क्योंकि इससे समाज की असलियत सामने आ रही है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब राष्ट्रपति चुनाव में दो उच्च जातियों के प्रत्याशी आमने-सामने थे तब जाति का सवाल नहीं उठा और उनके गुणों पर बात हुई।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के स्पीकर के रुप में खुद पर पक्षपात करने के लगाए आरापों को मीरा कुमार ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि स्पीकर के तौर पर उनके कामकाज की सत्ता और विपक्ष दोनों की तरफ से सार्वजनिक रुप से प्रशंसा की गई। पिछले लोकसभा के आखिरी सत्र में सभी दलों के नेताओं की ओर से दिए गए भाषण के रिकार्ड होने का हवाला देते हुए मीरा ने कहा कि उन्होंने न कभी पक्षपात किया और न ही किसी ने आरोप लगाया।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है। राष्ट्रपति चुनाव 17 जुलाई को होना निर्धारित है तथा मतगणना 20 जुलाई को होगी।

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किसान से लेकर चाय बेचने वाले तक हैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में, जानिए- मकसद
Date:Wed, 28 Jun 2017

अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने के बावजूद इनमें एक समानता है कि ये सभी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर काफी आशान्वित हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूरे देश में राष्ट्रपति की चुनाव की बयार जोरों पर है। अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए क्लर्क, किसान से लेकर वकील तक सभी अपनी किस्मत आजमाने में लगे हैं। लालू प्रसाद यादव बिहार में एक क्लर्क रह चुके हैं। तमिलनाडु के अग्नि श्रीरामचंद्रन एक किसान हैं, अजय कुमार गुप्ता उत्तराखंड में एक वकील हैं। इनके अलावा आनंद सिंह कुशवाहा मध्य प्रदेश में चाय बेचने वाले रह चुके हैं और मोहम्मद अब्दुल हमीद पाटिल महाराष्ट्र के एक कंस्ट्रक्शन में नौकरी कर चुके हैं।
अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने के बावजूद इनमें एक समानता है कि ये सभी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर काफी आशान्वित हैं। इन्होंने 15,000 रुपए जमा कराकर अगले महीने होने वाले देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नॉमिनेशन फाइल किया है। ऐसी संभावना नजर आ रही है कि इनमें से कोई भी अपना नॉमिनेशन वापस नहीं लेंगे। लेकिन जांच के दौरान उनके नामांकन पत्र को खारिज कर दिया जा सकता है।
हरिद्वार के गुप्ता भारत के राष्ट्रपति पद की दावेदारी को लेकर कहते हैं, "रबर युग समाप्त हो जाएगा।"वहीं दूसरी तरफ पाटिल ने राष्ट्रपति बनने के 24 घंटे के भीतर कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने की गारंटी दी है। उन्होंने कहा, "मैं कश्मीर से आतंकवाद को खत्म कर दूंगा जो कि देश की सबसे बड़ी आंतरिक समस्या है। कार्यालय संभालने के 24 घंटों के भीतर, मैं पाकिस्तान को एक सबक सिखाया जाएगा और कश्मीर में शांति बहाल की जाएगी।"
इस समय राष्ट्रपति पद के लिए 65 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दायर किए हैं, जिनमें एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद शामिल हैं। विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार बुधवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगी। चुनावी अधिकारियों ने पहले से ही 12 उम्मीदवारों के नामांकन को खारिज कर दिया है।
इस रेस में महाराष्ट्र के हामिद पाटिल की पत्नी, साइरा बानो भी हैं। वो कहती हैं, अपने पति की तरह विजयी होने पर उनका उद्देश्य सशस्त्र बलों में अधिक से अधिक महिलाओं को भर्ती करना होगा। क्योंकि राष्ट्र की रक्षा में महिलाएं पुरुष से कमतर नहीं होती हैं। "
इन सबसे अलावा, लालू यादव को बिहार के जाने माने नेता हैं। वाराणसी के वकील नरेन्द्र दुबे अडीग ने इससे पहले चार बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ा है, और इस बार एक बार फिरसे उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किया है।
तमिलनाडु के श्रीरामचंद्रन ने राजनीति में एक प्रतिष्ठित पहचान बनाई है, जो पूर्व मुख्यमंत्री के करुणानिधि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में पहले उतर चुके हैं।

GST : 22 राज्यों ने हटाए चेक पोस्ट

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GST : 22 राज्यों ने हटाए चेक पोस्ट, 2300 करोड़ बचेंगे
टाइम्सऑफइंडिया.कॉम | Updated: Jul 3, 2017

रामार्को सेनगुप्ता, नई दिल्ली
एक देश, एक टैक्स के नारे के साथ शुक्रवार की आधी रात से लागू किए गए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से भारत की अर्थव्यवस्था को सालाना 2,300 करोड़ रुपये की भारी बचत होगी। अब तक राज्यों के चेक पोस्ट्स पर ट्रकों को जगह-जगह रुकना पड़ता था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक 22 राज्य चेक पोस्ट्स खत्म कर चुके हैं। माना जा रहा है कि अब जीएसटी के चलते ट्रकों की आवाजाही तेज होगी और रास्ते की बाधाएं हटने से भारी बचत होगी। वर्ल्ड बैंक की 2005 की रिपोर्ट के मुताबिक, 'चेकपॉइंट्स पर ट्रकों को होने वाली देरी के चलते सालाना 9 अरब रुपये से लेकर 23 अरब रुपये तक का नुकसान होता है।'ऑपरेटिंग आवर्स के इस नुकसान को टालकर इस स्थिति से बचा जा सकता है।

हालांकि इस आंकड़े में तमाम चेक पोस्ट्स से निकलने के लिए ट्रकों की ओर दी जाने वाली घूस को शामिल नहीं किया गया है, वरना यह आंकड़ा 900 करोड़ रुपये से 7200 करोड़ तक पहुंच सकता है। स्टडी के मुताबिक इस तरह की घूस से इकॉनमी को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन सरकार को मिलने वाले राजस्व को जरूर चपत लगती है। लेकिन, अब चेक पोस्ट्स पर ट्रकों का लेट होना बीते दौर की बात हो सकता है।

जीएसटी से पहले के दौर में चेक पोस्ट गुड्स के मूवमेंट पर टैक्स कलेक्ट करते थे। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अढ़िया ने कहा, 'जहां तक टैक्सेशन की बात है तो अब चेक पोस्ट्स का दौर खत्म हो जाएगा। इसके अलावा भी कई चेक पोस्ट्स होती हैं, जैसे स्टेट चेक पोस्ट्स। इनमें शराब पर स्टेट एक्साइज वसूला जाता है। यह व्यवस्था पहले की तरह ही बनी रहेगी।'

जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों ने फील्ड ऑफिसर्स अडवायजरी जारी कर गुड्स के मूवमेंट को न रोकने और नए नियमों के पालन का आदेश दिया है। असम और उत्तर प्रदेश ने अपने अधिकारियों को ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने तक जीएसटी पहचान नंबर, इनवॉइस नंबर, टैक्स इनवॉइस और लॉजिस्टिक्स फर्म के रजिस्ट्रेशन को चेक करने का आदेश दिया है। सरकार जीएसटी लागू होने के 6 महीने के भीतर ही ई-वे बिल लाने की योजना पर काम कर रही है। इससे ट्रकों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी।

जानें, कैसी होगी ई-वे बिल की व्यवस्था
इसके तहत 50,000 रुपये से अधिक के सामान को राज्य या राज्य से बाहर ले जाने के लिए जीएसटी-नेटवर्क की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रस्ताव के तहत जीएसटी-एन के जरिए जो ई-वे बिल जनरेट होगा, वह 1 से 15 दिन तक वैध होगा। यह वैधता सामान ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन की वैधता वाला ई-बिल तैयार होगा।
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जीएसटी के दूसरे दिन भी ऑटो, कन्ज्यूमर गुड्स समेत कई सामानों के दाम घटाने की घोषणा
इकनॉमिक टाइम्स | Updated: Jul 3, 2017

सागर मालवीय/रत्ना भूषण/ऋतंकर मुखर्जी/शर्मिष्ठा मुखर्जी, मुंबई/कोलकाता/नई दिल्ली
जीएसटी लागू होने के दूसरे दिन यानी रविवार को कुछ कारों और दोपहिया वाहनों की कीमतें घटाने के ऐलान हुए जबकि कई कंपनियों ने आनेवाले दिनों में कुछ और कटौतियों का आश्वासन दिया। इनका कहना है कि 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद बने प्रॉडक्ट्स सस्ते में मिलेंगे। जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने अपनी कारों के दाम में 13 प्रतिशत तक की कटौती की जबकि नई दिल्ली स्थित हीरो मोटोकॉर्प ने दोपहिया वाहनों के दाम 400 से 4,000 रुपये तक घटा दिए। उम्मीद की जा रही है कि ह्यूंदै मौटर्स, टाटा मोटर्स और फोर्ड इंडिया भी अगले कुछ हफ्ते में कीमतों में कटौती का ऐलान करेंगी।

कन्ज्यूमर गुड्स
रविवार को प्रमुख कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियों ने भी अगले कुछ हफ्तों में कीमतें घटाने का भरोसा दिलाया। इनका कहना है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में मिलेंगे। इससे पहले देश की सबसे बड़ी कन्ज्यूमर फर्म हिंदुस्तान यूनिलिवर ने कुछ सामानों के दाम घटा दिए तो कुछ के वजन बढ़ा दिए।

फूड सेक्टर की बड़ी कंपनी नेस्ले अपने मैगी केचअप, सेरलैक और कुछ डेयरी प्रॉडक्ट्स के दाम कम करेगी। नेस्ले के एमडी सुरेश नारायणन ने कहा, 'जिन कैटिगरीज में टैक्स घटे हैं, उनमें 1 जुलाई के बाद बने सामानों की कीमतों में उचित कटौती की जाएगी। नई कीमत वाले स्टॉक मार्केट में आने तक ट्रांजिशन टाइम रहेगा।'

गोदरेज कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स के एमडी विवेक गंभीर ने कहा कि उनके साबुनों के दाम घटाने या इनके वजन बढ़ाने की योजना है। इसी तरह, पेप्सिको, मैरिको, पार्ले और बिसलरी ने भी कहा है कि 1 जुलाई के बाद बने सामान सस्ते में दिए जाएंगे।

संघ में श्री गुरुदक्षिणा पर्व

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संघ में गुरू दक्षिणा पर्व 
संघ में कोई भी व्यक्ति गुरु नहीं रहेगा- परम पवित्र भगवा ध्वज ही हमारा गुरु है।
- संघ संस्थापक डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार



संघशाखा प्रारम्भ होने के बाद प्रारंभिक दो वर्षों तक तो धन की कोई आवश्यकता महसूस नहीं हुई। कार्यक्रम भी सामान्य और छोटे स्वरूप के होते थे, इसलिए खर्चा भी विशेष नहीं होता था। जो कुछ थोड़ा बहुत खर्च होता उसकी पूर्ति डॉक्टरजी का मित्र-परिवार करता। उनके मित्रों को यह पूरा विश्वास था कि डॉक्टरजी निरपेक्ष देश सेवा का कार्य कर रहे हैं। इसलिए वर्ष भर में एक या दो बार वे बड़ी खुशी से संघ कार्य के लिए आर्थिक मदद देते थे। 1927 तक संघ के जिम्मेदार स्वयंसेवक डॉक्टरजी के इन विश्वासपात्र मित्रों के यहां जाकर धन ले आते थे। द्रुत गति से बढ़ने वाले संघ कार्य के लिए, कार्यक्रमों तथा प्रवास हेतु जब अधिक खर्च करना अपरिहार्य हो गया तब डॉक्टरजी ने इस संबंध में स्वयंसेवकों के साथ विचार-विमर्श प्रारंभ किया। आज तक तो धनराशि एकत्रित होती उसका पाई-पाई का हिसाब डॉक्टरजी स्वयं रखते थे और यही आदत उन्होंने स्वयंसेवकों में भी डाली। परिणम स्वरूप स्वयंसेवकों को अपने सारे कार्यक्रम सादगीपूर्ण ढंग से, कम खर्च में करने की आदत हो गई। शाखाएं तेजी से खुलने लगीं थी। नागपुर के पड़ोसी वर्धा और भंडारा जिलों में नयी शाखाएं खुलीं। इस कारण आवश्यक खर्च भी बढ़ने लगा। कुछ दिनों तक मित्रों से उधार लेने का क्रम चला। मित्र भी बड़ी आस्था से रकम उधार देते और वापसी की कोई जल्दबाजी नहीं की जाती, फिर भी उधार ली गई रकम आखिर कभी न कभी वापस करनी है- यह चिंता उन्हें अवश्य होती। फिर इस तरह उधार लेकर काम करने का क्रम आखिर कब तक चलेगा, यह चिंता स्वयंसेवकों के मन में भी उत्पन्न होने लगी और इसका कोई निदान ढूंढा जाने लगा।

एक स्वयंसेवक ने कहा, संघ कार्य हिन्दूसमाज का कार्य है। इसलिए जो आर्थिक मदद दे सकते हैं, ऐसे संघ से सहानुभूति रखने वाले लोगों से धन एकत्रित किया जाए। अन्य स्वयंसेवक ने भी इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि समाज जीवन की उन्नति हेतु चलने वाले सभी प्रकार के कार्य आखिर लोगों द्वारा दिए गए दान, अनुदान और चंदे की रकम से ही चलते हैं- अत: हमें भी इसी तरीके से धन जुटाना चाहिए। एक और स्वयंसेवक ने इस पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि हमारा कार्य सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय कार्य है इसका लोगों का बोध कराना होगा किंतु इसके लिए उनसे आर्थिक मदद मांगना उचित नहीं होगा। इसी बात को आगग बढ़ाते हुए अन्य स्वयंसेवक ने कहा कि यदि हम इसे अपना ही कार्य कहते हैं तो संघ जैसे उदात्ता कार्य हेतु हम स्वयं ही अपना धन लगाकर खर्च की व्यवस्था क्यों न करें? डॉक्टरजी ने उसे अपना विचार अधिक स्पष्ट रूप से कहने का आग्रह किया। तब उस स्वयंसेवक ने कहा, अपने घर में कोई धार्मिक कार्य अथव विवाह आदि कार्य होते हैं। कोई अपनी लड़की के विवाह के लिए चंदा एकत्रित कर धन नहीं जुटाता। इसी प्रकार संघ कार्य पर होने वाला खर्च भी, जैसे भी संभव हो, हम सभी मिलकर वहन करें।
स्वयंसेवक खुले मन से अपने विचार व्यक्त करने लगे। एक ने शंका आशंका उपस्थित काते हुए कहा, यह धन राशि संघ के कार्य हेतु एकत्र होगी- क्या इसे हम कार्य हेतु अपना आर्थिक सहयोग माने? दान, अनुदान, चंदा आर्थिक सहयोग आदि में पूर्णतया निरपेक्ष भाव से देने का भाव प्रकट नहीं होता। अपनी घर-गृहस्थी ठीक तरह स चलाते हुए, हमें जो संभव होता है, वही हम दान, अनुदान चंदा आदि के रूप में देते हैं। कंतु हमारा संघ कार्य तो जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरण करने योग्य कार्य है। वह अपना ही कार्य है, इसलिए हमें अपने व्यक्तिगत खर्चों में कटौती कर संघ कार्य हेतु जितना अधिक दे सकें, उतना हमें देना चाहिए- यह भावना स्वयंसेवकों में निर्माण होनी चाहिए। अपने व्यक्तिगत जीवन में भी धन-सम्पत्ति की ओर देखने का योग्य दृष्टिकोण हमें स्वीकार करना चाहिए। मुक्त चिंतन के चलते स्वयंसेवक अपने अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। डॉक्टरजी ने सबके विचारों को सुनने के बाद कहा, कृतज्ञता और निरपेक्षता की भावना से गुरुदक्षिणा समर्पण की पध्दति भारत में प्राचीनकाल में प्रचलित थी। संघ कार्य करते समय धन संबंधी हमें अपेक्षित भावना गुरुदक्षिणा की इस संकल्पना में प्रकट होती है- हमें भी वही पध्दति स्वीकार करनी चाहिए। डॉक्टरजी के इस कथन से सभी स्वयंसेवकों के विचार को एक नयी दिशा मिली और विशुध्द भावना से 'गुरुदक्षिणा'समर्पण का विचार सभी स्वयंसेवकों के हृदय में बस गया।
दो दिन बाद ही व्यास पूर्णिमा थी। गुरुपूजन और गुरुदक्षिणा समर्पण हेतु परम्परा से चला आ रहा, यह पावन दिवस सर्व दृष्टि से उचित था। इसलिए डॉक्टरजी ने कहा कि इस दिन सुबह ही स्नान आदि विधि पूर्णकर हम सारे स्वयंसेवक एकत्रित आयेंगे और श्री गुरुपूर्णिमा व श्री गुरुदक्षिणा का उत्सव मनायेंगे। डॉक्टरजी की यह सूचना सुनते ही घर लौटते समय स्वयंसेवकों के मन में विचार-चक्र घूमने लगा। परसों हम गुरु के नाते किसकी पूजा करेंगे? स्वयंसेवकों का गुरु कौन होगा? स्वाभाविकतया सबके मन में यह विचार आया कि डॉक्टरजी के सिवा हमारा गुरु कौन हो सकता है? हम परसों मनाये जाने वाले गुरुपूजन उत्सव में उन्हीं का पूजन करेंगे। कुछ स्वयंसेवकों के विचार में, राष्ट्रगुरु तो समर्थ रामदास स्वामी हैं। प्रार्थना के बाद नित्य हम उनकी जय जयकार करते हैं। अत: समर्थ रामदासजी के छायाचित्र की पूजा करना उचित रहेगा। उन्हीं दिनों अण्णा सोहनी नामक एक कार्यकर्ता शाखा में उत्ताम शारीरिक शिक्षके रूप में प्रसिध्द थे- उनकी शिक्षा से हमारी शारीरिक क्षमता और विश्वास से वृध्दि होती है, अत: क्यों न उन्हें ही गुरु के रूप में पूजा जाए? अनेक प्रकार की विचार तरंगे स्वयंसेवकों के मन में उटने लगीं।
व्याप पूर्णिमा के दिन प्रात:काल सभी स्वयंसेवक निर्धारित समय पर डॉक्टरजी के घर एकत्रित हुए। ध्वजारोहण, ध्वजप्रणाम के बाद स्वयंसेवक अपने अपने स्थान पर बैठ गए। व्यक्तिगत गीत हुआ और उसके बाद डॉक्टरजी भाषण देने के लिए उठ खड़े हुए। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि संघ किसी भी जीवित व्यक्ति को गुरु न मानते हुए अपने परम पवित्र भगवा ध्वज को ही अपना गुरु मानता है। व्यक्ति चाहे तिना ही श्रेष्ठ क्यो न हो, वह सदा अविचल-अडिग उसी स्थिति में रहेगा- इसकी कोई गारंटी नहीं। श्रेष्ठ व्यक्ति में भी कोई न कोई अपूर्णता या कमी रह सकती है। सिध्दांत ही नित्य अडिग बना रह सकता है। भगवा ध्वज ही संघ के सैध्दान्तिक विचारों का प्रतीक है- इस ध्वज की ओर देखते ही अपने राष्ट्र का उज्जवल इतिहास, अपनी श्रेष्ठ संस्कृति और दिव्य दर्शन हमारी आंखों के सामने खड़ हो जाता है। जिस ध्वज की ओर देखते ही अंत:करण में स्फूर्ति का संचार होने लगता है वही भगवा ध्वज अपने संघ कार्य के सिध्दांतों का प्रतीक है- इसलिए वह हमारा गुरु है। आज हम उसी का पूजन करें और उसे ही अपनी गुरुदक्षिणा समर्पित करें।
कार्यक्रम बड़े उत्साह से सम्पन्न हुआ और इसके साथ ही भगवा ध्वज को अपना गुरु और आदर्श मानने की पध्दति शुरु हुई। इस प्रथम गुरुपेजा उत्सव में कुल 84 रु. श्रीगुरुदक्षिणा के रूप में एकत्रित हुए। उसका तथा आगे संघ कार्य पर होने वाले खर्चे का पूरा हिसाब रखने की व्यवस्था की गई। श्रीगुरुदक्षिणा का उपयोग केवल संघ कार्य हेतु ही हो, अपने व्यक्तिगत कार्य के लिए उसमें से एक भी पैसा उपयोग में नहीं लाया जाए- इसकी चिंता स्वयं डॉक्टरजी किया करते। वही आदत स्वयंसेवकों में भी निर्माण हुई इस प्रकार आत्मनिर्भर होकर संघ कार्य करने की पध्दति संघ में प्रचलित हुई।
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